कैसे काम करतें हैं नाईट विज़न गोगिल्स ?
यह विशेष ट्यूबज़मा प्रकाश के ऊर्जा स्तर (एनेर्जी लेवल ) को बढ़ा कर प्रकाश को एक "फास्फोरस स्क्रीन "पर प्रक्षेपित कर किसी भी पिंड से ग्रहण किए गए प्रकाश का आवर्धित प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करवाने में विधाई भूमिका निभाती है वान्दर्बिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के साइंस दानों ने एक अभिनव प्रोद्योगिकी का स्तेमाल करके यह नूतन नाईट विज़न गोगिल्स तैयार किए हैं ।
पूर्व में प्रतिरक्षा सेवाओं के अलावा खोजी मिशंस में इनका स्तेमाल किया जाता रहा है .अब एयर एम्बुलेंस सेवाओं में इनका चलन शुरू होने को है .यात्री विमान सेवाओं के पायलट और इतर स्टाफ को यह गोगिल्स मुहैया करवाए जायेंगें ।
वान्दर्बिल्ट लाइफ फला -इट्स के कुल चार बेसिस में से तीन में इनका चलन शुरू किया जा चुका है .चौथा बे -स २०१० तक प्रशिक्षण पूरा कर लेगा ।
बकौल विल्सन मेथ्युज़ (आर एन ,इ एम् टी ,चीफ फला -इट्स नर्स ,लाइफ -फला ईट बे स ,तेंनेस्सी )जहाँ तक इन गोगिल्स की क्षमता का सवाल है ,इन्हें पहन कर दस मील दूरखड़े किसी व्यक्ति के हाथों में सुलगती सिगरेट की रौशनी देखी जा सकती है ,पेड़ पौधों के पत्तों की बनावट का जायजा लिया जा सकता है ।
अब सीन लेंडिंग के दौरान पायलट ,नर्सें इतर एम्बुलेंस सेवा कर्मी टेडी मेढ़ी पहाड़ियों ,पावर लाइंस ऊंचे नीचे दरख्तों को साफ़ साफ़ देख सकेंगें ।आपात कालीन लेंडिंग के दरमियान खतरें कम हो सकेंगें .इस प्रकार सिविलियन एवियेशन ऑपरेशंस की सुरक्षा को भी अब पुख्ता किया जा सकेगा .
पोर और ऊंगली के जोड़ों को चटकाने पर चाट चट-चट की आवाज़ क्यों आती है ?
ऐसा तब होता है जब हम देर तक काम करने के बाद ,लिखते रहने के बाद या फ़िर आदतन अपने पोर और ऊंगलियों के जोड़ों को खींचतें हैं .वास्तव में ऐसा करते ही इस तरल द्वारा पैदा दाब (फ्लूइड प्रेशर )कम हो जाता है फलस्वरूप इसमे मौजूद गैसें पूरी तरह घुल जातीं हैं (दिज़ोल्व हो जातीं हैं )।
गैसों के घुलने के कारण और इसके साथ साथ ही एक प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसे केविटेसन कहतें हैं ,इसी की वजह से बुलबले बनते हैं .(फीटल की लिंग जांच के वक्त भी केविटेसन की वजह से बुलबुलों का बनना और फ़िर फटना भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है )।
जोड़ों को खींचने से ऊंगली चटकाने मोड़ने की क्रिया में तरल दाब (सिनोवियल प्रेशर )के कम हो जाने पर बुलबले फट कर चट चट की ध्वनी करतें हैं ।
आपने देखा होगा एक बार ऊंगली चटकाने के बाद दोबारा कुछ अंतराल के बाद ही ऐसा हो सकता है क्योंकि गैस को दोबारा घुलने में २५ -३० मिनिट का वक्त लग जाता है .
कैसे पता लगाया जाता है सितारों का ताप मान ?
लाल रंग का प्रकाश तरंग दीर्घता (वेव लेंग्थ )में सबसे ज्यादा और नीले रंग का न्यूनतम लम्बाई की वेव लिए होता है .इसका मतलब लाल दिखलाई देने वाला सितारा अपेक्षतया कम गर्म तथा नीला सबसे ज्यादा गर्म होता है .गर्मी की मात्रा (तीव्रता )तापमान है .इसका निर्धारण आकलन करने के लिए यूँ हमारे पास "वीन्स-डिस्प्लेसमेंट ला "है .जो हमें बतलाता है :दी प्रोडक्ट ऑफ़ वेव लेंग्थ फॉर मैक्सिमम एमिशन ऑफ़ रेडियेशन फॉर ऐ स्टार एंड दी फोर्थ पावर ऑफ़ इट्स टेम्प्रेचर रीमेंस कोंसटेंट ।इसे यूँ भी कह सकतें हैं : टेम्प्रेचर ऑफ़ ऐ स्टार इज इन्वार्ज्ली प्रोपोर्शनल टू दी फोर्थ पावर ऑफ़ इट्स एब्सोल्यूट टेम्प्रेचर .
ताप -मान के आकलन के लिए इन दिनों प्रकाश विद्युत् प्रकाश मापी फोटेलेक्ट्रिक फोटोमीटर )का स्तेमाल किया जाता है ,जिसमे प्रकाश को अलग अलग कई फिल्टरों से गुजारा जाता है ,तथा इनके पार गई प्रकाश की मात्रा का मापन किया जाता है ।अब प्रकाश की इस तीव्रता (मात्रा )के आधार पर ही तापमान का आकलन स्तान्दर्द स्केल्स पर किया जाता है (यह एक प्रकार का केलिब्रेशन ही होता है ,देट इज कम्पेरिज़न ऑफ़ ऐ अन -नॉन क्वान्तिती विद ऐ नॉन स्तान्दर्द )।
13 टिप्पणियां:
informative post
have to read it once more
बढ़िया जानकारी देते हैं आप भाई जी !
शुभकामनायें आपको !
बहुत काम की वस्तु है ये नाईट विजन
very informative post.
ग्यान का भंदार होता है आपके ब्लाग पर। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
चटख आवाजों का इतना चटख उत्तर।
बहुत बढ़िया, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
इस पोस्ट में कई ऐसी जानकारी थी जिसके बारे में मैं बिल्कुल ही नहीं जानता था। जैसे उंगली से चट-चट की आवाज़।
बहुत अच्छी जानकारी देता है आपका लेख
इतनी विस्तृत जानकारी ...पढ़कर अच्छा लगा आभार ।
ढेर सारी जानकारी के लिए आभार
एक साथ नया पुराना बहुत कुछ| ज्ञान का भंडार लुटा रहे हैं आप| वर्तमान के मुकाबले इन आलेखों का भावी महत्व कहीं अधिक है|
Good post .meaning ful message .
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