'Stressed -out mothers more likely to have girls'
हो सकता पढने के बाद आपको थोड़ा अज़ीब लगे लेकिनऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की एक शोध से मिले संकेत बतलातें हैं कि वे भावी माताएं जो तनाव ग्रस्त रहतीं हैं गर्भधारण से ठीक पहले के अरसे में उनके कन्याओं को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है . रिसर्चरों ने पता लगाया है कि वह महिलाएं जो घर में या कार्यस्थलों पर या फिर अपने प्रेम संबंधों में भी गर्भधारण से पहले के चंद हफ़्तों ,या फिर चंद महीनों में दवाब ग्रस्त मन और शरीर लिए रहतीं हैं उनके प्रसव बाद कन्याओं को जन्म देने की संभावना लड़कों के बनिस्पत ज्यादा हो जाती है .
Virus behind 40%of cancers :
साइंसदानों ने दावा किया है कि तमाम किस्म के कैंसरों में से ४०% विषाणु जन्य होतें हैं .वायरस ही इनकी वजह बनतें हैं .स्वीडन के कैरोलिंस्का संस्थान की एक रिसर्च टीम के मुताबिक़ बाल पन के एक आमफ़हम दिमागी ट्यूमर"MEDULLOBLASTOMA" औरएक ख़ास विषाणु के बीच एक अंतर्संबंध की पुष्टि हुई है .
ram ram bhai
सोमवार, १७ अक्तूबर २०११
Ladies ,kick the butt or risk early menopause
Ladies ,kick the butt or risk early menopause
Premature Onset Raises Death Risk ,Study
Early menopause is tied to osteoporosis ,Alzehimer's
जो महिलाएं धूम्रपान करतीं हैं वह औसतन रजोनिवृत्त की आम उम्र से साल भर पहले ही रजोनिवृत्त हो सकती है बरक्स उनके जो धूम्रपान नहीं करतीं हैं .और इसी के साथ अश्थी क्षय से सम्बंधित रोग ओस्टियोपोरोसिस तथा दिल की बीमारियों के खतरे का वजन भी बढ़ता जाता है .
विज्ञान पत्रिका मीनोपोज़ में प्रकाशित इस अध्ययन में पूर्व के कई और अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों को भी शामिल किया गया है जिनमे अमरीका ,पोलेंड ,तुर्की और ईरान की तकरीबन ६००० महिलाएं शरीक थीं .
औसतन वे महिलाएं जो धूम्रपान नहीं करतीं हैं वह ४६-५१ साल के बीच रजो -निवृत्त हो जातीं हैं .
लेकिन यदि दो अध्ययनों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तब धूम्रपान करने वाली महिलाओं मेंबाकी सभी अध्ययनों में ४३ -५० साल के बीच रजोनिवृत्ती दर्ज़ हुई है .मीनोपोज़ के दरमियान अंडाशय (दोनों ही ओवरीज़ )ह्यूमेन एग तैयार करने की क्षमता खो देते हैं .स्पर्मेताज़ोयाँ और फीमेल एग के मिलन से होने वाली गर्भधारण की अवस्था कन्सेप्शन इसीलिए हमेशा के लिए टल जाती है . औरत गर्भ धारण नहीं कर पाती है .
ज़ाहिर है धूम्रपान का महिलाओं में बढ़ता चलन उनके गर्भकाल में दखल पहुंचाता है .रजोनिवृत्ती को समय से पहले आमंत्रित करता है .
होन्ग कोंग विश्वविद्यालय के रिसर्चर Volodymyr Dvornyk इस अध्ययन के प्रमुख रचनाकार रहें हैं .आपने अपने सह -शोध कर्ताओं के संग मिलकर पांच अन्य अध्ययनों का भी विश्लेषण किया है ,इनमे मीनोपोज़ और अर्ली मीनोपोज़ की कट ऑफ़ एज ५० या फिर ५१ साल रखी गई थी .इन्हीं दो वर्गों में महिलाओं को देखा परखा गया .
इस विश्लेषण में शरीक ४३,००० महिलाओं में से जो धूम्रपान करती आईं थीं उनमे अर्ली रजो -निवृत्ति की संभावना ४३ % प्रबल देखी गई .ज्यादा देखी गई .बतला दें आपको अर्ली और लेट मीनोपोज़ दोनों ही स्वाथ्य के प्रतिकूल परिश्तिथियाँ हैं .स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिम इनसे चस्पां रहें हैं .
Women who hit menopause late are thought to be at higher risk of breast cancer because one risk factor for the disease is more time exposed to estrogen .
