खामोश अदालत ज़ारी है ,दिल्ली का संकेत यही है ,
वाणी पर तो लगी है बंदिश ,अब साँसों की बारी है .
खामोश अदालत ज़ारी है .
हाथ में जिसके है सत्ता वह लोकतंत्र पर भारी है ,
गई सयानाप चूल्हे में .बस चूहा एक पंसारी है .
कैसा जनमत किसका अनशन ,हरकत में जब शासन ,
संधि पत्र है एक हाथ में दूजे हाथ कटारी है .
खामोश अदालत ज़ारी है .
दिल्ली नै पुरानी दिल्ली ,परकोटे की रानी दिल्ली ,
सदियों से है लुटती आई ,मुग़ल फिरंगी या अबदल्ली,
दिल्ली ने यह भी देखा है ,दूध की है रखवाली बिल्ली ,
चोर- चोर मौसेरे भाई ,अफरा तफरी भारी है ,
कुर्सी- कुर्सी होड़ मची है ,पांच साल में बारी है ,
खामोश अदालत ज़ारी है .
ऐसी कथा लिखी शातिर ने ,कुटनी एक सन्नारी है ,
औरत, चैनल, मर्द, जवानी ,जफ्फा -जफ्फी ज़ारी है ,
सांसद बैठे लाल बुझक्कड़ ,खिल- खिल- खिल, खिलकारी है ,
बे -मतलब से एक अधे -रीड़ ,हंसती हाहाकारी है ,
यही नांच इंडिया ल्फ्टर ,सभी कला बलिहारी है ,
खामोश अदालत ज़ारी है .
राजनीति है ऐसी नटनी ,साथ मदारी काला चौगा ,इज्ज़त चादर एक चौकी है ,
हर नेता है बना दरोगा ,खौफ की ज़द में रात बिरानी ,
दिन भी खुद पर है शर्मिन्दा ,ऐसी काली करतूतों के ,
बीच रहा मैं अब भी ज़िंदा ,
भारत तो जा चुका भाड़ में .अब इंडिया की बारी है ,
खामोश अदालत ज़ारी है .
12 टिप्पणियां:
हाथ में जिसके है सत्ता वह लोकतंत्र पर भारी है
thoughtful poem
भारत तो जा चुका भाड़ में.
अब इंडिया की बारी है,
ज्यादा समय इसको भी नहीं लगेगा,
ऐसी ही रान्जनीति रही तो
खूब कहा!वीरुभाई....
...अब इंडिया की बारी है !
राम-राम ...
अब इंडिया की बारी है
सुंदर कविता
कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
पांच साल में बारी है
लूटन की लाचारी है ...
लाजवाब ... सोचने को मजबूर करती है रचना ...
चोर- चोर मौसेरे भाई ,अफरा तफरी भारी है ,
कुर्सी- कुर्सी होड़ मची है ,पांच साल में बारी है ,
खामोश अदालत ज़ारी है ....
Loved it.
Although it looks funny but conveys a thoughtful message !!
बहुत खूब खामोश अदालत जारी है
राजनीति के दंगल में पिटती जनता बेचारी है |
आज आपका यह रूप पसंद आया , बधाई
व्यंग्यात्मक सत्य, बहुत सुंदर,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
तीखा कटाक्ष करती सहभावित कविता.... डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश ,सहभाव :वीरुभाई आप दोनों को हार्दिक बधाई...
चोर- चोर मौसेरे भाई ,अफरा तफरी भारी है ,
कुर्सी- कुर्सी होड़ मची है ,पांच साल में बारी है ,
खामोश अदालत ज़ारी है ....
Sateek ...Yahi haal hai...
बिलकुल ठीक कहा है आपने
जी ,सच कहा आपने खामोश अदालत जारी है
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