चीज़ बनाम मख्खन सेहत -ए -दिल से जुडा है सवाल .
(Cheese better than butter for heart health?).
हमारे कार्डियोलोजिस्ट ने हमें हालिया विज़िट में दो टूक बतलाया था .एनीमल प्रोटीन एनीमल फैट ,दूध और दुग्ध उत्पाद ही कोलेस्ट्रोल को बधातें हैं .हमारे ओर्थोपीदिशियंन ने हमें एक अंडा रोज़ लेने के लिए कहा था हृदय रोग के माहिर ने कहा मिलेट फिंगर बाजरा /ज्वार लो केल्शियम की आपूर्ति के लिए अंडा नहीं .हमारा मानना है मख्खन और चीज़ दोनों ही एनीमल प्रोडक्ट हैं .इस मंतव्य के साथ हम आज प्रस्तुत करतें हैं यह रिसर्च रिपोर्ट आप भी पढ़िए :
डेनमार्क के रिसर्चरों के मुताबिक़ चीज़ उतना बुरा भी नहीं है और इसे मख्खन के समकक्ष तो बिलकुल भी रख के न देखा जाए .अमरीकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित इनके एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार जिन लोगों (सब्जेक्ट्स )को छ :सप्ताह तक रोजाना चीज़ दिया गया ,डेली सर्विंग ऑफ़ चीज़ पर रखा गया उनमे LDL cholestrol (low density lipoprotin cholestrol) बेड कोलेस्ट्रोल समझा जाने वाला कोलेस्ट्रोल ,दिल का दुशमन कोलेस्ट्रोल कमतर पाया गया .बरक्स उस स्थिति के जब उन्हें इतना ही मख्खन देकर भी देखा रख्खा गया .जांच की गई इस अमित्र कोलेस्ट्रोल की .
जब इन तमाम लोगों को सामान्य खुराक पर रखा गया तब भी जिन लोगों को पहले चीज़ पर रखा गया था उनमे एल डी एल का स्तर हायर नहीं मिला .
चीज़ उस समय कोलेस्ट्रोल कम करता प्रतीत होता है जब इसकी तुलना मात्रात्मक रूप से इतना ही फैट लिए मख्खन से की जाती है .तथा जिस खुराक के आप आदि हैं उसके बरक्स भी यह आपके एल डी एल कोलेस्ट्रोल में इजाफा नहीं करता है .
यह विचार व्यक्त किया है कोपेनहेगन विश्वविद्यालय की Julie Hjerpsted तथा उनके सह -शोधार्थियों ने .इस ग्रुप ने तकरीबन ५० लोगों का जायजा लिया .इनमे से हरेक को नियंत्रित खुराक पर रखा गया लेकिन साथ में या तो चीज़ दिया गया या फिर मख्खन .दोनों को ही गाय के दूध से तैयार किया गया था .चीज़ और मख्खन की मात्रा इतनी रखी गई थी जो दिन भर के फैट कन्ज़म्प्शन के १३%के बराबर आती है .खाद्य से पैदा शरीर में आये बदलावों की तुलना हरेक सहभागी के अपने शरीर से ही कि गई थी .नोरमल डाईट से शामिल रहे आये फैट से ज्यादा मात्रा में फैट लेते रहने के बाद भी चीज़ लेने वालों के एल डी एल कोलेस्ट्रोल में वृद्धि दर्ज़ नहीं हुई .
दीगर है की इन्हीं सब्जेक्ट्स को मख्खन देने पर इनके एल ड़ी एल कोलेस्ट्रोल में औसत से ७%की वृद्धि दर्ज़ हुई .
ram ram bhai !
भीड़ को विसर्जित करने के लिए तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी ).
भीड़ को विसर्जित करने के लिए तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी ).
एक अमरीकी निगम ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए एक गैर -घातक अस्त्र का निर्माण किया है जिसके तहत भीड़ पर कुछ तरंगों से बौछार करके उसे भगाया जा सकता है .इसे नॉन -लीथल वेपन कहा जा रहा है .बस ये तरंगे शरीर पर जहां भी पड़ती हैं उस भाग की चमड़ी में तब तक जलन होती रहती है जब तक इन तरंगों की बमबारी होती रहती है .इसमें मिलीमीटर लम्बाई की तरंगों की बौछार की जाती है ."सायलेंट गार्जियन "को विकसित किया है एक डिफेन्स एक्युप्मेंट कोंत्रेक्टर "Raytheon"ने अनियंत्रित बेकाबू भीड़ को विसर्जित करने में इसे नायाब नुश्खा बतलाया जा रहा है .
यह चमड़ी को १/६४ इंच तक बींध सकती है लेकिन तरंगों की बौछार रोक देने पर जलन भी काफूर हो जाती है .चमड़ी भी दुरुस्त रहती है बेदाग़ .अलबत्ता जब तक तरंग शरीर पर पड़ती है तीव्र जलन का एहसास बेतहाशा लक्ष्य को वहां से प्रदर्शन स्थल से भाग खड़े होने को विवश कर देता है .
"George Svitak of Raytheon 'sDirected Energy Solutions"का यही कहना है .भारतीय उद्योग जगत ने इस प्राविधि का स्वागत किया है .साफ़ साफ़ मांग की है इस डिवाइस की .यहाँ आये दिन प्रदर्शन होतें हैं पुलिस के साथ अब मंत्री भी प्रदर्शन कारियों के संग जूतम पैजार पर उतर आतें हैं .हमारे जैसी Regressive Democracy के लिए यह बड़ी मुफीद साबित होगी जहां प्रिंस ऑफ़ कोंग्रेस को काले झंडे दिखाना मना है .
हर तरफ एतराज़ होता है ,मैं जहां रौशनी में आता हूँ .
बुधवार, 16 नवंबर 2011
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4 टिप्पणियां:
लाजवाब पोस्ट। हम तो आपके द्वारी दी गई जानकारी से एनरिच हो रहे हैं।
देशी घी को किस श्रेणी में रखा जाये।
अच्छी जानकारी दी आपने....
प्रवीण जी !इन दिनों जीरो फैट की वकालत कोई नहीं कर्ता .मख्खन सफ़ेद वाला (लोनी ,कृष्ण कन्हैया वाली )मोडरेशन में खाई जा सकती है .चिकनाई में एकल संतृप्त ,बहु -संतृप्त तथा संतृप्त वसाओं का अंश रहना ही चाहिए .मोडरेशन इज दी की विद रेस्पेक्ट टू मोनोअन -सेच्युरेतिद ,पोलीअन -सेच्युरेतिद एंड सेच्युरेतिद फैट्स .
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