मंगलवार, 31 जनवरी 2012

टूट रहा है यह फ़्लाइंग मिथ .

हवा में कैसे बना रहता है हवाईजहाज़ ?एक नवीन व्याख्या पुरानी व्याख्या को गलत सिद्ध करती है .अब तक यही समझा जाता रहा है की वायुयान हवा में ऊपर उठकर इसीलिए तिरता रहता है क्योंकि उसके पंखों की बनावट पंखों के नीचे कम दाब पैदा करदेती है ऊपर के फलक (सतह )की बनिस्पत .लेकिन यह दाबांतर पैदा होता क्यों है इसे लेकर अभियानिकीविद भ्रमित रहें हैं .अब लगता है यह मिथ है यथार्थ नहीं .
टूट रहा है यह फ़्लाइंग मिथ .अब तक यही समझा जाता था की विमान का हवा में ऊपर उठना और तिरते रहना उसके पंखों की ख़ास बनावट की वजह से मुमकिन होता है .ऊपर की सतह घुमाव लिए होती है जबकी निचली सतह सपाट रहती है .ऐसे में वायु ऊपरकी घुमावदार सतह पर ज्यादा दूरी तय करती है बनिस्पत निचली सतह के जहां उसी वक्त पहुँचने के लिए उसे वेगवान रहना पड़ता है .
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साइंसदान होल्गेर बबिन्स्कय कहतें हैं यह मिथ भौतिकी के ज्ञात नियमों का खंडन करता प्रतीत होता है .असल व्याख्या का इस बात से कोई लेना देना नहीं है की हवा को कितना फासला कितनी दूरी तय करनी पड़ती है .
बकौल उनके पंखों का घुमाव दाबांतर इसलिए पैदा करता है क्योंकि यही घुमाव कुछ वायु राशि को ऊपर की ओर खींचता है .इसी वजह से दवाब कम होता है .जबकी शेष वायु राशि को नीचे की ओर बलपूर्वक धकेलता है .जिससे उच्च दाब पैदा होजाता है .
बेशक बर्नौली का प्रमेय कहता है :जहां जहां दवाब कम होता है वहां वायु राशि तेज़ गति करती है .इसलिए वायुराशी पंख की ऊपरली सतह पर तेज़ी से गति करती है बनिस्पत निचली सतह के वेग के .लेकिन दाबांतर की असल वजह यह नहीं है .
आपने अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए विंग के गिर्द एक स्मोक के प्रवाह को फिल्म में कैद किया है .
यदि परम्परा गत समझ सही होती तब स्मोक को पंखों के ऊपर नीचे होते हुए अग्र भाग तक एक साथ एक ही समय पर पहुंचना चाहिए था लेकिन प्ल्युम विंग की ऊपरले सिरे पर अपेक्षाकृत पहले पहुँचते हुए फिल्म किया गया .
Refrence Material:Scientists debunks flying myth.Offers A New Explanation About How Aircraft Stay Afloat/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,JANURAY26,2012/P23.
नुश्खे सेहत के :
HEALTH TIPS :
    आपकी रोजमर्रा की  सलाद में खीरे का शामिल रहना दिल और ब्लड वेसिल्स (रक्त वाहिकाओं )की बीमारियों के खतरे के वजन को कम कर देता है .  
Adding  cucumber to your salads will reduce your risk of cardiovascular disease.
आघात (ब्रेन अटेक या सेरिब्रल एक्सीडेंट/सेरिब्रो -वैस्क्युअलर एक्सीडेंट  ) से कमोबेश बचाव के लिए एक गाज़र नियमित सेवन करना चाहिए .
A carrot a day will go a long way in preventing a stroke.
क्या है साड़ी कैंसर ?जानकारी के तेहत पढ़िए :
चेन्नई के माहिरों ने हाल फिलाल साड़ी कैंसर की चर्चा की है .साडी कैंसर का सम्बन्ध पेटीकोट में प्रयुक्त नाड़े(स्ट्रिंग )से जोड़ा गया है .जो अकसर महिलायें कसके  (टाईट )बाधती हैं .अकसर एक ही जगह बांधतीं हैं .अपने निशाँ छोड़ जाता है यह नाड़ा . कुछ को इर्रिटेशन शुरू हो जाता है .डर्मातोसिस (Dermatosis) हो  जाती  है.
अब तक तीन मामले इस चमड़ी रोग के लापरवाही से कैंसर में तब्दील हो चुकें हैं .
री -कंस्ट्रक्शन सर्जरी समाधान है . लेकिन मलिग्नेंसी होने पर उसे हटाना पड़ता है .
साफ़   बचा   जा सकता है साड़ी कैंसर से .पेटी कोट का नाड़ा चौड़ा रखिये .ढीला बांधिए .स्थान नाड़ा बांधेने का बदलते रहिये .जींस या बेल्ट पहनने पर प्रेशर बड़े इलाके में विभाजित हो जाता है बंट जाता है ,कम हो जाता है चौड़ा अस्तर वाला नाड़ा पहनने से .
आज का नीतिपक्रक दोहा :
कबीरा तेरी झोंपड़ी गल कटीअन के पास ,
करेंगे सौ भरेंगे ,तू क्यों भया उदास .
बात साफ़ है जैसी करनी ,पार उतरनी /वैसी भरनी .





रविवार, 29 जनवरी 2012

जी हाँ पीने  वालों को तो बस पीने का बहाना चाहिए लेकिन ....
हकीकत कुछ और है .भले बीअर को लेकर जनमानस में यह भ्रांत धारणा चल निकली है कि बीयर गुर्दे की पथरी से राहत दिलवाती है .भले इसमें एल्कोहल की मात्रा कमतर रहती है लेकिन लेदे कर स्टाउट  बीअर्स (Stout beers)  को छोड़ दें तो जो केल्सियम को जमा  होने  से रोकतीं हैं तथा पथरी  बनने की दर को ३० -३५%तक कम करतीं हैं (एक अमरीकी अध्ययन )  तब शेष बीअर जो प्युराइन(Purine) से युक्त रहतीं हैं,यूरिक एसिड से बनने वाली पथरी के खतरे को उलटा बढ़ाती ही हैं .यही कहना है मुंबई के मशहूर मूत्र रोग विज्ञानी (यूरोलोजिस्ट )डॉ मनीष बंसल साहब का .
क्या     है स्टाउट बीअर जानिएगा   ?  क्या  है स्टाउट बीअर ?अंकुरित जौं  को भाड़ में भूनके रोस्ट करके तैयार की जाती है .
It is a dark strong beer ,a strong very dark ,almost black beer made from roasted malted barley.Malt is a grain used to make alcoholic drinks, grain such as barley that has begun germination by being soaked in water. 
माहिरो  के अनुसार चाय कोफी और संतरे का जूस भी गुर्दे की पथरी को घुलाकर निकाल बाहर करने में उतना ही कारगर सिद्ध होता है जितना की बहुप्रचारित बीअर .
एक मिथ चल पड़ा है -एलकोहल(शराब ) दिल के लिए अच्छी होती है . माहिरों के अनुसार यह विवाद का विषय है .पब्लिक हेल्थ फाउनदेशन  की मलिका अरोरा कहतीं हैं ऐसा दावा भारतीय आबादी के लिए नहीं किया जा सकता कि शराब दिल के लिए मुफीद रहती है .भारतीयों को इसके कार्डियोवैस्क्युलर फायदे मिलते नहीं देखे गएँ हैं .यह नतीजा उस अध्ययन से निकला जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली तथा पब्लिक हेल्थ फाउनदेशन ने २०१० में भारत के दस नगरों के ४००० भारतीयों पर संपन्न किया था . इस अध्ययन में पीने वालों की तुलना न पीने वालों से की गई थी .
कार्डियोवैस्क्युलर माने हृदय और ब्लड वेसिल्स से सम्बंधित .
  बात साफ़  है पीने वा... लों को पीने का बहाना चाहिए  . आज     मैं    बहुत    खुश  हूँ  इसलिए  पी  रहा  हूँ  कल  मैं  बहुत  दुखी  था इसलिए  पी  गया ,परसों मेरे  भांजे  की शादी    थी इसलिए   थोड़ी   सी   पी   ली   थी .
आइये  देखें  यू . के. हाउस  ऑफ़  कोमंस (UK HOUSE OF COMMONS) की ताज़ा  सलाह  क्या है शराब पीने के बारे  में ? 
हाउस  ऑफ़  कोमंस  ने ब्रिटेन  वासियों  को शराब से कमसे  कम सप्ताह  में दो  बार  परहेजी  रखने  के लिए कहा है .और यह सलाह  इसलिए  दी  गई है, शराब सारी हमारे  यकृत  (लीवर  )से होकर  जाती है ताकि  लीवर  को दो  दिन  आराम  मिले  नुकसानी  की भरपाई  के लिए थोड़ा  सा  वक्त  मिले  .
पहले कहा  गया था -रोजाना  एक दो  पेग  लिए जा सकतें  हैं .
तो ज़नाब  शराब न दिल  के लिए अच्छी  है न मधुमेह  से बचाती  है न गुर्दे की पथरी से बीअर हिफाज़त  करती  है महज़  मिथ हैं यह .निश्चयात्मक  कुछ भी नहीं कहा जा सकता .अलबत्तादिल के बहलाने को 'ग़ालिब    'ये ख्याल बहुत अच्छा है -
ज़िन्दगी जीने को दी ,तो जी मैंने ,
किस्मत में लिखा था पीना ,तो पी मैंने ,
और मैं न पीता  तो तेरा लिख्खा गलत हो जाता ,
तेरे लिखे को निभाया ,ये खता की मैंने .
और आज एक मौजूं शेर हो जाए -
जाम को टकरा रहा हूँ जाम से ,
खेलता हूँ गर्दिशे ऐयाम से ,
(और) उनका गम ,उनका तसव्वुर ,उनकी याद ,
अरे !कट रही है ज़िन्दगी आराम से .
इसकी पलट भी देखिये -
पूछना है गर्दिशे ऐयाम से ,
अरे !हम भी बैठेंगें कभी ,आराम से .

शनिवार, 28 जनवरी 2012

नुश्खे सेहत के ,विज्ञान समाचार और बहुत कुछ .

नुश्खे सेहत के ,विज्ञान समाचार और बहुत कुछ .
रेड बेल पेपर (लाल शिमला मिर्च )में सिलिकोन की भरमार (बाहुल्य )रहता है जो जोड़ों के किस्म किस्म के दर्द ,गठिया में चढ़ आई सूजन को कम करता है .
Because of its high silicon content red peppers reduce arthritic swelling .
अंकुरित दालें सोडियम बहुल हो जातीं हैं .यह पाचन में ज़रूरी (मददगार )सिद्ध होती हैं .
Sprouted pulses show an increase in sodium ,essential to the digestive system.
विज्ञान समाचार :
अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था 'नासा 'की  ग्रहअन्वेषी (ग्रह टोही) अन्तरिक्ष दूरबीन ने ११ नए ग्रह मंडलों (Planetary systems)का अन्वेषण किया है .इनमे से एक ग्रह मंडल (सौर मंडल से परे अन्य सौर मंडल पढ़ें इसे )के पांच ग्रह  हैं यह अपने पितामह  सितारे (Parent star) की परिक्रमा नज़दीक से कर रहें हैं .यह दूरी उस दूरी से कम है जिस दूरी से बुद्ध ग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहा है .
इस प्रकार सौर मंडल के पार ,अन्वेषित ग्रह प्रणालियों की संख्या बढ़कर अब ७२९ हो गई है .इनमे से ६० का अन्वेषण केप्लर टीम ने ही  किया है .
अब आज का नीतिपरक दोहा :
  कबहूँ प्रीती न जोड़िये  ,जोरि तोरिये नाहिं ,
  ज्यों तोरे जोरे बहुरि ,गाठिं परत मन मांहि.
वृन्द कवि का यह नीतिपरक दोहा -
रहीम के निम्न दोहे का ही विस्तार भाव है -
रहिमन धागा प्रेम का ,मत तोड़ो चटकाय ,
टूटे से फिर न जुरे ,जुरे गांठ पड़ी जाय .
अब कोई झंझट नहीं होती न धागा जुड़ता है न टूटता है .रोबोटीय(कामकाजी )हो गए हैं सम्बन्ध .
शायर के इस शेर की तरह मौजूं -
मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,
मुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .





गुरुवार, 26 जनवरी 2012

यौन संबंधों के दीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन ज़रूरी है .
यौन संबंधों के सुदीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन ,प्रेमी द्वारा प्रेमिका को गले लगाके प्रेम का इज़हार करना  उसके बालों में ऊंगली फिराना किसी और विध प्रेम जतलाना ,यौन संबंधों के दीर्घावधि स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी पाया गया है .
अक्सर यौन क्रिया भुगताने के बाद पुरुष पहले सो जाता है वह भी अक्सर दूसरी तरफ करवट लेके प्रेमिका से मुंह मोड़के .जबकि यही वह लम्हे हैं जब महिला असुरक्षित महसूस करने लगती है .उसे तो प्रेम मिलन के बाद लाड दुलार चाहिए . 
दोनों की संवेगात्मक ज़रूरीयात भिन्न रहतीं हैं .पुरुष अकसर  दौड़ के शिखर छू लेता है .और फिर उसी अंदाज़ में नीचे  भी उतर आता है शिखर से .जबकि महिला एक विस्तृत सुदीर्घ समतल पठार पर बनी रहती है काबिज़ रहती है .
उत्तर मैथुन चुम्बन आलिंगन उसे शांत करता है .प्रेम वार्ता उसे आश्वस्त करती है .एक सुरक्षा का बोध कराती है .यौन संबंधों की बेहतरी के लिए भी ज़रूरी है यह उत्तर मैथुन प्रेम संवाद .मिलन मनाने के बाद के खाली पन  को यह भाव से संपूरित करता है .यही लब्बोलुआब है एक ताज़ा रिसर्च का जिसे मिशिगन विश्वविद्यालय के शोध कर्ताओं ने संपन्न किया है .उत्तर मैथुन प्रेम प्रदर्शन परस्पर प्रति -बद्धता  का सूचक बनके आता है .अध्ययन में ४५६ लोगों का जायजा लिया गया .जाना गया जोड़ों का सोने का अंदाज़ .
पता चला पुरुष बाद मैथुन जल्दी ही घोड़े बचके सो जातें हैं .तुरता भोजन की तरह सेक्स को निपटा देतें हैं .पिलो टाक्स कितना ज़रूरी हैं परस्पर प्रेम की अनच को बनाए रखने के लिए इन्हें नहीं मालूम .औरत सुनना चाहती है बाद मैथुन मर्द कहे -
सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान ,तुम ,कविता ,कुसुम या कामिनी हो .
और यह भी -
रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार रस चुम्बन नहीं ,तो और क्या है ?
सन्दर्भ -सामिग्री  :-
POST -SEX PILLOW TALK HEALTHY FOR RELATIONSHIPS/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI,JANURAY 25,2012




नुश्खे सेहत के :

नुश्खे सेहत के :
पश्चिम ऑस्ट्रेलिया विश्व विद्यालय के रिसर्चरों ने दावा किया है की दिन में तीन मर्तबा एक एक कप ब्लेक टी (बिना दूध के स्तेमाल से तैयार )आपके रक्त चाप को खासा कम और मान्य स्तर पर रख सकती है .
BLACK TEA REDUCES BLOOD PRESSURE:
Researchers from western Australia claim that drinking a cup of black tea three times a day may significantly reduce your blood pressure .The research was published in the Archives of Internal Medicine.
करेले का अर्क दो औंस (५६.७० ग्राम )एक कप पानी और शहद के साथ लेने से दमे (एस्मा )में आराम आता है .
Mix two ounces of bitter gourd juice with a cup of honey and water for asthma.
स्पर्म को आनुवंशिक नुकसानी (जेनेटि डेमेज )से बचाए रह सकता है रोजाना लिए जाने वाले एक संतरे का नियमित सेवन .यह करिश्मा इसमें मौजूद विटामिन -सी करता .
An orange a day protects sperm from genetic damage with its vitamin C content .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
और अब आज का नीतिपरक दोहा :
आवत ही हरखे नहीं ,नैनं नहीं स्नेह ,
तुलसी तहां न जाइए ,चाहे कंचन बरखे मह .
यहाँ हरखे का अर्थ हर्षित होना प्रसन्न होना है और बरखे का अर्थ वर्षा होना है .देहिक मुद्रा बत्लादेती है सब कुछ आपको किसी का और अब आज का नीतिपरक दोहा :
आवत ही हरखे नहीं ,नैनं नहीं स्नेह ,
तुलसी तहां न जाइए ,चाहे कंचन बरखे मेह बतला देती .
यहाँ हरखे का अर्थ हर्षित होना प्रसन्न होना है और बरखे का अर्थ वर्षा होना है .देहिक मुद्रा बतला देती है सब कुछ आपको किसी का आना अच्छा लगा या नहीं .मेह जनभाषा का शब्द है जिसका अर्थ भी मेह जनभाषा का शब्द है जिसका अर्थ भी ब्बारिश है .हर्ष विषाद के भाव छिपाए नहीं छिपते हैं इसी को कहा जाता है बॉडी लेंग्वेज (मुख मुद्राएँ ,हाव भाव ,दैहिक ध्वनी ). तुलसीदास कहतें हैं जहां आपको देख के कोई अन्दर से खुश न हो वहां भूल कर भी न जाइए चाहे उस घर में सोना बरसता हो .कितनी भी आवभगत होती हो .चेहरे झूठ नहीं बोलते .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
यौन संबंधों के दीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन
यौन संबंधों के दीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन प्रेमी द्वारा प्रेमिका को गले लगाके प्रेम का इज़हार करना उसके बालों में ऊँगली फिराना किसी और बिध प्रेम जतलाना यौन संबंधों के दीर्घावधि स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी पाया गया है .अकसर यौन क्रिया भुगताने के बाद पुरुष पहले सो जाता है अकसर दूसरी तरफ करवट लेके .जब की यही वे लम्हें हैं जब महिला असुरक्षित महसूस करने लगती है .उसे प्रेम मिलन के बाद लाड दुलार चाहिए .दोनों की संवेगात्मक ज़रूरीयात भिन्न रहतीं हैं .पुरुष अकसर दौड़ के शिखर छू लेता है और फिर नीचे उतर आता है महिला एक विसतृत भावात्मकऔर दैहिक पठार पर बनीरहती है .उत्तर मैथुन चुम्बन आलिंगन प्रेम वार्ता उसे शांत करती है .आश्वस्त करती है एक सुरक्षा का बोध कराती है .
यौन संबंधों की बेहतरी के लिए भी ज़रूरी है यह प्रेम संवाद प्रेम मिलन मनाने के बाद का उतना ही जितना की खुद सेक्स ,मैथुन .यही लब्बोलुआब है एक ताज़ा रिसर्च का जिसे संपन्न किया है मिशिगन विश्व -विद्यालय के शोध कर्ताओं ने .उत्तर मैथुन प्रेमप्रदर्शन प्रतिबद्धता का सूचक बनके आता है एक दूसरे के प्रति .अध्ययन में ४५६ लोगों का सर्वे किया गया .
प्रेमी -प्रेमिका ,जोड़ों के सोने के अंदाज़ का जायजा लिया गया .पता चला पुरुष जल्दी ही घोड़े बेचके सो जातें हैं .
पिलो टाक्स कितनी एहम होतीं हैं संबंधों की आंच को बनाए रखने के लिए इन मर्दुओं को नहीं मालूम .
औरत सुनना चाहती है बाद मैथुन :
सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान तुम कविता ,कुसुम या कामिनी हो ..
और यह भी -रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार ,रस चुम्बन नहीं तो और क्या है.
लेकिन वह एक परीलोक बुनती रह जाती है निस्संग और अकेली .
REFERENCE MATERIAL :POST -SEX PILLOW TALK HEALTHY FOR RELATIONSHIPS/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI /JANURAY 25,2012
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
आज का नीतिपरक दोहा :
अपनी पहुँच विचारि के ,करतब करिए दौर ,
तेते पाँव पसारिये ,जेते लम्बी सौर .
यहाँ सौर का मतलब रजाई है .सार यह है अपनी औकात से बाहर न जाइए ,देख भाल के खर्च कीजिए ,उधार या लोंन लेके घी मत पीजिये .प्रदर्शन की भावना से बचिए .हिर्स बाज़ी पडोसी की रीस नक़ल से बचिए .

