शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

एक और करिश्मा देखिये व्यापम या कोई और आरोप मढ़ने के लिए ये जमालो अपने तोतों को आगे कर देती है

जाति के आधार पर देश की समरसता को तोड़ने का कुचक्र

दो सूत्रधार हैं इस षड्यंत्र के एक श्री अराजक केजरीवाल तथा दूसरा दिल्ली में उनसे पिटने के बाद भी उनसे कंधा मिलाने वाला एक दुर्मति बालक और उसकी कुमति माँ जमालो। .एक कोई अहमद -या पटेल भी हैं जिन्हें मुस्लिम पटेल भी आप कह सकते हैं इन्हें मोहरा बनाके एक अनाम सी शख्शियत आनंद पटेल को गुजरात को जलाने के लिए इन दुर्मुखों ने आगे कर दिया है।

एक और करिश्मा देखिये व्यापम या कोई और आरोप मढ़ने के लिए ये जमालो अपने तोतों को आगे कर देती है इन गुलामों को प्रवक्ता कहा जाता है और आग लगवाने के बाद अपने मंद बुद्धि बालक को संग लेके ये पूतना शान्ति की अपील करने गुजरात की ओर निकल पड़ती है। इसे ही कहते हैं हथनी के दांत खाने के और दिखाने के और।

वजह आप जानते हैं घोटालों की चर्चा क्यों नहीं करते ये बकरी मैमना -करेंगे तो मुंह की खाएंगे। जमीन हड़पु जवाईं राजा फोकस में आ जाएंगे बूमरैंग करेगा ये वार। बड़े शातिर हैं दोनों।

तब ये लोग कहाँ थे जब गोधरा जल रहा था अयोध्या से लौटे तीर्थयात्रियों को चंद लोगों ने रेल के डिब्बे समेत आग के हवाले कर दिया था। बाहर से मिट्टी का तेल छिड़कके। तब इन्होने ने गुजरात को मज़हब के नाम पर जलाया था अब ये उसे जाति  के नाम पर जलाने के लिए निकल आएं हैं अपने बिलों से। तब ये जमालो कहाँ थी ?

और वो अराजकमल केजरीवाल जिसे प्रधानमन्त्री मोदी ने हाल ही में दिल्ली में बाकायदा मिलने का समय दिया है गैर -संविधानिक भाषा बिहार के सारनाथ में जाके  मोदी जी के बारे में बोलता है -'दिल्ली को तो हम चमका दें यदि हमें मोदी का सहयोग मिले तो '-यानी ये व्यक्ति जो मुख्यम्नत्री है प्रकारांतर से ये कह रहा है कि दिल्ली में जो कुछ हो रहा है वह मोदी जी कर करा रहे हैं। धूर्तता की ऊपरी सीमा का नाम ही अराजक केजरीवाल है जो व्यक्ति एक गैर सरकारी संगठन में घोटाला करने की वजह से नौकरी से बे -दखल किया गया वह आज देश को जलाने निकला है गनीमत है जब गोधरा -वन हुआ तब ये राजनीति में नहीं था वरना अब तक देश का क्या होता। देश बचता भी या नहीं ?

राजनीति के इन विषधरों का मुंह कुचलने की सख्त ज़रूरत है इनकी साफ़ साफ़ निशानदेही कर ली जाए। ये वही लोग हैं जिन्होनें पहले तो जातिगत जनगणना करने की मांग रखी और उसके नतीजे आते ही देश को जलाने निकल पड़े आरक्षण की बैशाखी लगाके।

बोध गया में तर्पण करता हूँ मैं इन तमाम धूर्तों का। 

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