शुक्रवार, 10 मई 2013

बचावी चिकित्सा के रूप में हमारे खाद्य और पेय


बचावी चिकित्सा के रूप में हमारे खाद्य और पेय 

(1 )टमाटर और सोया का साथ साथ सेवन करना पुरुषों की ग्रन्थि प्रोस्टेट कैंसर से बचावी चिकित्सा का काम कर सकता है .सामाजिक रूप से उपयोगी और बचावी चिकित्सा कहा जा सकता है इस युक्ति को .

अधययन से पता चला है हफ्ते में तीन चार मर्तबा टमाटर और तथा एक से दो बार सोया से बने खाद्य और पेय (खाना )प्रोस्टेट कैंसर से बचाए रह सकता है . साइया बोले तो सोयाबीन से बने खाद्य या पेय पदार्थ .

(२ )प्रति दिन ४ ० ० ग्राम फल और तरकारियों का सेवन दिल की बीमारियों ,मधुमेह ,ब्रेन अटेक (स्ट्रोक )के खतरे के वजन को कम करता है मोटापे के जोखिम को भी घटाता है .

(३ )मुक्तावली की साफ़ सफाई के लिए सॉफ्ट ब्रश का ही इस्तेमाल करें .आहिस्ता आहिस्ता जैसे पेंट करते हैं गोलाई में घुमाए ब्रश के ब्रिसल्स को .

(४ )गले की दुखन से राहत के लिए सोने से पहले गुनगुने दूध में एक चुटकी (पांच ग्राम या एक चाय का चम्मच भर )हल्दी पाउडर मिलाकर पिएँ .

(५ )NEW HORMONE MAY AID DIABETES TREATMENT

Harvard researchers have discovered a hormone in fat cells called aP2 helps regulate how blood glucose is controlled and metabolised in the liver ,paving way for new treatments for diabetes .The study appears in the journal Cell Metabolism.

(६ )Eat whole grain bread or rice (with husk  ) at least four times a week to reduce the risk of cancer by 4 0 per cent .


मिथ या यथार्थ :बड़ी बहु /दुल्हा बड़े भाग 

Cougars and sugar daddies?More a myth than 

reality 

अपवाद को नियम मान लेने की भूल न करें।

Playboy's Hugh Hefner ऐसे ही एक अपवाद हैं (रईस - पन के ).महज़ मिथ है यह मान लेना ,खूबसूरत युवतियां रईस बूढ़े की तरफ आकर्षित होती हैं .शुगर डैडी कहा ही ऐसे रईस बुजुर्ग को गया है जो यौन संबंधों के बदले कम उम्र हसीना को कीमती तोहफे और खूब सारा पैसा देता है .

यही बात रईस उम्रदराज़ मोतरमा पर भी लागू होती है ज़रूरी नहीं है खूबसूरत युवा उसकी तरफ आकर्षित ही होंवे।

यूनिवर्सिटी आफ कोलाराडो डेनवर के रिसर्चरों ने पता लगाया है जो अपने से खासा कम उम्र साथी का जीवन साथी के रूप में चयन करते हैं औसतन उनकी मासिक आय ,बोध सम्बन्धी क्षमताएं ,शैक्षिक स्तर ,रूप और नैन नक्श (व्यक्तित्व )भी कम ही आकर्षक होते हैं उम्र के हिसाब से संगत जोड़ों के बरक्स .

नतीजे इस परम्परा गत धारणा (विचार )के ठीक उलट हैं-बड़ी बहु /दुल्हा बड़े भाग  .

तमाम उपलब्धियों शैक्षिक स्तर व्यावसायिक आमदनी ,रूप रंग और बौद्धिक क्षमताओं में ऐसे बे -मेल जोड़े पिछाड़ी ही रहे हैं ,अगाड़ी नहीं .अलबत्ता शोध कर्ताओं ने जोड़ीदारों की  उम्र के ज़रूरी (मानक )अंतर का उल्लेख नहीं किया है .कितनी उम्र का फासला दोनों में इस प्रभाव की पुष्टि करता है इसका अध्ययन में ज़िक्र नहीं किया गया है .अलबत्ता एक आम चलन यह देखा गया जितना ज्यादा फासला उम्र का जोड़ीदारों में रहा उतना ही ज्यादा नकारात्मक सूचक (Negative indicators )प्रगटित हुए थे अध्ययन में शामिल अर्थशाश्त्रियों ने अमरीकी जनसंख्या रजिस्टर से १ ९ ६ ० से लेकर सन २ ० ० ० तक के तमाम आंकड़े जुटाए थे .

पहली शादी के वक्त जो उम्र थी ,आय थी शैक्षिक स्तर था उसी पर गौर किया गया था .(गोरे तो हर वीक  एंड पे शादी करते हैं ).

