गुरुवार, 16 नवंबर 2017

Vijay Kaushal Ji Maharaj | Shree Ram Katha Ujjain Day 8 Part 3

जो भगवान् को समर्पित हो जाते हैं भगवान् कैसे उनकी चिंता करते हैं -महाभारत का एक प्रसंग देखिये -

चंद्र टरै सूरज टरै ,टरै विश्व ब्योहार -भीष्म की प्रतिज्ञा झूठी नहीं हो सकती -कल का सूरज तब अस्त होगा जब रणांगण में अर्जुन की लाश गिर जाएगी। पांडवों  में शोक छा गया। 
सबसे ज्यादा चिंता द्वारकानाथ को हुई कल क्या होगा। अर्जुन को मरवाया नहीं जा सकता। अर्जुन मर गया तो महाभारत का युद्ध ही समाप्त हो जाएगा। पांडवों  के पास फिर बचेगा ही क्या ?

भगवान् व्याकुल हो उठते हैं अर्जुन के कैम्प में आते हैं -देखा अर्जुन खर्राटे लेकर सो रहा है भगवान पूछते हैं कल तेरी मौत होने वाली है ,भीष्म प्रतिज्ञा कभी झूठी नहीं होती , इतना जानकर भी तू निश्चिन्त होकर सो कैसे रहा है ? तुझे नींद कैसे आ रही है। ?

मुझे ये मालूम है लेकिन जिसकी चिंता में भगवान् खुद बे -चैन होकर जाग रहे हैं उसकी चिंता मैं क्यों करूँ ? 

सोवै सुख तुलसी ,भरोसे सीताराम 

काहू के बल भजन है ,और काहू के आचार ,

व्यास भरोसे कुंवर के भैया सोवत  पाँव पसार  . 

मुनि आराम से सोता है जिसका व्यापार है वह जागता है चिंता करता है मैं क्यों चिंता करूँ। भगवान् जिसके भरोसे रहता है उसकी चिंता भगवान् करते हैं। जो भगवान् के भरोसे व्यापार करता है उसे घाटा  कभी  होगा भी नहीं।

प्रसंग है आपका जाना पहचाना कौरव पांडवों का युद्ध चल रहा है। अर्जुन के तीर से कौरव सैनिक गाजर मूली की तरह कट रहे हैं ,हाहाकार मचा  हुआ है कौरव पक्ष के सैनिकों में चारों तरफ -उस दिन की युद्ध समाप्ति पर दुर्योधन भीष्मपिता के शिविर में जाकर कहते हैं -आप अपनी पूरी क्षमता से नहीं लड़ रहें हैं ,पांडवों के साथ आप पक्षपात कर रहें हैं। 

भीष्म तभी प्रतिज्ञा लेते हैं कल संध्या के समय मेरे संध्या से उठने से पहले अपनी पत्नी को मेरे पास भेज देना प्रणाम करने ,मैं उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे दूंगा। फिर युद्ध में तुम्हें कोई नहीं मार सकेगा। अर्जुन के बाण तुम्हारा कुछ नहीं कर सकेंगे। 

ये खबर किसी तरह पांडवों के शिविर तक भी पहुँचती है तभी कृष्ण द्रौपदी के  कैम्प की और दौड़ते हैं ,कहते हैं चलो वक्त बहुत कम है ,वहां जहां मैं ले चलता हूँ -भीष्मपितामह  के शिविर में। 

द्रौपदी कहतीं हैं हम वहां शत्रु के कैम्प में पहुंचेंगे कैसे ?कृष्ण कहते हैं उसकी चिंता तुम मत करो। बस जैसे ही भीष्म आँख खोले तुम उन्हें पांच बार प्रणाम कर देना।वह इस समय में ध्यान में बैठे हैं। 

द्रौपदी पहली बार प्रणाम करती हैं अभी भीष्म ने आँख नहीं खोली है -वह कहतें हैं सौभाग्यवती भव। द्रौपदी फिर दूसरी बार प्रणाम करती हैं वह पुन : कहते हैं सौभाग्यवती भव,द्रौपदी तीसरी और चौथी बार भी प्रणाम करतीं हैं वह कहते हैं सौभाग्यवती भव,जब द्रौपदी पांचवी बार प्रणाम करती हैं भीष्म का माथा ठनका -यह दुर्योधन की महारानी पत्नी नहीं हो सकती ,उसे तो एक बार प्रणाम करने में भी बड़ा जोर पड़ता है। 

बोले भीष्म अपना परिचय दो -"आपकी कुलवधू द्रौपदी "आँख खोलीं देखा  हाथ जोड़े द्रौपदी को बोले ये मुझसे कैसा अनर्थ हो गया ,बोले जाओ -युद्ध तो अब समाप्त हुआ कल से बस नाटक भर देखना  युद्ध का। 

पूछा तुम यहां तक आईं कैसे ?बोलीं दौपदी कृष्ण लाये। पूछा भीष्म ने कहाँ हैं ?  

"बाहर "-ज़वाब मिला। कृष्ण ने देखा द्रौपदी की चप्पलें बाहर रखी हैं यहीं रह गईं तो इन विशेष चप्पलों से ही पहचानी जाएंगी ,पोल खुल जाएगी। कृष्ण चप्पलें उठाकर बगल में दबा लेते हैं।एक वटवृक्ष की आड़ में छिप जाते हैं। 

भीष्म उन्हें देख साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हैं ,कृष्ण आशीर्वाद के लिए बाहें खोलते हैं चप्पलें भीष्म के सर पे गिरतीं हैं। भीष्म पहचान लेते हैं इन चप्पलों को और गदगद हो जाते हैं - ये मेरे भगवान् तो अपने भक्तों की चप्पलें भी उठा लेते हैं कितने स्नेहिल हैं।    

कोई घनश्याम सा नहीं देखा ,

जो भी देखा वो बे -वफ़ा देखा। 

योगियों के ध्यान में जो आता नहीं ,

संग भगतों के नाचते देखा। 

किस तरह द्रोपदी की लाज बची ,

श्याम  साड़ी में ही था ,छुपा देखा। 

मैं भी आया हूँ उसी दर पे ,

जब कोई आसरा नहीं देखा। 

भरोसा करना है तो रघुवीर का करो -भरत कहते हैं। संसार का भरोसा करोगे तो धोखा खाओगे भरोसा भरोसेमंद का करो ,भगवान् का ही करो -भगवान् फिर उनकी ऐसे रक्षा करता है :

करहुं सदा तिनकी रखवारी ,
जेहि बालक राखै  महतारी। 

सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=wUEm7Rgf86I

(२ )

Vijay Kaushal Ji Maharaj | Shree Ram Katha Ujjain Day 8 Part 3 

कोई टिप्पणी नहीं: