शनिवार, 1 अगस्त 2015

लोकतंत्र को अल्पसंख्यक वोटतन्त्र में बदल दिया है ऐसी ही सोच के लोगों ने

दिग्विजय कहते हैं सरकार और कोर्ट ने क्षिप्रता दिखलाई है याकूब को फांसी देने में -राजनीति करते करते ये मदारी जवान से बूढ़ा हो गया और इसे ये पता नहीं चला कि  २३ साल की लम्बी अवधि क्षिप्रता नहीं होती।लोकतंत्र को अल्पसंख्यक वोटतन्त्र में बदल दिया है ऐसी ही सोच के लोगों ने।

  इशारे कर करके ४४ चिरकुटों को संसद में हड़काने  वाली सोनिया मायनों ने जितना राजनीति का स्तर गिरा दिया है उसको शब्दों में नहीं आंका जा सकता। जितना नुक्सान इस सोनियामायनो सोच ने इस देश का किया है उतना  नुक्सान मुशर्रफ ,शरीफ और चीन ने मिलकर नहीं किया होगा।

आज हालात ये हो गए हैं कि आतंकियों के कुनबे के लोगों को ये संसद में ला बिठाना चाहते हैं।

भारतधर्मी समाज और भारतधर्मी राजनीतिक कर्मियों की  भी ये कमज़ोरी रही है कि वे कहे  जा रहें हैं  ,आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता जबकि आतंकी वारदात करने के बाद साफ़ कहता है मैं इस्लाम हूँ मैंने किया है विस्फोट ,बम धमाके करवाके मैंने आज बदला ले लिया।

आतंकी का अपराध सिद्ध हो जाने पर इन गद्दारों के और सोनियामायनो कांग्रेस के आतंकी समर्थकों के  माथे पर  फौलादी नैनो  सील प्रत्यारोपित की जाए इनके गद्दार होने की सनद के बतौर।

क्यों इनके कच्छे ढीले हो जाते हैं जब किसी आतंकी को सज़ा होती है। उसने तो अपना करम भुगत लिया इन गद्दारों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। इनकी शिनाख्त होनी चाहिए।

गांधी के नाम पे राजनीति करने वाली सोनिया मायनो कांग्रेस अब गांधी को माफ़ करे नेहरू -सोनिया माइनो तक  सीमित रखे इस संकर कुनबे को जो घियासुद्दीन गाज़ी से सोनिया तक कई मज़हब ओढ़ चुका है।    

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