बुधवार, 25 जनवरी 2012

यौन संबंधों के दीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन

यौन संबंधों के दीर्घ स्वास्थ्य के लिए प्रेम मिलन के बाद का प्रेम प्रदर्शन प्रेमी द्वारा प्रेमिका को गले लगाके प्रेम का इज़हार करना उसके बालों में ऊँगली फिराना किसी और बिध प्रेम जतलाना यौन संबंधों के दीर्घावधि स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी पाया गया है .अकसर यौन क्रिया भुगताने के बाद पुरुष पहले सो जाता है अकसर दूसरी तरफ करवट लेके .जब की यही वे लम्हें हैं जब महिला असुरक्षित महसूस करने लगती है .उसे प्रेम मिलन के बाद लाड दुलार चाहिए .दोनों की संवेगात्मक ज़रूरीयात भिन्न रहतीं हैं .पुरुष अकसर दौड़ के शिखर छू लेता है और फिर नीचे उतर आता है महिला एक विसतृत भावात्मकऔर दैहिक पठार पर बनीरहती है .उत्तर मैथुन चुम्बन आलिंगन प्रेम वार्ता उसे शांत करती है .आश्वस्त करती है एक सुरक्षा का बोध कराती है .
यौन संबंधों की बेहतरी के लिए भी ज़रूरी है यह प्रेम संवाद प्रेम मिलन मनाने के बाद का उतना ही जितना की खुद सेक्स ,मैथुन .यही लब्बोलुआब है एक ताज़ा रिसर्च का जिसे संपन्न किया है मिशिगन विश्व -विद्यालय के शोध कर्ताओं ने .उत्तर मैथुन प्रेमप्रदर्शन प्रतिबद्धता का सूचक बनके आता है एक दूसरे के प्रति .अध्ययन में ४५६ लोगों का सर्वे किया गया .
प्रेमी -प्रेमिका ,जोड़ों के सोने के अंदाज़ का जायजा लिया गया .पता चला पुरुष जल्दी ही घोड़े बेचके सो जातें हैं .
पिलो टाक्स कितनी एहम होतीं हैं संबंधों की आंच को बनाए रखने के लिए इन मर्दुओं को नहीं मालूम .
औरत सुनना चाहती है बाद मैथुन :
सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान तुम कविता ,कुसुम या कामिनी हो ..
और यह भी -रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार ,रस चुम्बन नहीं तो और क्या है.
लेकिन वह एक परीलोक बुनती रह जाती है निस्संग और अकेली .
REFERENCE MATERIAL :POST -SEX PILLOW TALK HEALTHY FOR RELATIONSHIPS/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI /JANURAY 25,2012
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
आज का नीतिपरक दोहा :
अपनी पहुँच विचारि के ,करतब करिए दौर ,
तेते पाँव पसारिये ,जेते लम्बी सौर .
यहाँ सौर का मतलब रजाई है .सार यह है अपनी औकात से बाहर न जाइए ,देख भाल के खर्च कीजिए ,उधार या लोंन लेके घी मत पीजिये .प्रदर्शन की भावना से बचिए .हिर्स बाज़ी पडोसी की रीस नक़ल से बचिए . .

सोमवार, 23 जनवरी 2012

फतवों को सुपर क़ानून बना दिया जाए :

फतवों को सुपर क़ानून बना दिया जाए :
जब भी मुसलमान भाइयों की तरफ से कोई फतवा आता है माननीय सरकार के हाथ फूल जातें हैं .ताज़ा प्रसंग जयपुर साहित्य विषयक आलमी बैठक का है .विषय है शैतान की आयतें माने सलमान रुश्दी की सम्मेलन में वीडियो -शिरकत .फतवा है वह शैतान की आयतों के बारे में बात नहीं करेंगे ,बेचारी सरकार की टाँगे काँप रहीं हैं .हमारा सुझाव है संविधान में संशोधन कर आईदा के लिए फतवे को सुपर क़ानून बना दिया जाए .इस प्रकार संविधान में जो कमजोरी रही आई है फतवों से निपटने की वह भी दूर हो जायेगी .इस देश की जनता क़ानून प्रिय है .वह फतवे को ही क़ानून मानेगी .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
आज का नीतिपरक दोहा :
काहू को हंसिये नहीं ,हंसी कलह को मूल ,
हंसी ही ते है भयो ,कुल कौरव निर्मूल .
अर्थात भूल कर भी किसी की हंसी न उड़ायें .द्रौपदी की दुर्योधन को जल और थल की मरीचका में फंसा देख हंसी के साथ उपालंभ-'अंधों के अंधे ही होतें हैं ' बाण ही आखिर कार महाभारत का कारन बना .आज दिग्विजय यही काम कर रहें हैं .छोटे बड़े का कोई लिहाज़ नहीं .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
नुश्खे सेहत के :
केले जल से भरपूर रहतें हैं संसिक्त हैं जल से पोटेशियम की कामयाबी से आपूर्ति करतें हैं जो शरीर में पानी की कमी होने पर बाहर निकल जाता है .
पाचन तंत्र की सफाई के लिए फूल गोभी को पानी में उबालकर उसका सत एक कप पीजिए .इससे पर्याप्त खाद्य रेशे मुहैया हो जातें हैं पाचन तंत्र की साफ़ सफाई के लिए .
Bananas have great water content and restores potassium that vanishes during dehydration.
A cup of boiled cauliflower delivers dietary fiber ,which helps clean your digestive system.
पेट (आमाशय ,स्टमक )के घावों ,स्टमक अल्सर्स में राहत के लिए एक ग्लास बंद गोभी का सत लीजिए .
पालक ऐसे एंटीओक्सिदेंट्स मुहैया करवाता है जो आँखों की सफ़ेद मोतिया से तथा उम्र दराज़ होने पर होने वाले आँखों के ऐसे रोग मेक्युलर दिजेंरेशन से बचाव कर सकता है जो अंधत्व की वजह बन जाता है .
A Glass of cabbage juice helps in healing stomach ulcers.
Spinach contains antioxidants which protect the eye from cataracts and age -related macular degeneration .
Macular degeneration : Age related macular degeneration (ARMD)is the most common cause of poor vision in the elderly .A Group of conditions affecting the macula lutea of the eye ,resulting in a reduction or loss of vision is reffered to as macular degeneration .

ललचाते क्षुधा वर्धक अपेताइज़र्स के विज्ञापन बढ़ा रहें हैं मोटापे की महामारी .

ललचाते क्षुधा वर्धक अपेताइज़र्स के विज्ञापन बढ़ा रहें हैं मोटापे की महामारी .
बरसों पहले आकाशवाणी रोहतक से प्रसारित एक विचार गोष्ठी का विषय था -विज्ञापन में नारी .विमर्श में एक वार्ताकार के रूप में मैं भी शामिल था .मेरे आलेख का पहला वाक्य था जैसे डाइनिंग टेबिल पर सजी हुई इन्द्रधनुषी सलाद खाने को ललचाती है वैसे ही विज्ञापन में नारी की छवि परोसी जाती है .आज बरसों बाद भी मुझे यही लगता है .खाने की प्रक्रिया खाने से पहले एंजाइम शुरू कर देतें हैं सजी हुई सलाद को देख कर .अब एक रिसर्च का स्वर भी कुछ कुछ ऐसा ही है .फर्क सिर्फ यह है अब क्षुधा वर्धक सिद्ध हो रहें हैं कथित स्टार्टर्स,एपेताईजार्स ,एपेताइज़िन्ग खाद्यों के लुभाऊ विज्ञापन .
Appetizing food ads to blame for obesity epidemic/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,P 17,JANUARY 23 ,2012 /TIMES TRENDS
हालाकि इस बाबत संदेह बहुतों को था लेकिन अब रिसर्च इसके पक्ष में खड़ी है साक्ष्य लेकर .मनभावन खाने के आकर्षक विज्ञापनों को देखके सच मुच मुंह में पानी भर आता है .सारी करामत रहती है इस नयनाभिराम दृश्य को देखकर बनने वाले एक किण्वक (हारमोन )Ghrelin की जिसका स्तर बढ़ जाता है इन विज्ञापनों को देखके .भूख पर नियंत्रण और क्षुधा का विनियमन यही हारमोन करता है .
इस शोध को अंजाम तक पहुंचाया है मेक्स प्लांक मनोरोग संस्थान की एक रिसर्च टीम ने.बस विज्ञापन देखने की देर है लोगों के पेट में चूहे कूदने लगतें हैं .भूख खुलके खेलने लगती है .अखबार डेली मेल ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है .असर इस विज्ञापनी मायाजाल का इतना सशक्त होता है की ब्रेकफास्ट के दो घटा बाद ही आप केक टूंगने को लालायित हो जातें हैं .आपको दोबारा भूख लग आती है .तस्वीर वास्तव में खुलके बोलती हैं इन विज्ञापनों में .आपने देखा होगा ईट्रीज़ भी रेस्तरा की दीवारों पर खाद्य सामिग्री ,छप्पन भोग थाल में सजाती है प्रदर्शित करती है . बस यही जादू सर चढ़के बोलने लगता है .
सामग्री की तस्वीरें दिखाने के बाद उनकी प्रतिक्रया दर्ज़ करने के बाद .इन ललचाऊ तस्वीरों को दिखाने के बाद इनके हारमोन स्तर जांचे मापे गएँ .तस्वीरें तमाम क्षुधा वर्धक खाद्यों की प्रदर्शित की गई थीं .पता चला Ghrelin harmon के स्तर बढ़ गएँ हैं इन तस्वीरों को देखने के बाद .
पतायह भी चला बाहरी कारक भी हमारे रक्त संचरण में घ्रेलिन के स्तर का विनियमन करतें हैं रेग्युलेट करतें हैं इन हामोनों के स्तरों को .
इसके बाद ही हमारा मस्तिष्क इन दृश्य उद्दीपनों का संशाधन करता है .अब वे तमाम भौतिक क्रियाएं जो हमारे भूख सम्बन्धी नजरिये को प्रभावित करती हैं स्वयम संपन्न हो जाती हैं हमारे अनजाने ही .हमारा उनपर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !

आज का नीतिपरक दोहा :-
सीख वाको दीजिये ,जाको सीख सुहाय ,
सीख न दीजे वानरा ,बैया का घर जाए .
यहाँ वानरा माने बन्दर और बैया, बया पक्षी के लिए आया है .अब बेचारे दिग्विजय गुरु तो अच्छे हैं लेकिन चेले को सीख देके उमाजी से भिड़ा दिया .'बाहरी ' का मुद्दा तो चेले ने चला दिया लेकिन बुआ के ज़वाब से चकरा गया .अपनी अम्मा का क्या करे जो इटली से चलके यहाँ चुनाव लडती है .चर्च द्वारा प्रतारोपित है भारत की राजनितिक काया पर .

सेहत के नुश्खे :

सेहत के नुश्खे :
विटामिन -ड़ी :शुरू से ही अपने नौनिहालों को धूप स्नान धूप में धमा चौकड़ी मचाने का मौक़ा दीजिए ,विटामिन -ड़ी युक्त खुराक दीजिए .अभिनव शोध बतलातें हैं आगे चलके ये बच्चे अवसाद से अपेक्षाकृत बचे रहतें हैं .
नीम्बू का शरबत ,शिकंज्बी ,नीम्बू का अर्क किसी भी रूप में पाचन में मदद करता है .ठंड के असर के अलावा पेट से सम्बन्धी रोगों ,सूजन ,संक्रमण तथा मूत्र सम्बन्धी अनेक बीमारियों में असरकारी साबित होता हैबवासीर या पाइल्स में भी यह लाभ कारी साबित होता है . .
Lemon juice is effective in digestion ,cold ,stomach diseases ,swelling ,urinary ailments and piles ..
रोजाना एक ग्लास ताज़े पके (कंधारी सुर्ख लाल )अनार का शरबत पिने से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कम रहता है .
सिस्टोलिक का मतलब हृदय का आकुंचन या कोंतरेक्शन होता है जिस दरमियान धमनियों में खून चढ़ता है .
Systole:systole is the contraction of the heart ,during which blood is pumped into the arteries .Systole is the period of the cardiac cycle during which the heart contracts .
Blood pressure is the pressure of blood against the walls of the main arteries .Pressure is highest (maximum ) during systole ,when the ventrcles are contracting (systolic pressure),and lowest during daistole,when the ventricles are relaxing and refilling(diastolic pressure).
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
am ram bhai

23 जनवरी 2012
सेहत के नुश्खे और बहुत कुछ .......
HEALTH TIPS:
Bitter gourd juice is effective in curing jaundice ,skin and urinary diseases.
PUMPKIN CONTAINS POTASSIUM ,WHICH HELPS IN THE SMOOTH FUNCTIONING OF CELLS AND MUSCLES.
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
WHY EXERCISE PROTECTS AGAINST TYPE 2 DIABETES AND OTHER DISORDERS?
But how exercise provides this protection has been a mystery so far.Now a new study suggests that exercise prompts cells to break down unwanted proteins and other cellular junk to produce more energy .
The process ,called autophagy ,may explain how exercise fends of metabolic disorders like diabetes and protects against other diseases.
AUTOPHAGY?
Self -consumption by a cell is called Autophagia and or autophagy.
Autophagy is like a ,"celluar garbage disposal",says researcher Beth Levine,who has been studying this process for more than a decade .
HOW AUTOPHAGY WORKS AT THE CELLULAR LEVEL ?
It is a two step process -first a double membrane is formed around the unwanted cargo inside the cell ,enveloping it .
This membrane then fuses with an specialised part of a cell called lysosome .This contains enzymes that rush in and breakdown the contents .The bits and pieces created by this process get recycled ,providing raw material for new structures or a burst of energy .
AUTOPHAGY KEEPS CELLS HEALTHY:
Autophagy gets rid of all of the obsolete and abnormal structures .It also helps cells survive lean times .Autophagy canabalise unwanted proteins and other junk,for nutrients .
It was known that starvation can trigger autophagy .The auothor of the study Levine suspected exercise ,because it increases cells'energy demands ,might have a similar effect .
TESTING THE HYPOTHESIS:
Levine used transgenic mice (mice is the pural of mouse )whose cells produce a glowing green protein whenever autophagy occurs.
The researchers then placed these mice on treadmills .After 30 minutes of running ,the rodents' muscle and heart cells were speckled with green dots ,evidence of increased autophagy .
"THAT WAS A BRAND NEW FINDING ," LEVINE SAYS.
IN A PAPER IN THE JOURNAL NATURE ,RESEARCGERS REPORT THAT EXERCISE ALSO INCREASE AUTOPHAGY IN THE LIVER AND PANCREAS ,ORGANS INVOLVED IN GLUCOSE METABOLISM.
THE PURPOSE OF AUTOPHAGY:
Now Levine and her team set out to determine what purpose the autophagy serves.They engineered mice that could undergo autophagy ,but due to a mutation in a gene called B-Cell lymphoma 2 ,lacked the ability to ramp up autophagy during exercise .The gene is known to inhibit cell death and plays a key role in regulating autophagy.
when ,these researchers placed these mutant mice on the tread mill ,they found that they could not run as long as normal mice .A closer look revealed that the mice were not metabolising sugar properly .When a normal mouse put on a treadmill ,its muscle cells kick into overdrive ,increasing their uptake of sugar .The findings suggest that increased autophagy may be the reason why exercise protects against type 2 diabetes and other disorders .
Reference material :-SCI -TECH/MUMBAI MIRROR ,JANURAY 20,2012,P23.

रविवार, 22 जनवरी 2012

सेहत के नुश्खे और बहुत कुछ .......

HEALTH TIPS:
Bitter gourd juice is effective in curing jaundice ,skin and urinary diseases.
PUMPKIN CONTAINS POTASSIUM ,WHICH HELPS IN THE SMOOTH FUNCTIONING OF CELLS AND MUSCLES.
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
WHY EXERCISE PROTECTS AGAINST TYPE 2 DIABETES AND OTHER DISORDERS?
But how exercise provides this protection has been a mystery so far.Now a new study suggests that exercise prompts cells to break down unwanted proteins and other cellular junk to produce more energy .
The process ,called autophagy ,may explain how exercise fends of metabolic disorders like diabetes and protects against other diseases.
AUTOPHAGY?
Self -consumption by a cell is called Autophagia and or autophagy.
Autophagy is like a ,"celluar garbage disposal",says researcher Beth Levine,who has been studying this process for more than a decade .
HOW AUTOPHAGY WORKS AT THE CELLULAR LEVEL ?
It is a two step process -first a double membrane is formed around the unwanted cargo inside the cell ,enveloping it .
This membrane then fuses with an specialised part of a cell called lysosome .This contains enzymes that rush in and breakdown the contents .The bits and pieces created by this process get recycled ,providing raw material for new structures or a burst of energy .
AUTOPHAGY KEEPS CELLS HEALTHY:
Autophagy gets rid of all of the obsolete and abnormal structures .It also helps cells survive lean times .Autophagy canabalise unwanted proteins and other junk,for nutrients .
It was known that starvation can trigger autophagy .The auothor of the study Levine suspected exercise ,because it increases cells'energy demands ,might have a similar effect .
TESTING THE HYPOTHESIS:
Levine used transgenic mice (mice is the pural of mouse )whose cells produce a glowing green protein whenever autophagy occurs.
The researchers then placed these mice on treadmills .After 30 minutes of running ,the rodents' muscle and heart cells were speckled with green dots ,evidence of increased autophagy .
"THAT WAS A BRAND NEW FINDING ," LEVINE SAYS.
IN A PAPER IN THE JOURNAL NATURE ,RESEARCGERS REPORT THAT EXERCISE ALSO INCREASE AUTOPHAGY IN THE LIVER AND PANCREAS ,ORGANS INVOLVED IN GLUCOSE METABOLISM.
THE PURPOSE OF AUTOPHAGY:
Now Levine and her team set out to determine what purpose the autophagy serves.They engineered mice that could undergo autophagy ,but due to a mutation in a gene called B-Cell lymphoma 2 ,lacked the ability to ramp up autophagy during exercise .The gene is known to inhibit cell death and plays a key role in regulating autophagy.
when ,these researchers placed these mutant mice on the tread mill ,they found that they could not run as long as normal mice .A closer look revealed that the mice were not metabolising sugar properly .When a normal mouse put on a treadmill ,its muscle cells kick into overdrive ,increasing their uptake of sugar .The findings suggest that increased autophagy may be the reason why exercise protects against type 2 diabetes and other disorders .
Reference material :-SCI -TECH/MUMBAI MIRROR ,JANURAY 20,2012,P23.

