बुधवार, 22 अप्रैल 2015

कुत्ता सेकुलर नहीं होता है

कुत्ता सेकुलर नहीं होता है। मौसम आता है तो पीछे से सूंघता भी है सेकुलर होने की कोशिश नहीं करता। आदमी बारह महीना तीसों दिन पीछे से सूंघता ही रहता है। कुत्ता झूठ नहीं बोलता। भौंकता है तो भौंकता है विशुद्ध रूप या फिर पूंछ हिलाता है। आदमी भौंकता है तो फिर रुकता नहीं है। एक अभी अपनी बिरादरी की पंचायत  में बोल रहा है। सभापति कितना रोके वह रुकेगा नहीं। कुत्ता बहुमुखी प्रतिभा का धनी है। आदमी दोगला होता है सामने से सेकुलर होता है पीछे से भगवान से अपने किये की माफ़ी माँगता है। कहता कुछ है करता कुछ है। कुत्ता भोग योनि है प्रकृति के नियम के अनुरूप चलता है। आदमी प्रकृति को भी पीछे से सूंघता रहता है। कर्म योनि है आदमी। 

आदमी इमारतों  में, भीड़ -भाड़ वाले बाज़ारों में बम लगाता है कुत्ता बम का पता लगा लेता है। ज्योतिहीनों को रास्ता दिखाता है हवाई जहाज तक उन्हें बिठाकर आता है उतारता है प्लेन के लेंड करने पर। कुत्ता जीवन को सुरक्षा मुहैया करवाता है। अमरीकी राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते में तेज़ तर्रार कुत्ते हैं जो हवाई जहाज से छलांग लगा सकते हैं। अपने टारगेट को टोह बिजली की फुर्ती से उसे धर दबोचते हैं। 


आदम जीवन को पलीता लगाता है। 


साहित्य का संवर्धन करने में भी कुत्ते का अप्रतिम योग दान रहा है फिर चाहे वह हिंदी साहित्य  हो या अंग्रेजी। कुत्ता बराबर मुहावरों लोकोत्तियों में जगह बनाये हुए है। कुछ बानगियाँ देखिये :


बान हारे की बान  न जाय ,


कुत्ता मूते टांग उठाय। 



Every dog has his day .


हिंदी में यही मुहावरा इस रूप में है :एक दिन घूरे के भी दिन फिरते हैं। 


स्वानों को मिलता वस्त्र दूध ,


 बच्चे भूखे अकुलाते हैं ,


माँ की छाती से चिपक सर्द ,


जाड़ों की रात बिताते हैं। 


एक और बिम्ब :


कुत्ते घर में पल रहे ,सड़कों पर है गाय ,


बच्चे तरसें प्यार को ,मौज़ मनाये धाय। 


आदमी मन से पैदा हुआ है इसीलिए मनुष्य कहलाता है। मन ही उसका नर्क है मन ही स्वर्ग। सब कुछ उसके भीतर है बाहर कुछ भी नहीं है। मन ही उसकी शान है मन ही उसका कष्ट। वह लगातार मन के भार को ढ़ो रहा है इसीलिए निरंतर द्व्न्द्व  में  है. हर छोटी बात उसे दुचित्ता बनाये है कुत्ते के पास उन अर्थों में कोई मन नहीं है वह मन से नहीं प्रकृति से मिलते संकेतों सम्बोध से संचालित है इसीलिए निर्द्व्न्द्व है। 


आदमी सेकुलर हो गया है कुत्ता नान -सेकुलर है। 





3 टिप्‍पणियां:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अब तो यही तुलना की जा सकती है। इन्‍होंने तो हद कर दी है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कता बात है ... तीखी शर है ...
तभी तो आदमी से ज्यादा उनकी पूछ होती है आज ...

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

क्या बात है सर जी। ये जो दोहे आपने लिखे इन्हें पढ़कर दिमाग की खिड़की खुल गई।

स्वानों को मिलता वस्त्र दूध ,

बच्चे भूखे अकुलाते हैं ,

माँ की छाती से चिपक सर्द ,

जाड़ों की रात बिताते हैं।

एक और बिम्ब :

कुत्ते घर में पल रहे ,सड़कों पर है गाय ,

बच्चे तरसें प्यार को ,मौज़ मनाये धाय।

धन्यवाद सर जी।