कैंसर एन -साइकलो -पीडिया रखेगा नै दवाओं की नींव .
ज़रा सोचिये कैंसर रोग समूह पर अद्यतन हुए काम की जानकारी माहिरों और आम जन के लिए समान रूप से कितनी कारगर हो सकती है .
कितना रोचक हो सकता है यह जानना ,सैंकड़ों कैंसर कोशायें कैसे अनुक्रिया करतीं हैं कैसा और कैसे रेस्पोंड करती है कैंसर एजेंट्स के प्रति .और वह भी सब एक महाग्रंथ की मार्फ़त .
अब एक मरीज़ के जीनोम के अनुरूप पूरे उसके जीन रचाव ,जीवन इकाइयों के नैन -नक्श के अनुरूप व्यक्ति विशेष के अनुरूप ख़ास कैंसर रोधी दवाएं निकट भविष्य में बनाई जा सकेंगी .,ऐसी उम्मीद बंध चली है इस एक सन्दर्भ ग्रन्थ के सहज सुलभ हो जाने से .
अब कैंसर के इलाज़ के लिए एक से एक नै दवाओं के निर्माण का रास्ता खुल गया है .टेलर मेड दवाएं सिर्फ आपके लिए तैयार की जा सकेगी आपकी जीन -कद -काठी के अनुरूप .आपकी शख्शियत के अनुरूप .
कैंसर अन्वेषण की दिशा में इतना भर हुआ है अब तक ,प्रयोगशाला में कुछेक कैंसर कोशायें तैयार कर ली गईं हैं .इसका फायदा यह हुआ है कुछ नै ईजाद की गई दवाओं के असर की कैंसर मरीजों पर असर की पड़ताल की जा सकी है .अब एक साथ दुनिया भर में फैले कैंसर संस्थानों के माहिरों और रिसर्चरों ने एक साथ दो पर्चे विज्ञापित किये हैं इनमें सैंकड़ों कैंसर सेल लाइंस की इत्तला दी गई है .
इस काम में कैम्ब्रिज के नजदीक स्थित 'wellcome Trust Sanger Institute 'की एक टीम के अलावा अन्यान्य संस्थानों के माहिरों का योगदान रहा है .
टीम ने ६०० से ज्यादा सेल लाइंस की स्क्रीनिंग की है .इन पर तकरीबन १३० अलग अलग किस्म की दवाओं के पड़ने वाले असर की पड़ताल की है . इस प्रकार ड्रग सेंसिटिविटी से सम्बद्ध जेनेटिक सिग्नेचर्स की शिनाख्त भी कर ली गई है .अभी मिलने वाले संकेतों से मरीजों का बहुत भला हो सकता है .इसी के साथ साथ बच्चों में होने वाले एक विरल अश्थी कैंसर की जानकारी भी मिली है .उस पर पड़ने वाले दवाओं के असर की भी .
एक ही जगह पर व्यापक आकड़ों का नेट वर्क पहली दफा उपलब्ध हुआ है माहिरों को .कौन सी सेल लाइन बेहद सेंसिटिव है और इस सेंसिटिविटी की आखिर वजह क्या है यह भी इल्म हुआ है .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
ओरेंज बेल पेपर (नारंगी रंग की शिमला मिर्च जिसे अमरीका में बेल पेपर कहा जाता है ):
'zeaxanthin' का सर्वोत्तम स्रोत है बेल पेपर .यही वह तत्व है जो सफ़ेद मोतिया बिन्द (केटेरेक्ट)और उम्र दराज़ लोगों के रोग, मेक्युलर दिजेंरेशन से बचाए रह सकता है .
पीली और लाल रंग की बेल पेपर :विटामिन -सी ,Capsaicin तथा फ़्लेवोनोइद्स का भण्डार लिए हुए हैं .एक तरफ यह तत्व खून का थक्का बनना मुल्तवी रखतें हैं दूसरी तरफ हृदय एवं दिमागी दौरों (ब्रेन अटैक )से बचाव करतें हैं . राम राम भाई !