शनिवार, 21 जनवरी 2012

HEALTH TIPS

HEALTH TIPS :Garlic is good for cardiovascular health .Cardiovascular system means the heart together with two networks namely the systemic (related to body save lungs) circulation and the pulmonary circulation (pulmonary means related to lungs).The cardiovascular system effects the circulation of blood around the body ,which brings about transport of nutrients and oxygen to the tissues and the removal of waste products.
To get rid of warts and freckles ,rub a mixed of onion juice and vinegar on the affected areas .Wart is a small hard dry lump that sometimes grows on the face or body.(chehre par yaa shrir me kahin ho jaane vaalaa massaa ).Frecal tvachaa par chhotaa bhooraa daag yaa chakattaa hotaa hai .
HEALTH TIPS:
Neem juice is effective in diabetes ,skin diseases ,purifies blood and reduces heat and pimples .
CARROT JUICE :Carrot juice improves immunity power .Improves eye health ,controls oral and lung cancer.yaanee gaazar kaa sat shrir kee rog -prati -rodhak kshmtaa ko badhaataa hai hamaare netron ko durust rakhtaa hai tathaa mukh evm fefdon ke kainsar me mufeed rehtaa hai .
बच्चों के आत्म -सम्मान को ठेस पहुंचाती है ये टाइगर मम्मियां .
बच्चों के आत्म -सम्मान को ठेस पहुंचाती है ये टाइगर मम्मियां .
जो माँ बाप अपने बच्चों पर ज़रुरत से ज्यादा दवाब बनाए रहतें हैं कठोर अनुशाशन के तले उन्हें रोंदें रहतें हैं वह न सिर्फ उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं उन्हें गहरे अवसाद में भी ले आतें हैं .टाइगर मोम्स इस आत्माभिमान को रोंदने में बड़ा किरदार निभा रहीं हैं इसी मुगालतें में की कठोर अनुशाशन सुरक्षित भविष्य की गारंटी है .होता ठीक इसका उलटा है बच्चों में अवसाद का परिमाण और स्तर बढ़ जाता है .
एक ताज़ा तरीन अध्ययन का यही सन्देश है .
चीनी लेखिका Amy Chua अपनी मशहूर किताब 'Battle Hymn of the Tiger Mother 'में यह प्रस्तावना रखती हैं कि भले एशियाई बच्चों को ज्यादा दवाब के साए में पल्लवित करना उन्हें अकादमिक सफलता दिलवा देता हो मन बहलाव ,होबी में भी ये बच्चे अच्छा करतें हों .
लेकिन मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के ताज़ा अध्ययन यही संकेत देते हैं कि ये बच्चे अपने माँ बाप से भावात्मक रूप से निराश ही नहीं रहते बे -चैन और अवसाद ग्रस्त भी रहते हैं .औरों केअपने हमजोलियों के बनिस्पत कहीं ज्यादा .
आपको बतलादें प्रोफ़ेसर Desiree Quin मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से ताल्लुक रखतें है .आपने न्यूयोर्क के एलीट हाई स्कूल के चीनी -अमरीकी बच्चों का अध्ययन किया है .आपकी यह टिपण्णी गौर तलब है :कामयाबी और ख़ुशी में परसपर वैर भाव हो यह ज़रूरी तो नहीं है .लेकिन पश्चिम के बच्चे चीनी बच्चों से ज्यादा खुश हाल नहीं हैं.
लेकिन रिसर्च से यह साबित हुआ है कि जब माँ -बाप ज़रुरत से ज्यादा दवाब बच्चों पर अपनी अपेक्षाओं का बनातें हैं तब बच्चों से ख़ुशी जैसे छिन ही जाती है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'Tiger moms causing low self -esteem in children '/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 20,2012.

बच्चों के आत्म -सम्मान को ठेस पहुंचाती है ये टाइगर मम्मियां .

बच्चों के आत्म -सम्मान को ठेस पहुंचाती है ये टाइगर मम्मियां .
जो माँ बाप अपने बच्चों पर ज़रुरत से ज्यादा दवाब बनाए रहतें हैं कठोर अनुशाशन के तले उन्हें रोंदें रहतें हैं वह न सिर्फ उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं उन्हें गहरे अवसाद में भी ले आतें हैं .टाइगर मोम्स इस आत्माभिमान को रोंदने में बड़ा किरदार निभा रहीं हैं इसी मुगालतें में की कठोर अनुशाशन सुरक्षित भविष्य की गारंटी है .होता ठीक इसका उलटा है बच्चों में अवसाद का परिमाण और स्तर बढ़ जाता है .
एक ताज़ा तरीन अध्ययन का यही सन्देश है .
चीनी लेखिका Amy Chua अपनी मशहूर किताब 'Battle Hymn of the Tiger Mother 'में यह प्रस्तावना रखती हैं कि भले एशियाई बच्चों को ज्यादा दवाब के साए में पल्लवित करना उन्हें अकादमिक सफलता दिलवा देता हो मन बहलाव ,होबी में भी ये बच्चे अच्छा करतें हों .
लेकिन मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के ताज़ा अध्ययन यही संकेत देते हैं कि ये बच्चे अपने माँ बाप से भावात्मक रूप से निराश ही नहीं रहते बे -चैन और अवसाद ग्रस्त भी रहते हैं .औरों केअपने हमजोलियों के बनिस्पत कहीं ज्यादा .
आपको बतलादें प्रोफ़ेसर Desiree Quin मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से ताल्लुक रखतें है .आपने न्यूयोर्क के एलीट हाई स्कूल के चीनी -अमरीकी बच्चों का अध्ययन किया है .आपकी यह टिपण्णी गौर तलब है :कामयाबी और ख़ुशी में परसपर वैर भाव हो यह ज़रूरी तो नहीं है .लेकिन पश्चिम के बच्चे चीनी बच्चों से ज्यादा खुश हाल नहीं हैं.
लेकिन रिसर्च से यह साबित हुआ है कि जब माँ -बाप ज़रुरत से ज्यादा दवाब बच्चों पर अपनी अपेक्षाओं का बनातें हैं तब बच्चों से ख़ुशी जैसे छिन ही जाती है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'Tiger moms causing low self -esteem in children '/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 20,2012.

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

माँ शिशु रागात्मक सम्बन्ध दूर तलक जाता है .

माँ शिशु रागात्मक सम्बन्ध दूर तलक जाता है .भावी जीवन के संबंधों की दिशा तय करता है .जिन नौनिहालों को जीवन के इस शुरूआती चरण में (०-१८ माह की अवधि तक )माँ के स्पर्श की सात्विक आंच वात्सल्य की छाया मिलती है वे आगे चलके प्रणय व्यापार में भी कामयाब रहतें हैं .साथी के साथ सकारात्मक सम्बन्ध बनाए वे समस्याओं के हल ढूंढ लेतें हैं .जबकि माँ के अनुराग और तवज्जो से वंचित शिशु (०-२ साल )आगे चलके एक बचावी तर्क में अपने आप को फंसा हुआ पातें हैं .अपना बचाव ही करते रहतें हैं . माँ की बद मिजाजी और बद सुलूकी आगे की दिशा का निर्धारण गलत तरीके से करती है इनके भावी जीवन की .
आखिर जीवन कोशाओं का गुंफन गुडन- फल ही तो है .कोशा ही कोशा को जन्म देती है .माँ की कोशा में बंद होता है उसका अनुराग उसका प्राणिक शरीर .इसलिए केवल दैहिक ही नहीं मानसिक भी सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए जीवन के शुरूआती डेढ़ बरस में माँ की तवज्जो हर शिशु को मिले यह उसके भावी जीवन में संबंधों के निर्वाह और पल्लवन के लिए भी ज़रूरी है .सवाल है क्या ऐसा हो पाता है .कामकाजी महिलाओं के अनगिन तकाज़े ऐसा होने देते हैं ?.यह रिसर्च रिपोर्ट यह सब रुक कर सोचने विचारने का एक अवसर मुहैया करवाती है .
University of Minnesota के रिसर्चरों ने अपने एक अध्ययन में कम आय वर्ग वाली माताओं की ७५ संतानों का उनके तीस साला हो जाने तक जायजा लिया है .अपने खासुल ख़ास दोस्तों के साथ उनके रिश्तों और व्यवहार पर नजर रखी है .उनके रूमानी संबंधों और साथियों के साथ उनके रागात्मक व्यवहार की भी पड़ताल की है .मुसीबतों में विपरीत परिश्थितियों में वह अपने हमजोलियों के साथ मिलके कैसे समस्याओं को सुलझातें हैं . यह भी समझने की कोशिश इस अध्ययन के दरमियान की गई है .
विपरीत परिश्थितियों से बाहर आने का सामर्थ्य भी जांचा परखा गया .
बतौर शिशु के माँ के आलिगन की सुरक्षा /असुरक्षा ,आंच और वात्सल्य बीस बरस बाद किसी और के आलिंगन में ये तलाशते दिखे .बचपन की अनुभूतियों का संसार इनके साथ था .अच्छे बुरे तजुर्बे भी .
ज़ाहिर है आदमी सिर्फ कोशाओं का जमा जोड़ नहीं है .माँ का स्नेह उसके साथ स्नेह्बंधन दूर तलक जाता है जीवन के हर मोड़ पे काम आता है .
शिशु काल में माँ का आलिंगन चुम्बन स्नेह बंधन एक साँचा एक मोडल साबित होता है .जीवन का पहला रागात्मक अनुभव होता है जो शेष जीवन में विधाई भूमिका निभाता है .विश्वास और आश्था तर्क
शक्ति इसी दौर में बीज रूप विकसित हो जाती है .
शिशु काल में विकसते नन्ने दिमाग ,विकासशील बाल मष्तिष्क में तेज़ी से सीखने संजोने की क्षमता रहती है .सूचना का संग्रह करने की कूवत भी .
यदि माँ के साथ बचपन में शिशु का भावात्मक आबंध और स्नेह बंधन सशक्त रहा है तब भावी जीवन में भी संवेगात्मक विनियमन रागात्मक सम्बन्ध कामयाब रहतें हैं .रिश्ते संतोष देने वाले बनतें हैं .यही कहना है रिसर्चर जेफ्री सिम्पसन जो इस अधययन के अगुवा रहें हैं .
जीवन के प्रभात में पहले १२-१८ महीनों में अंतर -वैयक्तिक सम्बन्ध माँ के साथ कैसा रहा है वह आपके बीस साल बाद के व्यवहार की प्रागुक्ति कर सकता है भविष्य कथन बन सकता है यही कहना है आपका .आपके शब्दों में -"What happens to you as a baby affects the adult you become ".
शिशु का माँ के साथ रिश्ता स्नेह आबंध ही भावी जीवन की डोर बनता है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Newborn's bond with mom key to love life later .Kids More Attached To Mothers In First 18 Months Likely To Have Successful Relationship In Future/TIMES TRENDS /TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 18,2012,P19
RAM RAMM BHAI ! RAM RAM BHAI !
सेहत के नुश्खे :सेहत के मुफीद प्रो -बायोटिक्स का ,सेहत के लिए लाभदायक रहने वाले जीवाणुओं का अच्छा स्रोत है भिन्डी .यह तरकारी (भिन्डी जिसे अंग्रेजी में कहतें हैं OKRAS) VITAAMIN बी के संस्लेषण में मददगार रहती है .
Okras are a provider of good bacteria or probiotics ,which helps in the biosynthesis of vitamin B.
लौह तत्व की शरीर द्वारा ज़ज्बी (अवशोषण )में चुकंदर (Beetroot) मददगार सिद्ध होता है .ऑक्सीजन के वहन के लिए एक कोशा दर कोशा ऑक्सीजन पहुंचाने में लौह तत्व (आयरन )एहम भूमिका में रहता है .शाकाहारी खुराक से इसकी ज़ज्बी और भी मुश्किल सिद्ध होती है जिसमे अनाजों से प्राप्त ऐसे प्रोटीन हैं जो आयरन की शरीर द्वारा ज़ज्बी को दुष्कर बना देतें हैं .गुड चने भी आयरन का अच्छा स्रोत हैं .
Beet root aids in absorption of iron ,which is required to transport oxigen in the body.
खाने में लाल मिर्ची का योग मेटाबोलिज्म (अपचयन )की दर को बढा देता है .पाचन में मदगार रहता है .बाड़ी नाशक हैं लाल मिर्ची पाउडर .
Chillies increase the metabolism and help in the digestion of food .
पाचन के लिए अच्छा है अनानास :ताज़ा पका हुआ अनानास (पाइन -एपिल )Bromelain का एक अच्छा स्रोत है .bromelain एक ऐसा एंजाइम एक ऐसा किण्वक है जो पाचन में मदद करता है .अलावा इसके एक एंटी -इन्फ्लेमेत्री (anti-inflammatory) एजेंट की भूमिका निभाता है .
Fresh Pineapple is a good source of Bromelain ,an enzyme which helps in digestion ,and acts as an anti -inflammatory agent.Inflammation is swelling ,redness ,heat ,and pain produced in an area of the body as a reaction to injury or infection .AN AGENT OR DRUG SUCH AS ASPIRIN WHICH REDUCES INFLAMMATION IS CALLED AN ANTI -INFLAMMATRORY DRUG OR AGENT .
आज का नीतिपरक दोहा :-
मूरख को हित के वचन ,सुनी उपजत है कोप ,
सांपहि दूध पिलाइए ,वाके विष मुख ओप .
यहाँ ओप शब्द का एक अर्थ व्याप्ति है ,दूसरा चमक : सांप को जितना मर्जी दूध पिलाओ उसके मुख में विष की ही व्याप्ति रहती है विष ही चमकता है इसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति को अपनी हित की बात सुनके क्रोध आ जाता है .हित अहित का अज्ञान रहता है .

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

एंटीओक्सिडेंट -बहुल खाद्य बचाव करतें हैं मधुमेह और हृद -रोगों से .

एंटीओक्सिडेंट -बहुल खाद्य बचाव करतें हैं मधुमेह और हृद -रोगों से .
Antioxidant -rich foods prevent diabetes and heart disease/BODY & SOUL/Vegetables like broccoli are rich in flavonoids/BOMBAY TIMES ,THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,P12
जिन लोगों की खुराक में एंटीओक्सिदेंट्स का बाहुल्य रहता है उनके लिए न सिर्फ हृद रोगों का खतराएक दम से घट के कम रह जाता है खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा भी कमतर और मान्य स्तर पर बनी रहती है .मधुमेह भी नियंत्रित रहता है .ब्लड सुगर लेविल्स मान्य स्तर पर कायम रहतें हैं .
यह कमाल है flavonoids बहुल खाद्यों का है जो एक शक्तिशाली एंटीओक्सिडेंट है .
प्याज ,सेब तमाम किस्म की बेरीज (straberries,raspberries,cannberries,)कुल मिलाकर बेर जैसे रसीले फल जामुन ,फालसा ,चेरी (cherries),kale (kail ,a veriety of cabbage,a hardy heartless variety of cabbage with dark green curly leaves,scotland cabbage ,cabbage of any kind )बंद गोभी, गांठ गोभी (kohlrabi is a swollen turnip shaped stem of a cabbage plant eaten as a vegetable ) flavonoids का खासा सांद्रण ,उच्च स्तर लिए रहतें हैं .
अलावा इसके चाय ,बेरीज ,चोकलेट्स ,वाइन (रेड वाइन ,पोर्ट वाइन ) इसके अच्छे स्रोत हैं .
दरअसल एंटी -ओक्सिडेंट हमारे शरीर में बनने वाले जमा होने वाले उन अणुओं से मुकाबला करतें हैं जो कोशाओं के डेमेज की ,टूट फूट की वजह बनतें हैं आखिरकार ऊतकों को भी इन अणुओं की नुकसानी उठानी पड़ती है .स्वस्थ कोशाओं को नष्ट करतें हैं ये मोलिक्युल्स .(फ्री -रेडिकल्स ).
एंटी -ओक्सिदेंट्स इनसे बचाए रहतें हैं इनका सफाया कर देतें हैं .
एक एक वर्षीय अध्ययन से पता चला है फ़्लवोनोइद्स बहुल खुराक सेकेंडरी डायबितीज़ से ग्रस्त महिलाओं के लिए हृद रोग का ख़तरा कम कर देती है .यह ट्रायल University of East Anglia के साइंसदानों ने संपन्न किया है .
पता चला है कि खुराक में नियमित फ़्लवोनोइद्स को शामिल करके आप अपने ब्लड सुगर लेवेल्स पर बेहतर नियंत्रण में रख सकतें हैं . मधुमेह का कुशल प्रबंधन कर सकतें हैं .
अध्ययन में ५१-७४ साला उन ९३ महिलाओं की पड़ताल की गई जो रजोनिवृत्त हो चुकी थीं ,मिनोपोज़ल थीं ,तथा सेकेंडरी डायबितीज़ से ग्रस्त थीं .
इनमे से आधी महिलाओं को रोजाना फ्लावोनोइड बहुल दो छोटी छोटी चोकलेट बार्स दी गईं शेष को उसी अवधि में प्लेसिबो चोकलेट बार्सदी गईं जिनमे फ़्लवोनोइद्स नहीं थे .पहले वर्ग की महिलाओं के लिए हार्ट अटेक का ख़तरा ३.४ % कम पाया गया .इंसुलिन रेजिस्टेंस तथा खून में कोलेस्ट्रोल का स्तर भी कम हुआ .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
लम्बी उम्र के लिए खबरों की खबर रखिये .
'Stay in touch with news & you are sure to live longer /TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI /JANUARY 16 ,2012/P17
एक नवीनतर शोध से इल्म हुआ है कि जो लोग टी वी अखबार या इंटरनेट के मार्फ़त देश -विदेश की नवीनतम जानकारी रखतें हैं ख़बरों की खबर हर स्रोत से लेते रहतें हैं वह ज्यादा स्वास्थ्य सचेत पाए जातें हैं .उनकी खुराक भी हेल्दी के तहत आती है .
सेक्रेड हार्ट, रोम की केथोलिक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने संपन्न किया है यह अध्ययन जिसके अनुसार दीर्घजीवी होने का कारगर नुश्खा है ख़बरों की खबर रखना .
अखबार डेली मेल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक़ इस अध्ययन में शामिल कुल १००० लोगों का जायजा लेने पर पता चला जिन्हें दुनिया भर की चौतरफा जानकारी खबरों की मार्फ़त मिल रही थी उनकी खुराक कम जानकारी रखने वालों की बनिस्पत कहीं ज्यादा स्वास्थ्य कर थी .इनकी खुराक में ताज़े फल और फ्रेश फिश ज्यादा पाई गई .नतीज़न इनमे मोटापे ,दिल की बीमारियों और कैंसर का जोखिम भी कमतर दिखा .
मुख्यतय :भूमध्य सागर और उसके निकट -वर्ती देशों में रहने वाले लोगों की खुराक 'THE MEDITERRANEAN DIET ' और इनके खाने पीने की आदतों का जायजा लिया गया .पता चला जो जितना ज्यादा जानकारी से लैस था वह उतना ही ज्यादा इस खुराक के करीब था .
दिमागी कोशाओं के अप विकास से ताल्लुक रखने वाली न्यूरो -डी -जेंरेटिव-डीज़ीज़ तथा अन्य लाइलाज बीमारियों का ख़तरा ज्यादा से ज्यादा यह खुराक लेने वालों के लिए एक दम से घटा रहता है .
पूर्व के अध्ययनों ने संचार माध्यम के सेहत पर पड़ने वाले निगेटिव रोल को ही एहम बतलाया था .यह अध्ययन उनसे एक दम से हटके है जिसमे खबरों के प्रति खबरदारी को दीर्घ जीवन की कुंजी बतलाया गया है .

