जमील मर्सिअस ने अपनी स्पोर्ट्स यूनीफोर्म की ओर देखा ,इल्म हुआ यह उसकी मिडिल स्कूल बेसबोल टीम का सबसे बड़ा साइज़ है .अन्दर ही अन्दर उसे खुद से शर्मिंदगी महसूस हुई .उसके साथी उसे जाइंट टेडी बीयर बुलाते .सातवें दर्जे तक आते आते उसकी जीवन शैली में वजन की बेशुमार वृद्धि के चलते नाटकीय बदलाव आने लगे .सालों साल शिरकत करते रहने के बाद अब वह टीम स्पोर्ट्स से ही छिटकने लगा .छिटकने के बहाने उसे रास आने लगे .पहले वह बेसबाल से अलग हुआ फिर सॉकर यानी फ़ुटबाल टीम से .आखिर में बारी आई बास्किट बाल के छूटने की भी .नतीज़न हाई स्कूल में बतौर जूनियर के उसका वजन ३०० पोंड के भी पार चला गया .
अब उसका समय जहां ४४ इंची वेस्ट की पेंटें ढूँढने में बीतता जबकि उसके साथ फेशनेबुल एब्रक्रोम्बी और फित्च के दीवाने हो चुके थे .
एक दिन उसे खुद के समाज से अलग थलग पड़ जाने का एहसास भी हुआ . .
स्कूल भुगताने के बाद उसके साथी खेल खुद की तैयारी करते वह .सीधे घर आता और जुट जाता होम वर्क में .
लेकिन जोर का झटका अपने बेहूदा डीलडौल को लेकर उसे तब लगा जब वह १७ साला होने पर हवाई में अवकाश भुगताने आया .ट्रिप से लौटते हुए वह अपने डिजिटल फोटो देख रहा था .यार दोस्तों को इस ट्रिप के फोटो दिखाने का उत्साह काफूर हो गया .उसे जोर का झटका अब लगा .ऑन लाइन इन छवियों को पोस्ट करने का दुस्साहस वह कर ही न सका .ज्यादा तस्वीरें उसने उतारी भी कहाँ थीं .वो कहतें हैं न तस्वीर झूठ नहीं बोलती .आईने दगा नहीं देते .
रूटीन फिजिकल चेक अप के लिए अपने डॉ .के पास पहुंचा .पता चला उसका वजन ३१३ पोंड हो चला है .पहले भी इस प्रकार के रूटीन चेक अप में डॉ. की हिदायतें यही होती थी वजन कम करो .खुराक के माहिर से टिप्स लो .डाईट चार्ट बनवाओ .इस बार भी वही होना था .हाई स्कूल कोर्स के दौरान वह कभी कभार ही जिम में दिखाई देता .लेकिन जिम जाने की बान कभी न पड़ी .सारे रिजोल्यूशन बिलाते रहे ,इरादे ढ़हते रहे लैंड स्लाइड से .
उस रात वह अपनी गराज में सबसे छुपके घुसा और अपने फैसले को अमल में लाना शुरु किया ताकि किसी की उस पर नजर न पड़े .तीसरे ही स्तर में इलिप्टिकल चरमरा के टूट गया .मशीन उसकी काया का बोझ ढ़ो न सकी बराबर- बराबर के दो भागों में टूट गई .
छुपता छुपाता वह लिविंग रूम्स में आया .गनीमत थी किसी ने उसे देखा नहीं न मशीन का टूटना देखा .
अब वह देर शाम घूमने के लिए जाने लगा .लोगों की घूरती मज़ाक उडाती चितवन से बचता बचाता ,जैसे चोरी कर रहा हो ,सैर नहीं .सिर मुंडाते ही ओले पड़े दूसरे तीसरे दिन ही किशोर किशोरियों की ट्रक में सवार टोली उसे खिझाते हुए निकल गई -मोटा भई मोटा .झोटा भई झोटा .
हालाकि ऐसा होना अपवाद ही होता है आम नहीं यहाँ अमरीका में .एक से बढ़के एक झोटें हैं, यहाँ . .आपकी सोच की सीमा से बहुत आगे .
धीरे धीरे मर्सिअस जोगिंग से दौड़ पर आने लगा .
