लघु कथा -"नफासत "
मुझे बहुत ज़ोर से एहसास हुआ -मेरी नफासत क्या है ?कैसी है ?कितने ज़हीन हैं हम लोग ?विकलांग यह नहीं मानसिक रूप से मैं हूँ .और हम लोग उस पर दया दृष्टि करते हुए निकल जातें हैं -बेचारा टोंटा है .
वजन भी कम हो सकता है स्तन पान करवाने से ...
दादी नानियाँ कहतीं थीं -शिशु को सलीके से आंचल में ढक ढांप छिपाकर स्तन पान करवाओ ताकि किसी की नजर ना लगे ।एक स्वस्थ माँ को एक घडा भर दूध उतरता है ।कालिदास ने नवप्रसूता को पीन्स्तनी कहा है ।
दीर्घावधि अध्धय्यनों से सिद्ध हुआ है -स्तनपान वजन कम करने का बेहतरीन साधन है महज मिथ नहीं है ।
स्तन पान के दौरान माँ की मेटाबोलिक रेट्स (रेट ऑफ़ बर्निंग केलोरीज़ )बढ़ जाती है ।
हर हफ्ता एक पोंड तक वजन कम हो जाता है स्तनपान करवाने वाली माँ का ।
नार्थ केरोलिना विश्व -विद्य्यालय,ग्रीन्सबोरो में पोषण विज्ञान की प्रोफेसर चेरय्ल लव लेडी उक्त तथ्य की पुष्टि करतीं हैं ।
मजेदार बात यह है ये औरतें ना तो किसी प्रकार की डा -इटिंग ही करतीं हैं उल्टे रोजमर्रा की खुराख से ५०० केलोरीज़ फालतू ही लेतीं हैं ताकि पर्याप्त मात्रा में दूध बनता रहे ।
अब सवाल पैदा होता है -क्या स्तनपान वेट लोस को पंख लगा देता है ,तेज़ी से घटता है वजन स्तनपान करवाने से ?
कोई सीधा सपाट ज़वाब नहीं है इस सवाल का .कई बातें हैं जो तय करतीं हैं वजन की घटबढ़ को ।
गतवर्ष ३६००० डेनमार्क की महिलाओं पर एक अध्धय्यन इसी बात की पड़ताल के लिए किया गया ।जिस महिला ने अधिक अवधि तक (०-२ वर्ष के दरमियान )उत्तर्प्रसव(पोस्ट पार्तम) और कम अन्तराल से हर रोज़ स्तन पान करवाया ६ महीने के बाद उनके वजन में ज्यादा कमी दर्ज की गई ।इस के अलावा इस बात को भी मद्दे नजर रखा गया ,क्या गर्भावस्था से पूर्व महिला का वजन आदर्श कद काठी के अनुरूप निर्धारित भार से अधिक था ,गर्भ धारण की तैयारी के दरमियान उसका वजन कितना था ?ये तमाम घटक मिलकर ही अन्तिम निष्कर्ष तक ले जातें हैं ,किसको कितना फायदा हुआ ,किसका कितना वजन कम हुआ ।
कोर्नेल में प्रोफेसर कथ्लीन रासमुस्सेन भी उक्त तथ्य की पुष्टि करतीं हैं ।
कुदरत का नायाब नज़ारा "विंटर लाइन "क्या है ?
