चार किस्में बतलाई गईं है मर्द के शरीर की .
(Men's bodies classiefied inti 4 types )
महिलाओं की देह यष्टि के लिए अकसर "एपिल शेप्ड "या फिर "पीयर शेप्ड "आकृतियों का स्तेमाल किया जाता है .अब पुरुषों ने भी स्वयं के लिए कुछ आकृतियों के प्रतिमान गढ़ लिए हैं .retailor High and Mighty द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में पुरुष देह यष्टि को अब चार वर्गों में रखा गया है .ये वर्ग हैं :
(१)क्रिसमस पुडिंग ,एक प्रकार की स्वीट डिश मिष्ठान्न जिसका स्तेमाल ईसा मसीह के जन्म दिन पर किया जाता है (Chrismas pudding ).कहलाती है .
(२ )Yule log .
(3) parsnip
(4)Candle
yule log के कंधे और कटि प्रदेश (कमर ),waist एकाकार होतें हैं एक सा ही साइज़ होता है शोल्डर्स और कमर के घेरे का .
पर्स्निप और केंडिल पुरुष का मतलब है लंबा और छरहरा (लम्बू बिग बी जैसा ).क्रिसमस पुडिंग का मतलब है कुल भार का शरीर के मध्य भाग में अधिकाधिक अंश का रहना .
अपने यहाँ नायक नायिका भेद की पुरानी परम्परा रही है वर्गीकरण कामसूत्र के प्रणेता वात्सायन ने किया है .पुरुष को अश्व ,वृषभ ,सांड (बुल),नायिका को मुग्धा मध्या ,बडवा (प्रगल्भ )कहा है .वीर्य की गंध सुगंध ,लिंग की आकृति (साइज़ ),योनी की लम्बाई (गहराई )मिजाज़ स्त्री पुरुष का विस्तार से बतलाया है .
किशोर वृन्दों में आत्मघाती प्रवृत्ति .
१२ में से एक किशोर ,किशोरी खुद को नुकसान पहुंचाते हैं आत्मघाती आदत से ग्रस्त रहतें हैं .
(One in 12 teens self -harms).
इनमे ज्यादातर किशोरियां ही होतीं हैं .कलाई की नस काट लेना खुद को आग लगालेने से लेकर यह अनेकानेक जोखिम भरे काम कर डालतीं हैं .इनमे से १०%लोग किशोरावस्था के पार युवावस्था में भी इस खतरनाक आदत को साथ ले जातें हैं .एक ताज़ा प्रकाशित अध्ययन से यही नतीजे निकलें हैं .
गौर तलब है खुद को नुकसान पहुंचाने की आत्मघाती प्रवृत्ति आगे चलकर आत्महत्या करने की आशंका और प्रवणता की और साफ़ साफ़ इशारा है यही कहना है उन मनो -रोगों के माहिर का जिन्होनें इस अध्ययन को संपन्न किया है .इन अन्वेषणों की मदद से समय रहते सार्थक बचावी पहल के उपाय अपनाए जा सकतें हैं .
ब्रितानी ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय से सम्बद्ध आत्महत्या शोध के प्रमुख विज्ञानी कीथ हव्टों ने लन्दन में एक पुनर -आकलन में कहा आत्म घाती प्रवृत्ति के इतने ज्यादा मामलों की अनदेखी करना स्वयं एक आत्मघाती कदम होगा .
दूसरी तरफ Centre for Adolescent Health ,Murdoch Children's Research Institute ,Melbourne,Australia में इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले George Patton ने कहा किशोरावस्था के बीचो बीच आती है एक "Window of Vulnerability"जब किशोर किशोरियां भावात्मक संवेगों से जूझतें हैं .खुद को नुकसान पहुंचाना एक तरह से इस प्रवृत्ति से दो चार होने का एक ज़रिया बन जाता है .
लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस काम को अंजाम देने वाली पट्टों की टीम का कहना है जिन लोगों में यह खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति मिली है उनमे अकसर मानसिक सेहत से जुडी समस्याएं भी मौजूद रहतीं हैं .इनका समाधान इलाज़ के अभाव में नहीं हो पाता है .
खुद को नुकसान पहुचाना एक आलमी प्रवृत्ति के बतौर सामने आ रहा है .१५-२४ साला लडकियां /युवतियां इसकी चपेट में ज्यादा हैं .सेल्फ एब्यूज की यह प्रवृत्ति दिनानुदिन बढती प्रतीत होती है जो खासी चिंता का वायस है .
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तकरीबन दस लाख लोग हर बरस आत्म ह्त्या करतें हैं .एक लाख के पीछे १६ लोग आत्म घाती प्रवृत्ति की भेंट चढ़ जातें हैं .दूसरे शब्दों में हर ४० सेकिंड के बाद एक व्यक्ति आत्म घात करता है .गत ४५ बरसों में इस प्रवृत्ति में ६०%इजाफा हुआ है .
Reference material :One in 12 teens self harms/TIMES TRENDS/TOI,NOV 20,2011,P19.
कैसे की जाए भूकंप की भविष्य वाणी .
कैसे की जाए भूकंप की भविष्य वाणी .
(How to predict an earthquake?)
एक नए सिद्धांत (सिद्धान्तिक प्रस्तावना ,परिकल्पना )की माने तब आसन्न भूकंप (ज़लज़ले )की प्रागुक्ति टूटती दरकती चट्टानों से रिसती ओजोन के आधार पर की जा सकती है .इस एवज़ इंजिनीयरि फिजिक्स (अभियानविकी भौतिकी )के प्रोफ़ेसर Raul A Baragiola ने टूटती दरकती (अंदरूनी चट्टानी दवाब से ,Crushing rocks से रिसती )ओजोन गैस के मापन के लिए अनेक प्रयोग ईजाद किये हैं .
अलग अलग प्रकृति की चट्टाने अलग अलग मात्रा में ओजोन निसृत करतीं हैं .
कई मर्तबा भू -दोलन से पहले भूमिगत फाल्ट्स में दवाब बनने लगता है यही दवाब चट्टानों को चटकाने लगता है समझा जाता है इसी चटकन के फलस्वरूप इतनी ओजोन ज़रूर पैदा हो जाती है चट्टानों के रिसाव से जिसे संवेदी उपकरणों द्वारा पकड़ा जा सके .वर्जीनिया विश्वविद्यालय के साइंसदानों ने अपनी एक विज्ञप्ति में यही पेशकश की है .
बस यही से प्रोफ़ेसर Baragiola ने यह संकेत ग्रहण किया कि ओजोन के इस अल्पांश में होने वाले शुरूआती रिसाव की टोह संवेदकों से ली जा सकती है .और एक चेतावनी प्रसारित क़ी जा सकती है एक प्रागुक्ति संभव है भू -दोलन की.
पशुओं के व्यवहार में भू -कंप से होने वाला बदलाव अकसर देखा भाला गया है .घोड़े अस्तबल से रस्सा तुडाके भाग खड़े होतें हैं .रेंगेनेवाले जीव अपने भूमिगत बिलों से बाहर निकल आतें हैं .यही बदलाव Seismic activity भूकंपीय सक्रीयता की समय रहते इत्तला दे देता है .
भू -कम्पीय हाई जोंस भू -दोलन प्रवण इलाकों से हटकर एक पूरा नेट वर्क ओजोन टोहकों का खडा किया जा सकता है .सिज्मोग्राफ्स की मानिंद .
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6 टिप्पणियां:
अत्यन्त रोचक।
अच्छी जानकारी देता लेख...
आपकी जानकारी लाजवाब होती है!!
कहीं पढ़ा सुना ही नहीं।
बहुत सारी जानकारी मिली है पर चित्र होते तो समझने में आसानी रहती।
एक विषय को ही लिया करें ब्रह्मण !
रोचक जानकारी देता सुंदर लेख,
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...
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