धनवंता होई करि गरबावै ,
तृण (त्रिण )समान कछु संगि न जावै।
धनवाला होकर गुमान करता है तिनक (तिनके )जितना भी ,तनिक भी कुछ साथ नहीं जाता।
तृण (त्रिण )समान कछु संगि न जावै।
धनवाला होकर गुमान करता है तिनक (तिनके )जितना भी ,तनिक भी कुछ साथ नहीं जाता।
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