गुरुवार, 26 नवंबर 2009

खासने का इलाज़ लंग्स में ही छिपा है ......

ब्रितानी विज्यानियों की एक टीम ने पता लगाया है ,फेफड़ों की नसों (स्नायु ,नर्व्स)के सिरों पर कुछ अभिग्राही प्रोटीन होतीं हैं जो इर्रितेंट्सके प्रति अनुक्रिया करतीं हैं ,नतीज़ा होता है कफ (खांसना ).यह जलन पैदा करने वाले उत्तेजक पदार्थ कुछ भी हो सकतें हैं .कुछ
लोग लगातार खांसते रहतें है कारण इन्हीं अभिग्राही प्रोटीनों की उत्तेजना बनती है जो नर्व्स एन्दिंग्स पर मौजूद होतें हैं .दीज़ रिसेप्टर्स प्रोम्प्ट कफ रिफ्लेक्स ।
ब्रितानी नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टिट्यूट के चिकित्सा कर्मियों के अनुसार इन अभिग्राहियों (रिसेप्टर्स )को बंद करके (अवरुद्ध ,ब्लोक )करके खांसी (खासने की प्रक्रिया )को मुल्तवी रखा जा सकता है .इम्पिरिअल कोलिज लन्दन और हल यूनिवर्सिटी के चिकित्सा कर्मियों ने भी यही पता लगाया है ।
लाइलाज कफ कुछ लोगों के लिए लगातार कष्ट का सबब बना रहता है .कुछ लोगों की तो जीवन धारा को ही बदल देता है कफ ,हताश निराश हो जातें है यह लोग .जीवन की गुणवत्ता असर ग्रस्त हो जाती है ।
कुछ लोगों के अनुसार आस पास की हवा में ही ऐसा कुछ होता है (फ़िर चाहे वह मौसमी अलार्ज्न्स ,एलर्जी कारक पदार्थ जैसे पोलेंस (पोलें न) हो हवा में तैरते या कुछ और एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थ )खासने की प्रक्रिया को यही एड लगातें हैं .जो हो चोर पकड़ा गया है .चिकित्सा कर्मियों को यह इल्म हो गया है खांसने के दौरान फेफड़ों में होता क्या है ?
अब पुष्ट यही होना करना है ,क्या इन रिसेप्टर प्रोटीनों को ब्लोक किया जा सकता है प्रभावी तरीके से .इन अभी- ग्राहियों को मिलने वाला उत्तेजन ,दह न ,इर्रिटेशन ही खांसी पैदा करता है ।
गिनी पिग्स और कुछ स्वयं -सेवियों पर की गई आजमाइशों से पता चला है ,नसों के सिरों पर टी आर पी ऐ १ प्रोटीन होती है जो सिगरेट के धुयें (सेकेंडरी स्मोक ),वायु में तैरते प्रदूषक से उत्तेजन प्राप्त कर सक्रीय (स्विच आन )हो जाती है .इसी से कफ रिफ्लेक्स पैदा होता है ,नतीज़ा होता है -खांसी (गले की फांसी ,लेकिन हूजूर मामला गले का नहीं है ,फेफड़ों से ताल्लुक रखता है ।).
गिनी पिग्स में दवाओं से जब इन अभिग्राहियों को अवरुद्ध कर दिया गया तब कफ रिफ्लेक्स भी जाता रहा ,सिगरेट स्मोक और प्रदूषक उत्तेजन ही प्रदान नहीं कर सके ।
इस शोध को पुष्ट करने के लिए माईस ,पिग्स और ह्युमेंस से नसें लेकर भी आज़माइश
की गई ,ताकि स्वयं सेवियों से प्राप्त नतीजे दोहराए जा सकें ।
सन्दर्भ सामिग्री :-क्युओर फॉर कफ इज इन डा लंग्स ,नोट थ्रोट (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २४ ,२००९ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

अभिग्राही प्रोटीन होतीं हैं

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