Tooth -decay germs tied to bowel cancer
फूसोबेकटीरियम एक ऐसा रोगकारक जीवाणु है जो दंत क्षय और चमड़ी में होने वाले ज़ख्मों की वजह बनता रहा है .जब से रिसर्चरों की दो अलग अलग टोलियों को यह ज़रासीम बड़ी आंत के अर्बुदों (कोलोंन ट्यूमर्स )में मिला है आशंका यह जतलाई जा रही है यह या तो हमारी अंतड़ियों को गुदा से सम्बद्ध करने वाले बोवेल कैंसरों की वजह बनता है या फिर कैंसर पैदा करने वाले बदलाव पैदा करता है .बहरसूरत यह आकस्मिक तौर पर हाथ आया है या वास्तविक कुसूरवार है यह अभी तय नहीं है .
अन्वेषण ज़ारी रहेंगे .बेशक यदि यही वास्तविक कारक है काज़ेतिव एजेंट है तब एंटीबायोटिक से इसकी काट भी होनी चाहिए,.बचावी चिकित्सा भी .विज्ञान पत्रिका 'जीनोम रिसर्च 'में यह अन्वेषण प्रकाशित हुआ है .
ब्रेस्ट और लंग कैंसर के बाद सर्वाधिक होने वाला यही बोवेल कैंसर है .तीसरा सबसे ज्यादा आमफ़हम कैंसर यही है .बेशक बोवेल कैंसर के होने की असल वजूहात किसी को भी नहीं मालूम अलबत्ता कौन कौन से खतरे और जोखिम तत्व हैं उनमे जोखिम के वजन को बढाने में पारिवारिक पूर्व वृत्तांत (फेमिली हिस्टरी )तथा बढती हुई बुदापे की उम्र तो है ही .
माहौल का भी इसे पनपाने में कुछ न कुछ हाथ रहता है यह कहना है सरह विलियम्स का .आपने उस माहौल का अध्ययन किया है जिसमे यह तेज़ी से बढ़ता है .अभी तो शुरुआत है आगे और भी अध्ययनों की दरकार रहेगी .
वक्त है धूम्रपान से परहेज़ रखते हुए इसके खतरे के वजन को थोड़ा कम किया जाए .एल्कोहल का सेवन कम किया जाए ,वजन को कद काठी के अनुरूप आदर्श रूप हेल्दी रखा जाए .सक्रिय जीवन शैली के साथ -साथ संशाधित और रेड मीट का खुराकी सेवन कमसे कम किया जाए .खाद्य रेशा बहुल खुराक को तरजीह दी जाए .
दोनों रिसर्च टीमों ने अपने अध्ययन में तकरीबन सौ से भी ज्यादा साम्पिलों का अध्ययन विश्लेषण किया है जिनमे स्वस्थ और कैंसर युक्त बोवेल टिश्यु शामिल रहें हैं .इन्हीं में से इस रोगकारक जीवाणु फूसोबेकटीरियम का पता चला है.टीम ने साम्पिलों में आनुवंशिक पदार्थ की शिनाख्त के बाद इस संभावित अंतर -सम्बन्ध की पुष्टि की है .
ram ram bhai
शिशु विकास के पंख नोचता है बुद्धू बक्सा .
October 19,2011 .
TV hampers development in infants ,warn doctors
शिशु विकास के पंख नोचता है बुद्धू बक्सा .
बालरोग माहिरों के एक अमरीकी समूह ने अपने एक अध्ययन के मार्फ़त माँ -बाप को चेताया है कि वह अपने शिशुओं (०-२ साला )को टीवी तथा वीडियोज न देखने दे ,हतोत्साहित करें .दो साल से कम उम्र के शिशुओं के लिए यह घातक सिद्ध हो सकता है उनके विकास को अवरुद्ध कर सकता है .
