स्तन कैंसर जागरूकता महीने में चर्चा हो जाए ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े कुछ मिथ ओर यथार्थ
की .
मिथ :
(१)मेमोग्रामं जांच से कैंसर फ़ैल सकता है ?
मेमोग्राम स्तन कैंसर का जल्दी से जल्दी सूक्ष्म स्तर पर पता लगाने के लिए वक्ष स्थल का उतारा गया एक्स रे होता है .
यथार्थ :
न तो एक्स रे ओर न ही एक्स रे मशीन से स्तनों पर पड़ने वाला दवाब या संपीडन (कम्प्रेशन ) स्तन कैंसर के बढाव फैलाव की वजह बनता है .महज़ मिथ है यह मिथ्या धारणा है सामाजिक भ्रम जाल है .
(२)स्तन में गांठ ट्यूमर या स्वेलिंग का मिलना हमेशा ही ब्रेस्ट कैंसर का ही नतीजा होता है ?
यथार्थ :आकडे गवाह हैं दस में से आठ गांठें कैंसर कारी नहीं होतीं हैं बिनाइन या निरापद ही होती है .अलबत्ता यदि इस गांठ में बदलाव दिखलाई देतें हैं या फिर स्तन ऊतकों में कैसे भी बदलाव प्रगट होतें हैं तब अविलम्ब कैंसर के माहिर से परामर्श करना चाहिए .समय बहुत कीमती है .समय रहते रोगनिदान इलाज़ के प्रति आश्वस्त क में नहीं आते रता है .कबूतर की तरह खतरे के प्रति आँख मूंदने से खतरे का जोखिम वजन बढ़ता जाएगा .होनी टलेगी नहीं .बचाव में ही बचाव है .द्रुत रोगनिदान ही इलाज़ है .
(३)पुरुष ब्रेस्ट कैंसर की ज़द में नहीं आते ?
यथार्थ :बेशक मर्दों में इसकी दर कमतर रहती है लेकिन हर महीने जांच आशंका होने पर न कि जाए इसकी कोई वजह नहीं है .ध्यान रहे मर्दों में यह ज्यादा आक्रामक रुख इख्तियार करता है .तथा बहुत देर वसे पकड़ में आता है तब तक बहुत समय जाया हो चुका होता है इसलिए ऊतकीय बदलावों की आहट का फ़ौरन नोटिस लिया जाए अविलम्ब स्तन कैंसर के माहिर से मिला जाए .
(४)स्तन कैंसर एक छूत की बीमारी है संक्राम्य है .?
यथार्थ :महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना .कैंसर आपके अपने शरीर में कोशाओं की बे -काबू अनियंत्रित बढ़वार (अन -कंट्रोल्ड सेल ग्रोथ )का नतीज़ा बनता है तब जब कोशिका मरना भूल जाती है .
(५)आम दुर्गन्धनाशी , पसीना हर "common deodorant ,antiperspirants '''का आमतौर पर किया जाने वाला स्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के वजन को बढा देता है .?
यथार्थ :
इस आशय के कोई साक्ष्य आदिनांक नहीं जुटाए जा सकें हैं कि आम चलन में आ चुके पसीना या दुर्गन्ध रोधी स्प्रे ब्रेस्ट कैंसर के वजन को बढा देतें हैं .
(६)गर्भ निरोधी गोलियों का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम में इजाफा करता है ?
यथार्थ :इस मिथ के पीछे की मिथ्या धारणा इस तथ्य पर टिकी हुई है कि गर्भ निरोधी तमाम किस्म की गोलियां हारमोनों की खुराकें होतीं हैं जो मासिक स्राव का विनियमन करतीं हैं .
इस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्त्रोंन हारमोन ब्रेस्ट कैंसर की वजह नहीं बनतें हैं बेशक कुछ अध्ययनों में ऐसे संकेत ज़रूर मिले कि बाद के बरसों में इन गोलियों के स्तेमाल से स्तन कैंसर का ख़तरा थोड़ा सा बढ़ जाता है .लेकिन निश्चय पूर्वक ऐसा नहीं कहा जासकता है .अन्य अनेक अध्ययनों में ऐसा कुछ भी पुष्ट नहीं हुआ है .परीक्षण चल रहें हैं .आजमाइशें ज़ारी हैं . यथार्थ की .
मिथ :
(१)मेमोग्रामं जांच से कैंसर फ़ैल सकता है ?
मेमोग्राम स्तन कैंसर का जल्दी से जल्दी सूक्ष्म स्तर पर पता लगाने के लिए वक्ष स्थल का उतारा गया एक्स रे होता है .
यथार्थ :
न तो एक्स रे ओर न ही एक्स रे मशीन से स्तनों पर पड़ने वाला दवाब या संपीडन (कम्प्रेशन ) स्तन कैंसर के बढाव फैलाव की वजह बनता है .महज़ मिथ है यह मिथ्या धारणा है सामाजिक भ्रम जाल है .
(२)स्तन में गांठ ट्यूमर या स्वेलिंग का मिलना हमेशा ही ब्रेस्ट कैंसर का ही नतीजा होता है ?
