मंगलवार, 1 मार्च 2016

हुक्का पानी तो बंद होना ही था।बेलट से होगा आइन्दा फैसला जाट बनाम गैर-जाटों का।

हरियाणा में जाट गैर -जाट ध्रुवीकरण हालिया जाट आरक्षण का ही नतीजा है। खुला खेल फरुख्खाबादी खेला गया है आरक्षण की आड़ में। आरक्षण आंदोलन सरकारें कांटेंन  करने में असमर्थ ही रहती आईं है। मंडल आंदोलन से अवमूल्यन शुरू हुआ था हरयाणा की आन बान  और शान का। उसके बाद लोकदल की जहां भी रैलियां हुईं वहां लूटपाट रैलीकी समाप्ति पर होना एक शगल रहा। उसी का विकराल रूप था यह अजिटेशन। ये प्रायोजित आगजनी जिसके निहितार्थ अब उद्घाटित हैं।

आरक्षण खोरी इस देश को खा जाएगी। दूध दही के खाने के लिए जाने जाना वाला हरियाण अब लूट पाट और आगजनी के लिए मशहूर है। धीरे धीरे सोशल मीडिया पर अब वीडिओज़ आ रहे हैं उस उन्माद के जिसे देखकर लगता है एक पूरा शहर पागल हो गया है। एक मोटरसाइकिल सौ लठ्ठ।

युवा भीड़ के एक हाथ में लठ्ठ दूसरी में दो लीटर की स्प्राइट। खैंचौ फ्री का माल है।

कारों के शो रूम में एक कार से दूसरी पर कुदक्क्डी करती युवा भीड़ हैरत अंगेज़ नज़ारा प्रस्तुत कर रही थी ,यो स म्हारा हरियाणा , आज का हरियाणा ?नहीं ये साजिश थी ,जिसे बनाये रखने के लिए भी काफी पैसा फूँका गया।

हुक्का पानी तो बंद होना ही था।बेलट से होगा आइन्दा फैसला जाट बनाम गैर-जाटों का। 

हरियाणा के जाटों का आरक्षण आंदोलन नहीं बल्कि पंजाबी CM का तख्तापलट अभियान था

हरियाणा के जाटों का आरक्षण आंदोलन नहीं बल्कि पंजाबी CM का तख्तापलट अभियान था
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Chandigarh 29 Feb,2016(abtaknews.com): हरियाणा के जाटों का आरक्षण आंदोलन नहीं बल्कि पंजाबी CM का तख्तापलट अभियान था क्योंकि जाटों की लड़ाई 20 पर्सेंट आरक्षण की लड़ाई नहीं बल्कि जाट मुख्यमंत्री के लिए युद्ध लड़ा गया जिसमे सभी पोलिटिकल पार्टी के जाट नेता शामिल थे जाट मुख्यंत्री होते ही हरियाणा में सरकारी नौकरी में जाटों का सतप्रतिशत आरक्षण हो जाता है जब से हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री बना तभी से एक विशेष वर्ग के नेता मंत्री अपने अपने आपको ठगा महसूस करने लगे थे । विपक्षी भी पंजाबी मुख्यमंत्री नहीं पचा पा रहे थे वो किसी भी पार्टी के हों ।हाल में आरक्षण आंदोलन हुआ जो दर असल जाट आंदोलन साबित हुआ और ख़ुफ़िया विभाग की माने तो इस आंदोलन का मकसद खट्टर को कुर्सी से बेदखल करना था तख्तापलट आंदोलन था । इस आंदोलन में पंजाबियों को चुन चुन कर निशाना बनाया गया उनके घर, दुकाने पेट्रोल पम्प खूब जलाये गए । आरक्षण की आड़ में हरियाणा को जलाकर और करीब 30 हजार करोड़ की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, तीस लोगों की जाने गयीं दर्जनो स्टेशन पुलिस चौकी जला दी गयी । जाट समुदाय के लोग अब मुसीबत में पड़ने लगे हैं। अब उनका हरियाणा में सामाजिक बहिष्कार होने लगा है। कल हरियाणा के 100 गाँवों के करीब 35 समुदायों ने जाटों का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया है। इन लोगों ने हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का खुला समर्थन करते हुए कहा है कि यह आन्दोलन आरक्षण मांगने के लिए नहीं था बल्कि गैर जाट मुख्यमंत्री को हटाने के लिए बहुत बड़ी साजिश थी। इन लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रोफेसर बीरेंद्र सिंह का आन्दोलन भड़काने वाला आडियो टेप आया है और कांग्रेस पार्टी के लोग आन्दोलन को रोकने में मनोहर लाल खट्टर को नाकाम बता रहे हैं और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं उससे सिद्ध होता है कि खट्टर को बदनाम करना इस साजिश का हिस्सा था। कई जिलों में देखा गया कि आंदोलन करने वाले एक विशेष पार्टी से ताल्लुक रखने वाले थे पार्टी ही नहीं विशेष जाती से भी ताल्लुक रखते थे ।
बता दें कि जाट आन्दोलन के समय हरियाणा सरकार को करीब 30 हजार करोड़ का नुकसान पहुंचा है। सबसे अधिक नुकसान जाटों के गढ़ कहे जाने वाले रोहतक, झज्जर, सोनीपत और जींद में पहुंचा है। रोहतक शहर को पूरी तरह से बर्बाद करने की कोशिश की गयी है। लोगों का कहना है कि देखने पर ऐसा लगता है कि यह आन्दोलन आरक्षण के लिए नहीं किया गया था बल्कि हरियाणा राज्य को जलाने, हरियाणा सरकार को कमजोर करने और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदनाम करने के लिए किया गया था।
जिन गाँवों के लोगों ने जाटों के सामाजिक बहिष्कार का फैसला किया है उनमें मानेसर, सिकंदरपुर, सीही, नखरोला, रामपुरा, खोह, बिलासपुर, नोरांगपुर आदि शामिल हैं। महापंचायत का आयोजन शनिवार को नखरोला गाँव में मोहम्मदपुर के पूर्व सरपंच नाथू सिंह के नेतृत्व में हुआ।महापंचायत में चर्चा हुई कि जाट समुदाय के लोगों ने हरियाणा पर करीब 40 साल तक राज किया है, इन समुदाय के कई लोग मुख्यमंत्री बन चुके हैं जिनमें चौधरी देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल, ओम प्रकाश चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं। हरियाणा में ज्यादातर सरकारी नौकरी पर जाट लोग हैं,ज्यादातर मंत्री, विधायक भी जाट ही हैं। ज्यादातर पुलिस वाले भी जाट ही हैं। इतनी अधिक नौकरियों में भर्ती होने के बाद भी जाट लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। हरियाणा पुलिस में जाट समुदाय के लोग भरे पड़े हैं लेकिन ये लोग चुपचाप हरियाणा को जलता हुआ देखते रहे।
जाटों का करेंगे सामाजिक बहिष्कार–महापंचायत में जाट आंदोलन के दौरान 30 लोगों की हत्या का भी मुद्दा उठा, जिस पर चर्चा के बाद सरकार से मांग की गई है कि प्रदर्शनकारियों पर हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया जाए। मानेसर के पूर्व सरपंच ओम प्रकाश यादव ने कहा, ‘खुद को ऊंचा दिखाने के लिए किसी को दूसरे आदमी की जान लेने का हक नहीं है। जाटों ने जो किया उसे किसी भी सूरत में स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए हमने जाटो के सामाजिक बहिष्कार का फैसला किया है। अगर कोई और समुदाय ऐसा काम करेगा तो उसका भी बहिष्कार किया जाएगा।

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सरकार आगे क्या करती है इसी मुद्दे पे आगे की रणनीति तैयार करेने वाले हैं मतदाता ... देखें सरकार जागती है या सोयी रहती है ...