गुरुवार, 16 नवंबर 2017

Vijya Shankar Kaushal JI Ram Katha Day 9 Part 3 Ujjain


गुरुवार, 16 नवंबर 2017


Vijya Shankar Kaushal JI Ram Katha Day 9 Part 3 Ujjain

भक्त कभी भगवान् को नहीं खोजा करता भगवान् ही खोजते हैं चाहे भक्त हिमालय की किसी गुफा में छिपा हो। 

भगवान् पुकारे जाते हैं भक्त पुकारा करते हैं डबडबाती आँखों से रूंधे गले से। 

गज ने पुकारो मैंने गरुण बचायो  ,

मैंने  गाह को पछाड़ो ,सुन प्रेम की पुकार। 

द्रौपदी पुकारी मोहे ,सुध लीजै बनवारी ,

मोहि आस है तिहारी ,कहुँ  जाऊँ का के द्वार 

करि देर नहीं  मैंने , तुरत ही चीर बढ़ायो। 

नाना भांत नचायो भक्तन ने मोहे ,

 तजि लाज ही नहीं मैंने ,

बैकुंठ ही बिसरायो मैंने ,

बहुत ही नांच नचायो 

भक्तन मोहे  बहुत ही नचायो। 

जागते रहिए बस  भगवान् आता है ,आएगा सबके द्वार पर आता है  लेकिन हम सोते मिलते हैं भगवान् बड़ा दयालु है जगाता नहीं है ,सो रहा है मेरा बालक ,जो जाग रहा है  उसके द्वार पर प्रभु कान लगाकर खड़े हो जाते हैं। -पूजा पाठ आदि जो भी हम करते हैं यह जागना ही है। 

जो जाग रहा है उसे भगवान् मिलता है -

जो सोवत है सो खोवत है ,

जो जागत है सो पावत है। 

भगवान ने बैकुंठ से संकेत कर दिया भविष्य वाणी कर दी -हे ऋषि डरो मत, हे !धेनु !डरो मत। मैं आ रहा हूँ। शंकर जी की बात सब देवताओं की समझ में आ गई सब वहीं खड़े होकर पुकारने लगे थे -हे भक्त वत्सल रक्षा करो,रक्षा करो ,रक्षा करो। भविष्य वाणी हुई :

"धैर्य रखो अंशों के समेत मैं  अवध में अवतार लेने आ रहा हूँ।"

सब किष्किंधा में पहुँच गए भगवान की प्रतीक्षा करने लगे। भगवान् बालक बनकर प्रकट होने वाले हैं अवधपुरी में । 

अवधपुरी  रघुकुल मन राउ ,वेद विहित तेहि दशरथ नाहु 

धर्म धुरंधर गुण निधि ग्यानी ,...... सारंग पानी। 

श्री अवध (पुरी)  जहां कभी किसी का वध नहीं हुआ ,वहां भगवान्  प्रकट होते हैं।अयोध्या -जहां कोई युद्ध नहीं -शांत हृदय ,हृदय को अयोध्या बनाइये भगवान् का हृदय में प्राकट्य होगा। हृदय ही तो अयोध्या है ,जिसमें श्रीराम का निवास है। 

"दादी माँ !मेरे पिताजी की तो पुरोहिताई चल गई ,मैं किस की पुरोहिताई करूंगा ?बालक रो रहा है अरुंधति जी (गुरु माता )की गोद  में ,दशरथ जी आग्रह करके पूछ रहें हैं -गुरु माता के पैर पकड़ लिए हैं दशरथ जी ने कहते हुए यह कोई साधारण बालक नहीं है रो रहा है तो ज़रूर कोई बात होगी आप मुझे बताइये। गुरु माता दशरथ जी की उत्सुकता बढ़ाते हुए कहतीं हैं -आपके सुन ने लायक बात नहीं है कह तो रहा है ज़रूर कुछ ?"

दशरथ जी कहते हैं ऐसी क्या बात है ?कहिये आप ज़रूर कहिये निस्संकोच कहिये हम सुनेंगे -गुरु माता कहतीं हैं बालक कह रहा है -दादी मेरे पिता को तो पुरोहिताई मिल गई मैं किसकी पुरोहिताई करूंगा ?"

