शनिवार, 28 मई 2011

व्हाट इज मल्तिपिल स्केलेरोसिस ?

व्हाट इज मल्तिपिल स्केलेरोसिस (एम् एस )?
यह एक ऐसा रोग है जिसमें केन्द्रीय स्नायुविक तंत्र (दिमाग तथा रीढ़ रज्जू ,सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम )की नाड़ियों का अप -विकास होने लगता है ,दी जेनरेट करने लगती हैं सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम की नर्व्ज़.।
इन नाड़ियों पर एक खोल एक कवरिंग चढ़ी होती है प्रोटीन और वसा की बनी जिसे माय्लिन शीथ कहतें हैं .यह न सिर्फ एक बेहतर इन्सुलेशन प्रदान करती है इन नाड़ियों को ,इन से गुजरने वाले सकेतों की सम्प्रेश्नियता ,सुचालकता को भी बढ़ाती है .माय्लिन एक सफेदीनुमा पदार्थ है जो सम्केंद्रिय शीथ के रूप में सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम की नर्व्ज़ को घेरे रहता रहता है .
नाड़ियों की सेहत के लिए भी eयह कवरिंग जिम्मेवार रहती है ।
"एम् एस "यही हिफाज़ती खोल उड़ जाता है किसी इन्फ्लेमेशन की वजह से .नतीज़ननाड़ियाँ डी-माय -लिनेटिद हो जातीं हैं .परिणाम स्वरूप वह तमाम विद्युत् स्पन्द (इलेक्ट्रिकल इम्पल्सिज़ )जो इन नाड़ियों से होकर जातें हैं उनका प्रसारण तेज़ी घाट जाती है ,अवमंदन हो जाता है इन स्पंदों का ।
अलावा इसके नर्व्ज़ खुद भी डेमेज हो जातीं हैं .जिसे जैसे यह नाड़ियों का अप -विकास समय के साथ बढ़ता जाता है ,नर्वस सिस्टम से संचालित नियंत्रित बीनाई (विज़न )संभाषण चलना फिरना ,लिखना और याददाश्त असर ग्रस्त होने लागतें हैं .व्यवधान आता है इन तमाम प्रकार्यों नर्वस सिस्टम कंट्रोल्ड फंक्शन्स में ।
तकरीबन तीन लाख पचास हज़ार अमरीकी एम् एस से ग्रस्त हैं .आमतौर पर इस रोग का निदान डायग्नोसिस के द्वारा २० -५० साला लोगों में ही तय होते देखा गया है लेकिन बच्चों और प्रौढ़ों में भी इस रोग का असर देखा गया है ।
अन्य समूहों के बनिस्पत गोरों (कौकेज़ियांस ,योरोपीय मूल के लोग )में इसे किसी भी वक्त पर ज्यादा देखा गया है .जीवन के शुरूआती बरसों में औरतों को (बनिस्पत ज्यादा इससे असर ग्रस्त होते देखा गया है ।
ज़ारी ...).

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