बुधवार, 18 जनवरी 2012

आखिर नेट लती होने का मतलब क्या है ?

आखिर नेट लती होने का मतलब क्या है ?
Net addicts 'brains like cocaine users .Most are gamers who get so involved they go without food and water for extended periods/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,JANUARY 15,2012 P19.
पहली मर्तबा इंटरनेट की लत का सम्बन्ध दिमाग में दर्ज़ होने वाले उन बदलावों से जोड़ा गया है जो उन लोगों के दिमाग में दर्ज़ किए गए हैं जिन्हें शराब ,कोकेन और केनाबिस जैसे नशीले पदार्थों की लत पड़ चुकी होती है .
रिसर्चरों ने अपने एक हालिया अध्ययन में एम् आर आई स्केनर्स से उन किशोर किशोरियों के दिमाग का अवलोकन अध्ययन किया है जिन्हें इंटरनेट की लत इस कद्र पड़ जाती है कि उनकी सामाजिक और व्यक्तिगत ज़िन्दगी भी इससे असर ग्रस्त होने लगती है .अध्ययन से इनके व्यवहार से जुडी अन्य समस्याओं पर भी रोशनी पड़ सकती है .इलाज़ की एक नै दिशा भी यहीं से हाथ लग सकती है .
समझा जाता है ५-१० फीसद नेट यूज़र्स को इसकी लत पड़ जाती है .जिसका सीधे साधे शब्दों में अर्थ यह है कि वह इसके स्तेमाल को चाहें तो भी रोक नहीं पातें हैं .ऐसे में इन्हें न खाने का होश रहता है न पीने का .घंटों ये इंटरनेट गेम्स में उलझे रहते हैं .जिससे इनकी शिक्षा इनका व्यवसाय सामाजिक सम्बन्ध सभी असर ग्रस्त होतें हैं .इनमे ज्यादातर गेम्स प्लेयर्स ही होतें हैं .
माहिरों के अनुसार ऐसे में ये ज़िन्दगी के ज़रूरी तकाज़े अपनी यूनिवर्सिटी एज्युकेशन भी पूरी नहीं कर पातें हैं .इनके वैवाहिक सम्बन्ध इसलिए टूट जातें हैं क्योंकि ये गेम्स के अलावा और किसी चीज़ से कनेक्ट नहीं कर पाते खुद को .गेम्स गेम्स और बस गेम्स .यही कहना है Henrietta Bowden Jones का .आप इम्पीरियल कोलिज में सलाहकार मनोविज्ञानी हैं .आप ब्रिटेन भर की अकेली क्लिनिक NHS चलातें हैं .
यह पूरी तरह इंटरनेट एडिक्ट्स को समर्पित क्लिनिक है .
बेशक आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज ऑन लाइन काफी समय बिताता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है ये तमाम लोग नेट लती हैं .ये एक दम अलग मुद्दा है .यह तो आज धंधा धौरी कामकाज से जुडी ज़रूरी रवायत है .आज कितने ही व्यावसायिक सामाजिक तकाजों के लिए नेट से जुड़ना पड़ता है .लेकिन यह सब एक ओबसेशन के तहत नहीं होता है और न ही होना चाहिए .
लेकिन अगर कोई आप से आकर यह कहे मैं कल रात सो न सका .१४ घंटा तक गेम्स ही खेलता रहा .परसों भी मेरे साथ ऐसा ही हुआ था .अब ऐसे में ये चाह कर भी इस लत से जब हट न सकें अपना पिंड न छुडा सकें गेम्स से तब यह एडिक्शन है .इंटर नेट लत है .
चीन में रिसर्चरों ने ऐसे ही १७ इनर- नेट लतियों के दिमाग के स्केन लिएँ हैं .ये तमाम किशोर अवस्था के लोग थे इन्हें बाकायदा इंटर नेट एडिक्शन डायग्नोज़ किया गया है रोग निदान के बाद .इसे इंटर नेट एडिक्शन डिसऑर्डर कहा गया है .इनके स्केन का मिलान इनके १६ अन्य हमजोलियों से किया गया .इन्हें शंघाई मेंटल हेल्थ सेंटर देख रेख के लिए भेजा गया है .
पता चला इनके दिमाग में White matter fibres की विशेष क्षति हुई है .ये दिमाग के उन हिस्से में हुई है जिनका सम्बन्ध संवेगों के संशाधन ,ध्यान एक जगह टिकाने संकेंद्रित करने ,लगाने से रहता है .फैसले लेने और बोध सम्बन्धी या संज्ञानात्मक नियंत्रण के कामों से ,रहता है .
ठीक ऐसे ही बदलाव वाईट मेटर में उन लोगों के दर्ज़ किए गएँ हैं जिन्हें एल्कोहल और कोकेन जैसे मादक पदार्थों की लत पड़ जाती है .अखबार THE INDEPENDENT ने इस पूरी रिपोर्ट को प्रकाशित किया है .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS :
ज्यादा पी ली हो तो रात के नशे पत्ते के बाद के हेंगओवर से निजात के लिए नाश्ते में बेकन सैनविचिज़ (सूअर की पीठ या बगल के भुने हुए नमक लगे गोश्त से तैयार किया गया सैन -विच )लें .एक तरफ बेकन प्रोटीन ज़रूरी अमीनो अम्लों में टूट जाएगी दूसरी तरफ ब्रेड आपको कार्बोहाईड्रेट्स मुहैया करवाएगी .शाकाहारी लोगों को शहद लगे सैन -विच और गर्म दूध से काम चलाना चाहिए .कार्बोहाईड्रेट बहुल खुराक हेंगओवर में राहत दिलवाती है .
A bacon sandwich cures hangovers .The bread has the carbohydrates you need and the bacon's protein breaks down into amino acids.
Posted 18th January by veerubhai


लम्बी उम्र के लिए खबरों की खबर रखिये .
लम्बी उम्र के लिए खबरों की खबर रखिये .

'Stay in touch with news & you are sure to live longer /TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI /JANUARY 16 ,2012/P17

एक नवीनतर शोध से इल्म हुआ है कि जो लोग टी वी अखबार या इंटरनेट के मार्फ़त देश -विदेश की नवीनतम जानकारी रखतें हैं ख़बरों की खबर हर स्रोत से लेते रहतें हैं वह ज्यादा स्वास्थ्य सचेत पाए जातें हैं .उनकी खुराक भी हेल्दी के तहत आती है .

सेक्रेड हार्ट, रोम की केथोलिक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने संपन्न किया है यह अध्ययन जिसके अनुसार दीर्घजीवी होने का कारगर नुश्खा है ख़बरों की खबर रखना .

रविवार, 15 जनवरी 2012

क्या है फिमेल सेक्स्युअल अराउज़ल डिस -ऑर्डर ?

क्या है फिमेल सेक्स्युअल अराउज़ल डिस -ऑर्डर ?
Frigid jones's diary
There is a scinetific explanation for the alleged 'headache ' women use with their 'honey '.Female Sexual Arousal Disorder '(FADS) Commonly plagues sex lives and is just as easily resolved .Here is how?/YOU/HEALTH TIPS /MUMBAI MIRROR /JANUARY 13 ,2012 ,P27.
कई महिलाओं को निन्दात्मक रूप में अनादर पूर्वक एक तमगा दे दिया जाता है फ्रिजिड होने का .क्या है महिलाओं में वह यौन उत्तेजन सम्बन्धी विकार 'Female sexual Arousal Disorder '(FSAD) जिसके लिए कहीं न कहीं किन्ही न कंही अंशों में पुरुष भी जिम्मेवार रहता है .
बेशक यह बहु -आयामीय समस्या कितनी ही महलाओं में व्याप्त है लेकिन इसका बाकायदा आसान समाधान भी है .
बकौल डॉ राजन भोंसले इस समस्या के कई चरण और आयाम या स्तर मौजूद रहतें हैं -
(१)सेक्स के बारे में गलत जानकारी होना इसका एक पक्ष है .मानसिक स्तर तक सीमित है यह पहलू .
(२) दूसरा एक किस्म का यौन फोबिया है जो पुरुष के प्रवेश लेने से जुड़ा है (फोबिया ऑफ़ पेनीट्रेशन )जो इस धारणा और सुनी सुनाई से जुदा है कि मैथुन एक पीडादायक अनुभव है ,सहवास के दौरान रक्त स्राव होता है .यही ख्याल पस्त और हताश बे -चैन कर देता है महिला को .
(३) vaginismus: vaginismus is a painful spasm of the muscles surrounding the vagina ,usually in response to the vulva or vagina being touched .Sexual intercourse may be impossible ,and the condition may be associated with fear of or aversion to coitus .
It is a painful and often prolonged contraction -where there is optimum desire and arousal but just as penetration is about to happen ,there is an involuntary spasm which interferes with intercourse.

डॉ राजन भोंसले यौन चिकित्सा के माहिरहैं .आप Department of Sexual Medicine,के. ई .एम्. अस्पताल ,मुंबई में विभागाध्यक्ष हैं .आप जी एस मेडिकल कोलिज से भी सम्बद्ध हैं .बकौल आपके ज्यादातर समस्याओं के मूल में एक तरफ गलत सूचना का महिला के पास होना दूसरी तरफ जीवन साथी का एक तरफ़ा उतावला पन रहता है .धैर्य का अभाव रहता है साथी में .
कई मर्तबा अतीत की छवियाँ भी तंग करतीं हैं जैसे बेटी द्वारा माँ का यौन शोषण पिता द्वारा उसके बालपन में , कमउम्र में देखा जाना .
हारमोन असंतुलन भी इस यौन व्यवहार विकार की वजह बनता है .
माहिरों के अनुसार मर्द का अनाड़ीपन भी आड़े आता है .मनोविज्ञानी एवं यौन सलाहकार डॉ संजय मुखर्जी कहतें हैं अरेंज्ड मेरिज़िज़ में भी यह समस्या देखने में आई है .औरतों को उनके मर्द का अनाड़ीपन रास नहीं आता .जहां मर्द बस सुरक्षा कवच धारण करके बस कुरुक्षेत्र के मैदान में कूदना ही जानता है . मैथुन पूर्व चुम्बन आलिंगन मान मनोवल क्या होती है उसे नहीं मालूम रहता है .
अकसर मैथुन पूर्व प्रेमालाप इस समस्या की जड़ में रहता है . इसी गफलत में कई मर्तबा साल दो निकल जातें हैं और गाडी प्लेटफोर्म पर ही खड़ी रहती है .प्रेम मिलन समागम हो ही नहीं पाता .ऐसा भी होता है माहिरों के अनुसार जहां महिला को फोरप्ले तो भाता है लेकिन पुरुष के दाखिल होने से ठीक पहले एन वक्त पर वह ठिठक कर अलग हो जाती है .इन मामलों में बचपन में महिला का यौन शोषण होना भी वजह बनता है .
लेकिन इन मामलों में यौन सलाह मशविरा एवं सम्मोहन चिकित्सा बड़ी कारगर सिद्ध होती है .ऐसे में पुरुष -परमेश्वर का सहयोग विधाई भूमिका निभाता है .
लेकिन सारे मर्द ऐसे होते नहीं हैं .
समस्या का एक और भी पहलू है जहां महिला पहल करती है समस्या को सुधारने की लेकिन मर्द राजी नहीं होता .उसे बस यंत्रवत अपने एक तरफ़ा 'काम' से मतलब है .ऐसे में रेस्पोंस कहाँ से मिले ?
कोई चाहकर भी इन मामलों में कुछ नहीं कर सकता .एक को तो पहल करनी ही होगी .समझना होगा प्रेमालिंगन फॉर -प्ले मैथुन पूर्व का ज़रूरी कार्य व्यापार है ,रोमांचक यौन -उत्तेजक अंग है ,जान है प्रेम मिलन की .
ज़रुरत है मर्दों को सलाह मशविरे की .औरतों की शरमो- हया उन्हें मार रही है .मर्द को पोस्ट प्ले क्या फॉर प्ले भी नहीं मालूम .एक ढूंढों हजार मिल जायेंगे ऐसे अनाड़ीऔर स्वार्थी .
बेशक आज ऑन लाइन भी बहुत कुछ उपलब्ध है तो भी ज़रूरी जानकारी के अभाव में कितने ही अँधेरे में एक तरफ तीर चला रहें हैं .लक्ष्य तक महिला को नहीं ले जा पारहें हैं . यौन शिखर तो उनके लिए अज्ञेय है अबूझ ही है .
खुद के साथ संवाद कीजिए-अपने शरीर के मिजाज़ और सेक्स्स्युँलिती के साथ साथ अपने साथी की ज़रूरीयात भी जानिए .बात कीजिए .टूटी हुई कड़ियाँ जोडिये .ये वो धागा है यौन -प्रीत का जो जोड़े से सहज ही जुड़ जाता है ,गांठ नहीं पड़ती .
सकारात्मक पहल के साथ FSAD का बा -कायदा इलाज़ है .वर्जना का क्षेत्र न बनाएं इसे,संवाद की सिटकनी को खोलें .बाकी रास्ते आपसे आप खुल जायेंगें .
बातचीत सलाह मशविरा एवं हारमोन संतुलन दोनों स्तर पर समाधान मयस्सर है .ज़रुरत पहल की है .महसूस करवाइए अपने साथी को आप उसे चाहतें हैं .उसे सराह्तें हैं .रोमांच और पुलक प्रेम मिलन सहवास का ज़रूरी हिस्सा है बाकी सब मशीनी है .ज़रुरत मानसिक अव -रोधों को गिराने ध्वस्त करने की है . संकोच और अज्ञान के दायरे से बाहर आइये .जीवन को आनंदमय ऊर्जावान बनाइये .यौन ऊर्जा जगाइए .बस चार से लेकर छ :सत्र चाहिए सेक्स्युअल क्लिनिक में .
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
(1)रक्त संचरण को सुधारने एवं मेटाबोलिज्म (अपचयन ,शरीर द्वारा ऊर्जा खर्च करने की दर ) को बढाने के लिए नियमित नारियल पानी लीजिए .
Drink coconut water regularly to improve your circulation and increase metabolism.Metabolism is the sum of all the chemical and physical changes that takes place within the body and enable its continued growth and functioning .Metabolism involves the breakdown of complex organic constituents of the body with the liberation of energy ,which is required for other processes and the building up of complex substances which form the material of the tissues and organs from simple ones.
THE SERIES OF PROCESSES BY WHICH FOOD IS CONVERTED TO THE ENERGY AND PRODUCTS NEEDED TO SUSTAIN LIFE IS ALSO CALLED METABOLISM.
डकार और अफारा से राहत के लिए चाय की पत्ती के स्थान पर जीरे की चाय बनाकर पीजिए .
A cup of tea made from cumin seeds helps reduce flatulence .
Flatulence:It is an uncontrollable feeling caused by having too much gas in the stomach.and intestines.It is a sensation of abdominal distension .
आज का नीति परक दोहा -
तुलसी हाय गरीब की कभी न खाली जाय ,
बिना जीव के सांस से लौह भस्म हो जाए .
आपने देखा होगा लुहार की धौंकनी खाल की बनी होती है इसमें से सांस फूंकता है वह तो लोहा भी गर्म होके गल जाता है .ऐसे ही गरीब की हाय कभी खाली नहीं जाती अर्थात गरीब को सताना आगे चलके गुल खिलाता है भुगतना पड़ता है गरीब की बद्दुआ लगती है .दुआ लो उसकी बद्दुआ नहीं .३२ रुपया जीवन निर्वाह के लिए बतलाने वालों को इस मर्म को समझना चाहिए .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
कौन है यह राष्ट्रीय बंदर ?
गांधीजी के पास तीन बन्दर थे सीख - देते बुरा मत देखो ,बुरा मत बोलो ,बुरा मत सुनो .हमारे पास इन दिनों एक ऐसा राष्ट्रीय बन्दर है जो एक साथ यह तीनों काम करता है .बुरा देखता है ,बुरा सुनता है बुरा बोलता है .आप अपनी अपनी समझ के मुताबिक़ कयास लगाएं और चुनाव पूर्व की इस वेला में उस बन्दर का नाम बतलाएं .

शनिवार, 14 जनवरी 2012

मोटापा और मधुमेह दोनों की खबर लेता है 'एक्सरसाइज़ हारमोन 'PGC1-alpha.