आम सहमती इस बात पर रही आई है कि अर्ली मीनोपोज़ उन स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों को भी और ज्यादा तथा गुरु गंभीर बना देती है जिनका नाता रजोनिवृत्ती के बाद की स्वास्थ्य समस्याओं से रहता है मसलन अश्थी क्षय (लोस ऑफ़ बोन मॉस यानी ओस्टियोपोरोसिस ),हृदवाहिकीय (कार्डियोवैस्क्युलर प्रोब्लम्स ),मधु मेह (डायबितीज़ ),मोटापा तथा बुढापे के डिमेंशिया अल्ज़ाइमर्स एवं अन्य अनेक रोगों से रहता है .कुलमिलाकर अर्ली मीनोपोज़ आइन्दा के लिए (बाद के बरसों के लिए )मौत के खतरे को भी थोड़ा सा बढा देती है.
ram ram bhai
स्तन कैंसर से जुड़े मिथ और यथार्थ
अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता को समर्पित महीना है ..स्तन कैंसर से जुड़े मिथ और यथार्थ की हम लगातार चर्चा करेंगे .पहला मिथ -
Myth: Only women with a family history of breast cancer are at risk.
यथार्थ -जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर रोग निदान के रूप में पुख्ता होता है डाय्गनोज़ होता है उनमे से तकरीबन ७० %महिलाओं में किसी भी किस्म के जोखिम तत्व या रिस्क फेक्टर मौजूद नहीं रहतें हैं .
अलबत्ता स्तन कैंसर के खतरे का वजन उन महिलाओं के लिए बढ़ जाता है जहां परिवार में एक दम से नजदीकी सगे सम्बन्धी में यह रोग चला आया हो .मसलन सम्बन्धियों में यदि माँ -बाप ,सहोदर (सिबलिंग )अथवा संतान में से किसी को यह रोग निदान हुआ हो या हुआ है तब उनसे सम्बद्ध महिला के लिए इसके खतरे
का वजन दोगुआ हो जाता है .
यही ख़तरा तब और भी ज्यादा हो जाता है जब इनमे से एक से ज्यादा सम्बन्धियों (फस्ट ऑर्डर रिलेतिव्ज़ )में यह रोग मौजूद रहा हो या मौजूद है .
Myth: Wearing an underwire bra increases your risk of getting breast cancer
Myth: Wearing an underwire bra increases your risk of getting breast cancer
Reality: Claims that underwire bras compress the lymphatic system of the breast, causing toxins to accumulate and cause breast cancer, have been widely debunked as unscientific. The consensus is that neither the type of bra you wear nor the tightness of your underwear or other clothing has any connection to breast cancer risk.
लिम्फेटिक प्रणाली या लसिका तंत्र वाहिकाओं का वेसिल्स का एक संजाल होता है नेटवर्क होता है जो तरल ,प्रोटीनों ,वसाओं (फैट्स )तथा स्वेत रुधिर कोशाओं (लिम्फोसाइटों )को ऊतकों के बीच के अंतराल से निकालकर रक्त प्रवाह तक पहुंचाता है .तथा ऊतकों से सूक्ष्म जैविक संगठनों (माइक्रोओर्गेनिज्म )तथा इतर कचरे की निकासी करता है .
Lymphatic system is a network of vessels that transport fluid ,fats ,proteins and lymphocytes to the blood stream as lymph ,and remove microorganisms and other debris from tissues .
महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना कि ऐसी चोलियाँ पहनने से लिम्फ तंत्र पर दवाब पड़ता है इस संपीडन (कम्प्रेशन )से जो विषाक्त पदार्थ (तोक्सिनें )जमा हो जातीं हैं वही स्तन कैंसर की वजह बन जातीं हैं .यह धारणा विज्ञान के स्तर पर नितांत भ्रामक सिद्ध हो चुकी है .मिथ्या है यथार्थ नहीं .
यथार्थ यह है कि न तो ऐसी कसावदार चोली और न ही टाईट ब्रीफ्स (अंडरवीयार्स )इसकी वजह बनते हैं .ब्रेस्ट कैंसर का इनसे दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है .
RAM RAM BHAI !
Pomegranate :The new wonder drug
Fruit Extract Benefits Heart ,Lowers BP,Fights Cancer ,Cures Sex Problems
साइंसदानों ने कुदरती चिकित्सा प्राकृतिक इलाज़ के रूप में अनार से प्राप्त एक सत को १८२९ में विलो ट्री(भिसा के वृक्ष )से प्राप्त जादुई दवा एस्पिरिन के बाद से अब तक की सबसे बड़ी खोज बतलाया है .इसे 'स्विस आर्मी नाइफ़'कहा जा रहा है ,जो कुदरत से प्राप्त भेषज भण्डार है ,जादुई फार्मेसितिकल्स का खजाना है जो न सिर्फ रक्त चाप को बेकाबू होने से रोकता है ,दिल की सेहत के लिए भी मुफीद है .कैंसर के खतरे के वजन को कम करता है ,इरेक्टाइल डिसफंक्शन (मर्द बांझपन)को थाम लेता है .इन्फ्लेमेशन का कामयाब इलाज़ है .
अमूमन इसका छिलका ,अनार को काटने पर रस चूस निकाल कर बीजों ,तथा इस की पीली झिल्ली को फैंक दिया जाता है अब पहली मर्तबा इन्हीं से एक जादुई रसायन प्युनिक्लाजिंस प्राप्त किया है .यह एक अति पुष्टिकर पादप तत्व है जो अब तक केवल अनार के ही इन तमाम हिस्सों सेअति सान्द्र अवस्था में ही प्राप्त किया जा सका है अन्य किसी फल से नहीं .अब तक इससे लाभ लेने का इसे प्राप्त करने का तरीका हमें मालूम ही न था यही कहना है Dr Sergio Streitenberger,Head of research at "Probelte-Bio" का .आपको ही इस अन्वेषण का श्रेय दिया गया है .
यह जादुई सत तथा इसका समर्थन करने वाली शोध इसे एक प्राकृत संपूरक का दर्जा देती है .यह गंभीर बीमारियों के खतरे के वजन को कम करने में कामयाब बतलाया जा रहा है .इसे अनेकानेक बीमारियों का इलाज़ बतलाया जा रहा है .Dr Emad Al-Dujaili Queen Margaret University ,UK' इसे हमारे स्वास्थ्य के लिए रामबाण बतला रहें हैं .एक अनार सौ बीमारियों का इलाज़ साबित हो सकता है .अब कोई ये न कहे एक अनार सौ बीमार .सौ बीमारियों का इलाज़ बन सकता है इसका जादुई सत जिनमें Erectile Disfunction(लिंगोथान अभाव संलक्षण )का समाधान भी शामिल है ,इन्फ्लेमेशन का ट्रीटमेंट भी ,दिल की बीमारियों तथा कैंसर से बचाव भी .
RAM RAM BHAI !
Veggies ,fruits cut genetic heart risk
हरी ताज़ी तरकारियाँ तथा ताज़ा ताज़ा फल पर्याप्त मात्रा में खाने से उन लोगों में दिल की बीमारी के खतरे का वजन थोड़ा कम ज़रूर हो सकता है जिन्हें आनुवंशिक तौर पर इन रोगों की लपेट में आने का जोखिम रहता है .
भारतीय मूल के एक रिसर्चर ने अपने एक अध्ययन के नतीजों में यही बात बतलाई है .
PLOS MEDICINE विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित कनाडा में संपन्न इस अध्ययन के अनुसार योरोपीय मूल की आबादी के तकरीबन पांचवें हिस्से में गुणसूत्र संख्या ९पर एक हृद रोगों की और प्रवृत्त करने वाला कुसूरवार जीवन खंड यानी जीवन इकाई जीन मौजूद रहती है .जो लोग ताज़े फल और तरकारियाँ दिन भर में पांच छ :मर्तबा खातें हैं उनमे यह कुसूरवार जीवन इकाई अपना असर खोकर निष्प्रभावी हो जाती है ,इसकी रोगों की और ले जाने वाली प्रवणता चुकने लगती है .
जन स्वास्थ्य के लिए की गई सिफारिशों का यह शोध अनुमोदन करती है जिसके तहत दिन भर में कमसे कम पांच मर्तबा फल तरकारियों के सेवन की हिदायतें बारहा दी जातीं हैं ..दीगर है कि ऐसी सिफारिश अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए की जाती है .इस रिसर्च की अगुवा सोनिया आनंद MCMASTER UNIVERSITY से सम्बद्ध हैं .
October18,2011.
1013 ,Luxmi Bai Ngr ,New-Delhi -110-023 .
09350 9866 85
मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011
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1 टिप्पणी:
जानकारी पूर्ण मगर सम्पादन की बड़ी कसर!
मगर ऐसा क्यों है वीरू भाई ? ये अंगरेजी हिन्दी दोनों का घालमेल भी क्यों ?
थोडा और परिश्रम किया करिए ......सारी !
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