बेहतर हो माँ -बाप उनसे बतियाएं उन्हें स्वतंत्र रूप उछल कूद खेल के लिए उकसाएं .दस साल से भी ज्यादा अंतराल के बाद पहली मर्तबाअमरीकी अकादमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के शिशु रोगों के माहिरों ने ये सिफारिशें ज़ारी की हैं .बाज़ आयें माँ -बाप अपने नन्नों को टीवी और वीडियोज से चिपकाने से .जी हाँ हुकिंग हो जाती है नौनिहालों की इन दृश्य छवियों से .टीवी और वीडियोज से .
१९९९ में भी ऐसी सलाह अमरीका के उस वक्त के सबसे बड़े बाल रोग माहिरों के संघ ने दी थी .इस मर्तबा एक नै सिफारिश यह की है स्वयम माँ -बाप को भी चेताया गया है बतलाते हुए कि उनका भी टीवी से ज्यादा चिपके रहना उनके बच्चों के बोलने बोलना सीखने की पहल को मुल्तवी और निलंबित रखेगा .इसलिए भी माँ -बाप को उनके साथ अधिकाधिक बतियाना ज़रूरी है .
"This updated policy statement provides further evidence that media -both foreground and background -have potentially negative effects and no known positive effects for children younger than two years,"it said.
बेशक ये अनुदेश "स्मार्ट फोन्स "पर खेले जाने वाले वीडियोगेम्स "को अपने दायरे से बाहर रखे हुए हैं .इन्हें इंटरेक्टिव समझा गया है .लेकिन पेसिव स्क्रीन वाचिंग पर यह सिफारिशें बा -कायदा लागू होतीं हैं .
गौर तलब है इन सिफारिशों को नजर अंदाज़ करने के अपने खतरे हैं क्योंकि इस दौरे -दौरां में बच्चों को ही लक्षित रखते हुए बेबी डीवीडीज ज़ारी की जा रहीं हैं रोज़ -बा -रोज़ .९० %माँ -बाप इस बात को मानते हैं कि उनके शिशु (०-२ साला ) इलेक्ट्रोनिक मीडिया से किसी न किसी रूप में जुड़े हुएँ हैं .यह एक चिंतनीय स्थिति है .समाधान माँ -बाप को ही तलाशना होगा .
ram ram bhai
October19 ,2011 .
'Breastmilk contains stem cells'
करामाती माँ का दूध ,ह्यूमेन ब्रेस्ट मिल्क कलम कोशाओं(स्टेम सेल्स ) से भी लैस है पोषक तत्व और इम्युनिटी का प्राथमिक स्रोत तो है ही .साइंसदानों के मुताबिक़ माँ के दूध में मौजूद इन कलम कोशाओं स्टेम या मास्टर सेल्स को न सिर्फ अश्थी कोशाओं में ढाला जा सकता है ,स्वयम स्तन कोशिकाएं भी इनसे गढ़ी जा सकतीं हैं ,रची जा सकतीं हैं उपास्थि कोशाएं (कार्तिलेजिज़ सेल्स ),वसा कोशाएं ,यकृत और अग्नाशय कोशिकाएं (पैन्क्रियेतिक सेल्स ) पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के साइंसदान Dr Foteini Hassiotou के नेत्रित्व में रिसर्चरों की एक होनहार टोली ने यहाँ तक आश्वस्त किया है , ब्रेस्ट मिल्क में लाइलाज पार्किन्संज़ तथा मधुमेह जैसे रोगों के प्रबंधन में भी मददगार बनने की क्षमता निहित है .
ram ram bhai
चप्पलसियासी .