मोटापा और मधुमेह दोनों की खबर लेता है 'एक्सरसाइज़ हारमोन 'PGC1-alpha.
'Exercise 'harmone may help fight obesity ,daibetes./TIMES OF INDIA.MUMBAI ,P19.
Dana -Farber Cancer Institute एवं हारवर्ड मेडिकल स्कूल के रिसर्चरों का यह अध्ययन विज्ञान साप्ताहिक पत्रिका नेचर में छपा है .जिसमे बतलाया गया है की कसरत का असर हमारे शरीर पर कोशाओं के स्तर पर पड़ता है .चूहों के साथ साथ इस एवज मानवीय पेशीय कोशाओं (human muscle cells)का अध्ययन किया गया .समझा जाता है की पेशीय कोशायें शरीर में चलने वाली जैविक क्रियाओं कोपेशियों से हटकर अन्यत्र भी प्रभावित करतीं हैं .
शरीर में जमा चर्बी के साथ भी पेशीय कोशायें संवाद कायम करतीं हैं .यह सम्प्रेषण और विमर्श जैव -रासायनिक तल पर चलता है .लेकिन पेशीय कोशायें बॉडी फेट से कहतीं क्या है क्या बतियातीं हैं और कसरत का नियमित वर्क आउट का व्यायाम का इसे कायम किए रहने में क्या रोल है यह आदिनांक रहस्य मूलक ही बना रहा आया है .
यह पहली मर्तबा है जब साइंसदानों ने एक ख़ास पदार्थ PGC1-alpha के प्रकार्य की पड़ताल की है जो कसरत के दरमियान और बाद कसरत के पेशियों में व्यापक स्तर पर बनता है .यही कुंजी है फेट को उड़ाने की .मधुमेह और मोटापे से बचाव की .
आज का नीतिपरक दोहा -
जो बदें को लघु कहे ,नहीं रहीम घट जाय .,
गिरधर मुरलीधर कहे ,कछु दुःख मानत नाय .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
चमड़ी पर चोट के निशाँ और दाग धब्बों से छुटकारा :सुखाये गए संतरे के छिलकों का एक गाढा पेस्ट दही के साथ बनाइए .इसे दाग धब्बों और चोट के निशानों पर नियमित लगाइए .दाग धब्बे धीरे धीरे दब जायेंगें .
A paste of dried orange peels with curd helps reduce the appearance of blemishes and scars.

खून में घुली चर्बी कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए :कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए रोजाना प्याज का अर्क और कच्ची प्याज का सेवन सलाद के बतौर करें .इससे खून साफ़ भी होता है .पाचन में सुधरता है अनिद्रा रोग में भी राहत मिलती है .

Drinking onion juice or eating raw onion every day helps lower blood cholesterol levels ,cleanses the blood ,improves digestion ,relieves insomnia .
अपच और Bowel Regulator के बतौर लीजिए आयुर्वेद का आजमाया हुआ नुश्खा -SOFTOVAC जिसके हरेक चाय चम्मच लगभग पाच ग्राम में मौजूद है -
ईसपगोल (Plantago ovata husk) की भूसी २ ग्राम ,सोनामुखी (Senna)0.75 ग्राम ,हरड(Terminalia chebule )आधा ग्राम,अमलतास (Cassia fistula)आधा ग्राम ,मुलेठी (Liquorice) 0.25 ग्राम ,
गुलाब दल (Rose petals )चौथाई ग्राम ,सौंफ(Badi saunf)(Fennel Seeds) चौथाई ग्राम ,सौंफ तेल(FENNEL OIL).०५ ग्राम ,शर्करा (SUGAR),qs,
परि -रक्षक के बतौर इसमें मौजूद है -सोडियम बेन्जोएट .
वयस्क इसका एक से दो चम्मच गुनगुने या फिर ताज़े पानी में घोल के रात को सोते वक्त या शाम उस वक्त जब पेट अपेक्षाकृत खाली हो शाम की चाय से पहले ले सकतें हैं .बच्चों के लिए आधे से लेकर एक चम्मच कॉफ़ी है .कोई पार्श्व प्रभाव नहीं हैं इसके .
softovac is a bowel regulator made of ingredient from natural sources which are safe and non -habit forming .
सन्दर्भ -सामिग्री :वृहद् निघंटु रत्नाकर एवं द्रव्य गुण विज्ञानं पार्ट २ .
LUPIN LTD BNAA RAHI HAI यह नुश्खा .

कड़े छिलके वाले मेवों में सुपर - मेवा है अखरोट .

कड़े छिलके वाले मेवों में सुपर - मेवा है अखरोट .
Walnut tops health chart ,can help lower cholesterol :Study/THE TIMES OF INDIA/JANUARY 13,2012,P17
मेवों का मेवा ,मेवों का राजा कहिएगा अखरोट को जिसमे पोलिफिनोल का डेरा है .यही वह जादुई रसायन है जो ऊतकों की उन खतरनाक अणुओं से फिफाज़त करता है जो आखिरकार कोशाओं के डेमेज की वजह बनतें हैं .साइंसदानों के मुताबिक़ आप एक दिन में एक साथ या थोड़ा थोड़ा करके सात अखरोट मज़े से खा सकतें हैं .कड़े छिलके वाले मेवों में आम तौर पर बादाम ,पहाड़ी बादाम (हेज़ल नट),पिस्ता ,ब्राज़ील नट ,काजू, पीकंस ,गरीबों का मेवा मूंगफली ,मकदमिअस(macadamias) आदि खाए जातें हैं .
साइंसदानों ने पता लगाया है इन सबमे से सबसे ज्यादा एंटी -ओक्सिडेंट पोलिफिनोल अखरोट में पाया जाता है (इसीलिए भारत में अब यह बादाम से खासा महंगा बिक रहा है ,बाहर जाता है हमारा अखरोट ,केलिफोर्नियाई बादाम बाहर से आता है).
वंशानुक्रम में इसके बाद जहां तक पोलिफिनोल की मात्रा का सवाल है तब नंबर आता है ब्राज़ील नट्स का ,पिश्ता (pistachios) का ,बाद इनके काजू (cashews) और hazelnuts का .
पेंसिलवानिया राज्य के Scranton विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने मेवोव के इस समूह का अध्ययन करके उक्त नतीजे निकालें हैं .
एक बार फिर बतलादें -
"Walnuts rank above Brazil nuts ,pistachios ,pecans,peatnuts ,almonds ,macadamias,cashews and hazelnuts,"अध्ययन के अगुवा रहें हैं जोए विंसों (Joe Vinson).
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
भीड़ भाड़ भरी दूध गंगा में १६० अरब ग्रह हैं

भीड़ भाड़ भरी दूध गंगा में १६० अरब ग्रह हैं :पेरिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स के एक छ :साला अध्ययन के मुताबिक़ हमारे सौर मंडल के बाहर और भी ग्रह हैं .सौर मंडल के बाहर हमारी मिल्की वे गेलेक्सी में ग्रहों का होना एक नियम है अपवाद नहीं हैं .ज्यादातर ग्रह छोटे कम द्रव्यमान लिए हैं लघु कलेवर और चट्टानी हैं .हमारी दूधगंगा में कोई सौ अरब सितारे हैं जिनमे से औसतन हरेक की परिक्रमा करते १.६ ग्रह भी हैं .आप चाहें तो इन्हें अन्य तारकीय ग्रह या परदेशी या फिर पार -सौर -मंडलीय ग्रह भी कह सकतें हैं .कोई भी तारा निपूता निस्संतान नहीं हैं .ज़ाहिर हैं इनके नाती -पोते भी होंगें .बहरसूरत हम अपनी विवेचना इनके न्यूक्लियर परिवार तक ही सीमित रखेंगे .
यह एक सांख्यकीय अध्ययन है जिसके ऑथर हैं -पेरिस इंस्टिट्यूट के ही अरनोद कास्सन (Arnaud Cassan ).आइन्दा जब आप अपनी निहारिका मिल्की -वे को निहारें तब सितारों के संग संग उनके ग्रह परिवार सौर परिवारों को भी तसव्वुर में लाएं .भले ये आज आपके दृश्य जगत से ओझल हों .इनकी तादाद १६० अरब है .
हमारे सौर मंडल के बाहर ७००ग्रहों की तो बाकायदा शिनाख्त भी हो चुकी है .२३०० ग्रहों का अन्वेषण अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था नासा कर चुकी है .भले इनकी औपचारिक पुष्टि होना बकाया है .
केप्लर अन्तरिक्ष दूरबीन को भी इसी का इंतज़ार है .
खगोल विज्ञान के माहिरों की टोली ने जिन ४० घटनाओं का विश्लेषण किया है .उनमे से तीन मामलों में ही देखे गए ग्रहों में अनचाहें गुण पता चलें हैं .इनमे से एक ग्रह अपने बृहस्पति से भी बड़ा (गुरुतर )प्रतीत होता है . एक की तुलना सूर्य से आठवें ग्रह वरुण (नेपत्युन) से की जा सकती है तथा तीसरे को सही अर्थों में तथा -कथित सुपर -अर्थ कहा जा सकता है .इसका द्रव्यमान पृथ्वी से पांच गुना ज्यादा है .शेष घटनाओं में अन्यदेशीय ग्रह लघु और चट्टानी बनावट लिए ही हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Crowded :Our galaxy has 1.6 billion planets(Each of 100 Bn Stars Hosts At Least 1.6 Planets In Milky Way)/THE TIMES OF INDIA /TIMES TRENDS/JANUARY 13,2012 P17.
ram ram bhai ! ram ram bhai !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
FOR RELIEF IN SORE THROAT OR THROAT INFECTIONS:गले की दुखन ओर स्वश्नी क्षेत्र के संक्रमण से राहत के लिए TEA TREE (ऑस्ट्रेलिया ओर न्यूज़ीलैंड में पाए जाने वाला एक छोटा सा पेड़ जिसकी पत्तियों से तेल तैयार किया जाता है )आयल की चंद बूँदें एक ग्लास पानी में मिलाकर बीस मिनिट के अन्दर अन्दर तीन मर्तबा गरारे (गार्गिल ) करें आराम आयेगा .
Add 8-10 drops of tea tree oil to a glass of water and gargle 2-3 times within 20 minutes to reieve sore throat or throat infections.
चमड़ी की शुष्कता को कम करने के लिए कुदरती मोइस्चराइज़र के बतौर पका हुआ केला आधा काट के उसका पेस्ट तैयार कीजिए शहद मिलाकर .इसे मलियेगा चेहरे पर धीरे धीरे जब तक त्वचा शुष्क न हो जाए .थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धौ डालिए चेहरे को .
और अब आज का नीतिपरक दोहा -
निंदक नियरे राखिये ,आँगन कुटी छवाय ,
बिन साबुन पानी बिना ,निर्मल करे सुभाय .
दिक्कत यह है आज निंदक नहीं चिरकुट पाले जातें हैं राजनीति में .अपना मंद बुद्ध बालक ऐसे ही चिरकुटों से घिरा है .तमाम गुण प्रधान मंत्री के इस मंद मति में आरोपित कर दिए हैं कोंग्रेस के कथित चाणक्य दिग्विजय ने जो लगातार कोंग्रेस की लुटिया डुबो रहा है .तो साहब बिन साबुन पानी के राजनीति का कायाकल्प आज के चिरकुट कर रहें हैं .संतों की सीख ठीक इसके विपरीत थी .वह तो कहते थे अपने समालोचकों को जो आपके गुण दोष बतलाएं सम्मान पूर्वक पनाह दीजिए .बिन पानी साबुन के काया भी निर्मल मन भी .मन भी सुन्दर तन भी सुन्दर .गुणों में श्री वृद्धि अवगुणों का नाश इधर राजनीति ने चिरकुटिया चमचों को ही निंदक मान समझ लिया है .

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

मानव रचित विश्वव्यापी तापन मुल्तवी रख सकता है घातक हिम युग को .

जनवरी १३ ,२०१२ . मानव रचित विश्वव्यापी तापन मुल्तवी रख सकता है घातक हिम युग को .
Manmade global warming could defer 'lethal'Ice Age' Next Glaciation is Due To Start Within 1,500 Years/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,JANUARY 10,2012,P15.
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साइंसदानों के मुताबिक़ जिस हिम युग की संभावित वापसी अब से कोई १५०० साल बाद होनी थी वह मुल्तवी हो सकती है .मानव का कार्बन फुटप्रिंट मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन इसकी वजह बनेगा .मानव निर्मित विश्वव्यापी तपन वायु मंडल में अब तक दाखिल हो चुकी कार्बन डाई ऑक्साइड घातक हिम युग को थामे रहेगी .हिम नदों का प्रसार अब अपनी सामान्य अवधि के बाद योरोप और उत्तरी अमरीका को अपनी गिरिफ्त में न ले पायेगा .
बेशक लोग थोड़ी तपन में बेहतर रहेंगें .लेकिन असल बात कुछ और है जिसे हम अभी समझ नहीं पा रहें हैं .माहिरों के अनुसार अब यदि कार्बन उत्सर्जन पर लगाम भी लगा दी जाए तो भी इस ग्रीन हाउस गैस का अतिरिक्त रूप से बढ़ा हुआ स्तर आइन्दा आने वाले हज़ार साल तक यूं ही कायम रहेगा .संचित तपन (गर्मी या ऊष्मा ) अगले हिम युग को टाले रहेगी .
बेशक थोड़ा बहुत तपन कम ज़रूर होगी उत्सर्जन थाम लेने से लेकिन उतना नहीं कम होगी यह विश्वव्यापी तपन .
अलबत्ता पृथ्वी पर धुर ठंडक हिमनदों के प्रसार से न होने पाएगी .हिमनदन (Glaciation )मुल्तवी ही रहेगा .फिलवक्त हमारी हवा में प्रति -दास लाख भागों में ३९० भाग ग्रीन हाउस गैस कारबनडायऑक्साइड मौजूद है .माहिरों के अनुसार अगले हिम युग की वापसी के लिए इस स्तर को घटाकर २४० पी पी एम् (पार्ट्स पर मिलियन ) तक लाना होगा .
सवाल यह है क्या हम तपन भरे विश्व में बेहतर होंगें या हिमनदन के साथ ?
हो सकता है ज़वाब सकारात्मक हो लेकिन तथ्य यह है कि यदि उत्सर्जन आज के स्तर पर भी थाम लिया जाए और आगे न बढ़ने दिया जाए तब हिमनदन के बीच का अंतराल बेशक लंबा हो जाएगा अपेक्षाकृत तपन भरा ही रहेगा .यानी इंटर ग्लेशियेशन पीरियड लंबा खिंच जाएगा .हिमनदन के बीच का यह अंतराल अपेक्षाकृत गर्म रहता है .
"इंटर -ग्लेशियल " पीरियड्स आर वार्मर पीरियड्स बिटवीन पीरियड्स ऑफ़ ग्लेशियेशन .
आखिरी हिम युग हमारे पूर्वजों ने अब से कोई ११,५०० बरसपहले देखा था .इस हिमनदन चक्र का सम्बन्ध पृथ्वी कीसूरज के गिर्द कक्षा में होने आने वाला थोड़ा सा विक्षोभ भर होता है .हिम युगों के दौरान हिमनदों का प्रसार महाद्वीपों में व्यापक स्तर पर प्रसार पाता है .
आखिरी हिम युग के दौरान योरोप का एक बहुत बड़ा हिस्सा एशिया और उत्तरी अमरीका हिमाच्छादित हो गए थे .हिम चादर में लिपट के रह गए थे .हिमनदन के विनाशकारी प्रभाव मानव सभ्यता पर पडतें हैं .लेकिन हम किधर जा रहें हैं .असल बात यह है हम पहले से ही गरमा चुकी कायनात ,सारे आलम को और भी गरमा रहें हैं काश हम मौजूदा तपन को ही कायम रख पाते .लेकिन तमाम जलवायु परिवर्तन से ताल्लुक रखने वाली गुफ़ -त -गु निष्फल सिद्ध हो रही है कोरी लफ्फाजी साबित हो रही है .वार्मर क्लाइमेट में और कार्बनडायऑक्साइड झोंकते चले जाने और कोल्ड क्लाइमेट में ऐसा करना दो जुदा बातें हैं .क्या कोई सुन रहा है ?
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI! RAM RAM BHAI!
HEALTH TIPS :
अवसाद से और अवसाद में राहत के लिए चाय -कोफी के स्थान पर १५ ग्राम गुलाब के फूल की पंखुड़ियां (Rose petals) 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर लीजिए .
जो बच्चे(शिशु ) रात को शैया पर आराम से नहीं सो पातें उन्हें दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी में मिलाकर सोने से पहले दीजिए .
ram ram bhai ! ram ram bhai !

लीजिए आज का नीतिपरक दोहा -
पावस देखि रहीम मन ,कोइल साधेइ मौन ,
अब दादुर वक्ता भये ,हमको पूछत कौन .
बरसात में मेढक टर्राना शुरु कर दतें हैं .जैसे चुनाव पूर्व दिग्विजय .ऐसे में बुद्धिमान प्राणियों को मौन धारण करना चाहिए .फिर अवसर आयेगा अपनी बात कहने का .कोई सुनने वाला भी तो हो इसलिए अवसर देख के अपनी बात कहिये मौके की , यहाँ तो हर तरफ दिग्विजय हैं टर्र टर्र टर्राते बरसाती मेढक से .यहाँ पावस वर्षा ऋतु के लिए आया है और दादुर कहतें हैं मेंढक को .