कहते हैं एक बार अरुंधति जी राजमहल में बैठी  वशिष्ठ जी से पूछ रहीं थीं क्या 'श्री लाल जी' का राजमहल में जन्म नहीं होगा। बोले वशिष्ठ जी हो तो जाए पर राजा में 'श्री लाल जी' की  लालसा ही नहीं हैं। 

अरुंधति जी बोलीं लालसा हम पैदा कर देंगें। वशिष्ठ जी ने कहा ठीक है एक काम आप कर दो -लाल जी को हम पैदा करवा देंगे। भले ये प्रसंग मानस  में नहीं है विजय कौशलजी कहते हैं हम को भी मालूम नहीं हैं लेकिन कुछ संत कहते हैं इसलिए हम भी बता रहे हैं। संकोच हमें भी हो रहा है। 

दशरथ जी मुख से तो एक शब्द नहीं बोले लेकिन जैसे किसी ने छाती पे हथोड़े से चोट मार दी हो। गुरु माता तो चली गईं। दशरथ जी को बड़ी आत्म ग्लानि होती है अपने कक्ष में आकर सारी  रात फूट -फूट कर रोते हैं। 

एक बार भू -पति मनमानी 

भई ग्लानि मोरे सुत नाहीं। 
...... ...... ...... 

निजी सुख दुःख सब गुरु ही सुनाये .... 


भगवान् हृदय में बोल गए -गुरु द्वारे जाओ तभी मैं आपके द्वार आऊंगा। 

गुरु गृह गयोहु  तुरत महिपाला ,

चरण लागि करि विनय बिचारा।

जो रो लिया वो भक्त हो गया। दशरथ जी महाग्यानी थे दशरथ जी को चुप कराते -कराते वशिष्ठ जी भी  रो दिए। 

"धरौ धीर "-राजन धीर धरो ,एक नहीं कई कई बच्चे आएंगे भले रानियां रजोनिवृत्त हो चुकी हैं।ये  बच्चे क्रिया से नहीं कृपा से आएंगे। 

श्रृंगी ऋषि वशिष्ठ बुलावा ,


पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया
 -और जैसे ही पूर्ण आहुति दी है यज्ञ नारायण स्वयं प्रकट हो गए -लो राजन प्रसाद लो सबको वितरण कर दो -जैसे ही तीनों माताओं ने प्रसाद का सेवन किया तीनो गर्भवती हो गईं।  

जिस दिन से भगवान् अयोघ्या में प्रकट हुए हैं :

सकल लोक सुख सम्पत छाये 

-सम्पूर्ण  लोक के साधन अयोध्या में आ गए। रिद्धि सिद्धियों की अयोध्या में बाढ़ आ गई। माताएं व्रत उपवास करने लगीं। 

सृष्टि का नियम  टूट गया ,जब सृष्टा ने ही नियम छोड़ दिया ,मनुष्य शरीर धार प्रकट हुए हैं -अब अयोध्या में भी महात्माओं का कुम्भ लगने लगा। माताओं में से उनके शरीर में से गर्भ के चित्र दिखाई देने लगे।

दिव्य ललाट जटाओं वाले  साधू महात्मा अवध में दिखायी  देने लगे। घर की दरो - दीवारों पर महापुरुषों के चित्र दिखाई देने लगे। सुंदर चित्र का गर्भवती माता के गर्भस्थ पर प्रभाव पड़ता है। आकाश में देवताओं के विमान मंडराने लगे। पूरे राजभवन की दीवालों में महापुरुषों के चित्र लगाए गए हैं। 
अपने घर का चरित सुधारना है, महापुरुषों के चित्र लगाइये घर की दीवारों पर सन्देश यही है। 


हरी प्रतीक्षित हैं -

हरी आ जाओ, हरी आ जाओ ,हरी आ जाओ 

पूरी रात अयोध्या पुकारती हैं पुकारने से ही भगवान् आते हैं 

राम जनम सुख मोल ... 

नौमी तिथि मधुमास पुनीता ,रामा  हो रामा ,

शुकल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता ,रामा हो रामा 

मध्य दिवस अति शीत  न घामा ,हो रामा हो रामा ...... 

योग लग्न , ग्रह,  वार ,तिथि सब अनुकूल है  ,भगवान् का प्राकट्य होता है  

दोपहर बारह बजे का समय अभिजीत नक्षत्र -भगवान् का जन्म हो गया है 

दिन के बारह बजे का महत्व :

इस समय भूख लगती है प्राणी को -भूखा व्यक्ति क्रोध करता है ,जब जगत के भोगों की पीड़ा तुझे सताये,क्षुधा सताये  उस समय मेरा आगमन होगा।अगर तू राम -राम का कीर्तन करेगा तो तुझे विश्राम मिलेगा ,आराम मिलेगा -

सकल लोक गायक विश्रामा -जो भी ये कीर्तन जाएगा आराम पायेगा। 

भगवान् कृष्ण का प्राकट्य रात्रि बारह बजे होता है इसके भी निहितार्थ हैं :

यह रात का वह पहर है जब व्यक्ति को काम-वासना  सताती  है ,सन्देश यह है तब अपने बिस्तर पर उठके बैठ जाइये ,भगवान् को याद कीजिये दो मिनिट ,अवांछित ,अतिरिक्त 'काम' शांत हो जाएगा। 

आज नौमी का प्रात : काल है अयोध्या में भारी भीड़ है। सरयू पर साधू सन्यासियों की भीड़ है। कस्तूरी की चारो और सुगंध है। 'बारह का घंटा' बजते ही चतुर्भुज नारायण प्रस्तुत हो गए।

"आप तो दादा बनके आये हैं  जैसे नवजात शीशु  आता है मैं चार हाथ कहाँ से लाऊँ ?वैसे आइये नैमिष आरण्य में आपने वायदा किया था। आप शिशु बनिए -दुनिया के लिए रोइये जब आपका रोना शुरू होगा तब अयोध्या वासियों का रोना  बंद होगा -रोना शगुन है शुभ माना जाता है प्रतीक है इत्तला है शिशु के आने की आसपास को ।"-बोलीं हैं अनुनय विनय संग माता कौशल्या भगवान् से।  

कौशल्या माँ की गोद  में सांवले सलोने कुंवर (भगवान् )आये हैं  -दशरथ जी सुनकर नाचने लगे -सुमंत जल्दी बाजे बजवाओ। लड़के के होने पर तभी से बाजे बजते हैं.

 और बेटी के पैदा होने पर आज हिन्दुस्तान में नानी मर जाती है घरवालों की ,सबके मुंह लटक जाते हैं।बाजे तो वह भी बजवाती है विदा के समय।अपना भाग्य तो साथ लाती ही है - 

पिता के लिए सौ -भाग्य (सौभाग्य) लेकर आती है बिटिया इसीलिए उसके नाम के आगे लिखा जाता है सौभाग्यवती ,जिस घर में बिटिया  का जन्म नहीं होता उसमें भूत लौटते हैं। फिर भी बिटिया के जन्म पर बस दो बार पड़ोसियों को सूचना देने के लिए तवा बजाया जाता है फिर पूरे घर को सांप सूंघ जाता है दादी और बुआ के तो जैसे प्राण ही सूख जाते हैं। 

थोड़ी ही देर में कैकई भी अपने पुत्र भरत को और सुमित्रा अपने दोनों नवजातों लक्ष्मण शत्रुघ्न को गोद  में लिए आ जातीं हैं पूरा अवध ख़ुशी से  नाचने लगता है।कौशल्या जी की तो समाधि ही लग जाती है। 

अवधपुर बाजे बधैया ,जन्म लियो चारों भैया 

राजा दशरथ लाला  जायो ,नाम धरे रघुरैया  ,

अवधपुर बाजे बधैया ,जन्मलियो है चारों भैया 

राम लला  की होत  निछावर ,दही , माखन घृत दहिया ,

अवधपुर बाजे बधैया .....

बधाई हो ,बधाई हो ,....मिठाई हो मिठाई हो  

जय श्री राम ,जय श्री राम। .

तीनों भाइयाँ की जय हों, तीनों ही माताअन  की जय हो।

सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=Wpd38pP_nP4

Vijay Kaushal Ji Maharaj | Shree Ram Katha Ujjain Day 9 Part 3 2016 mangalmaypariwar.com

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Vijay Shankar Kaushal JI Ram Katha Day 9 Part 3 Ujjain




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सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )Vijya Shankar Kaushal JI Ram Katha Day 9 Part 3 Ujjain 

( २ )

Published on Nov 23, 2016


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