स्थान हिसार हो या लखनऊ बात एक ही है .जब आदमी अपमान का बदला लेने की ठान लेता है तब स्थान बे -मानी हो जाता है .जालौन वाले जीतेन्द्र भाई पाठक जब यह कहतें हैं कि वह अरविन्द केजरीवाल की इज्ज़त करतें हैं तब यह उनका मूल आशय ही होता है .यू पी वाले वैसे भी तहज़ीबे याफ्ता होतें हैं .फिर सहसा उन्हें ध्यान आता है उन्हें तो यह काम करने के लिए भेजा गया है .पैसा भी अग्रिम मिला है .तब ज़नाब फर्मातें हैं -ज़नाब अरविन्द केजरीवाल साहब लोगों को बरगला रहें हैं .और सियासी चप्पल वह अरविन्द जी की ओर उछाल देतें हैं .जनता तो सिर्फ सच जानना चाहती है कचहरी का फैसला जब आयेगा तब आयेगा ,कुछ बातें स्पष्ट हैं .वह कौन सी पार्टी है जो आज भ्रष्टाचार के नाम से बिदक रही है .बी जे पी तो हो नहीं सकती वह तो अपरोक्ष रूप अन्ना जी के समर्थन में खड़ी है .खुद कोंग्रेस ऐसा मानती है .मायावती सामने से वार करतीं हैं .लिखकर करतीं हैं किसी से धौंस्ती नहीं है .मुलायामजी दो मुस्लिम सांसदों की वर्चस्व को लेकर लड़ाई से अवसाद ग्रस्त हैं .उनकी पार्टी यह काम नहीं कर सकती .लेफ्टिए तो इन दिनों चर्चा में ही नहीं है .सहज अनुमेय है यह कौन सी पार्टी है जिनका एक महासचिव कुछ और बोलता है और काग भगोड़ा कुछ और बोलता है .जिसके द्वारा अन्नाजी को लिखे पत्रों में ही तारतम्य नहीं है .जो अपने ही प्रवक्ताओं को बारहा नकार रही है .महा -सचिवों के लिखे बोले के लिए एक मुंह से उन्हें फटकार रही है दूसरे से यह सब जो वह लिख कह रहें हैं उसे उनकी व्यक्तिगत राय बतला रही है .यह जनता यूं ही नहीं अन्ना जी के पीछे आई है .भ्रष्टाचार एक केन्द्रीय मुद्दा बन चुका है .इससे जो लोग बे -तहाशा घबराए हुए हैं वह किस पार्टी के हैं कहाँ से आदेश ले रहें हैं उसका हाईकमान कौन है और रिमोट कौन ,कौन काग भगोड़ा है कौन मंद मति बालक यह हिन्दुस्तान का आवाम बा -खूबी जानता है .जितेन्द्र पाठक जालौन की भाषा नहीं बोल रहें हैं .वह तो मात्र राजनीति के भाषिक मोहरे हैं इस भाषा के सूत्र और सूत्रधार इस सियासी मिसाइल के कहीं और हैं .हमें तो भोपाली अपसंस्कृति की गंध आती है आपकी आप जानें .हमें अवगत ज़रूर कराएं .
ram ram bhai
'Stressed -out mothers more likely to have girls'
हो सकता पढने के बाद आपको थोड़ा अज़ीब लगे लेकिनऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की एक शोध से मिले संकेत बतलातें हैं कि वे भावी माताएं जो तनाव ग्रस्त रहतीं हैं गर्भधारण से ठीक पहले के अरसे में उनके कन्याओं को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है . रिसर्चरों ने पता लगाया है कि वह महिलाएं जो घर में या कार्यस्थलों पर या फिर अपने प्रेम संबंधों में भी गर्भधारण से पहले के चंद हफ़्तों ,या फिर चंद महीनों में दवाब ग्रस्त मन और शरीर लिए रहतीं हैं उनके प्रसव बाद कन्याओं को जन्म देने की संभावना लड़कों के बनिस्पत ज्यादा हो जाती है .
