शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

दिल की हिफाज़त में मददगार रहता है लहसुन .

दिल की हिफाज़त में मददगार रहता है लहसुन .
भले लहसुन को तामसिक भोजन के तहत रखा गया है लेकिन इसका तीखा तीक्षण बल्ब कोशाओं की टूट फूट को मुल्तवी रख के आपके हृदय की हिफाज़त करता है .यह कमला उस एक यौगिक का है जो लहसुन के हरेक तीक्षण बल्ब में मौजूद रहता है .गार्लिक उच्च रक्त चाप को भी काबू में रखता है यह सर्व ज्ञात है .
सन्दर्भ -सामिग्री :Study :Garlic helps protect heart /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,Nov,18 ,2011 ,P-21,New-Delhi Ed.
RAM RAM BHAI!
ram ram bhai

शुक्रवार, १८ नवम्बर २०११
11 मिनिट ले उडती है एक सिगरेट आपकी ज़िन्दगी के .
11 मिनिट ले उडती है एक सिगरेट आपकी ज़िन्दगी के .
स्वास्थ्यकर भोजन और जोगिंग ,नियमित व्यायाम सब जाया हो जाता है यदि आप स्मोक करतें हैं बीडी सिगरेट पीते हैं किसी और बिध तम्बाकू का सेवन करतें हैं .पान मसाला खातें हैं खैनी खातें हैं .विश्वकैंसर दिवस पर कैंसर के माहिर डॉ .वेदान्त काबरा कहतें हैं .:सेहत दुरुस्त रखने का जीवन शैली सुधारने का एक ही तरीका है धूम्रपान छोड़ दिया जाए .
रोजाना तकरीबन ३००० बच्चे धूम्रपान की जद में आजातें हैं अपनी पहली सिगरेट सुलगा लेतें हैं .इसी बीमारी के चलतेइनमे से एक तिहाई अ -समय ही चल बसतें हैं . बीडी पीने लगतें हैं .ज्यादातर लोग किशोरावस्था में ही यह रोग पाल लेतें हैं .
हर आठ सेकिंड में सिगरेट एक का जीवन ले लेती है .कुलमिलाकर पचास लाख लोग हर साल सिगरेट की भेंट चढ़ जातें हैं .
४,८०० रसायन होतें हैं सिगरेट के धुयें में .इनमे ६९ कैंसर पैदा करतें हैं कैंसरकारी कार्सिनोजन होतें हैं .
बीडी में टार की मात्रा सिगरेट से दोगुना तथा सामान्य रेग्युअल्र सिगरेट्स (किंग साइज़ नहीं ,रेग्युअल्र )से सात गुना ज्यादा निकोटिन रहता है .ज़ाहिर है बीडी और भी ज्यादा घातक है सेहत के लिए .
७० साल की उम्र के नीचे सिगरेट जन्य बीमारियों से कालकवलित होने वाले लोगों की तादाद स्तन कैंसर ,एच आई वी एड्स ,दुर्घटनाओं तथा नशीले पदार्थों की लत से मरने वाले लोगों की कुल संख्या से ज्यादा रहती है .
एक अकेली सिगरेट धूम्रपानी की ज़िन्दगी के ११ मिनिट ले उडती है .
तम्बाकू और लंग कैंसर :एक अंतर -सम्बन्ध :सुस्थापित हो चुका है तम्बाकू और लंग कैंसर का रिश्ता .अलावा इसके दिल और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसिल्स )की बीमारियाँ देती है स्मोकिंग ,श्वसनी शोथ ब्रोंकाइटिस ,दमा ,अन्य अंगों के कैंसर (वास्तव में कैंसर रोगों का एक समूह है हर अंग के कैंसर का रोग निदान जुदा है ,प्रबंधन अलग है ,नतीजा अलग है ),नपुंसकता ,रोगप्रति रक्षा तंत्र के शमन से ताल्लुक रखने वाले रोग (डिप्रेस्ड इम्यून सिस्टम डिजीज )स्मोकिंग की अन्य सौगातें हैं .स्तन पान करवाने वाली तथा गर्भवती महिलायें जो धूम्रपान करतीं हैं उनकी संतानों में बढ़वार सम्बन्धी दोष ,अवमंदित बढ़वार तथा बर्थ दिफेक्ट्स (जन्म सम्बन्धी दोष )सामने आतें हैं .
स्मोकिंग स्टेंस मुक्तावली की आब ले उड़तें हैं ,मुस्कान की मिठास .दुर्गन्ध पूर्ण श्वसन ,बेड ब्रीथ ,जल्दी से थकान का होना ,जख्म का देर से भरना धूम्रपान के अन्य असर हैं .अलावा इसके एक धूम्रपानी घर की बंद चारदीवारी में जब धूम्रपान करता है तब सबका स्वास्थ्य चौपट करता है .सेकेंडरी स्मोक भी उतना ही घातक है जितना प्राइमरी स्मोक .
क्या है लक्षण फेफड़ा कैंसर के ?
दिक्कत यह है इस अ -संक्राम्य ,अ-छूतहा, नॉन इन्फेक -शश बीमारी के लक्षण तब तक प्रकट नहीं होते जब तक बीमारी एक सुनिश्चित आकार नहीं ले लेती .साइज़ेबिल मॉस नहीं ले लेती कैंसर गांठ या ट्यूमर लेकिन यही देरी रोग मुक्ति को दुष्कर दुसाध्य भी बना देती है .
बेहतर है शुरूआती लक्षणों का प्रगटीकरण होते ही जांच के लिए आगे आया जाए .ये शुरूआती लक्षण हो सकतें हैं :
(१)तीन सप्ताह से ज्यादा अवधि तक कफ का बने रहना .बलगम में खून के धब्बे आना .

