रविवार, 6 दिसंबर 2009

खान पान भी खानदानी और क्षेत्रीय जीवन इकाइयों से ताल्लुक रखता है ?

कहा जाता है हिन्दुस्तान में तीन कोस पर बोली बदल जाती है .हो सकता है बोली के भी खान दानी जींस एक दिन पता चलें बहरहाल इधर साइंस दानों और शोध कर्ताओं ने बतलाया है आप जिस क्षेत्र विशेष में पैदा होतें हैं वहीं का खान पान पसंद आता है आप को और यह महज इत्तेफाक नहीं हैं इस प्रवृत्ति का फैसला आपके जींस में छिपा होता है .आप एक विशेष खान पान के प्रति लगाव लिए ही इस दुनिया में आयें हैं ,इसकी वजह आप की आंचलिकता (क्षेत्रीयता )में छिपीं हैं .क्षेत्रीय खान पान के प्रति मौजूद इस जन्म जात रूझान को "टेस्ट दाय्लेक्त "कहा जा रहा है .इस टेस्ट डाय-लेक्त का सम्बन्ध व्यक्ति या फ़िर समुदाय के जन्मस्थान /अंचल से है जो उसकी आनुवंशिक बनावट में छिपा रहता /अभिव्यक्त होता है .हज़ारों हज़ार लोगों की जांच करने पर उक्त तथ्य की पुष्टि हुई है .यही वजह हर व्यक्ति को अपने अंचल का खाना ज्यादा पसंद आता है .बाकी टेस्ट वह बाद को कल्तिवेत करता है .

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