Virus behind 40%of cancers :
साइंसदानों ने दावा किया है कि तमाम किस्म के कैंसरों में से ४०% विषाणु जन्य होतें हैं .वायरस ही इनकी वजह बनतें हैं .स्वीडन के कैरोलिंस्का संस्थान की एक रिसर्च टीम के मुताबिक़ बाल पन के एक आमफ़हम दिमागी ट्यूमर"MEDULLOBLASTOMA" औरएक ख़ास विषाणु के बीच एक अंतर्संबंध की पुष्टि हुई है .
ram ram bhai
Ladies ,kick the butt or risk early menopause
Premature Onset Raises Death Risk ,Study
Early menopause is tied to osteoporosis ,Alzehimer's
जो महिलाएं धूम्रपान करतीं हैं वह औसतन रजोनिवृत्त की आम उम्र से साल भर पहले ही रजोनिवृत्त हो सकती है बरक्स उनके जो धूम्रपान नहीं करतीं हैं .और इसी के साथ अश्थी क्षय से सम्बंधित रोग ओस्टियोपोरोसिस तथा दिल की बीमारियों के खतरे का वजन भी बढ़ता जाता है .
विज्ञान पत्रिका मीनोपोज़ में प्रकाशित इस अध्ययन में पूर्व के कई और अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों को भी शामिल किया गया है जिनमे अमरीका ,पोलेंड ,तुर्की और ईरान की तकरीबन ६००० महिलाएं शरीक थीं .
औसतन वे महिलाएं जो धूम्रपान नहीं करतीं हैं वह ४६-५१ साल के बीच रजो -निवृत्त हो जातीं हैं .
लेकिन यदि दो अध्ययनों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तब धूम्रपान करने वाली महिलाओं मेंबाकी सभी अध्ययनों में ४३ -५० साल के बीच रजोनिवृत्ती दर्ज़ हुई है .मीनोपोज़ के दरमियान अंडाशय (दोनों ही ओवरीज़ )ह्यूमेन एग तैयार करने की क्षमता खो देते हैं .स्पर्मेताज़ोयाँ और फीमेल एग के मिलन से होने वाली गर्भधारण की अवस्था कन्सेप्शन इसीलिए हमेशा के लिए टल जाती है . औरत गर्भ धारण नहीं कर पाती है .
ज़ाहिर है धूम्रपान का महिलाओं में बढ़ता चलन उनके गर्भकाल में दखल पहुंचाता है .रजोनिवृत्ती को समय से पहले आमंत्रित करता है .
होन्ग कोंग विश्वविद्यालय के रिसर्चर Volodymyr Dvornyk इस अध्ययन के प्रमुख रचनाकार रहें हैं .आपने अपने सह -शोध कर्ताओं के संग मिलकर पांच अन्य अध्ययनों का भी विश्लेषण किया है ,इनमे मीनोपोज़ और अर्ली मीनोपोज़ की कट ऑफ़ एज ५० या फिर ५१ साल रखी गई थी .इन्हीं दो वर्गों में महिलाओं को देखा परखा गया .
इस विश्लेषण में शरीक ४३,००० महिलाओं में से जो धूम्रपान करती आईं थीं उनमे अर्ली रजो -निवृत्ति की संभावना ४३ % प्रबल देखी गई .ज्यादा देखी गई .बतला दें आपको अर्ली और लेट मीनोपोज़ दोनों ही स्वाथ्य के प्रतिकूल परिश्तिथियाँ हैं .स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिम इनसे चस्पां रहें हैं .
Women who hit menopause late are thought to be at higher risk of breast cancer because one risk factor for the disease is more time exposed to estrogen .
आम सहमती इस बात पर रही आई है कि अर्ली मीनोपोज़ उन स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों को भी और ज्यादा तथा गुरु गंभीर बना देती है जिनका नाता रजोनिवृत्ती के बाद की स्वास्थ्य समस्याओं से रहता है मसलन अश्थी क्षय (लोस ऑफ़ बोन मॉस यानी ओस्टियोपोरोसिस ),हृदवाहिकीय (कार्डियोवैस्क्युलर प्रोब्लम्स ),मधु मेह (डायबितीज़ ),मोटापा तथा बुढापे के डिमेंशिया अल्ज़ाइमर्स एवं अन्य अनेक रोगों से रहता है .कुलमिलाकर अर्ली मीनोपोज़ आइन्दा के लिए (बाद के बरसों के लिए )मौत के खतरे को भी थोड़ा सा बढा देती है.
ram ram bhai
स्तन कैंसर से जुड़े मिथ और यथार्थ
अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता को समर्पित महीना है ..स्तन कैंसर से जुड़े मिथ और यथार्थ की हम लगातार चर्चा करेंगे .पहला मिथ -
Myth: Only women with a family history of breast cancer are at risk.
