शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

तुम्हारी ही वासनाएं शुम्भ हैं ,तुम्हारे ही संचित कर्म और अहंकार निशुंभ हैं। दुर्गा इन दोनों का हनन करती है। जिसने साधना के द्वारा ज्ञान शक्ति अर्जित करके अपने अंदर ज्ञान शक्ति रूप दुर्गा को प्रकट किया उसके ये शत्रु मारे जाते हैं।

भगवती परमात्मा का स्त्रैण  रूप है। भगवती शेर की सवारी करती है। शेर माया का प्रतीक है ,शेर प्रकृति का द्योतक है भगवती वह है जो माया को ,इस शेर को चलाती है। उसके  आठ हाथ दिखाए हैं। जो आठ दिशाओं के प्रतीक हैं वह आठों दिशाओं से आपके साथ है।आठों दिशाओं में मौजूद है।  उसके एक  हाथ में गदा है जो सत्य का प्रतीक है। एक में कमल है जो आनंद का प्रतीक है एक में धनुष है ,धनुष माने एकाग्रता ,एक हाथ में तलवार है ,तलवार माने विवेक। भगवती के  एक हाथ में शंख दिखलाया गया है शंख माने  ज्ञान। 

वह शुम्भ निशुम्भ दो राक्षसों का वध करती हैं।

तुम्हारी ही वासनाएं शुम्भ हैं  ,तुम्हारे ही संचित कर्म और अहंकार निशुंभ हैं। दुर्गा इन दोनों का हनन करती है। जिसने साधना के द्वारा ज्ञान शक्ति अर्जित करके अपने अंदर ज्ञान शक्ति रूप  दुर्गा को प्रकट किया उसके ये शत्रु मारे जाते हैं। 


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