सोमवार, 13 नवंबर 2017

Rheumatoid arthritis Symptoms & causes Diagnosis & treatment(Hindi l ,and ll)

क्या है गठिया (सन्धिवात या संघिवात ,रुमेटिक आर्थराइ टिस )?

रुमेटिक आर्थरिटिस (गठिया या संधिवात ,दीर्घावधि बने रहने तथा बार -बार लौटके होने वाला जोड़ों से सम्बन्धी एक रोग )एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर के प्रभावित अंग या जोड़ सूजन युक्त तकलीफ देह और लालिमा युक्त  हो जाते हैं। यह रोग की अवस्था (चरण )पर निर्भर करता है। इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़(Inflammatory disease ) है रुमेटिक आर्थरिटिस जिसमें असरग्रस्त अंग ज्वलनशील लगने लगते हैं। जोड़ों के अलावा शरीर के और हिस्से भी इसके दुष्प्रभाव में आ जाते हैं। 

हमारी चमड़ी ,रक्त उठाने वाली नालियां (रक्त वाहिकाएं )ही क्या फेफड़ा ,हमारे नेत्र और दिल भी इसके असर से बच नहीं पाते हैं कुछ मामलों में तो। 

आपका रोग -प्रतिरोधी तंत्र ,क़ुदरत से आपको मिला बीमारियों से लड़ने वाला तोहफा  इसमें अपने शरीर को ही विजातीय समझने की जब भूल करने लगता है रुमेटिक आर्थरिटिस सिर उठाने लगती है। 

आस्टिओआर्थराइटिस तो अस्थियों के सिरों पर मौजूद उपास्थियों को ही डेमेज करके रह जाती है ,रुमेटिक किस्म जोड़ों के दर्द की जोड़ों के अस्तर(lining of our joints ) को उधेड़ के रख देती है  .

सूजन जोड़ों की ,इसी का परिणाम होती है अलावा इसके अस्थियां भी घिसने लगती हैं अपरदन या इरोज़न होने लगता है अस्थियों का इस रोग की अवस्था में।सूजन और प्रज्वलन की अनुभूति भी इसी वजह से होती है असरग्रस्त जोड़ों में।  
आप जानते हैं रेत शिला -खंडों के मौसमी अपरदन का ही परिणाम होती है। समुन्द्र किनारे की रेत भी कभी तो चट्टानी रही होगी।

और जोड़ों की  विकृति भी इससे असरग्रस्त रोगियों में आपने ज़रूर देखी  होगी।एक उम्र के बाद ठवन(Gait ) ही बिगड़ जाता है व्यक्ति का।चाल भी और हाल भी बे -हाल हो रहता है। 

अक्सर रोग - पूर्व की अवस्था होती हैं 'इन्फ्लेमेशन' जो रुमेटिक आर्थराइटिस में अन्य अंगों को भी लपेटे में ले लेती है। भौतिक विकलांगता की एक वजह यह भी कालानतर में बनती है भले अभिनव चिकित्सा पद्धतियां हमारी सेवा में आज हाज़िर हैं ,और नए नए इलाज़ और दवाएं भी सामने आ रहीं हैं। 

क्या हैं लक्षण रुमेटीक अर्थराइटिस (गठिया या सन्धिवात )के ?

अनेक में से कुछेक लक्षण इस जोड़ों के रोग के इस प्रकार हैं :

(१ )जोड़ों का छूने ,किसी चीज़ से छू जाने मात्र से  तकलीफ देना ,सोजिश और जलन जोड़ों की 

(२ )जोड़ों में खासकर सुबह सवेरे सवेरे अकड़ाव और पीड़ा का महसूस होना 

(३ )थकान के अलावा मरीज़ का ज्वरग्रस्त होना ,वजन का काम हो जाना 

 रोग अपने आरंभिक  चरण में बदन के छोटे जोड़ों पर असर डालता है खासकर उँगलियों को हाथ से जोड़ने वाले जोड़, पैरों के अंगूठे और उँगलियों को  पैरों से संयुक्त करते  जोड़ इससे असरग्रस्त होते हैं शुरूआती दौर में। 

जैसे -जैसे मर्ज़ बढ़ता जाता है कलाइयां घुटने ,कुहनियां ,टखने (ankles ) ,कूल्हे या पुट्ठे (hips )तथा काँधे भी रोग के लक्षण प्रकटित करने लगते हैं। अमूमन शरीर के दोनों तरफ के समावयव जोड़ ही असरग्रस्त  होते हैं- समान अंगीय जोड़ ही इससे एक साथ प्रभावित होते हैं। दोनों घुटनों या दोनों टखनों ,कूल्हों या कांधों के जोड़ आदि। 

तकरीबन इस रोग के चालीस फीसद मरीजों  में जोड़ों से हटकर जोड़ों के साथ -साथ बिना जोड़ वाले शरीर के अन्य अंग भी इसके लक्षणों को प्रकट करते हैं इसके असर से आखिरकार बच नहीं पाते हैं यथा -आँखें ,चमड़ी ,फेफड़े ,दिल ,गुर्दे ,लार  ग्रंथियां (salivary glands ),स्नायुविक ऊतक (nerve tissue ),जहां -जहां अस्थि मज़्ज़ा है वहां वहां के सभी अंग ,रक्त वाहिकाएं भी इन मामलों में रूमेटोइड अर्थराइटिस के लक्षण दर्शाने लगते हैं।
अलबत्ता रोग के लक्षणों की उग्रता कम ज्यादा होती रहती है कुछ वक्फा ऐसा भी आता है जब आप स्वयं को लक्षणों से मुक्त पाते हैं-रोग शमन की इस अवधि में न कोई जोड़ों की सोजिश न जलन न दुखन , लेकिन लक्षण एक बार  फिर से मुखरित होते हैं। बारहा ऐसा होता है। 

कालान्तर में जोड़ विकृति ग्रस्त ही नहीं होते अपनी जगह भी छोड़ने लगते हैं।

सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )http://rawarrior.com/what-causes-rheumatoid-arthritis-to-trigger/

(२ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/rheumatoid-arthritis/symptoms-causes/syc-20353648


(३ )https://www.webmd.com/rheumatoid-arthritis/ss/slideshow-ra-overview(Please see this links ,it shows RA in pictures). 

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