शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

क्या जन्नत से आते हैं आतंकवादी ?

क्या जन्नत से आते हैं आतंकवादी ?
क्या जन्नत से आतें हैं आतंकवादी या फिर जेहन्नुम से या फिर किसी और गृह से आने वाले भौमेतर प्राणि होतें हैं आतंकवादी ?पाकिस्तानी के अंदरूनी मामलों के गृहमंत्री रहमान मालिक साहब एक सांस में अजमल आमिर कसाब को आतंकवादी और नान स्टेट एक्टर निजामेटर इंसान गैर सरकारी आदमी बतलाते हुए भारत सरकार से उसे फांसी देने की पेशकश करतें हैं तो दूसरी ही सांस में उसके उस्ताद दहशत गर्दों के सरगना ज़मातुद दावा तथा लश्कर के कर्ता धर्ता को आरोप मुक्त करदेतें हैं यह कहते हुए कि उनके खिलाफ सूचना है सबूत नहीं .
प्रत्युत्तर में हमारे काबिल प्रधान मंत्री जी पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री ज़नाब युसूफ रजा गिलानी साहब को "मेन ऑफ़ पीस " शान्ति का मसीहा बतला रहें हैं .यही गिलानी साहब मुंबई हमलों के दौर में भी प्रधान मंत्री थे .और यह सब उस दौर में हो रहा है जब सीमा पार से आतंकी घुसपैंठ उठान पर है .क्यों नहीं मनमोहन जी गिलानी साहब के लिए नोबेल पीस प्राइज़ दिलावाने की पेशकश आलमी बिरादरी को नहीं कर देते ?
ram ram bhai !
मुखबिर है यह स्वामी .
सरकारी गवाह सरकारी आदमी ,मुखबिर है यह स्वामी जो इन दिनों बिग बोस के मंच से संसद और सांसदों का अपमान कर रहा है .यही काम जब कोई विपक्षी करता है तो पहले कपिल सिब्बल बोलतें हैं ,गृह मंत्री बोलतें हैं .अवमानना का नोटिस ज़ारी होजाता है किरण बेदी के खिलाफ ,ॐ पूरी साहब के खिलाफ लेकिन यह सरकारी आदमी संसद की खुली अवमानना अपनी छवि मार्जन के लिए कर रहा है .सरकार का इसे मूक समर्थन प्राप्त .
ram ram bhai !
ram ram bhai