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

मुंबईकरों के लिए विशेष -तपेदिक से बचाव के लिए माहिरों ने दिए नुश्खे

मुंबईकरों के लिए विशेष -तपेदिक से बचाव के लिए माहिरों ने दिए नुश्खे -
(१)बनाए रहें शरीर में विटामिन -डी का ज़रूरी स्तर इस एवज -मछली का सेवन करे .
(२)हरेक छमाही में कमसे कम चार हफ्ते तक केल्सिरोल ग्रेन्यूल्स का एक पैकिट एक ग्लास दूध में मिलाकर लें .
(३)अल्फा -थ्री की एक गोली ०.२५ माइक्रोग्राम की सुबह शाम तीन माह तकलें .साल में एक मर्तबा यह कोर्स पूरा कर लें .
सायन अस्पताल के माहिर एवं कार्यकारी डीन डॉ .सुलेमान मर्चेंट के अनुसार बेकाबू और सभी प्रथम और द्वितीय पंक्ति की तपेदिक दवाओं से बे -असर बने रहने वाले तपेदिक के बसिलाई को पश्त करने में विटामिन डी की समुचित खुराक कारगर सिद्ध हो सकती है .इस बाबत आपने महाराष्ट्र के स्वास्थ्य निदेशक को भी अपनी अनुशंशा भेजी है .भारत सरकार समेत देश के सभी राज्यों के सेहत के वज़ीरों को भी इस आशय का पत्र भेजा जाएगा .
माहिरों के अनुसार टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट ट्यूबरकुलोसिस के इलाज़ में विटामिन -डी की एहम भूमिका है .बकौल बोम्बे टी बी अस्पताल की माहिरा डॉ अनिता नेने के अनुसार हमारे शरीर में पी एच १ तथा पी एच २ प्रणालियाँ काम करतीं हैं .
पी एच १ बचावी प्रणाली है जो सक्रिय रहते तपेदिक से बचाव का काम करती है .लेकिन पी एच २ के सक्रिय होते ही तपेदिक की गिरिफ्त में व्यक्ति चला आता है .विटामिन डी शरीर में पी एच १ को सशक्त करता है .सूरज की रोशनी और मछली विटामिन डी के दो प्रमुख स्रोत हैं लेकिन सूरज की रौशनी को शहरी प्रदूषण बे -असर किए रहता है जिसकी मौजूदगी में चमड़ी के नीचे विटामिन डी बनता है .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
जनवरी १२,२०१२


सेब (apple) को बेशक छील के खाइए लेकिन छिलकों से साफ़ करिए चेहरे पे जमा धूल मिटटी चमड़ी में मौजूद दूसरी अशुद्धियों को .
After eating an apple ,use the skin on your face to remove dirt and other skin impurities.
शरीर पे उभर आए स्ट्रेच मार्क्स को रफा दफा करने के लिए जहां जहां वे हैं वहां वहां दिन में तीन मर्तबा चमेली के तेल से हलकी मालिश करें .बतलादें आपको फास्ट फ़ूड का चस्का भी इनकी वजह बन रहा है यकीन मानिए .
Applying lavender oil thrice a day on the area of the body with stretch marks can help fade the marks .

आज का नीति परक दोहा -
रहिमन ओछे नरन ते,वैर भली न प्रीत ,
काटे चाटे स्वान के .दुई भांति विपरीत .

बुधवार, 11 जनवरी 2012

मानव रचित विश्वव्यापी तापन मुल्तवी रख सकता है घातक हिम युग को .

मानव रचित विश्वव्यापी तापन मुल्तवी रख सकता है घातक हिम युग को .
Manmade global warming could defer 'lethal'Ice Age' Next Glaciation is Due To Start Within 1,500 Years/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,JANUARY 10,2012,P15.
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साइंसदानों के मुताबिक़ जिस हिम युग की संभावित वापसी अब से कोई १५०० साल बाद होनी थी वह मुल्तवी हो सकती है .मानव का कार्बन फुटप्रिंट मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन इसकी वजह बनेगा .मानव निर्मित विश्वव्यापी तपन वायु मंडल में अब तक दाखिल हो चुकी कार्बन डाई ऑक्साइड घातक हिम युग को थामे रहेगी .हिम नदों का प्रसार अब अपनी सामान्य अवधि के बाद योरोप और उत्तरी अमरीका को अपनी गिरिफ्त में न ले पायेगा .
बेशक लोग थोड़ी तपन में बेहतर रहेंगें .लेकिन असल बात कुछ और है जिसे हम अभी समझ नहीं पा रहें हैं .माहिरों के अनुसार अब यदि कार्बन उत्सर्जन पर लगाम भी लगा दी जाए तो भी इस ग्रीन हाउस गैस का अतिरिक्त रूप से बढ़ा हुआ स्तर आइन्दा आने वाले हज़ार साल तक यूं ही कायम रहेगा .संचित तपन (गर्मी या ऊष्मा ) अगले हिम युग को टाले रहेगी .
बेशक थोड़ा बहुत तपन कम ज़रूर होगी उत्सर्जन थाम लेने से लेकिन उतना नहीं कम होगी यह विश्वव्यापी तपन .
अलबत्ता पृथ्वी पर धुर ठंडक हिमनदों के प्रसार से न होने पाएगी .हिमनदन (Glaciation )मुल्तवी ही रहेगा .फिलवक्त हमारी हवा में प्रति -दास लाख भागों में ३९० भाग ग्रीन हाउस गैस कारबनडायऑक्साइड मौजूद है .माहिरों के अनुसार अगले हिम युग की वापसी के लिए इस स्तर को घटाकर २४० पी पी एम् (पार्ट्स पर मिलियन ) तक लाना होगा .
सवाल यह है क्या हम तपन भरे विश्व में बेहतर होंगें या हिमनदन के साथ ?
हो सकता है ज़वाब सकारात्मक हो लेकिन तथ्य यह है कि यदि उत्सर्जन आज के स्तर पर भी थाम लिया जाए और आगे न बढ़ने दिया जाए तब हिमनदन के बीच का अंतराल बेशक लंबा हो जाएगा अपेक्षाकृत तपन भरा ही रहेगा .यानी इंटर ग्लेशियेशन पीरियड लंबा खिंच जाएगा .हिमनदन के बीच का यह अंतराल अपेक्षाकृत गर्म रहता है .
"इंटर -ग्लेशियल " पीरियड्स आर वार्मर पीरियड्स बिटवीन पीरियड्स ऑफ़ ग्लेशियेशन .
आखिरी हिम युग हमारे पूर्वजों ने अब से कोई ११,५०० बरसपहले देखा था .इस हिमनदन चक्र का सम्बन्ध पृथ्वी कीसूरज के गिर्द कक्षा में होने आने वाला थोड़ा सा विक्षोभ भर होता है .हिम युगों के दौरान हिमनदों का प्रसार महाद्वीपों में व्यापक स्तर पर प्रसार पाता है .
आखिरी हिम युग के दौरान योरोप का एक बहुत बड़ा हिस्सा एशिया और उत्तरी अमरीका हिमाच्छादित हो गए थे .हिम चादर में लिपट के रह गए थे .हिमनदन के विनाशकारी प्रभाव मानव सभ्यता पर पडतें हैं .लेकिन हम किधर जा रहें हैं .असल बात यह है हम पहले से ही गरमा चुकी कायनात ,सारे आलम को और भी गरमा रहें हैं काश हम मौजूदा तपन को ही कायम रख पाते .लेकिन तमाम जलवायु परिवर्तन से ताल्लुक रखने वाली गुफ़ -त -गु निष्फल सिद्ध हो रही है कोरी लफ्फाजी साबित हो रही है .वार्मर क्लाइमेट में और कार्बनडायऑक्साइड झोंकते चले जाने और कोल्ड क्लाइमेट में ऐसा करना दो जुदा बातें हैं .क्या कोई सुन रहा है ?
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI! RAM RAM BHAI!
HEALTH TIPS :
अवसाद से और अवसाद में राहत के लिए चाय -कोफी के स्थान पर १५ ग्राम गुलाब के फूल की पंखुड़ियां (Rose petals) 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर लीजिए .
जो बच्चे(शिशु ) रात को शैया पर आराम से नहीं सो पातें उन्हें दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी में मिलाकर सोने से पहले दीजिए .
ram ram bhai ! ram ram bhai !

लीजिए आज का नीतिपरक दोहा -
पावस देखि रहीम मन ,कोइल साधेइ मौन ,
अब दादुर वक्ता भये ,हमको पूछत कौन .
बरसात में मेढक टर्राना शुरु कर दतें हैं .जैसे चुनाव पूर्व दिग्विजय .ऐसे में बुद्धिमान प्राणियों को मौन धारण करना चाहिए .फिर अवसर आयेगा अपनी बात कहने का .कोई सुनने वाला भी तो हो इसलिए अवसर देख के अपनी बात कहिये मौके की , यहाँ तो हर तरफ दिग्विजय हैं टर्र टर्र टर्राते बरसाती मेढक से .यहाँ पावस वर्षा ऋतु के लिए आया है और दादुर कहतें हैं मेंढक को .

एच आई वी संक्रमित कुछ ख़ास लोगों के खून से ही बनेगा एच आई वी का कारगर टीका .

एच आई वी संक्रमित लोगों का एक बहुत ही अनूठा और विरल समूह ऐसा है जो एच आई वी विषाणु से संक्रमित होने के बरसों बरस बाद भी स्वस्थ बने रहता हैं .इन्हें जीवन रक्षक दवाओं एंटी -रेट्रो -वायरल इलाज़ (ART -ANTIRETROVIRAL TREATMENT)की ज़रुरत ही पेश नहीं आती .अब ऐसे ही १०० स्वयंसेवियों की खोज तेज़ कर दी गई है .समझा जाता है इनके खून में ही कुछ ऐसे प्रति -पिंड बनने लगतें हैं जो एच आई वी विषाणु को इनकी रक्त कोशाओं में प्रवेश नहीं लेने देते .ऐसे में अपनी हू -बा -हू प्रतिकृति वह नहीं बना पाता है एच आई वी .
अकिलीज़ हील: इस विषाणु का सबसे कमज़ोर पक्ष ही इसे अरक्षित बनाके छोड़ देता है . जिसकी खबर ये एक न एक दिन दे देगा .
यह अन्वेषण एक अंतर -राष्ट्रीय -एड्स टीका पहल (International Aids Vaccine Initiative's) का अंग है .इसे प्रोटोकोल -जी (Protocol G)नाम दिया गया है जिसकी शुरुआत २००६ में ही कर दी गई थी .
अब तक और आदिनांक ऐसे ही विरल समूह के रक्त के १८०० साम्पिल्स १२ अलग अलग मुल्कों से जुटे जा चुकें हैं .स्क्रीनिंग के बाद इनसे १९ ब्रोडली न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज अलग कर ली गईं हैं .(bNAb) .
यही वह प्रतिपिंड है जो कई एच आई वी सब -टाइप्स को अपनी लक्षित कोशाओं (Target cells)तक पहुँचने से रोक देती है .
एक बहुत ही अल्पसंख्यक समूह है ऐसे लोगों का जिनमे यह प्रतिपिंड एच आइवी से संक्रमित होने के बाद बनता है .बेशक एच आई वी एक बेहद उत्परिवर्तन शील (wildly mutable )विषाणु है तो भी इसके ही कुछ ऐसे हिस्से हैं जो उत्परिवर्तित (MUTATE) नहीं होतें हैं .ये कुछ ख़ास हिस्से उत्परिवर्तन का खुलकर प्रतिरोध करतें हैं .
यही वह क्षमता है चाबी है घुसपैंठ की जो इस विषाणु को कोशाओं में कूमल (सेंध )लगाके प्रवेश की हैसियत दिए रहती है .
और
ये ही वह एच आई वी के संभाग हैं जिन्हें bNAb लक्ष्य बनातीं हैं .टार्गेट करती हैं निशाना साध्तीं हैं इन्हीं संभागों पर .
भारत सरकार के जैव -प्रोद्योगिकी विभाग ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है ताकि प्रोटोकोल -जी को आगे बढ़ाया जा सके .इसपर क्रियान्वन कर रहें हैं इंटर -नेशनल वेक्सीन इनिशियेतिव्स तथा चेन्नई का YRG Care .
यही वह संगठन है जिसने १९८६ में देश के सबसे पहले एच आई वी मामले की शिनाख्त की थी .
तमाम साम्पिल्स की जांच ट्रांसलेश्नल हेल्थ साइंसिज़ एंड टेक्नोलोजी इंस्टिट्यूट (THSTI) में की जाएगी .यह संस्थान हरियाणा के गुडगाँव में बन रहा है ..
एच आई वी संक्रमित कुछ ख़ास लोगों के खून से ही बनेगा एच आई वी का कारगर टीका .
RAM RAM BHAI 1 ram ram bhai !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
चेहरे की झुर्रियां हटाने तथा चमड़ी को कसावदार बनाए रखने के लिए आधा कप ताज़ा ताज़ा बंद गोभी(कैबिज़ ,करमकल्ला ) का रस चेहरे पर मलें .
थकान दूर करने के लिए बेज़ल लीव्ज़ (तुलसी के पत्ते )पानी में उबाल कर नियमित चाय की तरह सेवन कीजिए .
आज से इन नुश्खों के साथकोई नीतिपरक दोहा या ग़ज़ल का कोई काबिले दाद या फुटकर शेर भी परोसा जाएगा-
आज का दोहा :
मधुर वचन से जात मिटी ,उत्तम जन अभिमान ,
तनिक सीत जल सौं मिटत ,जैसे दूध उफान .
राम राम भाई !

सोमवार, 9 जनवरी 2012

वक्त (उम्र )को चुनौती देता एक साइंसदान :

वक्त (उम्र )को चुनौती देता एक साइंसदान : आइये आज आपको मिलवातें हैं एक ऐसे साइंसदान से जिसने न सिर्फ समय की सवारी की है सृष्टि के गुरु गंभीर रहस्यों को भी बूझा है जो खुद अन्तरिक्ष की कालकोठारियों सा अबूझ है लेकिन औरत के प्रति इतना विमोहित रहा है कि उसे ब्लेक होल्स से भी ज्यादा मनोरम और एग्ज़ोतिक मानता है .
आठ जनवरी १९४२ को इंग्लैण्ड में जन्मे इस साइंसदान का नाम है -स्टीवंस हाकिंग जिसने न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक किताब 'दी ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम 'प्रस्तुत की ब्लेक होल्स से लेकर स्ट्रिंग थिअरी को तराशा बूझा जो मानता है कि यदि ईश्वर है तो वह भी इसी सृष्टि का अंग है कार्य कारण सम्बन्ध से आबद्ध है मुक्त नहीं है .यही है वह साइंसदान जिसने समय के साथ जंग में समय को शह दी है .परास्त किया है . ब्रितानी साइंसदान स्टीवंस हाकिंग कल (इतवार जनवरी ८ ,२०१२ )७० बरस के हो गए .उम्र के आठवें दशक में प्रवेश कर गए .इन्हें अपने जन्म दिन पर एक विशिष्ठ संगोष्ठी में भाग लेना था लेकिन ये अस्पताल से शुक्रवार (६ जनवरी २०१२ )को ही डिसचाज़ हुए थे .यानी जन्म दिन से दो रोज़ पहले ही इन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी .इस विशेष गोष्ठी का विषय था 'हमारी सृष्टि की नियति और अवस्था 'स्टेट ऑफ़ दी यूनिवर्स 'जिसकी बेशक उसी दिन शुरुआत हुई लेकिन अब दुनिया का ये फिलवक्त सबसे विख्यात साइंसदान इसमें वेबकास्ट के ज़रिये ही शिरकतकर पायेगा .
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रांगण में यह संगोष्ठी आयोजित कि गई है .
हाकिंग उस वक्त बा -मुश्किल २१ बरस के नवयुवक ही थे जब माहिरों ने रोग निदान के बाद इन्हें 'Motor neurone disease 'से ग्रस्त बतलाया था .मोहलत में इन्हें मिले थे चंद बरस .आज यह विशिष्ट जीवट वाला व्यक्ति उम्र के आठवें दशक में प्रवेश कर चुका है .
४० बरसों से यह व्यक्ति वील चेयर पर ही अपनी चर्या चला रहा है .बोलने के लिए यह केवल cheeks की twitching का ही स्तेमाल करता है जिसे एक वोइस सिन्थेसाइज़र स्पीच में बदल देता है .खुद इन्हें अपनी आवाज़ सुनने में बस एक ही दिक्कत पेश आती है ध्वनी संशाधक अमरीकी उच्चारण ही प्रस्तुत करता है .एक कंप्यूटर की मदद भी ली जाती है .बहुत कम बेहद सीमित मानवीय संशाधन से युक्त यह व्यक्ति अपार अनन्त सृष्टि के रहस्यों को बूझ रहा है .यूनिवर्स से कनेक्ट कर रहा है .यह सब कैसे हो रहा है चिकित्सा माहिरों के लिए यह भी किसी करिश्मे से कम नहीं है क्योंकि मोटर न्यूरोन डिजीज से ग्रस्त व्यक्ति को इतनी उमरिया लेते कम ही सुना गया है .
हाकिंग के अपने शब्दों में -''I AM SURE MY DISABILITY HAS A BEARING ON WHY I'M WELL KNOWN ,"HE ONCE SAID ."PEOPLE ARE FASCINATED BY THE CONTRAST BETWEEN MY VERY LIMITED PHYSICAL POWERS ,AND THE VAST NATURE OF THE UNIVERSE I DEAL WITH.."
दरअसल हाकिंग की बीमारी का एक अभौतिक पक्ष भी है .व्यक्ति का एक भौतिक शरीर होता है एक अभौतिक .भौतिक शरीर ही व्याधि ग्रस्त होता है अलबत्ता जब बीमारी भौतिक शरीर का अतिक्रमण कर मन के उस हिस्से तक पहुँच जाती है जो अभुतिक शरीर से ताल्लुक रखता है तब व्यक्ति पूर्ण रूपेण व्याधि ग्रस्त हो जाता है .
हाकिंग वह व्यक्ति हैं जिन्होनें बीमारी को मन के उस हिस्से तक पहुँचने ही नहीं दिया है .मन का स्वभाव है गति और धर्म .काया या शरीर जड़ है जड़त्व लिए है .मन की चल है .ऊर्ध्व गामी बनाए रखा है हाकिंग ने मन को .अधोगति की और जाने न दिया है .
January 10,2012


ram ram bhai ! ram ram bhai !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
गंजपन से राहत के लिए सोय :सोइया या सोयाबीन से बने खाद्य और पेय पाचन के बाद एक ऐसे हारमोन को बाधित कर देतें हैं जो प्रोस्टेट ग्रंथि को ईंधन मुहैया करवाता है और आखिरकार गंजपन को हवा देता है .
When Soy is digested ,it stops a harmone that fuels the prostate growth which causes baldness .
एव- काडो और अंडे से तैयार मिश्र बालों के लिए एक बेहतरीन कंडिशनर का काम करता है .बालों के रख -रखाव के लिए बहुत अच्छा सिद्ध होता है यह मिश्र .
A Simple mixture of avocado and egg can be a great conditioner for the hair.Avocado is a pear shaped green fleshed edible fruit with a leathery dark green or blakish skin ,soft smooth tasting pale green flesh and a large stony seed ,eaten raw in salads and dips .It is a TROPICAL FRUIT that is wider at one end than the other .

क्यों भारत ग्रास बन रहा है टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट टी बी(TDR-TB) का ?