पता चला जिन महानुभावों ने अपने से छोटे या उम्र में खासे बड़े जीवन साथी का चयन किया था वह अपेक्षाकृत कम पैसा कमाते थे बरक्स एक जैसी उम्र के जोड़ीदारों के ,अपनी उम्र के जीवन  साथी से विवाह सूत्र में बंधे लोग इनसे ज्यादा कमा रहे थे .

हाई स्कूल के स्तर पर संपन्न परीक्षणों  में इनकी मौखिक ,गणितीय ,अंकगणितीय प्रतिभा का  जायजा भी लिया गया था .

अपने से अलग आयु वर्ग के युगल के साथ  विवाह रचाने वाले इन परीक्षणों में पिछाड़ी रहे .हमउम्र जोड़ीदारों का  परीक्षण में  बेहतर प्रदर्शन रहा था .

जिनकी युगल उनसे कमसे कम आठ साल छोटीं थीं वह औसतन ऐसे प्रदर्शन में ८ .४ अंकों से पिछड़े हुए रहे बरक्स हम उम्र जोड़ीदारों के .

ऐसी ही बे -मेल जोड़ीदार वाली महिलाओं के प्रदर्शन में भी गिरावट दर्ज़ की गई लेकिन पुरुषों से कम .

भौतिक आकर्षण का जायजा इंटरव्यू के ज़रिये सर्वे द्वारा लिया गया .

सन्दर्भ -सामिग्री :-Cougars & sugar daddies ?More a myth than reality/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 8 ,2013 P21


जीवन के बुनियादी स्रोत सूर्य को देवता का दर्जा यूं ही नहीं मिला है

आखिर प्रकाश संश्लेष्ण का स्रोत हमारा सूर्य ही है .थोड़ी देर भी धूप  खाना तंदरुस्ती की तरफ चार डग भर लेना है .उम्र लम्बी होती है सूर्य स्नान न सही धूप के थोड़े से सेवन से भी .

सबसे बड़ी बात है हमारी चमड़ी पर सूरज की पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रा वाय लिट् एनर्जी )के असर से हमारा रक्त चाप भी कम होता है यह कमाल है एक रसायन का जो सूरज की रौशनी के असर से ही  पैदा होता है .इसका नाम है नाइट्रिक आक्साइड .

इसी के साथ दिल और दिमाग के दौरों (हार्ट अटेक ब्रेन अटेक )के  खतरे का वजन भी कम हो जाता है .

एडिनबरा विश्वविद्यालय के अन्वेषणकर्ताओं ने पता लगाया है यह रासायनिक यौगिक हमारी रक्त वाहिकाओं में ही बनता है सूर्यरश्मियों के चमड़ी पर पड़ने वाले प्रभाव से .बेशक चंद लोगों को इन रश्मियों के असर से चमड़ी का कैंसर भी हो जाता है खासकर योरोपीय और अमरीकी नस्ल के लोगों को लेकिन इस के फायदे नुक्सानात को बौना कर देते हैं .कहीं ज्यादा हैं  .

उच्च रक्तचाप से पैदा दिल और दिमाग के दौरों से चमड़ी के कैंसर के बरक्स ८ ० गुना ज्यादा लोग काल का ग्रास बनते हैं .

नाईटरिक एसिड के फायदे के अलावा हमारा शरीर सूरज की रौशनी पड़ने पर ही ज्यादा विटामिन D तैयार करता है जिसकी मौजूदगी शरीर द्वारा केल्शियम की  ज़ज्बी के लिए भी ज़रूरी रहती है .अस्थियों के पोषण के लिए भी .

रिसर्चरों ने अपने प्रयोग में २ ४ सब्जेक्ट्स  को tanning lamps की रौशनी में २ ० - २ ० मिनिट के दो सत्रों में बिठाने के बाद इनके ब्लड प्रेशर का अध्ययन किया .

पहले सत्र  में लेम्प से निकली गर्मी और अल्ट्रावायलिट् रेडियेशन दोनों का इस्तेमाल किया गया दूसरे  में सिर्फ इस लैंप की गर्मी(इन्फ्रा रेड रेडियेशन ) से ही असर ग्रस्त किया गया .जबकि अल्ट्रावायलिट् अंश को अलग रखा गया (ब्लोक कर दिया गया ).शरीर पर सिर्फ लेम्प से गर्मी डाली गई .

पहले सत्र में दूसरे के बरक्स ज्यादा ब्लड प्रेशर कम हुआ .



3 टिप्‍पणियां:

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

स्वास्थ्य से जुड़े अनेक मुद्दों को
सुलझाटी सुन्दर प्रस्तुति

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

जिंदगी के हर कोने में समस्याओं झांकती और सुलझाती रचना( बिना सियाही के कलम से लिखल
जिंदगी ----- स्नेह का एक नज़र )

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

jankari ka khazana hai aapki prastuti me....