रविवार, 11 सितंबर 2016

बलिहारी उस दुःख को , जो पल पल नाम जपाय

बलिहारी उस दुःख को , जो पल पल नाम जपाय।

अब तो जाए चढ़ै  सिंहासन  , मिले हैं  सारंगपानि ,

राम कबीरा एक हुए हैं ,कोई सके न पहचानि।

जिसकी झोली में परमात्मा अपना नाम अपनी याद की दात (दान ) दे देता है ,वह फिर बादशाहों का भी बादशाह हो जाता है।

जिसनो बखसे सिफति सालाह।

नानक पातिशाही पातिसाहु।

https://www.youtube.com/watch?v=gcXHG4yUyac

Japji Sahib Katha Pauri 25 - Giani Sant Singh Ji Maskeen

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