गुरुवार, 9 नवंबर 2017

Choking on air: Smog over Delhi is yet another reminder of government failure to act before an emergency.

Three weeks ago, with a ban against firecrackers and a graded response action plan (GRAP) in place, Delhi’s authorities seemed better equipped than in the past two years to combat the unhealthy haze that engulfs the city after Diwali. Pollution levels did surge after the festivities but the fact that they were lower compared to the past two years gave hope that the city’s authorities were in control in their battle against bad air. These hopes have been belied. The post-Diwali smog never receded and on Tuesday, the city registered “severe” on the Air Quality Index (AQI). “Everyone may experience serious health effects”, notes the AQI website

The Environment Pollution and Prevention Control Authority (EPCA), which enforced GRAP two days before Diwali, has asked the Delhi government to put more emergency measures in place. The SC-mandated body has suggested that parking fees be quadrupled. It also asked Delhi Metro to lower fares during non-peak hours for at least 10 days and introduce more coaches. There are problems with this course of action. The GRAP envisages progressively tougher action as pollution levels rise, without waiting for an emergency to impose strict measures.

The EPCA did not have to wait for pollution levels to plummet to levels described by the Indian Medical Association as “a public health emergency” before making its post-Diwali GRAP recommendation. But the SC-mandated body did not see matters turning grave even after the haze persisted. An even more serious problem pertains to the passive attitude of the Delhi government. In the past two years, it has waited for pollution to assume emergency proportions before reacting, and then done nothing more than respond to courts or court-mandated bodies like the EPCA.
The Delhi government implemented the odd-even policy last year only after the Delhi High Court asked it to submit a time-bound plan. Despite the problems it created for people, there was enough support for the policy which demanded the Delhi government conduct a comprehensive analysis of its successes and failures. But it has, reportedly, developed cold feet over the odd-even policy. The EPCA,though, wants to enforce the odd-even policy if the city’s pollution levels aggravate. The SC-mandated body’s other proposals will require at least 16 authorities to work together. The EPCA and the Delhi government have not devised a coordination mechanism between these bodies. It remains to be seen if the city’s latest pollution crisis spurs them into action.

दिल्ली में स्मॉग से बिगड़ते हालात के बीच बुधवार शाम एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ फैसले लिए। सिविल कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटीज (कंस्ट्रक्शन में तोड़फोड़) पर रोक लगा दी गई। जरूरी सामान ले जा रहे ट्रकों को छोड़कर बाकी ट्रकों की दिल्ली में एंट्री भी तुरंत प्रभाव से रोक दी गई। पार्किंग फीस भी चार गुना बढ़ाने को कहा गया है। ये सारे फैसले एनवॉयरन्मेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (EPCA) ने लिए, जिन्हें उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी। ऑड-ईवन स्कीम पर फैसला गुरुवार को लिया जाएगा। इस अथॉरिटी ने दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के हालात को ‘सीवियर प्लस’ यानी काफी खतरनाक कैटेगरी का बताया है। इसे इमरजेंसी कंडीशन भी कहा जाता है। दिल्ली में सभी स्कूलों को रविवार तक बंद रखा गया है। उधर, स्मॉग के चलते पंजाब में भी 9 से 11 नवंबर तक प्राइवेट और गवर्नमेंट स्कूल बंद रखने का आदेश दिया गया है। बता दें कि बुधवार को बठिंडा में धुंध के चलते 35 गाड़ियां टकरा गईं। इस हादसे में 10 स्कूली बच्चों की जान चली गई।

दिल्ली में पार्किंग फीस चार गुना बढ़ेगी, ऑड-ईवन का प्लान तैयार करने को कहा गया
- EPCA के फैसलों पर लेफ्टनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने एक मीटिंग में अप्रूव कर दिया। इसमें अरविंद केजरीवाल और EPCA मेंबर सुनीता नारायण भी मौजूद थीं। 
- न्यूज एजेंसी ने मीटिंग में मौजूद सूत्रों के हवाले से बताया कि ऑड-ईवन स्कीम पर फैसला कल लिया जाएगा। 
- LG ऑफिस के ट्वीट में कहा गया- पॉल्यूशन पर अरविंद केजरीवाल के साथ मीटिंग में ट्रकों की एंट्री पर रोक (जरूरी सामान लाने वाले ट्रक शामिल नहीं), सिविल कंस्ट्रक्शन पर रोक, वीकेंड तक स्कूल बंद, पार्किंग फीस बढ़ाने और मेट्रो के अलावा बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने जैसे फैसले लिए गए। 
- उपराज्यपाल ने ऑड-ईवन स्कीम के प्लान की तैयारी करने को भी कहा है। डीडीए, डीएमआरसी और म्यूनिसिपल कॉर्पाेरेशन से पार्किंग फीस चार गुना बढ़ाने को कहा गया है।


