सोमवार, 31 अक्टूबर 2011

वाइन गटक रहें हैं ब्रितानी मदरसों में पढने वाले बच्चे .

वाइन गटक रहें हैं ब्रितानी मदरसों में पढने वाले बच्चे .

ब्रितानी सरकार की एक हालिया रिपोर्ट में बतलाया गया है बहुत बड़ी तादाद में स्कूल जाने वाले बच्चे वाइन बेहिसाब गटक रहें हैं ;हर हफ्ते औसतन वाइन के १९ ग्लास गले से नीचे उतार रहें हैं ये बच्चे .तिस पर तुर्रा यह कि ये पूरी नींद भी नहीं ले रहें हैं .और इसीलिए स्कूल के टाइम में कक्षा में उनींदे रहतें हैं ये नौनिहाल .
ब्रिटेन की ही स्कूल हेल्थ एज्युकेशन इकाई ने तीन अलग अलग अध्ययनों के अनंतर यह निष्कर्ष निकालें हैं .पहले अध्ययन से इल्म हुआ १२ साला स्कूल छात्र हफ्ते भर में वाइन के १९ ग्लासों से अपना गला तर करतें हैं .पानी कम वाइन ज्यादा .इस आयु वर्ग के ४%बच्चों ने गत सप्ताह हुए सर्वे में बतलाया बीते हफ्ते उन्होंने २८ या और भी ज्यादा यूनिट्स वाइन गटकी .पुरुषों के लिए तीन से लेकर चार यूनिट्स तथा महिलाओं के लिए रोजाना दो से तीन यूनिट्स की गाइड लाइंस (अनुदेशों )का अतिक्रमण करती है बच्चों द्वारा सप्ताह भर में ही पी जा रही वाइन की यह मात्रा .
कुछ बच्चों को इसी लत की वजह से पर्याप्त नींद भी मयस्सर नहीं हो रही है .
सेलेब्रिटी कल्चर जो करादे सो कम .
सेलेब्रिटी कल्चर जो करादे सो कम .
सेल्फ इमेज ,गुड लुक्स ,देह यष्टि का आकर्षण और मन्त्रमुग्धता अब प्राइमरी स्कूल की उम्र में ही रहने लगी है .एक बेचैनी इनमे "कैसी दिखती हूँ मैं "यानी अपनी छवि को लेकर साफ़ मुखरित हो रही है .कुछ भी करने को तैयार हैं इसके लिए ये लडकियां .१० -११ साल के दरमियान ही ये तौल के फंदे में फंसी तौल घटाने की जुगत में बेचैन रहतीं हैं .
स्कूल हेल्थ एज्युकेशन यूनिट ने संपन्न किया है यह अध्ययन .जिन ८३,००० लड़कियों से इस अध्ययन के दौरान बातचीत की गई उनमे से एक तिहाई दस साला लड़कियों ने यह साफ़ साफ़ बतलाया वह तौल कम करने के लिए नाश्ता ही नहीं करतीं हैं .बातचीत से पहले दिन २४%लड़कियों ने दोपहर का भोजन भी नहीं लिया था .
जैसे जैसे लड़कियों की उम्र आगे खिसकती जाती है यह प्रतिशत भी उम्र के साथ साथ पींग बढाता है .
१४-१५ साला लड़कियों में से दो तिहाई वजन कम करना चाहतीं हैं .एक ख़ास लुक के लिए कुछ भी करेगा .कई किस्म के पापड बेलेगा .यही फलसफा है इनका इरादा भी है .कक्षा छ :की तमाम लड़कियों और लड़कों में से भी ४०%ने बतलाया -हम सप्ताह के सातों दिन प्रोटीन का सेवन ही नहीं करतें हैं .लेकिन इनमे से एक चौथाई crisps ,sweets और chocolate बराबर खातें हैं .
ब्रितानी न्यूट्रीशन फाउनदेशन की साइंसदान Dr Laura Wyness कहतीं हैं यह सब जनप्रिय मीडिया का करा धरा है .पोप्युलर मीडिया बेतरह युवा भीड़ की बॉडी इमेज को प्रभावित कर रहा है .इसी के चलते एक जद्दोजहद एक दवाब आदर्श कद काठी ,छवि आइडियल बॉडी शेप को लेकर बन रहा है .
इसी फेड के चलते प्रेशर के तले कुचले जाने से सेहत को चौपट करने वाली आदतें पनप रहीं हैं .इनमे शरीक हैं -धूम्रपान ,खाना परहेजी ,स्किप्पिंग मील्स ,खासकर नाश्ता न करना ,दूध और दुग्ध उत्पादों से छिटकना .प्रोटीन के अन्य प्रमुख स्रोतों यथा रेड मीट यहाँ तक की आयरन ,जिंक और केल्शियम से भी छिटकाव बढ़ रहा है .लो एनर्जी और कथित न्युत्रीयेंट डाईट का चलन ज़ोरों पर है .सेलेब्रिटी कल्चर इस दौर में जो करादे सो कम .
माँ बाप को ऐसे घटाटोप में क्या करना चाहिए ?
सन्दर्भ -सामिग्री :Even 1o 0-yr -olds starving themselves to stay thin 'No Breakfast For 30%Girls ,24%Skipped Lunch'/TIMES TRENDS /TOI,OCTOBER 31 ,2011 P23 CAPITAL ED.

3 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

स्कूली बच्चे अगर वाइन का सेवन कर रहे हैं तो ये बहुत चिंता की बात है.माँ-बाप को ध्यान देना चाहिए.

Maheshwari kaneri ने कहा…

कनवर जी की बात से मैं सहमत हूँ...विचारणीय लेख..आभार

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

serious matter for a nation like England