शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

स्लीप वाकिग नहीं स्लीप टेक्स्टिंग शुक्रिया स्मार्ट फून्वा .

स्लीप वाकिग नहीं स्लीप टेक्स्टिंग शुक्रिया स्मार्ट फून्वा .
(New sign of too much stress :Sleep -texting/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI,NOV 25 ,2011 /p17)
रिसर्चरों के अनुसार आधुनिक जीवन की ,रोजमर्रा की रहनी सहनी में तनाव इस कदर बरपा है कि लोग सोते सोते भी टेक्स्ट मेसेजिंग कर रहें हैं भलेही इन संदेशों में कोई तारतम्य सामंजस्य संगतता न हो इन -कहिरेंस ही हो .स्लीप टेक्स्तार्स की संख्या लगातार बढ़ रही है .
मजेदार बात यह है जो लोग इस आधुनिक अफ्लिक्शन,से इस अधुनातन बीमारी से ग्रस्त हैं उन्हें इस बात का इल्म भी नहीं है कि वह गहन निद्रा में भी असंगत सन्देश अपने चहेतों को नाती सम्बन्धियों को भेज रहें हैं उन्हें जो दिन रात उनके जेहन में हैं .कुछ कुछ इस तरह -
"शीशा -ए -दिल में छिपी तस्वीरे यार ,जब जरा गर्दन झुकाई देख ली "और इन लोगों का खुद हाल यह है -
"कुछ लोग इस तरह जिंदगानी के सफ़र में हैं ,दिन रात चल रहें हैं ,मगर घर के घर में हैं "-
रिसर्चर फ्रांक थोर्ने के मुताबिक़ डेली मेल अखबार ने इस रिपोर्ट को विस्तार से छापा है ..
समाधान क्या है इस संक्रमण से बचाव का ?
माहिरों के अनुसार इस समस्या से ग्रस्त लोगों को अपने शयन कक्ष में मोबाइल कथित स्मार्ट फोन रखकर नहीं सोना चाहिए .
नींद विज्ञान के माहिर डेविड कनिंगतन के मुताबिक़ स्लीप टेक्स्टिंग दिन भर की मशक्कत तनाव , बेहद की टेक्स्टिंग का ही नतीजा है .लोगों को सोते सोते भी यही लगता है वह काल ले रहें हैं .ई -मेल्स को अनवरत प्राप्त करते रहना स्मार्ट फोन्स की अधुनातन देन है .स्लीप टेक्स्टिंग इसीका पार्श्व प्रभाव है तोहफा है दिन भर के संचित स्ट्रेस का .स्मार्ट फोन्स चौबीस घंटा खबरदार करता है इत्तल्ला देता रहता है .इसी खबरदारी के चलते हम सोने और जागने में फर्क नहीं कर पाते .
घोड़े बेचके सोने के लिए ज़रूरी है रात भर के लिए अपने स्मार्ट फोन को भूल जाएँ उसे शयन कक्ष के बाहर ही रखें या फिर बंद करदें .अगर फोन नाईट स्टेंड पर रहेगा तब आप को उत्सुकता रहेगी ओबसेशन रहेगा काल बेक करने का काल को लेने की बे -चैनी रहेगी .फेसबुक एकाउंट को चेक करने की बे -चैनी सालती रहेगी .
तो ज़नाब नींद पर ध्यान दीजिये निद्रा देवी का स्वागत कीजिए नींद की गुणवता पर ध्यान दीजिए .स्लीप टेक्स्टिंग आज की युवा भीड़ का फेशन स्टेटमेंट है .क्रेज़ है ओब्शेशन है .सेल फोन यूज़र्स की बीमारी है स्लीप टेक्स्टिंग .यह सब अधुनातन प्रोद्योगिकी की बैशाखियों का सहारा लेने का खमियाजा है .वैसे तकनीकी तौर पर गहन निद्रा की अवस्था में आप संगत सन्देश भेज ही नहीं सकते गफलत में असंगत कुछ भी करते रहें असंगत सन्देश इन -कहिरेंट मेसेज भेजते रहें यह और बात है .

3 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत उपयोगी सलाह दी है आपने।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

नींद की गुणवत्ता का ख्याल ...सही बात से रूबरू करवाया आपने ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बधाई हो, नयी प्रजाति विकसित हो रही है।