आगिआ भई अकाल की तभी चलाइउ पंथ ,
सभ सिखन को हुकम है ,गुरु मानओ ग्रंथ ,
गुरु ग्रंथ जी मानिऐ प्रगट गुरां की देह।
गुरुओं की प्रत्यक्ष देह है ,हाजर -नाजर साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब। साध संगतजी ,चित्त में ध्यान रखने वाली बात है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब सारी मनुष्यता का मुख श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की ओर कर रहे हैं। साधसंगत जी ,उस समय वे हमें किसके साथ जोड़ रहे हैं ?हमें किसका पल्लू पकड़ा रहे हैं ?किसके चरण कमलों में हमने सौंप रहे हैं ?उन्होंने हमें गुरु ग्रन्थ साहिब के चरण कमलों में सौंप दिया है।
सभ सिखन को हुकम है ,गुरु मानओ ग्रंथ ,
गुरु ग्रंथ जी मानिऐ प्रगट गुरां की देह।
गुरुओं की प्रत्यक्ष देह है ,हाजर -नाजर साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब। साध संगतजी ,चित्त में ध्यान रखने वाली बात है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब सारी मनुष्यता का मुख श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की ओर कर रहे हैं। साधसंगत जी ,उस समय वे हमें किसके साथ जोड़ रहे हैं ?हमें किसका पल्लू पकड़ा रहे हैं ?किसके चरण कमलों में हमने सौंप रहे हैं ?उन्होंने हमें गुरु ग्रन्थ साहिब के चरण कमलों में सौंप दिया है।
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर बात और व्याख्या ... राम राम जी ...
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