जीवन के बुनियादी स्रोत सूर्य को देवता का दर्जा यूं ही नहीं मिला है आखिर प्रकाश संश्लेष्ण का स्रोत हमारा सूर्य ही है .थोड़ी देर भी धूप खाना तंदरुस्ती की तरफ चार डग भर लेना है .उम्र लम्बी होती है सूर्य स्नान न सही धूप के थोड़े से सेवन से भी .
सबसे बड़ी बात है हमारी चमड़ी पर सूरज की पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रा वाय लिट् एनर्जी )के असर से हमारा रक्त चाप भी कम होता है यह कमाल है एक रसायन का जो सूरज की रौशनी के असर से ही पैदा होता है .इसका नाम है नाइट्रिक आक्साइड .
इसी के साथ दिल और दिमाग के दौरों (हार्ट अटेक ब्रेन अटेक )के खतरे का वजन भी कम हो जाता है .
एडिनबरा विश्वविद्यालय के अन्वेषणकर्ताओं ने पता लगाया है यह रासायनिक यौगिक हमारी रक्त वाहिकाओं में ही बनता है सूर्यरश्मियों के चमड़ी पर पड़ने वाले प्रभाव से .बेशक चंद लोगों को इन रश्मियों के असर से चमड़ी का कैंसर भी हो जाता है खासकर योरोपीय और अमरीकी नस्ल के लोगों को लेकिन इस के फायदे नुक्सानात को बौना कर देते हैं .कहीं ज्यादा हैं .
उच्च रक्तचाप से पैदा दिल और दिमाग के दौरों से चमड़ी के कैंसर के बरक्स ८ ० गुना ज्यादा लोग काल का ग्रास बनते हैं .
नाईटरिक एसिड के फायदे के अलावा हमारा शरीर सूरज की रौशनी पड़ने पर ही ज्यादा विटामिन D तैयार करता है जिसकी मौजूदगी शरीर द्वारा केल्शियम की ज़ज्बी के लिए भी ज़रूरी रहती है .अस्थियों के पोषण के लिए भी .
रिसर्चरों ने अपने प्रयोग में २ ४ सब्जेक्ट्स को tanning lamps की रौशनी में २ ० - २ ० मिनिट के दो सत्रों में बिठाने के बाद इनके ब्लड प्रेशर का अध्ययन किया .
पहले सत्र में लेम्प से निकली गर्मी और अल्ट्रावायलिट् रेडियेशन दोनों का इस्तेमाल किया गया दूसरे में सिर्फ इस लैंप की गर्मी(इन्फ्रा रेड रेडियेशन ) से ही असर ग्रस्त किया गया .जबकि अल्ट्रावायलिट् अंश को अलग रखा गया (ब्लोक कर दिया गया ).शरीर पर सिर्फ लेम्प से गर्मी डाली गई .
पहले सत्र में दूसरे के बरक्स ज्यादा ब्लड प्रेशर कम हुआ .
सबसे बड़ी बात है हमारी चमड़ी पर सूरज की पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रा वाय लिट् एनर्जी )के असर से हमारा रक्त चाप भी कम होता है यह कमाल है एक रसायन का जो सूरज की रौशनी के असर से ही पैदा होता है .इसका नाम है नाइट्रिक आक्साइड .
इसी के साथ दिल और दिमाग के दौरों (हार्ट अटेक ब्रेन अटेक )के खतरे का वजन भी कम हो जाता है .
एडिनबरा विश्वविद्यालय के अन्वेषणकर्ताओं ने पता लगाया है यह रासायनिक यौगिक हमारी रक्त वाहिकाओं में ही बनता है सूर्यरश्मियों के चमड़ी पर पड़ने वाले प्रभाव से .बेशक चंद लोगों को इन रश्मियों के असर से चमड़ी का कैंसर भी हो जाता है खासकर योरोपीय और अमरीकी नस्ल के लोगों को लेकिन इस के फायदे नुक्सानात को बौना कर देते हैं .कहीं ज्यादा हैं .
उच्च रक्तचाप से पैदा दिल और दिमाग के दौरों से चमड़ी के कैंसर के बरक्स ८ ० गुना ज्यादा लोग काल का ग्रास बनते हैं .
नाईटरिक एसिड के फायदे के अलावा हमारा शरीर सूरज की रौशनी पड़ने पर ही ज्यादा विटामिन D तैयार करता है जिसकी मौजूदगी शरीर द्वारा केल्शियम की ज़ज्बी के लिए भी ज़रूरी रहती है .अस्थियों के पोषण के लिए भी .
रिसर्चरों ने अपने प्रयोग में २ ४ सब्जेक्ट्स को tanning lamps की रौशनी में २ ० - २ ० मिनिट के दो सत्रों में बिठाने के बाद इनके ब्लड प्रेशर का अध्ययन किया .
पहले सत्र में लेम्प से निकली गर्मी और अल्ट्रावायलिट् रेडियेशन दोनों का इस्तेमाल किया गया दूसरे में सिर्फ इस लैंप की गर्मी(इन्फ्रा रेड रेडियेशन ) से ही असर ग्रस्त किया गया .जबकि अल्ट्रावायलिट् अंश को अलग रखा गया (ब्लोक कर दिया गया ).शरीर पर सिर्फ लेम्प से गर्मी डाली गई .
पहले सत्र में दूसरे के बरक्स ज्यादा ब्लड प्रेशर कम हुआ .
5 टिप्पणियां:
बहुत उपयोगी जानकारी।
सूर्य को इसीलिए देवता कहते हैं।
उपयोगी सलाह एवं जानकारी.....
अति सरल शब्दों में अच्छी जानकारी देये हैं आप जो आसानी से समझ में आ जाती है .आभार .
बहुत ही उपयोगी सलाह पर आज महानगरों में सूर्य स्नान का महत्व ही लोग भूल चुके हैं. शायद हमारे पूर्वजों ने सूर्य को अर्ध्य देने की इसी वजह से परंपरा शुरू की होगी? बहुत सुंदर.
रामराम.
बहुत शानदार जानकारी.... सहज तरीके से कही गयी बात...
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