फास्ट फ़ूड को कहा अलविदा और संशाधित नमक और चीनी लदे खाद्यों की जगह आ गए फल और तरकारियाँ .
माँ का उसे इस अभियान में पूरा आसरा और साथ मिला .उसके कम होते वजन का वह हिसाब रखती उसकी पीठ थपथपाती जोश दिलाती .
मर्सिअस ने किसी खुराक या किताबी डाईट का अनुसरण न करके खुद रिसर्च की आज़माइश की खुद पर .हौसला रखते रखाते हुए .
नाश्ते में प्रोटीन की बहुलता होती यथा कोटेज़ चीज़ ,योगर्ट ,दोपहर और रात के भोजन में सलाद और सब्जियां होतीं .एक प्रोटीन बहुल चीज़ भी ज़रूर रहती .कोई लक्ष्य निर्धारित न किया था .कहाँ आके रुकना है कितना वजन कम करना है .वह बस चल रहा था अपनी रौ में अपने रस्ते .
तीन साल में उसका वजन १३० पोंड कम हो गया .सितम्बर २०१० में रह गया था १८५ पोंड .अब वह खुद से मुखातिब था .खुश था .अब एक ही लगन. थी.मजबूती देनी है शारीर को .ये शरीर मेरा है अब मैं जानता हूँ मुझे इसका क्या करना है .
मर्सिअस अब २२ साला है .सातों दिन हफ्ते के वह सुबह ५.३० बजे उठके जिम पहुंचता है .आधा घंटा मानव चक्की पर चलना नित नित .कोलिज से ग्रेजुएशन करने के बाद उसका वजन १० पोंड ज़रूर बढा है लेकिन यह सब मसल मॉस है .फैट मॉस नहीं है .
फरवरी २०११ में उसने हाफ मैराथन में हिस्सा लिया था .अगस्त में दोबारा इसमें दौड़ने का प्रशिक्षण ज़ारी है .
हम सभी अपने लिए "मी -टाइम" निकाल सकतें हैं काम का, व्यायाम का ,कोई बहाना काम का नहीं होता है सब बेकार होतें हैं बहाने .मर्सिअस आज यही सोचता है .वह जो पहले अंतर मुखी था अब बहिर -मुखी है .कहाँ हाई -स्कूल तक एकांत प्रिय और अब मुखर प्रखर मुखरित औरबातूनी , वाचाल, दोस्तों में नेत्रित्व संभालता हुआ .सब कुछ जीवन शैली के स्वयं प्रेरित बदलाव की देन है .काया पर खुद के अधिकार का तोहफा है .
.
रविवार, 17 जुलाई 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
10 टिप्पणियां:
वीरू भाई ,राम-राम !
सौ बात की एक बात ..."जहां चाह,वहाँ राह!
एक बार आ कर सावन के महीने में गुनगुना लो,
और २०.७.११ को आज सजन मोहे अंग लगा लो|
शुभकामनायें!
भारत में सभी को आपका इन्तजार है ||
रोचक कहानी ||
दृढ इच्छा शक्ति से सब सम्भव है, फिर साथ में माँ का संतुलित प्यार भरी देखभाल, हौसलाफजाई ||
बहुत बढ़िया, रोचक और शानदार कहानी ! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
काया पर खुद के अधिकार का तोहफा है . सही कहा आपने। यह जमील मर्सियस हम सबके लिए एक सबक है।
सब कुछ जीवन शैली के स्वयं प्रेरित बदलाव की देन है .काया पर खुद के अधिकार का तोहफा है . बिल्कुल सही कहा..दृढ इच्छा शक्ति से सब सम्भव है,
प्रेरक कथा...
बस कोई काम करने के लिए एक संकल्प की जरूरत होती है
सब कुछ जीवन शैली के स्वयं प्रेरित बदलाव की देन है .काया पर खुद के अधिकार का तोहफा है
thoughtful nice post
सच है सर, स्वस्थ रहना और अपनी काया पर काबू रखना खुद के नियंत्रण में है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बिलकुल सही कहा, असंभव कुछ भी नहीं होता, सिर्फ ठान लेने की बात होती है।
------
बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्तुति।
अब आप अल्पना वर्मा से विज्ञान समाचार सुनिए..
very good article
एक टिप्पणी भेजें