बुधवार, 27 जुलाई 2016

माया ममता मोहिनी ,जिन बिन दंता जग खाया , मनमुख खादे ,गुरमुख उबरै ,जिन राम नाम चित लाया

माया ममता मोहिनी ,जिन बिन  दंता जग खाया ,

मनमुख खादे ,गुरमुख उबरै ,जिन राम नाम चित लाया। 

 दंतहीन माया और ममता रूपा मोहिनी सारे जग को खा गई ,वे जो आत्महीन थे ,जिनका कोई गुरु न था ,कोई गुरु -परम्परा नहीं थी ,जो मन की सुनते करते थे ,मनमुख थे उन्हें माया -ममता खा गई। जो गुरुमत पर चलते थे ,गुरु की सुनते थे जिनके हृदय श्री राम बसै ,जिनका चित्त प्रभु का ही स्मरण करता था वे जीवन मुक्त हो गए। माया उनका कुछ न बिगाड़ सकी.माया के कुटुंब में भले रहो लेकिन उदास (निरपेक्ष ,बेलाग )होकर।उदासीन होकर। भागना कहीं नहीं है माया के साथ हमारा लेनदेन हो ,transaction हो ,मोह नहीं।  

जो आत्म -हीन आत्मा -हंता हैं  ,मानवबम हैं ,क़त्ल और गारद ही मचाये रहते -करते हैं ,वहीँ की वहीँ अटके हुए हैं जहां चौदह वीं शती में थे वे आपस में ही मार काट मचाये हुए हैं। 

कई आस्थाएं ,विश्वास  वहीँ अटके हुए हैं जहां मोहम्मद साहब के समय थे ,कई मायावतियां मनमुखि ,सुमुखियाँ गुरु -विहीन,दिशाहीना , आत्महीन वहीँ अटकी हुईं हैं ,संसद में आज उनकी ही अनुगूंज सुनाई देती है। 

जेहाद गुरु मुखी होना है अवगुणों के खिलाफ जंग हैं मन का सुख ,मन की गुलामी नहीं हैं। मनमानी नहीं है ,भटकाव नहीं है त्याग है अवगुणों का। 

जै-श्रीकृष्ण !


3 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 29/07/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

Anita ने कहा…

राम-नाम का आश्रय लिए बिना कोई नहीं तर सका..सुंदर बोध देती पोस्ट !

Unknown ने कहा…

राम राम सब जग बखाने आदिनाम कोई विरला जाने