यथार्थ -जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर रोग निदान के रूप में पुख्ता होता है डाय्गनोज़ होता है उनमे से तकरीबन ७० %महिलाओं में किसी भी किस्म के जोखिम तत्व या रिस्क फेक्टर मौजूद नहीं रहतें हैं .
अलबत्ता स्तन कैंसर के खतरे का वजन उन महिलाओं के लिए बढ़ जाता है जहां परिवार में एक दम से नजदीकी सगे सम्बन्धी में यह रोग चला आया हो .मसलन सम्बन्धियों में यदि माँ -बाप ,सहोदर (सिबलिंग )अथवा संतान में से किसी को यह रोग निदान हुआ हो या हुआ है तब उनसे सम्बद्ध महिला के लिए इसके खतरे
का वजन दोगुआ हो जाता है .
यही ख़तरा तब और भी ज्यादा हो जाता है जब इनमे से एक से ज्यादा सम्बन्धियों (फस्ट ऑर्डर रिलेतिव्ज़ )में यह रोग मौजूद रहा हो या मौजूद है .
Myth: Wearing an underwire bra increases your risk of getting breast cancer
Myth: Wearing an underwire bra increases your risk of getting breast cancer
Reality: Claims that underwire bras compress the lymphatic system of the breast, causing toxins to accumulate and cause breast cancer, have been widely debunked as unscientific. The consensus is that neither the type of bra you wear nor the tightness of your underwear or other clothing has any connection to breast cancer risk.
लिम्फेटिक प्रणाली या लसिका तंत्र वाहिकाओं का वेसिल्स का एक संजाल होता है नेटवर्क होता है जो तरल ,प्रोटीनों ,वसाओं (फैट्स )तथा स्वेत रुधिर कोशाओं (लिम्फोसाइटों )को ऊतकों के बीच के अंतराल से निकालकर रक्त प्रवाह तक पहुंचाता है .तथा ऊतकों से सूक्ष्म जैविक संगठनों (माइक्रोओर्गेनिज्म )तथा इतर कचरे की निकासी करता है .
Lymphatic system is a network of vessels that transport fluid ,fats ,proteins and lymphocytes to the blood stream as lymph ,and remove microorganisms and other debris from tissues .
महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना कि ऐसी चोलियाँ पहनने से लिम्फ तंत्र पर दवाब पड़ता है इस संपीडन (कम्प्रेशन )से जो विषाक्त पदार्थ (तोक्सिनें )जमा हो जातीं हैं वही स्तन कैंसर की वजह बन जातीं हैं .यह धारणा विज्ञान के स्तर पर नितांत भ्रामक सिद्ध हो चुकी है .मिथ्या है यथार्थ नहीं .
यथार्थ यह है कि न तो ऐसी कसावदार चोली और न ही टाईट ब्रीफ्स (अंडरवीयार्स )इसकी वजह बनते हैं .ब्रेस्ट कैंसर का इनसे दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है .
बुधवार, 19 अक्टूबर 2011
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5 टिप्पणियां:
ज्ञानवर्धक..
यथार्थ से परिचय करवाने के लिए आभार
dher sari jankari
आदरणीय वीरू भाई ..ज्ञान वर्धक पोस्ट ..बिभिन्न विषय ..रचनात्मक ..दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं अग्रिम रूप से
भ्रमर ५
बोवेल कैंसर का नाम मैंने पहली बार सुना.
मेरे लिए नई जानकारी है. आभार.
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