रविवार, 5 नवंबर 2017

Heavy-drinking 'bad moms' more worrisome than funny(Hindi ll)

घर में बच्चों के साथ तालमेल न बिठा पाना उन्हें दुर्वह मान शराब की पनाह में चले आने वाली मम्मियों  को अमरीका में बोलचाल की रोज़मर्रा की भाषा अब  'वाइन मॉम्स 'कहा समझा जाने लगा है। 

शराब इनके लिए सुस्ताने खुद को संभालने सेल्फ के -अर ,संवारने की तरह लगने लगी है जैसे ऐसा करके ये खुद की हिफाज़त कर रहीं हैं सेल्फ केयर समझ रहीं हैं ऐसी मॉम्स शराब पर निर्भरता  को। 

मौज़ मस्ती के लिए तीज त्यौहार पर शोसल ड्रिंकिंग करना और बात है और शराब को राहत का ज़रिया समझना बिलकुल दूसरी। 

वाइन मॉम्स के  लिए इनके ही शब्दों में वो महिलाएं -जो नौनिहालों को तवज़्ज़ो दे रही हैं आत्मोसर्ग कर रहीं हैं ये इस प्रकार अपनी बलि देने को तैयार नहीं हैं। 

वे महिलायें अपने आप को भूलकर अपना सब कुछ नैजिक -त्याग कर रहीं हैं बच्चों के लिए। शराब की शरण में चले आना इनका 'गुड- पेरेंटिंग 'अच्छे काबिल माता -पिता' होने कहलवाने की एवज में विद्रोह है।

For these wine moms a drink is a way to rebel against a culture in which good parenting is synonymous with self-abnegation. A glass of wine -- or, better, getting drunk -- is a symbolic "nay" to the world of highly curated birthday parties, extended breastfeeding or extracurricular-filled afternoons followed by homemade organic dinners. 

बच्चों की परवरिश ,घर का कठोर अनुशासन और काम जिन्हें उबाऊ लगता है पर्याप्त समय तक शिशु को स्तनपान कराना जिन्हें झंझट लगता है उन्हें शराब पीना पर्याप्त संतोष और अपने लिए स्वयं घोषित सांत्वना पुरूस्कार सा लगता है। बच्चों को ऑर्गेनिक हेल्दी फ़ूड खुद घर में बनाकर खिलाने की कौन कहे इनसे ?

१९६६ के आसपास ऐसी ही मम्मियों  को  'वैलियम ' (Valium )  जैसी 
दवा देकर इस उबाऊ काम से दिमागी राहत दिलवाने की कोशिश चिकित्सकों ने की थी। 

आज के अमरीका के सन्दर्भ में इनका मान ना है :

"We still don't have universal paid leave or child care, nor family-friendly workplaces, economic support for mothers without jobs, or partners who do their fair share of domestic work. What we do have is wine."

सस्ता और टिकाऊ सौदा प्रतीत हो रही है इन्हें शराब। जिसकी आगे चलके इनको भारी कीमत चुकानी पड़  सकती है ,दिल और जिगर की बीमारी के रूप में यौन संचारी रोगों के रूप में। अनचाही गर्भावस्था और स्तन कैंसर के रूप में।अवसाद और हताशा के रूप में।  

फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत :

मनो -विज्ञान के माहिरों का मान ना है रोज़मर्रा की ज़िंदगी के तनावों से आज़िज़  आकर बच्चों के सामने ही रोज़ ब रोज़ ग्लास लेकर बैठ जाना उनके दिलो -दिमाग में भी ये बात बिठला सकता है -शराब तनाव और थकान और हताशा को भगाने का बेहतरीन ज़रिया है अगर पीना ही है तो उनसे बचके पी सकतें हैं। एक ड्रिंक वह भी कभी कभार ही।मौजमस्ती के लिए हताशा को दूर भगाने के लिए।  

