बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

कहत कबीर सुनो भाई साधौ अमृत वचन हमार , जो भल चाहो आपनो परखो करो विचार।

हिन्दू मुस्लिम दोउ   कस्बी  ,

एक लीन्हें माला ,एक लीन्हें तस्बी। 

एक पूरब निहारे , एक  पश्चिम निहारे ,

और धर -धर  तीर, धरनी  पे धारे। 

एक रहे एकादसी ,एक रहे रोज़ा ,

दोनों ने दिल में ,कभी न खोजा। 

एक जाए काबा ,एक जाए काशी ,

दोनों के गले में पड़ गई है फांसी।

(किसका नाम कबीर प्रवचन से )

हकीकत को बेबाकी से बयाँ करने का नाम ही कबीर है। सत्य को निडरता से कहने का नाम

कबीर है। मानव समाज के सजग प्रहरी का नाम कबीर है। देशकाल निरपेक्ष व्यक्ति का नाम

कबीर है। आप अपने वक्त में किसी एक पंथ जाति वर्ग के होकर नहीं रह गए थे।

हिन्दू कहो तो हूँ नहीं ,मुसलमान भी नाहिं ,

पांच तत्व का पूतरा ग़ैबी खेले माहिं।

हिन्दु के गुरु मुसलमान के पीर ,

सात दीप नौ खंड में ,सोहन संत कबीर।

हिन्दू कहे मोहे राम प्यारा ,तुर्क कहे रहिमाना ,

आपस में दोउ लड़ी लड़ी  मुआ, भेद  मर्म न  जाना।

भाई रे दोइ जगदीश कहाँ से आया , 

कहु कौनउ   बौराया ,

अल्लाह राम  करीमा केशव ,

हरि हज़रत नाम धराया। 

राम रहीमा एक हैं , नाम धराया दोय 

कहे कबीर दोउ नाम सुनि ,भरम परो है मोय । 

  

सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=tPldiliEviY






  




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