डिप्रेशन का समाधान 'इलेक्ट्रो -एक्यु -पंक्चर '?
अवसाद के समाधान के लिए इनदिनों एक्यु -पंक्चर में प्रयुक्त सुइयों को आवेशित कर स्तेमाल किया जा रहा है .समझा जाता है इससे इस परम्परा गत प्राविधि की प्रभाव -शीलता ,प्रभ -विष्णुता असर -कारिता बढ़ जाती है .होन्ग कोंग में संपन्न एक अध्ययन से यही संकेत मिलें हैं .स्कूल ऑफ़ चाइनीज़ मेडिसन ,होन्ग कोंग विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने इस संशोधित प्राविधि 'इलेक्ट्रो -एक्यु -पंक्चर 'की आजमाइशें की हैं .
कुल ७३ प्रतिभागियों के सर के सात अलग अलग एक्यु -प्रेशर पॉइंट्स को इस प्राविधि से उत्तेजन प्रदान किया गया था .गत सात सालों में यह अनेक बार अवसाद की चपेट में चले आये थे .
सन्दर्भ -सामिग्री :New way to treat depression /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE ,P15,MAR30,2012..
राम राम भाई !
वक्र मुखी सांसदों का दुस्साहस .
ये वक्र मुखी सांसद कभी किसी राज्यपाल को बूढी गाय कहकर तो कभी राष्ट्रपति की संविधानिक संस्था को सफ़ेद हाथी कहकर उनकी अवमानना करतें हैं .
इनकी निगाह में संसद पर हमला करने वाले फांसी की सजा याफ्ता अफज़ल गुरु साहब और साधारण अपराधी दोनों राष्ट्रपति की माफ़ी के समान रूप से अधिकारी रहें हैं .जिसकी मार्फ़त इन्होनें आतंक वादियों को यह सन्देश दिया था -आओ और इस देश पर हमला करो .
अब ये वक्र मुखी सांसद ,ये दुर्मुख देश की सर्वोच्च सत्ता के प्रतीक सेना -नायकों को अपने निशाने पर लेकर कह रहें हैं -हम संसद में आके (लाके )इनका इलाज़ करेंगे .
पूछा जा सकता है -क्या संसद मानसिक आरोग्य शाला है जहां अपराधियों का इलाज़ होता है और जहां पहले से ही १६० मनोरोगी अपराध तत्व भर्ती हैं .
मतिभ्रम ,संभ्रम है यह इन सांसदों का .ये सांसद खुद को ही संसद समझ बैठे हैं .जबकि मरता सांसद है संसद कभी नहीं मरती .तिहाड़ सांसद पहुंचता है न की संसद .संसद तिहाड़ नहीं है .
तब क्या यह हमारे पडोसी चीन ,और पाकिस्तान को यह निमंत्रण दे रहें हैं तुम आओ और देश पर हमला करो .हमने देश की सर्वोच्च प्रतिष्ठा संस्थान के प्रतीक पुरुष को बंधक बना लिया है .
उन्हें यह बर्खास्त करना चाहतें हैं बिना यह बतलाये उनका जुर्म क्या है ?क्या देश की हिफाज़त करना ?उसके लिए जान देना ?
इसे इन सांसदों का उन्माद ,शीजो -फ्रेनिक बिहेवियर न कहा जाए तो क्या कहा जाए ?
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
आज का नीतिपरक दोहा :
खीरा मुख ते काटि के ,मलिए नमक (नान )लगाए ,
रहिमन कडवे मुखन को चहिहै इहै सजाय .
सेहत के नुश्खे :
भुनी हुई मूंगफली एंटी- ओक्सिडेंट बहुल हैं .इनमे सेब (एपिल ),गाज़र ,चुकंदर आदि से ज्यादा एंटीओक्सिडेंट रहतें हैं .
आमला विटामिन -सी का भण्डार है .१०० ग्राम आंवले में मौजूद रहता है ७०० मिलीग्राम विटामिन -सी .यह मात्रा इतने ही संतरे में मौजूद मात्रा का ३० गुना है
ज़रा सोचिये कैंसर रोग समूह पर अद्यतन हुए काम की जानकारी माहिरों और आम जन के लिए समान रूप से कितनी कारगर हो सकती है .
