सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

सेकिंड हेंड स्मोक और "अटेंशन डेफिसिट हाई -पर -एक्टिविटी डिस -ऑर्डर

स्मोक एक्सपोज़र अप्स रिस्क ऑफ़ ए डी एच डी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,न्युदेल्ही ,अक्टूबर ११ ,२०१० ,पृष्ठ १२ )।
"ए डी एच डी "संक्षिप रूप है अटेंशन डेफिसिट हाई -पर -एक्टिविटी डिस -ऑर्डर का .सेकिंड हेंड स्मोक ,स्मोकर के मुंहसे कशलगाने के बाद हमारे अपनेमाहौल में हुआ धुआं है .पेसिव स्मोकिंग के रूप में जाना जाता है "सेकिंड हेंड स्मोक "।
अभी हाल ही में अमरीकी साइंसदानों ने एशिया पेसिफिक कोंफरेंस आन टूबेको आर हेल्थ पर संपन्न एक अध्ययन प्रस्तुत किया है .पता चला सेकिंड हेंड स्मोक से असरग्रस्त बच्चों के लिए इससे बचे रहने वाले बच्चों के बरक्स ए डी एच डी तथा हकलाने दोनों का ही ख़तरा बढ़कर दोगुना हो जाता है .अलावा इसके सिर दर्द का बार बार होना सेकिंड हेंड स्मोक झेलने वालों के लिए जहां १४.२ %रहता है वहीं इस से बचे रहने वाले नौनिहालों के लिए १० फीसद ही रहा ।
किशोरों में भी जो सेकिंड हेंड स्मोक से दो चार हुए सिर दर्द के मामले २६.५% इस से अछूते रहे किशोर वर्ग के लिए सिर्फ २०% ही रहे ।
भारत के लिए इन नतीजों के और गंभीर मायने हैं जहां दुनिया भर के १०% धूम्र -पानी हैं .सीखने समझने ,शिक्षा और सेहत दोनों को चौपट (असर ग्रस्त )करता है सेकिंड हेंड स्मोक यानी धूम्र -पानी का संग साथ ,उसकी सोहबत .केलिफोर्निया विश्वविद्यालय ,सानफ्रांसिस्को कैम्पस के हेल्थ इकोनोमिक्स के प्रोफ़ेसर वेंडी मेक्स भी इस तथ्य को पुष्ट करतें हैं .आप इस रिसर्च के अगुवा रहें हैं .बकौल आपके तीन तरह से मार करता है सेकिंड हेंड स्मोक .भौतिक और मानसिक विकास के अलावा बच्चों के बोध -सम्बन्धी (कोगनिटिव फेकल्टी )तथा सामाजिक विकास पर भी असर डालता है सेकिंड हेंड स्मोक ।
ज़ाहिर है भारत देश के बच्चे अ-रक्षित हैं .धूम्र -पानी के मुख से उगले धुयें से घर बाहर सब जगह दो चार होतें हैं ।
एक तरफ पिछड़े पन की मार दूसरी तरफ धुयें की .जैसे -जैसे विकसित देश और समाज धूम्र -पान से छिटक रहें हैं ,भारत जैसे गरीब देश इसकी बेहद की ज़द में आते चले जा रहें हैं .आठ साल की उम्र में बच्चा अपनी पहली बीडी सिगरेट सुलगा रहा है .बाल -श्रम नए ही गुल खिला रहा है .कोई देखने समझने वाला नहीं है .
जय हो !

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