भारती :हिमानी महाद्वीप अन्टार्कटिका में भारत की अभिनव दखल.
भारत ने अन्टार्कटिका महाद्वीप में अपना तीसरा स्थाई केंद्र खोल दिया है .इसी के साथ पृथ्वी के इस धुर दक्षिणी सिरे के साथ भारत कातकरीबन तीस दशक पहले बना रिश्ता एक बार फिर से ताज़ा हो गया है .अब से कोई अठ्ठाईस बरस पहले भारत ने अपना पहला मुकम्मिल केंद्र यहाँ स्थापित किया था जिसे दक्षिणी गंगोत्री कहा गया था .१९८३ से अब तक का सफ़र एक यादगार सफ़र रहा है जब यहाँ पहला रिसर्च स्टेशन खोला था भारतीय साइंसदानों ने .जलवायु में होने वाले संभावित बदलाव हो या मौसम का बदलता मिजाज़ ,बात प्रदूषण के अध्ययन की हो या मौसम विज्ञान की या फिर महाद्वीपों के उद्भव और विकास की साइंसदानों की मह्त्वकान्शाएं नए क्षितिज तलाशती रहीं हैं .शोध की खिड़की से छनकर कुछ न कुछ नया आता रहा है .
समय के साथ हिम की मोटी होती चादर एक पूरा संग्रहालय होती है जिसमे जमा रहतें हैं सारे दस्तावेज़ सारा रिकार्ड ,हमारे वायुमंडल में दखल देती तमाम गैसों ,हवा के संग उड़कर आती धूल का कच्चा चिठ्ठा सारा इतिहास ,ज्वालामुखियों से निसृत राख ,यहाँ तक की रेडियोधर्मिता .परमाणु विस्फोटों के अवशेष वगैरा .पुराना रिकोर्ड संजोये हैं यह भण्डार गृह कुदरत के दिए संग्रहालय .यह कुदरती डाटाबेंक साइंसदानों को समय के साथ पैदा दीर्घावधि बदलावों को बूझने की समझ देता है .अन्वेषण के नए दरीचे खोलता है .पूरबी अन्टार्कटिका की इन हिम चादरों को गहरे पैठ कर खंगाला है भारतीय साइंसदानों ने .यहाँ से उठाए गए नमूनों की अग्रणी प्रयोगशालाओं में जांचपड़ताल की गई है .
भारतीय साइंसदानों द्वारा किए गए अन्टार्कटिका के इन अन्वेषणों को नेतृत्व प्रदान कर रहा है -NCAOR(The National Centre for Antarctic and Ocean Research ).भारतीय साइंसदानों द्वारा संपन्न अभिनव शोध को आलमी स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है . साइंसदानों के कदम अब भूगर्भीय संरचनाओं प्लेट टेक्टोनिकी (Geological structures and Tectonics) के अन्वेषण की और बढ़ चले हैं .
भारत का तेज़ी से विकसित होता तीसरा स्टेशन"भारती " इन प्रयासों को नै ऊर्जा देगा .
गौर तलब है भारत का पहला अन्तरिक्ष केंद्र "दक्षिण गंगोत्री "हिम चादरों के नीचे जा चुका है .और अब एक ही स्थाई अन्वेषण केंद्र वहां काम कर रहा है .भारती से NCAOR नै आंच देगा . नया शोध स्टेशन "भारती" मौजूदा "मैत्रीस्टेशन "से बेशक ३००० किलोमीटर की दूरी पर विकसित हो रहा है .इससे शोध कार्य को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जा सकेगा इस क्षेत्र के एक बड़े हिस्से की आज़माइश हो सकेगी .हिमानी महाद्वीप भारतीय कोशिशों को एक नै परवाज़ देगा .साइंसदानों की मेहनत रंग लाएगी .
सन्दर्भ -सामिग्री :Antarctica ambitions New horizons for Indian scientists(Editorial.The Tribune ,New -Delhi,Wednesday,November 9,2011).P8.
RAM RAM BHAI !
विश्वव्यापी तापन के लिए कुसूरवार ग्लोबल वार्मिंग गैसों में वर्ष २०१० में सर्वाधिक वृद्धि .
कार्बनडायऑक्साइड गैसों के उत्सर्जन से ताल्लुक रखने वाले उन तमाम आंकड़ों के अनुसार जो अमरीकी ऊर्जा विभाग ने जुटाए हैं वर्ष २०१० के दरमियान अब तक की सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है .
Carbon Dioxide Information Analysis Centre Environmental Sciences Division के निदेशक Tom Boden कहतें हैं :यह बेतहाशा वृद्धि है आप Oak Ridge National Laboratory in Tennessee के ऊर्जा विभाग से सम्बद्ध हैं .
"उद्योगिक क्रान्ति से पहले वर्ष 1751 तक के तमाम आंकड़े हमारे पास मौजूद हैं लेकिन २०१० से पूर्व महज़ एक वर्ष में ५००मिलियन मीट्रिक टन की अप्रत्याशित वृद्धि इससे पहले कभी दर्ज़ नहीं हुई है ."आपने अशोशियेतिद प्रेस को यही बतलाया है .
२००९-२०१० के बीच ५१२ मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि का मतलब दूसरे शब्दों में कार्बनडायऑक्साइड उत्सर्जन में ६%वृद्धि ठहरता है जो इस दरमियान ८.६बिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर ९.१ बिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच गया .चीन अमरीका और भारत में जीव अवशेषी ईंधनों खासकर कोयला और गैस के भंडारों के सफाए से यह कार्बनडायऑक्साइड की अपार मात्रा हमारी हवा में दाखिल हुई है .दुनिया के तीन बड़े प्रदूषक बने रहें हैं यह तीनों मुल्क इस बीच .
ज़ाहिर अमरीका विश्वव्यापी मंडी के २००७-२००८ के दौर से तेज़ी से उबरा है उत्सर्जन में यह बेशुमार वृद्धि इसी और इशारा है .कम्पनियों ने २००८ से पहले के उत्पादन स्तर को दोबारा हासिल किया है लोगों की आवाजाही ही फिर से बढ़ी है .
लेकिन इस सब का दुष्प्रभाव पर्यावरण की सेहत पर पड़ा है .जलवायु के ढाँचे को टूटने से बचाने के लिए ऐसे में उत्सर्जन में वांछित कटौती करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा यह आशंका व्यक्त की है ,जॉन अब्राहम साहब ने .आप St. Thomas School of Engineering ,Minnesota में अशोशियेत प्रोफ़ेसर हैं .

4 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अनेक विषयों को एकसाथ संजो के लाये अहिं आप इस पोस्ट में ...
ये आतंकी मुझे लगता है हमारी ढुलमुल निति के कारण ज्यादा पनप रहे हैं और उतावले हो रहे हैं भारत आने में ... और स्वामी जी के क्या कहने ... वो तो आज भी कपिल मुनि के भक्त लगते हैं ...

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

bilkul sahi kha sir

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

वैश्विक तापन के परिणाम भयंकर हैं। हमें अभी चेतना होगा।
जागरूक करती प्रस्तुति।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अच्छे लोगों से भरा पड़ोसी, पर कोई उसे सुधारता ही नहीं।