शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

जगद्गुरु कृपालुजी योग (JKYOG )क्या है ?

जगद्गुरु  कृपालुजी योग (JKYOG )क्या है ?


इस योग के तहत योग के आध्यात्मिक(spiritual ) और कायिक (भौतिक ,material )योग के दोनों पहलुओं (तत्वों) का समावेश किया 

गया है। इस एवज योग के उस सनातन विज्ञान को आधार बनाया गया है जिसका बखान उपनिषदों में विस्तार से किया गया है। इसमें 

पांच वैदिक अनुशासन शामिल हैं। जो मन और काया के प्रबंधन से ताल्लुक रखते हैं। 

(१ )राधे  श्याम योगासन 

(२) राधे नाम प्राणायाम 

(३ ) सूक्ष्म शरीर शिथिलिकरण (Subtle Body Relaxation )

(4 )रूप ध्यान (Meditation on the Form of God )

(5 )संतुलित एवं स्वास्थ्यकर खुराक का विज्ञान 

भारत में यद्यपि हज़ारों सालों से जेकेयोग का  ऋषि मुनि योगीजनों ने अनुकरण किया है लेकिन पश्चिम में इसी योग का (कथित 

योगा )स्वरूप एक आयामी ही रहा है। इसमें मन की उपेक्षा की गई है। उपनिषद कहते हैं :

मन एव मनुष्याणां कारणं  बंध मोक्षयो :(पंचदशी )


मन ही  मनुष्य के बंधन और मुक्ति का अकेला कारण है। यदि मन की उपेक्षा की गई  तब फिर व्यक्तिव के पोषण और उद्भव एवं 

विकास का सारा का सारा विज्ञान अधूरा माना  जाएगा ,।आंशिक प्रभाव ही पड़ेगा  इसका।

जेकेयोग में पाँचों अनुशासनों पर समान बल दिया गया है। लक्ष्य है मन को ऊर्ध्वगामी बनाना आध्यात्मिक साधनों से आलंबनों से 

ऊर्ध्वमुखी बनाना।ईश्वर से इसकी प्रीती जोड़ना। आत्मा के स्तर पर यह बड़े परितोष और आनंद का वायस बनता है। 

मन -काया -और आत्मा में सामंजस्य समस्वरता लाता है जेकेयोग। आंतरिक सुखानुभूति आनंदाभूति करवाएगा साधक को इसका 

निरंतर और सही अभ्यास। आत्मा का परमात्मा से  मिलन करवाएगा जेके योग।  

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