शुक्रवार, 19 मार्च 2010

उग्र रूप से मरदाना (माचो -मैंन )पुरूष पे मरतीं हैं ......

साइंसदानों ने अपने एक अध्धययन में बतलाया है ,उग्र रूप से मरदाना (माचो -मैंन ),पौरुष से भरपूर दुस्साहसी मर्द को पसंद करतीं हैं उन देशों और इलाकों की औरतें जहां साफ़ सफाई -और सेहत का बुरा हाल है ,बीमारियों का जहां डेरा है ।
चिकने चुपड़े औरताना अस्व पुरुष की बनिस्पत इन मुल्कों की औरतें बुल को (वृषभ -पुरुष )चुनतीं हैं .अबरदीन की स्कोत्लेंद यूनिवर्सिटी के मनो -विज्ञानी उस सिद्धांत को आजमाइशों की कसौटी पर कसने के बाद इस नतीजे पर पहुँच रहें हैं ,जिसके तहत ऐसा समझा जाता है ,मेस्क्युलिनिती ,मेस्क्युलाइन ट्रेट्स जेनेटिक हेल्थ का सूचक है,प्रतीक है ?
साइंसदानों ने इंटरनेट के ज़रिये बीस -बाईससाला तकरीबन ४५०० से भी ज्यादातीस मुल्कों की औरतों को रिक्रूट करके यह परीक्षण किये हैं ।
साइंस दानों ने एक ही मर्द की मरदाना और औरताना छवियाँ इन औरतों को दिखलाई .पता चला जिन मुल्कों में नेशनल हेल्थ इंडेक्स रसातल को छू रहा था ठीक उसी अनुपात में वहां की महिलायें हंक्स (पौरुष और दम - खमवाले मर्दों )का चयन कर रहीं थी .यद्यपि वह उन्हें ना तो अच्छा वफादार साथी मानतीं समझतीं हैं और ना ही एक जिम्मेदार पिता उनके अन्दर उन्हें दिखलाई देता है .लेकिन ये पुरूष सेक्स्युअली अत्रेक्तिव सिद्ध हुए हैं ।
इतना ही नहीं यही औरतें इन मर्दों को एंटी -सोसल एलिमेंट्स (लफंगा )भी मानतीं समझतीं हैं .लेकिन "दिल है के मानता नहीं ॥"।आखिर सेक्स्युअल हेल्थ के भी कोई मानी हैं ?भले ही -
बे-ईमान ,और सहयोग ना करने वाला भी मानतीं हैं इन मर्दों को लेकिन ना ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे वाला किस्सा हैं यहाँ .
वोमेन ला -इक हंक्स ,बत हेव लिटिल फेथ इन डैम :स्टडी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मार्च १८ २०१० )

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