मंगलवार, 9 मार्च 2010

चिकनाई सने भोजन का भी चस्का -स्वाद लग जाता है .


दुनिया भर में दो तरह के लोग हैं .फेट सेंसिटिव (चिकनाई सने भोजन के प्रति एक दम से संवेदी ,ज़रा सी लोडिंग हुई चिकनाई की और इन्हें खाना ग्रीज़ी लगने लगता है )और फेट इन-सेंसिटिव (जो चिकनाई सने भोजन का नोटिस ही नहीं लेते फट गप कर जातें है ,स्वाद और मजेदार मान समझ कर )।
मोटापे की यही कुंजी है .बोडीमॉस इंडेक्स का निर्धारण भी इसी प्रवृति से तय होता है .(आपके किलोग्रेम भार को मीटर्स में आपकी लम्बाई के वर्ग से भाग देने पर जो कुछ प्राप्त होता है ,उसी प्राप्तांक को वजन सूचक कहा जाता है .१८.५ -२४.९ इसकी सामान्य रेंजहै .१८.५ से नीचे आप अन्दर वेट तथा २५ से ऊपर ओवर वेट होते चले जातें है बाशर्ते आपका वजन आपके कद काठी के अनुरूप आदर्श वजन से १२० फीसद या फिर और भी ज्यादा हो ।/कम हो .
जिभ्या (पलेट)रस लेती है वसा का चिकनाई सने भोजन का .इसे खट्टा ,मीठा ,तीखा (कडवा ),नमकीन ,और उमामी के बाद छटा स्वाद कहा जा रहा है . जुबां जिसका मज़ा लेती है मजेदार समझती है .जिसे ।
जायके दार मसाले दार प्रोटीन बहुल स्वाद यानी उमामी को पटखनी मार देता है यह सिक्स्थ टेस्ट ।
देअकिनयूनिवर्सिटी के साइंसदान इसे बाकायदा एक स्वाद का दर्ज़ा दे चुके हैं ।
फेटि एसिड युक्त भोजन आपने आजमाइशों के दौरान ५० सब्जिक्ट्स को मुहैया करवाया .पता चला जिन लोगों का बी एम् आई सामान्य से ज्यादा था ,जो मोटापे की ज़द में थे वह फेट इंसेंसिटिव थे .कमतर बी एम् आई वाले सब्जिक्ट्स फेट सेंसिटिव थे ।
ज़ाहिर है फेट इंसेंसिटिव खुराख से ज्यादा गप कर जातें हैं स्वाद स्वाद में चिकनाई सना भोजन .यहीं से एक एनर्जी बजट में असंतुलन पैदा हो जाता है .,जो मोटापे की वजह बनता है .एक मिकेनिज्म इसी के साथ शरीर में पैदा हो जाती है .इसे रोक कर समझ बूझकर मोटापे से पार पाई जा सकती है .

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