यथार्थ :आकडे गवाह हैं दस में से आठ गांठें कैंसर कारी नहीं होतीं हैं बिनाइन या निरापद ही होती है .अलबत्ता यदि इस गांठ में बदलाव दिखलाई देतें हैं या फिर स्तन ऊतकों में कैसे भी बदलाव प्रगट होतें हैं तब अविलम्ब कैंसर के माहिर से परामर्श करना चाहिए .समय बहुत कीमती है .समय रहते रोगनिदान इलाज़ के प्रति आश्वस्त क में नहीं आते रता है .कबूतर की तरह खतरे के प्रति आँख मूंदने से खतरे का जोखिम वजन बढ़ता जाएगा .होनी टलेगी नहीं .बचाव में ही बचाव है .द्रुत रोगनिदान ही इलाज़ है .
(३)पुरुष ब्रेस्ट कैंसर की ज़द में नहीं आते ?
यथार्थ :बेशक मर्दों में इसकी दर कमतर रहती है लेकिन हर महीने जांच आशंका होने पर न कि जाए इसकी कोई वजह नहीं है .ध्यान रहे मर्दों में यह ज्यादा आक्रामक रुख इख्तियार करता है .तथा बहुत देर वसे पकड़ में आता है तब तक बहुत समय जाया हो चुका होता है इसलिए ऊतकीय बदलावों की आहट का फ़ौरन नोटिस लिया जाए अविलम्ब स्तन कैंसर के माहिर से मिला जाए .
(४)स्तन कैंसर एक छूत की बीमारी है संक्राम्य है .?
यथार्थ :महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना .कैंसर आपके अपने शरीर में कोशाओं की बे -काबू अनियंत्रित बढ़वार (अन -कंट्रोल्ड सेल ग्रोथ )का नतीज़ा बनता है तब जब कोशिका मरना भूल जाती है .
(५)आम दुर्गन्धनाशी , पसीना हर "common deodorant ,antiperspirants '''का आमतौर पर किया जाने वाला स्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के वजन को बढा देता है .?
यथार्थ :
इस आशय के कोई साक्ष्य आदिनांक नहीं जुटाए जा सकें हैं कि आम चलन में आ चुके पसीना या दुर्गन्ध रोधी स्प्रे ब्रेस्ट कैंसर के वजन को बढा देतें हैं .
(६)गर्भ निरोधी गोलियों का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम में इजाफा करता है ?
यथार्थ :इस मिथ के पीछे की मिथ्या धारणा इस तथ्य पर टिकी हुई है कि गर्भ निरोधी तमाम किस्म की गोलियां हारमोनों की खुराकें होतीं हैं जो मासिक स्राव का विनियमन करतीं हैं .
इस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्त्रोंन हारमोन ब्रेस्ट कैंसर की वजह नहीं बनतें हैं बेशक कुछ अध्ययनों में ऐसे संकेत ज़रूर मिले कि बाद के बरसों में इन गोलियों के स्तेमाल से स्तन कैंसर का ख़तरा थोड़ा सा बढ़ जाता है .लेकिन निश्चय पूर्वक ऐसा नहीं कहा जासकता है .अन्य अनेक अध्ययनों में ऐसा कुछ भी पुष्ट नहीं हुआ है .परीक्षण चल रहें हैं .आजमाइशें ज़ारी हैं .
मिथ :तमाम तरह के स्तन प्रत्यारोप(ब्रेस्ट इम्प्लान्ट्स ) आपके स्तन कैंसर के खतरे को बढा देतें हैं ?
यथार्थ :
अधुनातन शोध इस मिथ का खंडन करती है .स्तन प्रत्यारोप के बाद कैंसर के खतरे का वजन नहीं बढ़ता है सामान्य ख़तरा ही मौजूद रहता है औरों जैसा .अलबत्ता रोग निदान के लिए प्रयुक्त मानक मेमोग्राम्स के सही नतीजे इन महिलाओं पर नहीं निकलते हैं . ऊतकों के पूर्ण परीक्षण के लिए अतिरिक्त एक्स रे -विकिरण की ज़रुरत पड़ती है प्रत्यारोप लगवा चुकी महिलाओं के मामले में .
मिथ :आठ में से एक महिला को स्तन कैंसर होने का ख़तरा बना रहता है .?
यथार्थ :
ख़तरा आपकी बढती हुई उम्र के साथ बढ़ता है सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए यकसां नहीं रहता है .तीसम तीस (थर्तीज़)के दौर में जहां स्तन कैंसर का ख़तरा २३३ में से एक महिला के लिए ही रहता है वहीँ ८५ साल की उम्र पर यह बढ़कर ८ में से १ के लिए मौजूद रहता है .
मिथ :पीन-स्तन (पीनास्तनी ) के बरक्स लघु स्त्नियों (स्माल ब्रेस्टिद) महिलाओं के लिए स्तन कैंसर के खतरे का वजन कमतर रहता है ?
यथार्थ :कोई सारांश (सार तत्व ,काम की बात नहीं है )इस मिथ्या या भ्रांत धारणा के पीछे .इसके विपरीत लघु स्तनों की जांच आसानी से संपन्न हो जाती है पीन स्तनों के बरक्स .अलबत्ता संस्कृत साहित्य में पीस्तानी का गायन है प्रशंशा है .जंघाए केले के तने सी ,स्तन घड़े से .
मेमोग्राम्स (बड़े स्तनों का एक्स रे )उतारने में चुम्बकीय अनुनाद प्रति -बिम्बंन (मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग )में भी यही दिक्कत पेश आती है .लेकिन सभी महिलाओं को ज़रूरी जांच के लिए निस्संकोच स्वेच्छा आगे आना ही चाहिए .
शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011
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2 टिप्पणियां:
उपयोगी
jankari achhi hai
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