गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

क्या पता था अदब को ही खाओगे

महाकाल के हाथ पर गुल होते हैं पेड़ ,

सुषमा तीनों लोक की कुल होते हैं पेड़। 

पेड़ पांडवों पर हुआ जब जब अत्याचार ,

ढांप लिए वटवृक्ष ने तब तब दृग के द्वार। 

बड़े जहीन हैं यहां के लोग पर हैं बड़े छलिया। भाषण में ये पर्यावरण -पारितंत्रों की सलामती की बात करते हैं और व्यवहार में पर्यावरण की नव्ज़ टटोलने वाले पक्षियों के रैनबसेरों को ये सिर्फ इसलिए उजाड़ देते हैं ,इन्हें नींद नहीं आती। 

जबकि मुंबई विश्वविद्यालय का कलिना परिसर कई पक्षी प्रजातियों का मिलन स्थल है। लाइफ साइंसिज के छात्र यहां चमकादड़ों पर विशेष शोध कार्य कर रहें हैं। लेकिन साहब कुछ जहीन लोगों की इस पक्षी के रात्रिकालीन शोर से नींद खराब होती थी सो उजाड़ दिए उनके पनाहगाह ,नंगा  कर दिया वृक्षों की कतार  को उसके पांतों से शाखों और डालियों से। 

पूछा जा सकता है मुंबई का बढ़ता डेसीबेल लेविल कम करने का इनके पास  क्या समाधान है या फिर इन्हें सिर्फ अपनी नींद से मतलब है। 

नींद का एक दिन मुअइयन है ,

नींद क्यों रात भर नहीं आती।  

जबकि पर्यावरण हम से अलग नहीं हैं हम वही हैं जो हमारा पर्यावरण है हमारे पारितंत्र हैं हमारी हवा -मिट्टी -पानी हैं हमारे क्लाइम हैं हमारा पर्यावरण से अपने देश से नाता है। 

बधाई के पात्र हैं मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र जिन्होनें अपने गुरुजनों को आईना दिखलाया है:

सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,

 अपनी करनी पर बहुत पछताओगे।  

कल चला सिक्का तुम्हारे नाम का ,

आज खुद को भी चला न पाओगे। 

सपने जिनको आज तक बेचा किये ,

आँख उनसे अब मिला क्या पाओगे। 

दांत पैने राजनीति में किये '

क्या पता था अदब को ही खाओगे। 

Mumbai University hacks 15 trees as bats 

‘disturb’ faculty

MUMBAI: In an act that has been called a "brutal murder", Mumbai University has hacked the branches of 15 trees on its Kalina campus as the noise created by a colony of bats residing in them reportedly disturbed the sleep of some faculty members. The hacking started on Sunday and continued till some students requested top officials to intervene.

Students said the trees, which had lined the road, not only added to the beauty of the campus but also housed many bird species. The bats were, in fact, the subject of research for zoology students.

Expressing disappointment over the indiscriminate hacking of branches on the varsity's main road opposite the Western Regional Instrumentation Centre, the Students' Joint Action Front, University of Mumbai, organized a protest rally on Wednesday . "The act of the administration is ironical to what students are taught in classes—to be environmental-friendly in every possible way," the students complained to the registrar.

Professor Neeraj Hatekar of the department of economics, who is also the convener of the Joint Action Committee for Improving Higher Education, was part of the rally which began at the spot where only the stumps remain and proceeded to the administration department (Ambedkar Bhavan). The protesters later submitted a letter to the registrar.

"Is the hacking of trees, where they roost, our only response to this complex phenomena of urban wildlife? Should bodies like universities not find more intelligent and sensitive solutions to the problem? Can we not learn to share space with wildlife that is forced to be with us even if that means some inconvenience?" Hatekar wrote to the registrar. Pointing out that the bats would perhaps settle on the neighbouring trees, he said, "Are we going to do this ugly thing to all the trees on the campus? Hacking trees like this cannot be a solution."

Taking a dig at the vice-chancellor's garden, Hatekar added, "The university administration prides itself on being green. Being green is not only planting mango and gauva orchards but also managing the environment and the ecosystem of the campus in a sustainable fashion. The whole situation arising from the noisy bats could have been dealt with in a much more sustainable fashion."

Besides official explanation, students have demanded that additional trees be planted on the campus to compensate for the irreparable damage caused.




6 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (18.04.2014) को "क्या पता था अदब को ही खाओगे" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया सुन्दर लेखन , वीरेंद्र सर धन्यवाद !
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )

Shalini kaushik ने कहा…

right view .nice article .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बाते बहुत हैं पर काम कम ... अपने से आगे कि सोच खत्म हो तो प्राणी-जगत, पशु-पक्षी के बारे में कोई सोचे ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

ज्ञानवर्धक लेख..

Vaanbhatt ने कहा…

प्रभु से सद्बुद्धि की कामना ही कर सकते हैं...