बुधवार, 12 सितंबर 2018

नेहरू पंथी कांग्रेस का पाखंड :राहुल की मानसरोवर यात्रा

नेहरू पंथी कांग्रेस का पाखंड :राहुल की मानसरोवर यात्रा 

तीर्थ यात्रा का एक अनुशासन होता है जहां पथ्य, अपथ्य ,खाद्य अखाद्य ,भक्ष्य ,अभक्ष्य का तीर्थयात्री को  विशेष ध्यान रखना होता है।शहजादे तो इन सब बातों से ऊपर मानते हैं अपने आप को। आपने यात्रा से पहले ही शिव को सावधान कर दिया था ये कहकर -आप होंगे देवों  के देव 'महादेव'  . मैं ऐसे किसी नियम विशेष को नहीं मानता। आप मेरे स्वागत की तैयारी करो मैं आ रहा हूँ। 

ज़ाहिर है वहां ये आशुतोष से वर मांगने गए होंगे लेकिन वे आशुवर तो देते ही हैं आशु शाप भी देते हैं। तपश्चर्या के नियमों की पालना तो दैत्यों ने भी की है तभी महापंडित रावण ,रावण कहलाया। दस बार रावण ने अपना शीश शिव को चढ़ाया। शिव ने उनकी नाभि में अमृत रोप  दिया। 

बतलाया जाता है राहुल और उनके मस्त टोले ने अभक्ष्य किया नेपाल के रेस्त्रां में। यात्रा की मर्यादा को नहीं रखा।तीर्थ यात्रा को सैर -सपाटे में बदल दिया। 

 शिव बड़े दयालु हैं यदि राहुल अब भी अपने किये का प्रायश्चित कर लें मन ही मन तो आशुतोष प्रसन्न हो जायेंगे।भले वे विमान या हेलीकॉप्टर पर सवार होकर कैलाश मानसरोवर वाया ल्हासा पहुंचे हों। शिव तो प्रेम के भूखें हैं। 

लाल रंग  तिसको लगा जिसके बड़े भागा। 

मैला कदी न होवै न लागे दागा। 

लाल रंग प्रेम का है। गुरु गोविन्द सिंह कहते हैं :

साँच कहूँ सुन लेओ सभै ,

जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो। 

जिस दिन मैं उस के रंग में रंग गया उस दिन मैं उस रब के साथ होली खेलूंगा। फाग रचाऊँगा। 

अब के फाग रचाऊं लला मैं ,

जो तुम आवो लला बरसाने,

 नाकन चना चबाऊँ ,

लेहंगा पहराऊँ तोहे पहराऊँ ओढ़नी ,

भोत ही नांच नचाऊ लला मैं ,

अब के फाग रचाऊँ।  

संदर्भ -सामिग्री :

क्या आपको यकीन है राहुल गांधी कैलाश गए थे? ये पढ़ें


http://newsloose.com/2018/09/11/truth-of-rahul-gandhi-kailash-mansarovar-yatra/

कोई टिप्पणी नहीं: