शोधकर्ताओं ने निष्क्रिय भौतिक श्रम से रहित जीवन शैली और अ -विनियमित कोशा बढ़वार (अन -रेग्युलेतिद सेल ग्रोथ )में एक अंतर सम्बन्ध की पुष्टि कर ली है .बेहतर यही है आप जहां भी हैं घर या दफ्तर या किसी अन्य कार्यस्थल पर एक जगह ही बैठे बैठे सब कुछ नकरें बीच में कुछ मटरगश्ती भी करते रहें .सिदेन्तरी लाइफ स्टाइल ,निष्क्रिय भौतिक श्रम से रहित जीवन शैली रहनी सहनी आपके लिएब्रेस्ट और बड़ी अंतड़ियों के कैंसर (कोलोन कैंसर) के खतरे के वजन को बढा सकती है यही लब्बोलुआब है उस अध्ययन का जिसका पूरा ब्योरा अखबार डेली मेल ने प्रकाशित किया है .
रिसर्चरों के मुताबिक़ हर साल तकरीबन ९२००० कोलोन और ब्रेस्ट कैंसर के नए मामले लोगों के सिर्फ कसरत न करने की वजह से सामने आ रहें हैं .ज़रूरी है एक घंटा डेस्क वर्क बैठे बैठे काम करने के बाद कमसे कम एक दो मिनिट ही व्यायाम कर लिया जाए .
रजोनिवृत्त महिलाओं का जायजा लेने के बाद साइंसदानों ने बतलाया केवल रोजाना तेज़ कदमी करते रहने से मिनोपोज़ल महिलाओं के मामले में कैंसर के जोखिम को बढाने वाले कई जैविक संकेतक ,बायलोजिकल इन्दिकेतार्सयथा सेक्स हारमोनों का स्तर ,इंसुलिन प्रतिरोध ,इन्फ्लेमेशन तथा बॉडी फैटनेस की तीव्रता घट जाती है .कुल मिलाकर इसका मतलब यह है कि कैंसर के खतरे का जोखिम थोड़ा कम हो जाता है .
भौतिक सक्रियता का अच्छा स्तर (हायर लेविल ऑफ़ फिजिकल एक्टिविटी )कैंसर के जोखिम को २५-३०%तक कम कर देता है .शोध के अगुवा christine Friedenreich का यही कहना है .आप अलबर्टा हेल्थ सर्विसिज़ कैंसर केयर ,कनाडा में शोध रत हैं .
और कुछ नहीं तो रोजाना सिर्फ ३० मिनिट के लिए ही तेज़ क़दमों से चलिए और कैंसर के जोखिम को कम करिए यही सार है इस महत्वपूर्ण अध्ययन का .
सन्दर्भ -सामिग्री :Lead a sedentary life? You are in cancer risk zone /TIMES TRENDS/TOI,NOVEMBER 5,2011.P21.
राम राम भाई !
मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए बढ़ जाता है कोलोन कैंसर का ख़तरा :
(Obese more likely to get colon cancer )
उम्र दराज़ अधेड़ लोगों के लिए जिनका पेट उनसे पहले दिखलाई देने लगता है (एब्दोमन ओबेसिटी ),बेली फैट ,प्रोस्पेरिटी पौंच के जो मालिक हैं उनके लिए सहज ही कोलोन कैंसर के खतरे का वजह हमउम्र उन लोगों के बरक्स बढ़ जाता है जो पतले दुबले छरहरे बने रहतें हैं अधेड़ होने पर भी .
खासकर महिलाओं के मामले में कसरत करते रहना कोलोन कैंसर के खतरे के वजन को कम रख सकता है यह संकेत एक योरोपीय अध्ययन ने साफ़ साफ़ दिया है .
तकरीबन सोलह साल तक चले इस अध्ययन में ५५-६९ साला १२०,००० बालिगों की सेहत का लगातार जायजा लिया जाता रहा .नीदरलैंड्स में संपन्न यह अध्ययन 'अमरीकन जर्नल ऑफ़ एपिदेमियोलोजी 'में प्रकाशित हुआ है .इस अवधि के दरमियान तकरीबन २%बालिग़ कोलोन और रेक्टम के कैंसरों (कोलो -रेक्टल )कैंसर की चपेट में आये .इनमे से बहुलांश के मामलों में कोलोन कैंसर ही डायग्नोज़ (रोग निदानके बाद पुष्ट हुआ ) .
न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने इस अध्ययन की पूरी रिपोर्ट प्रकाशित की है .
शनिवार, 5 नवंबर 2011
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5 टिप्पणियां:
नित्य व्यायाम करना ही चाहिये।
सचेत करती पोस्ट।
एक भयानक बीमारी से आगाह करता उपयागी आलेख।
राष्ट्रीय केंसर जागरूकता दिवस पर सार्थक/सचेतक आलेख...
सादर आभार....
व्यायाम नित्य करना हि चाहिए|
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