क्यों भारत ग्रास बन रहा है टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट टी बी(TDR-TB) का ?
'Deadlier strain arose due to health system,s failure'AVERAGE AGE OF PATIENTS WHO DID'T RESPOND TO TUBERCULOSIS DRUGS IS 32 YEARS./TIMES CITY/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 7 ,2012 ,P7
1992 में बहुदवा रोधी तपेदिक (MULTI -DRUG -RESISTANT TUBERCULOSIS (MDR-TB) का पहला मामला प्रकाश में आया था .इसके कुछ साल बाद ही तपेदिक के जीवाणु ने HIV -AIDS के साथ दुर्भि संधि करके उन लोगों को जो तपेदिक के साथ साथ एच आई वी एड्स से भी संक्रमित हो गए थे रोग की बेहद खतरनाक किस्म EXTREMELY DRUG -RESISTANT TB(XDR-TB) ने अपनी चपेट में ले लिया था .यही से तपेदिक पर नियंत्रण रख पाना स्वास्थ्य तंत्र के लिए दुश्वार सिद्ध होता चला गया .
अब तपेदिक का छोटा जीवाणु (दंदाणु ,TB BACILLI) सभी किस्म की पहली और दूसरी पंक्ति की दवाओं से बेअसर रहना सीख गया .सब दवाओं के प्रति इसने प्रति -रोध खडा कर लिया .
अब से कोई सौ बरस पहले तपेदिक के मरीजों को प्रथक करके इलाज़ के लिए किसी सेनेटोरियम (अस्पताल जैसा ही आरोग्य केंद्र ) में रखा जाता था .एक बार फिर हम वहीं पहुँच गए लगतें हैं जहां यह रोग बे -लगाम ,ला -इलाज़ हो चला है .केवल असरदार ( DRASTIC SURGERY AND MEDICATION) उग्र शल्य चिकित्सा और मेडिकेशन ही इन्हें थोड़ी सी राहतमोहलत दिलवा सकतें हैं.
यही कहना है डॉ .ज़रीर उद्वाडिया साहब का .आप हिंदुजा अस्पताल माहिम मुंबई से सम्बद्ध हैं .आपकी टीम का टोटली ड्रग रेज़िस्तेंत टी बी पर सारा कामऔर प्रेक्षण (observations) US-based Clinical Infectious Diseases peer review journal में प्रकाशित हुआ है .
आप सम्पूर्ण दवा रोधी तपेदिक के उभार के पीछे हमारे सारे चिकित्सा तंत्र की ना -कामयाबी का हाथ देखतें हैं .कुल मिलाकर सारा चिकित्सा तंत्र नाकारा सिद्ध हुआ है इस बाबत .
बकौल आपके सार्वजनिक चिकित्सा तंत्र कुल मिलाकर १%मरीजों को ही जो दवा रोधी तपेदिक की गिरिफ्त में चले आतें हैं सेकिंड -लाइन ड्रग्स मुहैया करवा पाता है .
निजी क्षेत्र में ऐसे चिकित्सकों की भरमार है जो इस रोग का प्रबंधन बुरे तरीके से कर रहें हैं .इन तमाम कारणों से ही रोग की दवा रोधी किस्म और ज्यादा पेचीला हो गई है .स्थिति बद से बदतर हो चली है .
इसी टीम ने पूर्व में मुंबई के उपनगर धारावी में एक अध्ययन संपन्न किया था जिसमे पता चला १०६ में से कुल ५ डॉक्टर्स ने नुश्खें में सही दवाएं दवा रोधी तपेदिक के प्रबंधन में तजवीज़ की थीं लिखीं थीं .ज्यादातर मरीजों को erratic ,unsupervised second -line drugs नसीब हुईं .इन दवाओं की खुराक भी मानक खुराक नहीं थीं ..
TDR-TB के मामले सबसे पहले ईरान में प्रकाश में आये :
बतलादें आपको अब से कोई तीन बरस पहले ईरान की राजधानी तेहरान में ऐसे तेरह मामलें मिले थे जिनमे प्रथम और द्वितीय पंक्ति की तमाम दवाएं नाकारा सिद्ध हुईं थीं .तपेदिक का जीवाणु इन दवाओं से पूर्ण तय अप्रभावित रहा आया . हिदुजा अस्पताल के मामलों में चिंता की बात यह है कि तमाम मरीज़ जवान हैं इनकी औसत उम्र ले देके ,३२.३ बरस है .
हिंदुजा अस्पताल में DRUG SUSCEPTIBILITY TESTING के बाद पता चला है कि ये सारे मरीज़ तमाम फस्ट लाइन ड्रग्स के प्रति प्रति -रोध दर्शा रहें हैं दवाएं ISONIAIZID,RIFAMPICIN ,ETHAMBUTOL ,PYRAZINAMIDE तथा STREPTOMYCIN(FIRST LINE DRUGS) बे -असर सिद्ध हो रहीं हैं तथा सेकिंड लाइन ड्रग्स (OFLOXACIN ,MOXIFLOXACIN,KANAMYCIN,AMIKACIN,CAPREOMYCIN,PARA-AMINOSALICYLIC ACID ,ETHIONAMIDE) भी निष्प्रभावी हैं .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !


रविवार, ८ जनवरी २०१२
क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?
क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?
What is totally drug -resistant tuberculosis?
बे -तरतीब लापरवाही से किया गया आधा अधूरा इलाज़ बनता है 'दवा रोधी तपेदिक (Drug- resistant TB) की वजह .यह वह स्थिति है जब मरीज़ तजवीज़ की गई सभी दवाओं को निर्धारित अवधि तक बिला नागा नियमित नहीं लेता है . यह भी होता है नीम हकीम दवाएं ही गलत लिख देतें हैं और मरीज़ इन्हें लेता रहता है .यानी डॉ या फिर स्वास्थ्य कर्मी भी इसकी वजह बनतें हैं मरीज़ को गलत इलाज़ पे चलाके .गैर भरोसे की दवा आपूर्ति भी इसकी वजह बनती है .
बहुदवा - रोधी-तपेदिक :
Multi-Drug -Resistant TB(MDR-TB)
यह तपेदिक की ऐसी खतरनाक किस्म है जिसमे छोटा जीवाणु बसिलाई या दंदाणु(Bacilli) तपेदिक के लिए दी जाने वाली दवाओं में से कमसे कम ISONIAZID तथा RIFAMPICIN JAIASI दो प्रभावकारी दवाओं के प्रति प्रति- रोध खडा कर लेता है .बे -असर बना रहता है इन दवाओं से .
भारत में तपेदिक की इस खतरनाक किस्म के दुनिया भर में सबसे ज्यादा तीन लाख मामलें सामने आ चुकें हैं . इनमे से बा -मुश्किल १%सरकारी मुफ्त दवा सेवाओं (govt's free drug plan )के दायरे में आतें हैं .
दवा रोधी तपेदिक में रसायन चिकित्सा (CHEMOTHERAPY) की ज़रुरत पड़ती है जिसके तहत सेकंड -लाइन एंटी -टी बी ड्रग्स (SECOND LINE ANTI-TB DRUGS) दवाएं दी जातीं हैं जो खासी महंगी होतीं हैं .तथा इनके रियेक्संस भी तीव्रतर और गंभीर होतें हैं .आम आदमी की जेब में इन्हें खरीदने के पैसे नहीं होते .ऐसा नहीं है कि यह रोग की प्रबंधनीय किस्म नहीं है .प्रबंधनीय है लेकिन कड़े अनुशाशन और बेहतरीन खुराक साथ साथ चाहिए जो आम तौर पर तपेदिक के इलाज़ का हिस्सा ही होता है .
MDR -TB TREATMENT :बहुदवा -रोधी तपेदिक का इलाज़ दो से लेकर सवा दो साल तक चलता है .कुल खर्च आ सकता है इस दरमियान दो लाख रुपया एक मरीज़ पर .
EXTREMELY DRUG -RESISTANT TB:
XDR-TB खासकर उन मामलों में जहां तपेदिक के साथ साथ मरीज़ HIV से भी संक्रमित हो जाता है तपेदिक का इलाज़ दुर्जेय हो जाता है .तपेदिक नियंत्रण में यहरोग किस्म एक बड़ी बाधा बनके खडा होजाता है .
यहाँ मरीज़ एक या फिर एक से ज्यादा दवाओं के प्रति प्रति -रोध दर्शाने लगता है यानी ये दवाएं निष्प्रभावी हो जातीं हैं .
TOTALLY DRUG -RESISTANT TB :
जिन मरीजों पर पहली और दूसरी पंक्ति की दवाओं का असर ज़रा भी नहीं होता वह इस खतरनाक 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक 'की चपेट में आजातें हैं .सौ फीसद रहती है इनकी मृत्यु दर . यही है टोटली ड्रग- रेज़िस्तेंत टी बी.
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI!
JANUARY9,2012
तपेदिक एक विहंगावलोकन भारतीय सन्दर्भ .
AIR THREAT:
तपेदिक एक छूतहा रोग है जो मरीज़ के सांस छोड़ने छींकने आदि से उसके आसपास की हवा के ज़रिये फैलता है .आम सर्दी जुकाम सा यह हवा के ज़रिये ही फैलने वाला रोग है .यह शरीर के किसी भी हिस्से को असरग्रस्त कर सकता है लेकिन केवल फेफड़े की तपेदिक ही छूतहा सिद्ध होती है .
जब इस रोग से पीड़ित व्यक्ति सांस लेता है ,कफ उगलता है कफ निकालता है खखार के साथ बात करता है या कहीं थूकता है तब आसपास के हवा में इसका जीवाणु (बसिलाई ) फ़ैल जाता है .चंद बसिलाई सांस के अन्दर गए और व्यक्ति संक्रमित हुआ .
लेकिन संक्रमित होने का मतलब तपेदिक से ग्रस्त होना सौ फीसद नहीं है .ज़रूरी नहीं हैं इन तमाम लोगों में से सब में रोग के लक्षण प्रगट हों ,मुखर हों .हमारा रोग प्रति -रक्षा तंत्र एक कवच के रूप में इससे बचाए रहता है .एक THICK WAXY COAT हमें माइकोबेक्तीरियम ट्यूबरकुलोसिस (M.Tuberculosis ,or Koch's bacillus) के संक्रमण से अमूमन बचाए रहता है यह सुप्तावस्था में इस कवच में पड़ा रहता है .
लेकिन रोग रोधी तंत्र के कमज़ोर पड़ने पर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है इस संक्रमण से .
इलाज़ न होने पर या फिर इलाज़ मयस्सर न हो पाने पर एक मरीज़ साल भर में १०-१५ लोगों को संक्रमित कर सकता है .अलबत्ता एक बार संक्रमित होने पर औसतन ५-१०%लोग जीवन में एक मर्तबा या तो बीमार हो जातें हैं या संक्रमण -शील (infectious),.बा -शर्ते ये लोग HIV से संक्रमित न हों .
जिन लोगों में एच आई वी और टी बी दोनों की छूत लगती है जो दोनों से ही संक्रमित हो जातें हैं उनके तपेदिक की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि एच आई वी रोग रोधी तंत्र को कमज़ोर और लाचार बना सकता है .
INDIA A HOT SPOT:
2009 में पूरी दुनिया में १७ लाख लोग तपेदिक से मारे गए थे .भारत में ३-४ लाख लोग हर बरस इस रोग की चपेट में आके मर जातें हैं .
KILLER IN MUMBAI :
2010 में मुंबई में तपेदिक से ८९५३ (१५%)लोग मारे गए .
बकौल मुंबई महानगर पालिका २८,००० से ज्यादा लोगों का रोगनिदान के बाद इलाज़ चल रहा है .हज़ारों लोग और भी हैं जो निजी चिकित्सकों के पास इलाज़ के लिए पहुँच रहें हैं .
३१ दिसंबर २०११तक कुल २९८ लोग बहुदवा रोधी तपेदिक (MULTIPLE DRUG-RESISTANT-TB) का इलाज़ करवा रहे थे .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
JANUARY 9 ,2012
पश्चिमी शैली के शौच गृह भी बन रहें हैं महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन की वजह .
Loo and behold !Weston toilets also cause UTI/DNA/MUMBAI ,JANUARY 6,2012/epaper.dnaindia.com
महिलाओं को अभी तक यही भ्रम बना हुआ था कि दिन भर में पर्याप्त पानी न पीना तथा उनके तैं लेडीज़ टॉयलिट्स की पर्याप्त व्यव्श्था न हो पाने की वजह से उनका मूत्र दवाब को रोके बैठे रहना ही मूत्रमार्ग के संक्रमण के प्रति उन्हें रोग प्रवण बनाए रहता है .
अब माहिरों के अनुसार वेस्टन टॉयलिट्स का स्तेमाल खासकर खराब रख रखाव की व्यवस्था वाले पश्चिमी शैली के रेस्ट रूम्स का प्रयोग भी महिलाओं को मूत्र मार्ग के संक्रमण के प्रति अरक्षित बनाए रहता है .इनकी या तो तोय्लित सीट सोइल्ड रहती है मानवमल से सनी रहती है या फिरपेशाब के छींटों से कुलमिलाकर स्वास्थ्यकर हालात नहीं होते गन्दी रहतीं हैं ये सीटें मूत्र के छींटों से .इन हालातों में जीवाणु सीधे संपर्क में आता है मानवीय शरीर के और संक्रमण की वजह बन जाता है यह कहना है लीलावती अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की माहिर डॉ .नंदिता पल्शेत्कर का .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS :
MILK SOLID त्वचा को पोषण प्रदान करता है तथा इसकी कान्ति(कान्तिमान ) को बढाता है चेहरे की दमक के लिए एक ग्लास दूध रोज़ पियें .
यदि रोज़ बा रोज़ लैप टॉप पे देर तक काम करना ही है तब इसे किसी उपयुक्त COUNTERTOP पर रखके खड़े होके काम करें .आप की रीढ़ के लिए भी अच्छा रहेगा कमर के लिए भी आप ज्यादा केलोरीज़ खड़े खड़े खर्च करेंगें .थक जाएं तो ब्रेक लेलें .मानव शारीर बैठे बैठे काम करने के लिए नहीं बनाया गया है .

क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?

क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?
What is totally drug -resistant tuberculosis?
बे -तरतीब लापरवाही से किया गया आधा अधूरा इलाज़ बनता है 'दवा रोधी तपेदिक (Drug- resistant TB) की वजह .यह वह स्थिति है जब मरीज़ तजवीज़ की गई सभी दवाओं को निर्धारित अवधि तक बिला नागा नियमित नहीं लेता है . यह भी होता है नीम हकीम दवाएं ही गलत लिख देतें हैं और मरीज़ इन्हें लेता रहता है .यानी डॉ या फिर स्वास्थ्य कर्मी भी इसकी वजह बनतें हैं मरीज़ को गलत इलाज़ पे चलाके .गैर भरोसे की दवा आपूर्ति भी इसकी वजह बनती है .
बहुदवा - रोधी-तपेदिक :
Multi-Drug -Resistant TB(MDR-TB)
यह तपेदिक की ऐसी खतरनाक किस्म है जिसमे छोटा जीवाणु बसिलाई या दंदाणु(Bacilli) तपेदिक के लिए दी जाने वाली दवाओं में से कमसे कम ISONIAZID तथा RIFAMPICIN JAIASI दो प्रभावकारी दवाओं के प्रति प्रति- रोध खडा कर लेता है .बे -असर बना रहता है इन दवाओं से .
भारत में तपेदिक की इस खतरनाक किस्म के दुनिया भर में सबसे ज्यादा तीन लाख मामलें सामने आ चुकें हैं . इनमे से बा -मुश्किल १%सरकारी मुफ्त दवा सेवाओं (govt's free drug plan )के दायरे में आतें हैं .
दवा रोधी तपेदिक में रसायन चिकित्सा (CHEMOTHERAPY) की ज़रुरत पड़ती है जिसके तहत सेकंड -लाइन एंटी -टी बी ड्रग्स (SECOND LINE ANTI-TB DRUGS) दवाएं दी जातीं हैं जो खासी महंगी होतीं हैं .तथा इनके रियेक्संस भी तीव्रतर और गंभीर होतें हैं .आम आदमी की जेब में इन्हें खरीदने के पैसे नहीं होते .ऐसा नहीं है कि यह रोग की प्रबंधनीय किस्म नहीं है .प्रबंधनीय है लेकिन कड़े अनुशाशन और बेहतरीन खुराक साथ साथ चाहिए जो आम तौर पर तपेदिक के इलाज़ का हिस्सा ही होता है .
MDR -TB TREATMENT :बहुदवा -रोधी तपेदिक का इलाज़ दो से लेकर सवा दो साल तक चलता है .कुल खर्च आ सकता है इस दरमियान दो लाख रुपया एक मरीज़ पर .
EXTREMELY DRUG -RESISTANT TB:
XDR-TB खासकर उन मामलों में जहां तपेदिक के साथ साथ मरीज़ HIV से भी संक्रमित हो जाता है तपेदिक का इलाज़ दुर्जेय हो जाता है .तपेदिक नियंत्रण में यहरोग किस्म एक बड़ी बाधा बनके खडा होजाता है .
यहाँ मरीज़ एक या फिर एक से ज्यादा दवाओं के प्रति प्रति -रोध दर्शाने लगता है यानी ये दवाएं निष्प्रभावी हो जातीं हैं .
TOTALLY DRUG -RESISTANT TB :
जिन मरीजों पर पहली और दूसरी पंक्ति की दवाओं का असर ज़रा भी नहीं होता वह इस खतरनाक 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक 'की चपेट में आजातें हैं .सौ फीसद रहती है इनकी मृत्यु दर . यही है टोटली ड्रग- रेज़िस्तेंत टी बी.
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI!
JANUARY9,2012
पश्चिमी शैली के शौच गृह भी बन रहें हैं महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन की वजह .
Loo and behold !Weston toilets also cause UTI/DNA/MUMBAI ,JANUARY 6,2012/epaper.dnaindia.com
महिलाओं को अभी तक यही भ्रम बना हुआ था कि दिन भर में पर्याप्त पानी न पीना तथा उनके तैं लेडीज़ टॉयलिट्स की पर्याप्त व्यव्श्था न हो पाने की वजह से उनका मूत्र दवाब को रोके बैठे रहना ही मूत्रमार्ग के संक्रमण के प्रति उन्हें रोग प्रवण बनाए रहता है .
अब माहिरों के अनुसार वेस्टन टॉयलिट्स का स्तेमाल खासकर खराब रख रखाव की व्यवस्था वाले पश्चिमी शैली के रेस्ट रूम्स का प्रयोग भी महिलाओं को मूत्र मार्ग के संक्रमण के प्रति अरक्षित बनाए रहता है .इनकी या तो तोय्लित सीट सोइल्ड रहती है मानवमल से सनी रहती है या फिरपेशाब के छींटों से कुलमिलाकर स्वास्थ्यकर हालात नहीं होते गन्दी रहतीं हैं ये सीटें मूत्र के छींटों से .इन हालातों में जीवाणु सीधे संपर्क में आता है मानवीय शरीर के और संक्रमण की वजह बन जाता है यह कहना है लीलावती अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की माहिर डॉ .नंदिता पल्शेत्कर का .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS :
MILK SOLID त्वचा को पोषण प्रदान करता है तथा इसकी कान्ति(कान्तिमान ) को बढाता है चेहरे की दमक के लिए एक ग्लास दूध रोज़ पियें .
यदि रोज़ बा रोज़ लैप टॉप पे देर तक काम करना ही है तब इसे किसी उपयुक्त COUNTERTOP पर रखके खड़े होके काम करें .आप की रीढ़ के लिए भी अच्छा रहेगा कमर के लिए भी आप ज्यादा केलोरीज़ खड़े खड़े खर्च करेंगें .थक जाएं तो ब्रेक लेलें .मानव शारीर बैठे बैठे काम करने के लिए नहीं बनाया गया है .