शाम की यही रंगत स्वीटज़रलेंड से भी देखी जा सकती है .यहाँ भी पश्चिमी क्षितिज रंगों की नुमाइश से सराबोर हो उठता है -पीला ,गहरा लाल ,नारंगी ,चमकीला लाल गुलाबी जामुनी रंग एक साथ मुखरित होतें हैं।
उत्तरांचल की हिल क्वीन मसूरी का माल रोडपर गश्त करता सैलानी शाम होते ही कुदरत के इस अप्रतिम अनचीन्हें नजारे को देखने के लिए सड़कों के किनारे पडी बेंचों पर आ बैठता है ।
हवा की दो विभिन्न तापमान वाली परतों को एक काल्पनिक किरमिजी गहरे लाल रंग की रेखा यहाँ अलगाए रहती है ।अस्ताचल को जाता -
सूरज एक जाली (नकली )क्षितिज के पीछे छिप जाता है ,तब पैदा होती है एक भूरी चमकीली लाल गुलाबी जामुनी रंगों की पट्टी ।
साफ़ तौर पर एक श्याम पट्टी (ब्लेक लाइन ) तब वायुमंडल की भूरी गंदली परत को अस्ताचल को जाते सूरज की गोल्डन ब्राउन और गहरे लाल (क्रिमसन रेड )परत से अलग करती दिखलाई देने लगती है .यही है -विंटर लाइन ।
ऐसा लगता है प्रकृति के किसी दिव्य चितेरे ने कूची - ब्रश संभाल लिया है ।
कुछ विज्ञानी इसे प्रकाश के अपवर्तन (रिफ्रेक्सन )की घटना बतलातें हैं ,जब प्रकाश एक ख़ास कोण पर दो अलग अलग वर्त्नांक वाली परतों में प्रवेश करने पड़ मुड़ जाता है ,विचलित हो जाता है रिजु मार्ग से तब पर्बतीय क्षेत्रों से पश्चिमी क्षितिज की साफ़ घाटी की तरफ़ निहारने पर कुदरत का यह मौसमी नज़ारा दिखलाई देता है ।
अलबत्ता शाम के इस आश्चर्य लोक की सृष्टि स्नो -फाल के दौरान क्यों नहीं होती और केवल सर्दी के दो महीनों में ही क्यों होती है यह अभी अनुमेय ही है ।
संभवतय सर्दी के मौसम में पैदा होने वाला तापमान कंट्रास्ट अस्ताचल को जाते सूरज की अपवर्त्नीय रश्मियों (रिफ्रेक्तिंग रेज़ )के साथ किर्या -प्रतिक्रया (इन्तारेक्त )करता है ।
(दी क्लोजेस्ट मीटियोरोलोजिकल एक्सप्लेनेशन फॉर दिस इवनिंग वंडर विटनेस्ड फ्रॉम मसूरी एंड स्वित्ज़र्लेंद इज देट दी कंट्रास्ट इन दी टेम्प्रेचर ड्यूरिंग विंटर इनतेरेक्ट्स विद दी रिफ्रेक्तिंग रेज़ ऑफ़ दी सेटिंग सन मे बी दी रीज़न फॉर इट्स अक्रेंस ।)
13 टिप्पणियां:
लघु कथा -"नफासत " ....मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !
विंटर लाईन के बारे में जाना, मुझे पहले कम ही पता था।
bhaai sahab This post very useful for women. congratulation.
कितना कुछ जानने को मिल गया।
लघु कथा -"नफासत "
यूँ लगा जैसे की आपबीती हो . हम सब अनजाने में इस प्रकार की गलतियाँ करते रहते है.
http://www.youtube.com/watch?v=i76H-SvFfjY
यह विडियो देखिये . वैसा ही अनुभव होगा.
हाँ!रेखाजी हमसे ही हुई थी ,ये गलती .शर्मिंदगी भी इसलिए ज्यादा हुई थी हम अकसर उससे बतियाते थे .उसके हौसले के कायल थे .जिंदादिली के भी .
प्रेरक लघुकथा।
विशिष्ट शैली में रोचक जानकारी।
एक के साथ चार चार का बोनस हो गया है अब तो ....बढियां है !
ek sath itna kuchh nafasat marmik rachna aur sab gyan vardhak abhar
सर आपके ब्लॉग पर आया हूँ आज.....
आपको पडा..."नफ़ासत" ....अच्छा लगा...
आगे भी आपके प्यार और आपकी दुआओं की जरुरत रहेगी मुझे...
सादर
बहुत सुन्दर, प्रेरक और मर्मस्पर्शी रचना! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मर्मस्पर्शी रचना !
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