कितना रोचक हो सकता है यह जानना ,सैंकड़ों कैंसर कोशायें कैसे अनुक्रिया करतीं हैं कैसा और कैसे रेस्पोंड करती है कैंसर एजेंट्स के प्रति .और वह भी सब एक महाग्रंथ की मार्फ़त .
अब एक मरीज़ के जीनोम के अनुरूप पूरे उसके जीन रचाव ,जीवन इकाइयों के नैन -नक्श के अनुरूप व्यक्ति विशेष के अनुरूप ख़ास कैंसर रोधी दवाएं निकट भविष्य में बनाई जा सकेंगी .,ऐसी उम्मीद बंध चली है इस एक सन्दर्भ ग्रन्थ के सहज सुलभ हो जाने से .
अब कैंसर के इलाज़ के लिए एक से एक नै दवाओं के निर्माण का रास्ता खुल गया है .टेलर मेड दवाएं सिर्फ आपके लिए तैयार की जा सकेगी आपकी जीन -कद -काठी के अनुरूप .आपकी शख्शियत के अनुरूप .
कैंसर अन्वेषण की दिशा में इतना भर हुआ है अब तक ,प्रयोगशाला में कुछेक कैंसर कोशायें तैयार कर ली गईं हैं .इसका फायदा यह हुआ है कुछ नै ईजाद की गई दवाओं के असर की कैंसर मरीजों पर असर की पड़ताल की जा सकी है .अब एक साथ दुनिया भर में फैले कैंसर संस्थानों के माहिरों और रिसर्चरों ने एक साथ दो पर्चे विज्ञापित किये हैं इनमें सैंकड़ों कैंसर सेल लाइंस की इत्तला दी गई है .
इस काम में कैम्ब्रिज के नजदीक स्थित 'wellcome Trust Sanger Institute 'की एक टीम के अलावा अन्यान्य संस्थानों के माहिरों का योगदान रहा है .
टीम ने ६०० से ज्यादा सेल लाइंस की स्क्रीनिंग की है .इन पर तकरीबन १३० अलग अलग किस्म की दवाओं के पड़ने वाले असर की पड़ताल की है . इस प्रकार ड्रग सेंसिटिविटी से सम्बद्ध जेनेटिक सिग्नेचर्स की शिनाख्त भी कर ली गई है .अभी मिलने वाले संकेतों से मरीजों का बहुत भला हो सकता है .इसी के साथ साथ बच्चों में होने वाले एक विरल अश्थी कैंसर की जानकारी भी मिली है .उस पर पड़ने वाले दवाओं के असर की भी .
एक ही जगह पर व्यापक आकड़ों का नेट वर्क पहली दफा उपलब्ध हुआ है माहिरों को .कौन सी सेल लाइन बेहद सेंसिटिव है और इस सेंसिटिविटी की आखिर वजह क्या है यह भी इल्म हुआ है .
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
नुश्खे सेहत के :
ओरेंज बेल पेपर (नारंगी रंग की शिमला मिर्च जिसे अमरीका में बेल पेपर कहा जाता है ):
'zeaxanthin' का सर्वोत्तम स्रोत है बेल पेपर .यही वह तत्व है जो सफ़ेद मोतिया बिन्द (केटेरेक्ट)और उम्र दराज़ लोगों के रोग, मेक्युलर दिजेंरेशन से बचाए रह सकता है .
पीली और लाल रंग की बेल पेपर :विटामिन -सी ,Capsaicin तथा फ़्लेवोनोइद्स का भण्डार लिए हुए हैं .एक तरफ यह तत्व खून का थक्का बनना मुल्तवी रखतें हैं दूसरी तरफ हृदय एवं दिमागी दौरों (ब्रेन अटैक )से बचाव करतें हैं . राम राम भाई !