माहिरों के अनुसार २००२ से २०१३ के बीच की अवधि  में ' अमरीकी महिलाओं  में हाई रिस्क ड्रिंकिंग ५८ फीसद बढ़ी हैं। जिसका मतलब है रोज़ाना चार या उससे भी ज्यादा ड्रिंक्स लेना। इसी अवधि में शेष आबादी में (आम नागर दर )हाई -रिस्क -ड्रिंकिंग का  औसतन प्रतिशत तीस फीसद से कम ही रहा है (२९. ९ फीसद ). अलावा इसके -एक आंकड़ा और भी देखिये :



"Problem drinking," or drinking so much that it causes significant problems in your life and/or the inability to stop drinking, rose by 83.7% among women during this period, says the study, compared with a 50% rise in the general population.

आम बोलचाल की भाषा में इसे ही आप पियक्कड़ी या लत कह सकते हैं। जिससे आप किसी भी बिध फिर पिंड ही नहीं छुड़ा पाते हैं। अभी कल ही की तो बात है अमरिकी समाज में भी एक सामाजिक वर्जना की तरह ही लिया जाता था औरत का शराब की शरण में यूं चले आना। आज उसे ये एक अनिवार्यता लगता है घर और घरेलू श्रम से तालमेल बिठा पाने के लिए ,दिन भर के थकाऊ और बकौल इनके उबाऊ काम के बाद ग्लास लेकर बैठना। 

गौर तलब है औरत के शरीर की संरचना और नारी शरीर द्वारा शराब के चय-अपचयन(metabolism ) का तरीका मर्दों से जुदा किस्म का  है।प्रतिमिली -लीटर के हिसाब से शराब को सिस्टम से बाहर निकालने पचाने में भी इन्हें अधिक वक्त लगता है फलत: मर्दों से जल्दी इनके सर चढ़के बोलती है-  शराब।

उतरती भी देर से है सुबह बदन की टूटन और अन्य पार्श्व प्रभाव भी मर्दों से ज्यादा ही देखने को मिलते हैं औरतों में। मर्दों के बरक्स इनके दिल जिगर और दिमाग पर ज्यादा असर डालती है  शराब।इनकी सेहत को इसका ज्यादा खामियाज़ा उठाना पड़ता है। 

There's nothing wrong with having a glass of wine at night, Feinstein added, but she cautioned that it should be done after the kids go to sleep, and they shouldn't be told about it. "If they see you are drinking to deal with stress, then they learn that is how they should deal with stress."
Having more than a glass of wine on a regular basis, as more and more women are doing, is a different story and can lead to addiction as well as a host of health problems. According to Feinstein, women metabolize alcohol less efficiently than men and as a result get intoxicated faster and have worse hangovers. They're also more likely than men to suffer health consequences from drinking, including liver, brain and heart damage.

हमारा इस विषय में विनम्र निवेदन यही है बिना शराब की लत के भी माँ बन ने का गौरव प्राप्त किया जा सकता है।शराब को अपने आत्मोत्सर्ग और बलिदानी मुद्रा से मत जोड़िये। 

Whether she drinks for release, rebellion or both, that glass of wine is still tethered to all the sacrifice she makes as a mother, a sacrifice the wine might make her too willing to accept.    

"It is all in your mind how you perceive the things .Your outlook about life decides your conduct ."

शराब पीने वाली महिलायें और भी हैं जो इसे मदरहुड से जोड़कर बिलकुल नहीं देख रहीं हैं। बच्चे उनके भी हैं। उनके लिए शराब पीना इस से हटके बाकी सबसे जुड़ना है। मातृत्व के दायित्वों  को  पीड़ा समझ उसे बरतरफ़ करने का ज़रिया नहीं है। 


Laura Beatrix Newmark, a mother of two in New York, said that when she was on maternity leave, she would sometimes meet friends at a bar during the day. Her infant would sleep, and she would "nurse a glass of rosé."
"It was really about me showing myself that I was still the same person after I had kids," Newmark said.

संदर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=232721397822804248#editor/target=post;postID=3204614400657339888

कोई टिप्पणी नहीं: