गुरुवार, 17 नवंबर 2011

एक मिथ को तोड़ता करिश्माई बेबी .

एक मिथ को तोड़ता करिश्माई बेबी .
( A miracle baby for cancer patient )
Sarah Best ,diagnosed with mouth cancer when she was four months pregnant ,was told she needed to undergo radiotherapy which could risk the health of her unborn baby .Two lead shields were built to encase her bump during radiotherapy sessions every day .Minutes after finishing her last day of treatment ,Best went into labour.
यद्यपि रसायन और विकिरण चिकित्सा के चलते प्रजनन क्षम महिलाओं को गर्भ न धारण करने की हिदायतें दी जातीं हैं लेकिन इन चिकित्साओं के चलते भी एक ३० वर्षीय ब्रितानी महिला ने एक स्वस्थ बेबी को जन्म दिया है .
Sarah Best नाम की यह महिला जब गर्भावस्था की पहली तिमाही पार कर गई तब चौथे माह में जाकर यह रोगनिदान रोग - इल्म हुआ कि बेस्ट मुख कैंसर से ग्रस्त है .
Coventry 's University Hospital के कैंसर शल्य चिकित्सा के माहिरों ने उसका टंगट्यूमर तो हटा दिया लेकिन इल्म हुआ कि कैंसर गांठ लसिका ग्रंथियों(lymph nodes) तक फ़ैल चुकी है .
बेस्ट को साफ़ साफ़ दो टूक लफ्जों में बतलाया गया उसे रेडियो तथा कीमोथिरेपी की ज़रुरत है जो गर्भस्थ शिशु की सेहत को असर ग्रस्त कर सकती है .बेशक चार इंच मोटाई वाली दो लेड शील्ड्स उनके bump को आच्छादित करने के लिए तैयार की गई (विकिरण के खिलाफ यह एक सुरक्षा कवच होता है ).इसके बाद रोजाना तकरीबन २० मिनिट तक उन्हें विकिरण चिकित्सा मुहैया करवाई गई .हर चंद इन सत्रों के दौरान पूरी कोशिश लेड कवचों के ज़रिये गर्भस्थ को विकिरण की बौछार से बचाने की जाती रही .
जनवरी में आरम्भ यह विकिरण चिकित्सा अप्रैल के आखिरी दिनों में २८ अप्रैल को जैसे ही संपन्न हुई अविश्वास्य तौर पर बेस्ट को चंद मिनिटों बाद ही लेबर पैन शुरु हो गया .
तीन घंटे बाद Jack इस दुनिया में सही सलामत आ चुका था .ऐसे ही नहीं कहा गया है :जाको राखे साइयां मार सके न कोय ,होनी तो होके रहे, लाख करे किन कोय . और यह भी :तुलसी भरोसे राम के रहियो खाट पे सोय ,होनी सो होके रहे ,अनहोनी न होय .
हालाकि बेस्ट को टंग सर्जरी के बाद लेबर के दौरान राहत के लिए Gas aur air pain relief भी मुहैया नहीं करवाया जा सका .डेली एक्सप्रेस ने इस खबर को प्रकाशित किया है .
Sarah का मामला चिकित्सा क्षेत्र में विरल था .वह संभवतया गर्भावस्था के दौरान विकिरण और रसायन चिकित्सा लेने वाली विश्व की पहली महिला हैं .
कैंसर चिकित्सा के माहिर Dr Lydia Fresco ऐसा ही मानते हैं .बेस्ट स्वयं एक चिल्ड्रन'स सेंटर में ,नौनिहाल देखरेख केंद्र में अफसर हैं .आपने अपने कैंसर के बारे में जानते ही यही कहा "मैं तबाह हो गई कहीं की न रही ".शुक्रिया उन शल्य कर्मियों का जिन्होनें जबान का ट्यूमर हटा दिया साथ ही यह भी ताड़ लिया कि कैंसर का अंश लसिका नोड्स को भी अपनी चपेट में ले रहा है .
मुझे उम्मीद थी Jake मेरा इलाज़ पूरा होने के एक माह बाद ही इस दुनिया में आयेगा लेकिन वह तो चंद मिनिट बाद ही आहट देने लगा .और मैं लेबर रूम में थी .
सन्दर्भ -सामिग्री :-A miracle baby for cancer patient /TIMES TRENDS /TOI,NOV16 ,2011.

चीज़ बनाम मख्खन सेहत -ए -दिल से जुडा है सवाल .
चीज़ बनाम मख्खन सेहत -ए -दिल से जुडा है सवाल .
(Cheese better than butter for heart health?).
हमारे कार्डियोलोजिस्ट ने हमें हालिया विज़िट में दो टूक बतलाया था .एनीमल प्रोटीन एनीमल फैट ,दूध और दुग्ध उत्पाद ही कोलेस्ट्रोल को बधातें हैं .हमारे ओर्थोपीदिशियंन ने हमें एक अंडा रोज़ लेने के लिए कहा था हृदय रोग के माहिर ने कहा मिलेट फिंगर बाजरा /ज्वार लो केल्शियम की आपूर्ति के लिए अंडा नहीं .हमारा मानना है मख्खन और चीज़ दोनों ही एनीमल प्रोडक्ट हैं .इस मंतव्य के साथ हम आज प्रस्तुत करतें हैं यह रिसर्च रिपोर्ट आप भी पढ़िए :
डेनमार्क के रिसर्चरों के मुताबिक़ चीज़ उतना बुरा भी नहीं है और इसे मख्खन के समकक्ष तो बिलकुल भी रख के न देखा जाए .अमरीकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित इनके एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार जिन लोगों (सब्जेक्ट्स )को छ :सप्ताह तक रोजाना चीज़ दिया गया ,डेली सर्विंग ऑफ़ चीज़ पर रखा गया उनमे LDL cholestrol (low density lipoprotin cholestrol) बेड कोलेस्ट्रोल समझा जाने वाला कोलेस्ट्रोल ,दिल का दुशमन कोलेस्ट्रोल कमतर पाया गया .बरक्स उस स्थिति के जब उन्हें इतना ही मख्खन देकर भी देखा रख्खा गया .जांच की गई इस अमित्र कोलेस्ट्रोल की .
जब इन तमाम लोगों को सामान्य खुराक पर रखा गया तब भी जिन लोगों को पहले चीज़ पर रखा गया था उनमे एल डी एल का स्तर हायर नहीं मिला .
चीज़ उस समय कोलेस्ट्रोल कम करता प्रतीत होता है जब इसकी तुलना मात्रात्मक रूप से इतना ही फैट लिए मख्खन से की जाती है .तथा जिस खुराक के आप आदि हैं उसके बरक्स भी यह आपके एल डी एल कोलेस्ट्रोल में इजाफा नहीं करता है .
यह विचार व्यक्त किया है कोपेनहेगन विश्वविद्यालय की Julie Hjerpsted तथा उनके सह -शोधार्थियों ने .इस ग्रुप ने तकरीबन ५० लोगों का जायजा लिया .इनमे से हरेक को नियंत्रित खुराक पर रखा गया लेकिन साथ में या तो चीज़ दिया गया या फिर मख्खन .दोनों को ही गाय के दूध से तैयार किया गया था .चीज़ और मख्खन की मात्रा इतनी रखी गई थी जो दिन भर के फैट कन्ज़म्प्शन के १३%के बराबर आती है .खाद्य से पैदा शरीर में आये बदलावों की तुलना हरेक सहभागी के अपने शरीर से ही कि गई थी .नोरमल डाईट से शामिल रहे आये फैट से ज्यादा मात्रा में फैट लेते रहने के बाद भी चीज़ लेने वालों के एल डी एल कोलेस्ट्रोल में वृद्धि दर्ज़ नहीं हुई .
दीगर है की इन्हीं सब्जेक्ट्स को मख्खन देने पर इनके एल ड़ी एल कोलेस्ट्रोल में औसत से ७%की वृद्धि दर्ज़ हुई .
ram ram bhai !
भीड़ को विसर्जित करने के लिए तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी ).
भीड़ को विसर्जित करने के लिए तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी ).
एक अमरीकी निगम ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए एक गैर -घातक अस्त्र का निर्माण किया है जिसके तहत भीड़ पर कुछ तरंगों से बौछार करके उसे भगाया जा सकता है .इसे नॉन -लीथल वेपन कहा जा रहा है .बस ये तरंगे शरीर पर जहां भी पड़ती हैं उस भाग की चमड़ी में तब तक जलन होती रहती है जब तक इन तरंगों की बमबारी होती रहती है .इसमें मिलीमीटर लम्बाई की तरंगों की बौछार की जाती है ."सायलेंट गार्जियन "को विकसित किया है एक डिफेन्स एक्युप्मेंट कोंत्रेक्टर "Raytheon"ने अनियंत्रित बेकाबू भीड़ को विसर्जित करने में इसे नायाब नुश्खा बतलाया जा रहा है .
यह चमड़ी को १/६४ इंच तक बींध सकती है लेकिन तरंगों की बौछार रोक देने पर जलन भी काफूर हो जाती है .चमड़ी भी दुरुस्त रहती है बेदाग़ .अलबत्ता जब तक तरंग शरीर पर पड़ती है तीव्र जलन का एहसास बेतहाशा लक्ष्य को वहां से प्रदर्शन स्थल से भाग खड़े होने को विवश कर देता है .
"George Svitak of Raytheon 'sDirected Energy Solutions"का यही कहना है .भारतीय उद्योग जगत ने इस प्राविधि का स्वागत किया है .साफ़ साफ़ मांग की है इस डिवाइस की .यहाँ आये दिन प्रदर्शन होतें हैं पुलिस के साथ अब मंत्री भी प्रदर्शन कारियों के संग जूतम पैजार पर उतर आतें हैं .हमारे जैसी Regressive Democracy के लिए यह बड़ी मुफीद साबित होगी जहां प्रिंस ऑफ़ कोंग्रेस को काले झंडे दिखाना मना है .
हर तरफ एतराज़ होता है ,मैं जहां रौशनी में आता हूँ .

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

विकिरणों से जूझकर बाहर निकलता बच्चा, वाह।

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत बढ़िया लगा ! बेहतरीन प्रस्तुlति !

Tv100 ने कहा…

आपकी पोस्ट बेहद पसंद आई! आपको शुभकामनाएं!

" मुद्दों पर आधारित स्वस्थ बहस के लिए हमारे ब्लॉग
http://tv100news4u.blogspot.com/
पर आपका स्वागत है!

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

hey bhagwan......

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

oh my God

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मन को द्रवित कर गयी पोस्ट..... जाको राखे साइयां मार सके न कोय ..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

विज्ञान के चमत्कार को नमस्कार।