रविवार, 21 मार्च 2010

जूक बोक्स कैसे काम करता है ?

सिक्का डालकर संगीत सुनवाने वाली मशीन को जूक बोक्स कहा जाता है .यह एक सेमी -ऑटोमेटिक (अर्द्ध -स्वयम -चालित )विद्युत् -यांत्रिकीय प्राविधि है जो सिका डालने पर चुनिन्दा गीतों में से आपका पसंदीदा संगीत सुनवाती है .इसमें आप अपना पसंदीदा संगीत छांट कर सुन सकतें हैं .इस में एक रिकोर्ड या कॉम्पेक्ट डिस्क का स्तेमाल किया जाता है .जूक बोक्स में पुश बटन्स पसंदीदा संगीत के चयन के लिए समावेशित किये जातें हैं .अब इस संगीत को नम्बर्स कहने का चलन है ।
जूक बोक्स के आरंभिक डिजाइन में एक रेक शामिल की गई थी .इसमें ऊर्ध्वाधर स्लिट्स लगे रहते थे जिनमे नम्बर्स को अरेंज किया जाता था .यानी हरेक रिकोर्ड को एक नंबर दिया गया था ।
अफ़्रीकी शब्द "जूक "का अर्थ होता है -डांस यानी नांच /नृत्य .दक्षिण के प्रान्तों में जूक जोइंट्स (रोड साइड बार्स )शराब घर होते थे जहां अफ़्रीकी अमरीकी मनोरंजन के लिए जाते थे .यहाँ जूक बोक्स का चलन था .जूक बोक्स नाम कारन का भी यही कारण रहा ।
अलबत्ता इन्हें "निकेलोदेओंस "भी संक्षेप में कहा गया ।
१८७७ में थोमस एडिशन ने फोनोग्रेफ़ बनाया .इसमें एक साधारण सा मोमिया सिलिंडर होता था ,सिक्का डालने पर यही वेक्स सिलिंडर नुमा फोनोग्रेफ़ संगीत सुनवाता था ।
नवम्बर २३ ,१८८९ :लौईस ग्लास ने अपने "पलिस सेलून "में जो फ्रांसिस्को में स्थित था सिक्का डालने पर चलने वाला फोनोग्रेफ़ लगवाया ।
१९०६ :जॉन गबेल ने एक स्वयंचालित एंट्र-ट्रेनर प्रस्तुत किया जिसमे वेक्स सिलिंडर के स्थान पर एक ७८ रेवोल्यूशन पर मिनिट डिस्क लगाईं गई .इसमें आप एक से ज्यादा रिकोर्ड सुन सकते थे यानी चयन की थोड़ी सी आज़ादी मिलने लगी ।
१९२७ :ओतोमेतिद म्यूजिकल इन्स्त्रयुमेंट्स इंक (ए एम् आई )ने ध्वनी -आवर्धक एम्प्लीफायर का पहले पहल स्तेमाल किया .अब एक बड़ी औदियेंस को संगीत सुनवाया जाने लगा .एक बार में १०० तक सीडीज़ (कोम्पेक्त डिस्क )की मदद से १००० रिकोर्ड्स में से चयन की आजादी मिलने लगी ।
आधुनिक मशीनों में कैद -किम सोफ्ट -वेयर का स्तेमाल दिज़ैनिंग में किया जा रहा है .७०० -८०० तक कम्पोनेंट्स लिए होता है एक जूक बोक्स जिसमे तरह तरह की दिज़ैनिंग का समावेश किया गया है .

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