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अवसाद के समाधान के लिए इनदिनों एक्यु -पंक्चर में प्रयुक्त सुइयों को आवेशित कर स्तेमाल किया जा रहा है .समझा जाता है इससे इस परम्परा गत प्राविधि की प्रभाव -शीलता ,प्रभ -विष्णुता असर -कारिता बढ़ जाती है .होन्ग कोंग में संपन्न एक अध्ययन से यही संकेत मिलें हैं .स्कूल ऑफ़ चाइनीज़ मेडिसन ,होन्ग कोंग विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने इस संशोधित प्राविधि 'इलेक्ट्रो -एक्यु -पंक्चर 'की आजमाइशें की हैं .
कुल ७३ प्रतिभागियों के सर के सात अलग अलग एक्यु -प्रेशर पॉइंट्स को इस प्राविधि से उत्तेजन प्रदान किया गया था .गत सात सालों में यह अनेक बार अवसाद की चपेट में चले आये थे .
सन्दर्भ -सामिग्री :New way to treat depression /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,BANGALORE ,P15,MAR30,2012..
राम राम भाई !
वक्र मुखी सांसदों का दुस्साहस .
ये वक्र मुखी सांसद कभी किसी राज्यपाल को बूढी गाय कहकर तो कभी राष्ट्रपति की संविधानिक संस्था को सफ़ेद हाथी कहकर उनकी अवमानना करतें हैं .
इनकी निगाह में संसद पर हमला करने वाले फांसी की सजा याफ्ता अफज़ल गुरु साहब और साधारण अपराधी दोनों राष्ट्रपति की माफ़ी के समान रूप से अधिकारी रहें हैं .जिसकी मार्फ़त इन्होनें आतंक वादियों को यह सन्देश दिया था -आओ और इस देश पर हमला करो .
अब ये वक्र मुखी सांसद ,ये दुर्मुख देश की सर्वोच्च सत्ता के प्रतीक सेना -नायकों को अपने निशाने पर लेकर कह रहें हैं -हम संसद में आके (लाके )इनका इलाज़ करेंगे .
पूछा जा सकता है -क्या संसद मानसिक आरोग्य शाला है जहां अपराधियों का इलाज़ होता है और जहां पहले से ही १६० मनोरोगी अपराध तत्व भर्ती हैं .
मतिभ्रम ,संभ्रम है यह इन सांसदों का .ये सांसद खुद को ही संसद समझ बैठे हैं .जबकि मरता सांसद है संसद कभी नहीं मरती .तिहाड़ सांसद पहुंचता है न की संसद .संसद तिहाड़ नहीं है .
तब क्या यह हमारे पडोसी चीन ,और पाकिस्तान को यह निमंत्रण दे रहें हैं तुम आओ और देश पर हमला करो .हमने देश की सर्वोच्च प्रतिष्ठा संस्थान के प्रतीक पुरुष को बंधक बना लिया है .
उन्हें यह बर्खास्त करना चाहतें हैं बिना यह बतलाये उनका जुर्म क्या है ?क्या देश की हिफाज़त करना ?उसके लिए जान देना ?
इसे इन सांसदों का उन्माद ,शीजो -फ्रेनिक बिहेवियर न कहा जाए तो क्या कहा जाए ?
राम राम भाई ! राम राम भाई ! राम राम भाई !
आज का नीतिपरक दोहा :
खीरा मुख ते काटि के ,मलिए नमक (नान )लगाए ,
रहिमन कडवे मुखन को चहिहै इहै सजाय .
सेहत के नुश्खे :
भुनी हुई मूंगफली एंटी- ओक्सिडेंट बहुल हैं .इनमे सेब (एपिल ),गाज़र ,चुकंदर आदि से ज्यादा एंटीओक्सिडेंट रहतें हैं .
आमला विटामिन -सी का भण्डार है .१०० ग्राम आंवले में मौजूद रहता है ७०० मिलीग्राम विटामिन -सी .यह मात्रा इतने ही संतरे में मौजूद मात्रा का ३० गुना है
वक्र मुखी सांसदों का दुस्साहस .