प्रश्न :हम मनुष्यों को कोई पुष्प हार दे तो क्या हमें स्वीकार करना
चाहिए ?
उत्तर :शिव प्रसूत गीता ज्ञान कहता है नहीं क्योंकि इस संगम युग पर राजयोग (ज्ञान योग ,बुद्धि योग )साधना में रत हम बच्चे ब्रह्मा मुख-वंशावली ब्रह्मा कुमार कुमारियाँ भी अभी पूर्ण पवित्र नहीं बनें हैं .हमारी आत्मा अभी २ ४ कैरट गोल्ड नहीं बनी है इसपर जन्मजन्मान्तर की खोट अभी बकाया है .हम अभी इस पुरुषोत्तम संगम युग पर योगरत हैं .
पुष्प भावनाओं का प्रतीक है .वातावरण में सुगंधी का प्रतीक है .देवताओं का अर्घ्य (देव-अलंकरण )है .पुष्प देवताओं को पूज्य आत्माओं को ही चढ़ाया जाता है .हम तो खुद पुजारी हैं .याद और ज्ञान योग की अग्नि में विकार भस्म करने का कर्म योग कर रहें हैं .
यह घोर कलिकाल का प्रतीक है सृष्टि का अपमान है आज हम भ्रष्टदेव नेताओं को उनके वेट से दो गुना ज्यादा वजनी हार पहना रहें हैं .और सदन में पुलिस को पीटने वाले ,द्रौपदी का अपमान करने वाले ,मनुष्यता के जघन्य रूप के प्रतीक ये राजनीतिक धंधे बाज़ उन्हें पहन अपने चित्र उतरवा रहें हैं .महातीर्थ तिहाड़ के लिए ये पुष्पमाला पहन प्रस्थान कर रहें हैं .क्या इन्हें फूलहार देना चाहिए ?अपनी राय लिखें .
ॐ शान्ति .
A sex 'superbug' more lethal than AIDS
यौन संसर्ग से फैलने वाला एक रोग है गानरिया (Gonorrhoea).साइंसदानों ने अब इसकी एक ऐसी खतरनाक
स्ट्रेन (रोग की एक किस्म )की इत्तला दी है जो एंटीबायटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध खड़ा कर चुकी है .बे -
असर सिद्ध कर दिया है गोनरिया की इस किस्म ने जीवाणुरोधी दवाओं को .
जापान में दो बरस पहले इसका सुपरबग मिला है .सुजाक की इस किस्म को एचआईवी -एड्स से भी ज्यादा
खतरनाक बतलाया जा रहा है .
यह बहुत कम समय में बहुत अधिक आक्रामक रुख इख्तियार कर लेता है तथा जनसमुदाय में तेज़ी से फैलता
है .
प्राकृत चिकित्सा के एक माहिर Dr Alan Christianson ने इस बाबत यौन फिरंगियों यौन यायावरी करने
वालों को चेताया है .
ॐ शान्ति
9 टिप्पणियां:
पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं...
शुद्ध तत्व ज्ञान मिला, गनौरिया इत्यादि सेक्सुअल रोगों के जीवाणुओं ने प्रतिरोधात्मक शक्ति बनाली है यह कम से कम भारत जैसे मुल्कों के लिये चिंताजनक है, क्योंकि यहां लोगों में इतनी समझ और पेसेंश नही है.
रामराम.
अमूर्त से मूर्त का बहुआयामी खूबशूरत
सफ़र ,सेक्स से जुड़े नए सुपरबग और
सेक्स फिरंगियो को चेताती सुन्दर प्रस्तुति
यौन संबंधों में ॐ शांति की ज़रुरत है।
याद और ज्ञान योग की अग्नि में विकार भस्म करने का कर्म योग कर रहें हैं ......पहले यौन यायावरी करो तब योग करो। क्या इसके बाद कुछ ठीक होगा?
बहुत बढ़िया पोस्ट।
bilkul nahi ...phool to paudhon par hi acche lagte hain ..
mai apne student ko mana karti hoon ..
बढ़िया पोस्ट ...
कम से कम सदन में बैठा तो कोई भी व्यक्ति इस लायक नहीं ... शायाद बाहर भी नहीं ...
पुष्पहार की महता का गलत उपयोग हो रहा है.
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