एच आई वी संक्रमित लोगों का एक बहुत ही अनूठा और विरल समूह ऐसा है जो एच आई वी विषाणु से संक्रमित होने के बरसों बरस बाद भी स्वस्थ बने रहता हैं .इन्हें जीवन रक्षक दवाओं एंटी -रेट्रो -वायरल इलाज़ (ART -ANTIRETROVIRAL TREATMENT)की ज़रुरत ही पेश नहीं आती .अब ऐसे ही १०० स्वयंसेवियों की खोज तेज़ कर दी गई है .समझा जाता है इनके खून में ही कुछ ऐसे प्रति -पिंड बनने लगतें हैं जो एच आई वी विषाणु को इनकी रक्त कोशाओं में प्रवेश नहीं लेने देते .ऐसे में अपनी हू -बा -हू प्रतिकृति वह नहीं बना पाता है एच आई वी .
अकिलीज़ हील: इस विषाणु का सबसे कमज़ोर पक्ष ही इसे अरक्षित बनाके छोड़ देता है . जिसकी खबर ये एक न एक दिन दे देगा .
यह अन्वेषण एक अंतर -राष्ट्रीय -एड्स टीका पहल (International Aids Vaccine Initiative's) का अंग है .इसे प्रोटोकोल -जी (Protocol G)नाम दिया गया है जिसकी शुरुआत २००६ में ही कर दी गई थी .
अब तक और आदिनांक ऐसे ही विरल समूह के रक्त के १८०० साम्पिल्स १२ अलग अलग मुल्कों से जुटे जा चुकें हैं .स्क्रीनिंग के बाद इनसे १९ ब्रोडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज अलग कर ली गईं हैं .(bNAb) .
यही वह प्रतिपिंड है जो कई एच आई वी सब -टाइप्स को अपनी लक्षित कोशाओं (Target cells)तक पहुँचने से रोक देती है .
एक बहुत ही अल्पसंख्यक समूह है ऐसे लोगों का जिनमे यह प्रतिपिंड एच आइवी से संक्रमित होने के बाद बनता है .बेशक एच आई वी एक बेहद उत्परिवर्तन शील (wildly mutable )विषाणु है तो भी इसके ही कुछ ऐसे हिस्से हैं जो उत्परिवर्तित (MUTATE) नहीं होतें हैं .ये कुछ ख़ास हिस्से उत्परिवर्तन का खुलकर प्रतिरोध करतें हैं .
यही वह क्षमता है चाबी है घुसपैंठ की जो इस विषाणु को कोशाओं में कूमल (सेंध )लगाके प्रवेश की हैसियत दिए रहती है .
और
ये ही वह एच आई वी के संभाग हैं जिन्हें bNAb लक्ष्य बनातीं हैं .टार्गेट करती हैं निशाना साध्तीं हैं इन्हीं संभागों पर .
भारत सरकार के जैव -प्रोद्योगिकी विभाग ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है ताकि प्रोटोकोल -जी को आगे बढ़ाया जा सके .इसपर क्रियान्वन कर रहें हैं इंटर -नेशनल वेक्सीन इनिशियेतिव्स तथा चेन्नई का YRG Care .
यही वह संगठन है जिसने १९८६ में देश के सबसे पहले एच आई वी मामले की शिनाख्त की थी .
तमाम साम्पिल्स की जांच ट्रांसलेश्नल हेल्थ साइंसिज़ एंड टेक्नोलोजी इंस्टिट्यूट (THSTI) में की जाएगी .यह संस्थान हरियाणा के गुडगाँव में बन रहा है ..
एच आई वी संक्रमित कुछ ख़ास लोगों के खून से ही बनेगा एच आई वी का कारगर टीका .
RAM RAM BHAI 1 ram ram bhai !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
चेहरे की झुर्रियां हटाने तथा चमड़ी को कसावदार बनाए रखने के लिए आधा कप ताज़ा ताज़ा बंद गोभी(कैबिज़ ,करमकल्ला ) का रस चेहरे पर मलें .
थकान दूर करने के लिए बेज़ल लीव्ज़ (तुलसी के पत्ते )पानी में उबाल कर नियमित चाय की तरह सेवन कीजिए .
आज से इन नुश्खों के साथकोई नीतिपरक दोहा या ग़ज़ल का कोई काबिले दाद या फुटकर शेर भी परोसा जाएगा-
आज का दोहा :
मधुर वचन से जात मिटी ,उत्तम जन अभिमान ,
तनिक सीत जल सौं मिटत ,जैसे दूध उफान .
राम राम भाई !
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6 टिप्पणियां:
मधुर वचन से जात मिटी ,उत्तम जन अभिमान ,
तनिक सीत जल सौं मिटत ,जैसे दूध उफान ...
ये दोहा औए सभी नुस्खे पसंद आए ... अपनाने पढेंगे ... और एच आई वी पे लिखा लेख भी जानकारी भरा रहा ...
बढ़िया प्रस्तुति ||
शिवम् भूत्वा शिवम् यजेत..
yes scientist need to study those people and if possible should transfer such blood with that special power to the people who are suffering from HIV.
ये दोहों की श्रंखला अच्छी शुरू की है ,वीरू भाई |
ये तो समझ लिया ,पर हम जैसे मूढ़-मति वालों के लिए थोडा-थोडा भावार्थ देने की भी कृपा करना ताकि इसका पूरा लाभ ले सकें |
आभार!
राम-राम !
जानकारी भरा लेख अच्छा है .
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