रविवार, 8 जनवरी 2012

पश्चिमी शैली के शौच गृह भी बन रहें हैं महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन की वजह .
Loo and behold !Weston toilets also cause UTI/DNA/MUMBAI ,JANUARY 6,2012/epaper.dnaindia.com
महिलाओं को अभी तक यही भ्रम बना हुआ था कि दिन भर में पर्याप्त पानी न पीना तथा उनके तैं लेडीज़ टॉयलिट्स की पर्याप्त व्यव्श्था न हो पाने की वजह से उनका मूत्र दवाब को रोके बैठे रहना ही मूत्रमार्ग के संक्रमण के प्रति उन्हें रोग प्रवण बनाए रहता है .
अब माहिरों के अनुसार वेस्टन टॉयलिट्स का स्तेमाल खासकर खराब रख रखाव की व्यवस्था वाले पश्चिमी शैली के रेस्ट रूम्स का प्रयोग भी महिलाओं को मूत्र मार्ग के संक्रमण के प्रति अरक्षित बनाए रहता है .इनकी या तो तोय्लित सीट सोइल्ड रहती है मानवमल से सनी रहती है या फिरपेशाब के छींटों से कुलमिलाकर स्वास्थ्यकर हालात नहीं होते गन्दी रहतीं हैं ये सीटें मूत्र के छींटों से .इन हालातों में जीवाणु सीधे संपर्क में आता है मानवीय शरीर के और संक्रमण की वजह बन जाता है यह कहना है लीलावती अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की माहिर डॉ .नंदिता पल्शेत्कर का .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS :
MILK SOLID त्वचा को पोषण प्रदान करता है तथा इसकी कान्ति(कान्तिमान ) को बढाता है चेहरे की दमक के लिए एक ग्लास दूध रोज़ पियें .
यदि रोज़ बा रोज़ लैप टॉप पे देर तक काम करना ही है तब इसे किसी उपयुक्त COUNTERTOP पर रखके खड़े होके काम करें .आप की रीढ़ के लिए भी अच्छा रहेगा कमर के लिए भी आप ज्यादा केलोरीज़ खड़े खड़े खर्च करेंगें .थक जाएं तो ब्रेक लेलें .मानव शारीर बैठे बैठे काम करने के लिए नहीं बनाया गया है .

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

मोटापे का मुकाबला करने की फ्रांसीसी जुगत .

मोटापे का मुकाबला करने की फ्रांसीसी जुगत .
How to check obesity ?Give extra marks to children who are slim(Health gets special weightage)/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI /JANUARY 5,2012,P21
Pierre Dukan (पिएर्रे दुकन) मशहूर दुकन डाईट के रचनाकार हैं .आपने फ्रांस के भावी हुक्मरानों से एक नायाब पेशकश की है ,पतले छरहरे स्कूल छात्रों को परीक्षा में विशेष अंक दिए जाएं .कद काठी के अनुरूप आदर्श तौल (Ideal weight) को एक वैकल्पिक विषय के रूप में हाई स्कूल परीक्षा (जिसे फ्रांस में 'Baccalaureate' कहा जाता है इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद ही विश्वविद्यालय में प्रवेश मिलता है .
आपने यह पेशकश अपनी किताब ' An Open Letter to the Future President ' में की है जिसकी प्रतियां आसन्न राष्ट्रपति चुनाव के लिए उतावले १६ उम्मीदवारों को भेजी गईं हैं .
बॉडी मॉस इंडेक्स (BMI) को १८-२५ के बीच बनाए रखने वाले छात्रों को विशेष अंक दिए जायेंगे .
दो साला पाठ्यक्रम के शुरू में ही जो छात्र ओवरवेट होंगें और यह वांछित कीर्तिमान दो साला पाठ्यक्रम में हासिल करतें हैं उन्हें डबल पॉइंट्स दिए जायेंगे .दुंकन कहतें हैं इससे बढ़िया अभिप्रेरण और प्रोत्साहन क्या दिया जा सकता है इन विद्यार्थियों को .
आखिर फ्रांस में इस परीक्षा का जिसे Baccalaureate कहा जाता है बड़ा महत्व है एहम है यह परीक्षा माँ बाप और नौनिहालों के लिए जो विश्वविद्यालय प्रवेश के द्वार खोलती है .
मोटापा फ्रांस में एक बड़ी समस्या बना हुआ है .एक तरफ पूअर न्यूट्रीशन ,गलत खानपान दूसरी तरफ दैनिकी में सब कुछ बैठे बैठे करना ,व्यायाम के लिए अवकाश न निकाल पाना ओबीसिटी की बड़ी वजह बना हुआ है .इसी दूषित जीवन शैली के चलते जहां १९६० के दशक में फ्रांस में कुल पांच लाख लोग थे वहीँ यह संख्या बढ़के अब दो करोड़ बीस लाख हो गई है और दिनानुदिन इसमें इजाफा हो रहा है .यह समस्या अब सेहत तक ही सीमित न रहकर राजनीति को भी अपने पाश में लेने लगी है .राजनीतिक पहल ज़रूरी है .राजनीतिक चिंता और तवज्जो भी यह समस्या मांग रही है .
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
ब्राउन राईस में मौजूद कुछ खाद्य रेशे भी रहतें हैं .समझा जाता है यह मधुमेह (जीवन शैलीरोग सेकेंडरी दायाबितीज़) के खतरे के वजन को कम करतें हैं .खून में घुली चर्बी और तौल को कम करने में मददगार सिद्ध होतें हैं .
The fibre in brown rice reduces diabetes risk ,decreases cholestrol and helps weight loss .
इलायची और दालचीनी (काडमाम ) का काढा (क्वाथ या infusion) तैयार करके ,दोनों को पानी में उबालके गरारे करने से Sore throat में आराम आता है .
Gargle daily with an infusion of cardamom and cinnamon to cure a sore throat during flu.
ram ram bhai !ram ram bhai !
कसरत से जुडी है अकादमिक उपलब्धियों की नव्ज़ .
Academic feat linked to exercise ?/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY4 ,2012/P17
नीदरलैंड्स(हालैंड )की एक रिसर्च टीम ने एक भारतीय मूल के साइंसदान की अगुवाई में पता लगाया है जो बच्चे भौतिक रूप से भी सक्रीय रहतें हैं उनकी अकादमिक उपलब्धियां भी उल्लेखनीय रहतीं हैं .यदि आप चाहतें आपके बच्चे पढ़ाई लिखाई में अच्छा करें तब उन्हें ये न कहें -पढोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब ,खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब .प्रेरित करें उन्हें खेल कूद के लिए .आउट डोर गेम्स के लिए .
डॉ .अमिका सिंह VRIJIE UNIVERSITEIT UNIVERSITY MEDICAL CENTRE ,AMSTERDAM से सम्बद्ध रिसर्चर हैं .आपके कुशल नेतृत्व में ही यह शोध कार्य संपन्न हुआ है आकादमिक कौशल और व्यायाम में एक अंतर सम्बन्ध की पुष्टि इस शोध से हुई है .
अध्ययन के अनुसार व्यायाम का सकारात्मक प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है क्योंकि व्यायाम के दौरान दिमाग को रक्त और ऑक्सीजन दोनों की ही आपूर्ति ज्यादा होने लगती है .बेशक इस अंतर -सम्बन्ध की पुष्टि अभी और विस्तार मांगती है ..
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS:
अपच से राहत के लिए गुनगुने पानी में दो चम्मच कागज़ी नीम्बू और अदरक का रस और थोड़ा शहद मिलाकर लें .
Drinking warm water with two spoons of lime and zinzer juice and honey helps with indigestion .

चेहरे की झुर्रियों को कम करने के लिए त्वचा की शुष्कता कम करने वाली ऐसी विशेष क्रीमों का ही स्तेमाल करें जिनमे ग्लीसरीन मौजूद हो या फिर Hyaluronic acid मौजूद हो .
To decrease fine lines or wrinkles ,apply moisturisers that contain glycerin or hyaluronic.
ram ram bhai !ram ram bhai !
JANUARY6,2012
फ्लश करने से पहले टॉयलिट सीट का ढक्कन क्यों बंद करना चाहिए ?
Flushing the toilet with lid up can spread germs /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 5 ,2012/P21
फ्लश करते वक्त यदि टॉयलिट सीट का लिड यूं ही खुला छोड़ दिया जाएं तब शौचघर में ज़रासीम (GERMS) फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है .एक अध्ययन के अनुसार ऐसे में WINTER VOMITING BUG जैसे रोगाणु को आसपास फ़ैल जाने एवं खुलकर खेलने का मौक़ा मिल जाता है .
लीड्स विश्विद्यालय की एक रिसर्च टीम के मुताबिक़ ढक्कन खुला छोड़ कर जब हम फ्लश करतें हैं तब पूरे शौच घर में जीवाणु का एकबादल छितराता हुआ सा चारो तरफ तिर जाता है फ़ैल जाता है एक विस्फोट के साथ . यह आसपास की चीज़ों सतहों पर पसर जाता है .ऐसे में विंटर वोमिटिंग बग्स जैसे विषाणु एक व्यक्ति से दूसरे तक सहज ही अंतरित हो सकतें हैं पहुँच सकतें हैं .शौच घर की हवा तो संदूषित होती ही है .सौन्दर्य बोध को काटती है .
ज़ाहिर है लिड का अपना एक मकसद है .बिला वजह नहीं है लिड.यही कहना है प्रोफ़ेसर मार्क विलकॉक्स का .आप इस रिसर्च टीम के अगुवा रहें हैं .

बुधवार, 4 जनवरी 2012

मारक सिद्ध हो रही है यह 'डेस्क टॉप डाईट '

मारक सिद्ध हो रही है यह 'डेस्क टॉप डाईट '
THE DESK TOP DIET /DO YOUR EATING HABITS GO AWRY WHEN YOU ARE AT YOUR WORKPLACE ?SET THINGS RIGHT (Divashri.Sinha@timesgroup.com/MUMBAI MIRROR ,JANUARY4,2012.
बैठे - बैठे डेस्क टॉप में एक साथ कितने ही कामों को दिन भर में अंजाम देती युवा प्रोफेशनल्स की यह युवा भीड़ खाना पकाने और सेहत के मुफीद खाने -पीने का अपने तैं वक्त नहीं निकाल पा रही है .यही वजह है इनके ऑफिस की दराजें जंक फ़ूड से भरी रहतीं हैं .संशाधित पैकेज्ड फ़ूड ,तुरता पकने को तैयार सामिग्री से पटी रहतीं हैं .परम्परा गत घर का पेग लंच नदारद है इनके खान पान से .
दिक्कत यह है यह तुरता बासा भोजन (easy -to -cook meals)जो चिकनाई (जमने वाली चिकनाई सेच्युरेतिद फेट्स ,ट्रांसफेट्स)नमक और शक्कर से लदा रहता है मोटापे ,ओबेसिटी ,मधुमेह (जीवन शैली सेकेंडरी डायबितीज़ ),दिल और दिमाग के दौरों (heart and brain attacks ),दिल और दिमाग की अन्य बीमारियों को बढा रहा है .
कोई वजह नहीं है हम अपने बिगड़े हुए खान पान में थोड़ी सी भी रद्दो बदल न कर सकें .जहां चाह वहां राह .
चलिए उलट पुलट हो चुके खान पान में हो क्या क्या रहा है इस पर तवज्जो देके देखें -
COMPULSIVE SNACKING:
चिप्स हों या कचरी(Chakna),खाकरा (khakras) या फिर हो बिस्किट्स दफ्तर में डेस्क पर काम करते करते टूंगने की एक आदत सी हो गई है सभी को दमखम बनाए रखने के नाम पर .बस बैठे ठाले इस परिवेश में शरीर को बिला वजह हम भण्डार ग्रह बनाए जा रहें हैं चर्बी का .(लम्बी उड़ान भरने से पहले प्रवासी पक्षी जमा करतें हैं फेट्स ,हम बिला वजह बैठे बैठे एक सनक में यह सब किए जा रहें हैं बस यही है ओबसेशन ,कम्पल्सिव ईटिंग ).
हमें जरा भी इल्म नहीं है इस बासा नाश्ते जलपान में ,snacks में नमक हमारी दिन भर की ज़रूरीयात से भी कहाँ ज्यादा भरा हुआ है जो इस कि भंडारण अवधि बनाए रखने के लिए ज़रूरी तौर पर डाला गया है .हाईपरटेंशन (उच्च रक्त चाप ,हाई ब्लड प्रेशर )और वाटर रिटेंशन (जल अवरोधन ,जल -प्रति -धारण )की यही वजह बन रहा है .
समाधान क्या है इसका ?
छोटे पेकिट्स खरीदिये चिप्स के ,स्नेक्स के ,ध्यान रहे दिन भर में पांच बार से ज्यादा आप कुछ भी न खाएं .
TOO MUCH TEA OR COFFEE:
हर दो घंटे बाद आपको काम के दरमियान चाय कोफी चाहिए .दिवसांत में यही लत आपको बे -चैन ,चिंतित ,चिडचिडा ,शरीर में पानी की कमी से जूझते हुए छोड़ जाती है रातों की नींद उड़ा ले जाती है .कुछ लोग चाय या कोफी का सेवन खाने के साथ करते देखे जा सकतें हैं .ऐसे में शरीर द्वारा लौह तत्वों की ज़ज्बी तकरीबन तकरीबन नामुमकिन सी ही हो जाती है .(वैसे ही शाकाहारी खुराक में रोटीआदि में मौजूद प्रोटीन लोहे की ज़ज्बी को मुश्किल बनाए रहतीं हैं . )रही सही कसर चाय कोफी पूरी कर देतीं हैं .ऐसे में पुष्टिकर तत्वों का बहिष्करण हमारा शरीर अपशिष्ट समझके कर देता है .
समाधान क्या है इस से उबरने का ?
है समाधान .कभी कभार ग्रीन टी भी लीजिए कभी गुनगुना नीम्बू पानी भी .आधा प्याला एक बार में लीजिए चाय कोफी का .कभी ताज़ा जूस भी ट्राई कीजिए .ग्रीन टी में न चीनी होगी न दूध .अलग अलग स्वादों में उपलब्ध है ग्रीन टी .
NOT DRINKING ENOUGH WATER :
वातानुकूलित कक्षों में काम करते हुए पसीना नहीं आता है इसका मतलब यह नहीं है कि शरीर को पानी नहीं चाहिए .निरजलीकरण हो रहा है यहाँ .बॉडी आपकी डीहाईड्रेट हो रही है .लेकिन आपको इसका इल्म नहीं है न पानी पीने की आदत है .आपका शरीर भी कम पानी का अभ्यस्त हो चला है .धीरे धीरे इस कुचक्र से बाहर आएं .घर से पानी की बोतल साथ लाएं .वापस लौटने से पहले खत्म होनी चाहिए .भले शुरू में वाश रूम का स्तेमाल ज्यादा करना पड़े .कुछेक दिन में इसका भी अनुकूलन हो जाएगा .
कम पानी पीने का मतलब है कब्जी (Constipation ),अपच (indigestion ),गैस का बनना ,निरजलीकरण ,चमड़ी का कान्ति हीन होना और increased hunger pangs.है .
HEAVY MEALS:
देर रात गए खाने का मतलब है आपका शरीर थक चुका है उसे खाने से ज्यादा आराम की ज़रुरत है .देर रात गए लार्ज मील्स का मतलब है कार्बोहाईड्रेट रिच फ़ूड .जिसे शरीर जमा कर लेता है बतौर चर्बी खर्च नहीं कर पाता .खुराक में अतिरिक्त केलोरीज़ तो जा ही रहीं हैं .
समाधान है :
तरकारियाँ और लीन प्रोटीन चाहिए रात के भोजन में .ख़ास कर देर रात सोने से पहले के मील्स में जिसके हम अभ्यस्त हो चले हैं .तरकारियों में मौजूद खाद्य रेशे तथा लीन प्रोटीन एक तरफ भरपेट किए गए भोजन का एहसास दिलातें हैं दूसरी तरफ कुल केलोरीज़ में कटौती भी करतें हैं.बतलादें आपको दालें और तरकारियाँ ही देर रात गए लेना काफी रहता है चावल और रोटी हम आदतन लेतें हैं ज़रुरत नहीं रहती है इनकी .
WEEKEND BINGING:
सप्ताह में ५-६ दिन संयमित भोजन के बाद सप्ताह अंत में खुद को दावत देना खुलके कुछ भी खाने पीने की अपनी पूरी दैनिकी के साथ ज्यादती करना है छेड़छाड़ करना है .और भी तरीके हैं खुद को दावत देने के -एक अच्छी मालिश कराइए तन बदन की ,एक अच्छी किताब पढ़िए ,बढ़िया फिल्म देखिये ,मन पसंद कुछ और कीजिए .ट्रेकिंग कीजिए .सप्ताहांत से हटके भी ऐसा कीजिए .
DRINKING ALCOHOL ON AN EMPTY STOMACH:
,खाली पेट ली गई शराब सीधे सीधे फेट में बदल जाती है .इसीलिए एम्प्टी केलोरीज़ में गिनी जाती है .साथ में जलपान टूंगना केलोरीज़ की भरमार करदेता है शरीर में .ऐसे में इंसुलिन का स्तर शरीर में सहज ही बढ़ जाता है . साथ ही ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर गिर जाता है .इसीलिए भूख बेतहाशा बढ़ जाती है .नतीजन आप जो भी सामने आता है उसे चट कर जातें हैं ऐसी चीज़ों के लिए भी ललचाने लगतें हैं जिसकी आपको ज़रुरत नहीं है .
समाधान क्या है इस स्थिति से बचाव का ?
ड्रिंक्स का मूड बनाने से पहले कुछ हल्का फुल्का सुपाच्य खा लीजिए .सलाद और सैन्विच भी बुरा नहीं है .अगर कुछ भी नहीं है तो एक ग्लास दूध भी चलेगा ,या फिर एक कटोरी दही भी .यदि दूध से आप छितकतें हैं तो .सबसे उत्तम हैं प्रोटीन .प्रोटीन एल्कोहल की ज़ज्बी की दर को घटा देतें हैं .आगे आपकी मर्जी .