क्या है ऑड-ईवन स्कीम?
- केजरीवाल सरकार ने 2016 के जनवरी और अप्रैल महीने में 15-15 दिन के लिए ऑड-ईवन स्कीम लागू की थी। इस दौरान एक दिन ऑड नंबर की गाड़ियां और दूसरे दिन ईवन नंबर की गाड़ियां चलाने की इजाजत थी। इससे सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम हुआ था।
- ऑड-ईवन को तब लागू किया जा सकता है, जबकि पॉल्यूशन लेवल 48 घंटे या इससे ज्यादा वक्त के लिए इमरजेंसी लेवल को पार कर जाए।
बुधवार सुबह ऐसी रही एयर क्वालिटी
लोधी रोड- पीएम 10: 601, पीएम 2.5: 581
दिल्ली यूनिवर्सिटी- पीएम 10: 669, पीएम 2.5: 609
पीतमपुरा- पीएम 10: 624, पीएम 2.5: 570
दिल्ली एयरपोर्ट- पीएम 10: 585, पीएम 2.5: 541

दिल्ली में हवा और जहरीली हुई
- उधर, बुधवार को दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल और बढ़ गया। यहां सुबह विजिविलिटी जीरो के आसपास थी। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक, 500 के स्केल पर पॉल्यूशन लेवल 487 रिकॉर्ड हुआ। यह बीमार लोगों के साथ-साथ हेल्दी लोगों के लिए भी काफी खतरनाक है।

IMA की हिदायत- 2 दिन घरों में ही रहें लोग
- आईएमए के प्रेसिडेंट केके अग्रवाल ने कहा है कि पीएम 10 का लेवल मंगलवार के मुकाबले कम है, लेकिन यह अब भी डेंजर लेवल पर है।
- उन्होंने कहा कि लोगों को दो दिन और घर में ही रहने की सलाह दी गई है। उनसे कहा गया है कि एक्सरसाइज या वॉक करने के लिए भी बाहर न जाएं।
- डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट में कहा कि दिल्ली में एयर क्वॉलिटी अब भी बेहद खराब है। सभी स्कूल रविवार तक बंद रहेंगे।
भारत में पॉल्यूशन से हर साल 25 लाख लोगों की मौत
- मेडिकल जर्नल लैंसेट के मुताबिक, भारत में हर साल 25 लाख लोगों की मौत पॉल्यूशन की वजह से होती है।
- दिल्ली में करीब 44 लाख बच्चे स्कूल जाते हैं। इनमें आधे बच्चों को दिल की बीमारी का खतरा है।
- डब्लयूएचओ के मुताबिक, भारत में पिछले 5 साल में बाहरी हवा 8 गुना खराब हुई है।
- एशिया में ईरान के जबोल में पीएम-2.5 का एवरेज लेवल सबसे ज्यादा 217 है।
30 हजार लोगों की जान को खतरा: AIIMS डायरेक्टर
- दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने राजधानी में छाई धुंध की तुलना 1952 की 'ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन' से की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के हालात लंदन के स्मॉग की तरह साइलेंट किलर जैसे हैं।
- उन्होंने कहा, ''ओपीडी में आ रहे मरीज सांस लेने में परेशानी, एलर्जी, खांसी और सीने में जलन की शिकायत कर रहे हैं। पॉल्यूशन का इतना खतरनाक लेवल सांस और दिल के मरीजों के लिए जानलेवा है। उनके लिए ये एक साइलेंट किलर की तरह है।''
- ''दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को देखते हुए 25 से 30 हजार मरीजों की जान जाने का खतरा पैदा हो गया है। हॉस्पिटल्स में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।पिछले दिनों N95 मास्क और एयर प्यूरिफायर की बिक्री बढ़ी है, लेकिन यह फुल टाइम प्रोटेक्शन नहीं है।''
- बता दें कि 5 दिसंबर, 1925 को लंदन के आसमान में 4 दिनों तक पीले रंग की धुंध छाई रही थी। ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के मुताबिक, इसमें 4000 लोगों की मौत हुई थी।

गाजियाबाद: 7 दिन तक कंस्ट्रक्शन वर्क पर रोक
- बढ़ते पॉल्यूशन को देखते हुए शहर में डेवलपमेंट से जुड़े कंस्ट्रक्शन वर्क को छोड़कर सभी तरह के कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई है। कलेक्टर ने मंगलवार को इस बारे में आदेश जारी कर दिया है।
- एक हफ्ते में पॉल्यूशन का लेवल दोगुना हो गया है। पीएम 2.5 का लेवल 1 नवंबर को 260 था, जो 7 नवंबर को 500 के करीब पहुंच गया।
नोएडा : रात 12 बजे जीरो हो गई विजिबिलिटी
- सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को पीएम 2.5 का लेवल रिकॉर्ड 480 एमजीसीएम तक पहुंच गया। पीएम 10 का लेवल 482 था।
- रात 12 बजे जीरो विजिबिलिटी हो गई थी। ऐसे में, स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटी को फिलहाल बंद कर दिया है। बच्चों को मास्क लगाने की हिदायत दी गई है।
पॉल्यूशन का नॉर्मल लेवल क्या है?
- पॉल्यूशन फैलाने वाले तत्व यानी पार्टिकुलेट मैटर (धूल, धुएं में शामिल बारीक कण) खासतौर से दो तरह के होते हैं। एक पीएम 2.5, दूसरा पीएम 10, पीएम 2.5 अगर 60 एमजीसीएम है तो नॉर्मल है। पीएम 10 का नॉर्मल लेवल 100 एमजीसीएम है। पीएम 2.5 मंगलवार को 856 था और पीएम 10 का लेवल 1300 निकला।

सन्दर्भ -सामिग्री :https://veeruji05.blogspot.com/



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