रविवार, 2 अगस्त 2015

उस दिन मुझे पता चला संग का रंग चढ़ता है और बाकायदा चढ़ता है

गलती पेट् डॉग (पालतू कुत्ते )की नहीं थी।  उसके मालिक ने उसे  लीश से नहीं बांधा था ,खुला घूम रहा था यह कुत्ता  अपने घर के आगे यद्यपि सामने ही उसका मालिक भी टहलकदमी सी कर रहा था लेकिन फिर भी वह उस जोगर के पीछे भौंकता हुआ देर तक नेताओं की तरह कुत्ताये रहा। भौं भौं … भौं ,मेरे लिए यह अप्रत्याशित ज़रूर  था लेकिन समझ के दायरे से परे  भी नहीं था। यहां (अमरीका में )कुत्ते प्रशिक्षित होते हैं बाक़ायदा एक डॉग ट्रेनर से दीक्षा मिलती हैं इनको। घर की  हदबंदी भी अप्रशिक्षित डौगी के लिए   भूमिगत संवेदी यंत्रों से हुई रहती है   ताकि वह हरी घास के बिछौने नुमा बाउंड्री से बाहर न जाए। ऐसा करते ही उसे शॉक लगता है।जब तक वह प्रशिक्षित नहीं हो जाता है  इलेक्ट्रॉनि प्रबंध कायम रहता है।

  यहां नियमानुसार हर निजी घर के आगे पीछे दायें बाएं इसी घास का विस्तृत बिछौना होता है। बात कुत्ते और उस राहगीर जोगर की चल रही था जो गेलपिंग फेज़ में था ,अब साहब मालिक इसका पीछे पीछे ये डौगी जोगर के पीछे और मालिक चिल्लाये जा रहा है टीटो नॉ.....  .ह .......नोह ....नाउ ......

   इन साहब को गत  कई बरसों से जानता हूँ। शाम को दारु इन्हें काबू किए रहती है। गए साल उस समय में अपनी झेंप छिपाने में नाकामयाब रहा जब ये ज़नाब मेरे साथ घूमते घूमते झाड़ियों में खिसक लिए और वही कर्म करने लगे जो कुत्ता टांग उठाकर करता है। वैसे मैंने ऐसे डागी भी देखें हैं मादा नहीं नर भी जो बिना टांग उठाये भी लघुशंका समाधान करते हैं। यहां का रिवाज़ है अगर आपने रास्ते में दवा की गोली भी खाई है तो रैपर संभाल के अपनी जेब में रखेंगे वाकिंग लेन  में नहीं फेंकेंगे। शूशू करने की तो सोची भी नहीं जा सकती।

अपने पेट् का एक्सक्रीटा पूपर स्कूपर से लिफ्ट करके  यहां के लोग पॉलिथीन में रख लेंगें। घर लाकर उसका निपटान करेंगे। उस दिन मुझे पता चला संग का रंग चढ़ता है और बाकायदा चढ़ता है। इन साहब के डॉगी पर भी क़ानून को धता बताके किसी जोगर पर कुतियाने का रंग चढ़ चुका था। वह आदमी भागने लगा और ये साहब टी टो। .. टी .. टो करते रहे। टी .. टो  नाम है इस डौगी का अब तक आप समझ गए होगें।

चार उचक्के चालीस चोर  आजकल संसद में इसी तरह कुत्ताये हुए हैं जिन पर किसी चर्च की एजेंट का रंग चढ़ा हुआ है।

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कहीं पे निगाहें कहीं पे ठिकाना ... बातों ही बातों में कह गए ...