(२)सांस लेने में किसी भी किस्म की दिक्कत सीने में कैसी भी परेशानी महसूस होना ,सांस लेने में खड़खड़ ,व्हिज़िंग नोइज़ .
(३)आवाज़ का कर्कश ,होर्स हो उठना ,ग्रेटिंग वोईस ,तीन हफ़्तों तक स्वर का यह बदलाव बने रहना .
(४)बिना किसी स्पष्ट वजह के वजन का गिरना .थकान का होना ,बने रहना .
अब सवाल यह है कैसे छोड़ी जाए ये सत्यानाशी बुरी आदत ?
असल बात है दृढ निश्चय ,पक्का इरादा सेहत सचेत होने दिखने का .मन के हारे हार है मन के जीते जीत ,मन जीते जगजीत .परिवार का इस दिशा में सहयोग और दोस्तों का प्रोत्साहन ,प्रोफेशनल हेल्प सभी मददगार सिद्ध होतें हैं .मैं खुद एक एक्स स्मोकर हूँ .मेरे एक दोस्त उस दौर में बराबर मुझे समझाते थे ,कितने फल लाते हो बच्चों को .पांच संतरे पति पत्नी तीन बच्चे बस सबको एक एक और एक दिन में सिगरेट पांच छ :रूपये की फूंक देते हो ,ऊपर से बीडी भी .१९८० का दशक था वह .फॉर स्क्वायर रेग्युअल्र डेढ़ दो रूपये की डिब्बी आ जाती थी .५०१ बीडी का बण्डल रुपया आठ आना या दस आना था .कितना पैसा उड़ा देते हो धुयें में साल भर में ?
एक मर्तबा मेरे फेमिली डॉ ने मेरा मज़ाक उड़ाया था .क्रोनिक ब्रोंकाईतिस से ग्रस्त रहते थे ,डॉ ने पूछा: चलते समय सांस फूलती है हमने कहा नहीं
जल्दी फूलने लगेगी .हमें बुरा लगा .बुरा लगना असर कर गया .सिगरेट एक झटके से एक दिन में ही छूट गई . गुड के सेब अन्य मीठी चीज़ें खाने के बाद खा लेते थे ,फ्रूट्स भी जगह बनाने लगे ड्राई -फ्रूट्स भी .
लेकिन फ्रूट्स जोगिंग सब धुल जाते हैं सिगरेट के धुयें में .शेष रह जाती है गले की खिच -खिच,सीने की भीचन तब जब आप दोबारा इस व्यसन पर लौट आते हैं .
फैसला पक्का होना चाहिए सिगरेट छोड़ने का कम करने से बात नहीं बनती है दीवार को दीमक लगी है तो लगी है .
पूछिए अपने आप से आखिर क्यों पीते हैं आप तम्बाकू जब धुआं आपके जबड़े को पी जाता है .दन्तावली को बे -आबरू कर जाता है .आप दूसरे का परिवेश काटने लगते हैं राह चलते अपनी सिगरेट के धुयें से .सताने लगतें हैं अपनों को ही .
निकोटिन छुड़ाई के लिए क्लिनिक्स हैं उनकी मदद लीजिए .एक्स स्मोकर्स का संग साथ बड़े काम की चीज़ है .

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूढ़े...

Arvind Mishra ने कहा…

लहसुन से आगे बढे तो सिगरेट में अटके -काम की जानकारी !

मनोज कुमार ने कहा…

सिगरेट का शौकीन तो नहीं हूं, लहसून खाना शुरु कर देता हूं।