रविवार, 20 अक्टूबर 2013

सूत न कपास जुलाहों में लठ्ठम लठ्ठा

विशेष :

(१)सौ वर्ग मीटर क्षेत्र के दो इलाकों की खुदाई कुल मिलाकर की जायेगी। 

(२) २. ३ मीट्रिक टन सोना भारतीय औसतन रोज़  खरीदते हैं। 

(३) मार्च २०१३ को संपन्न एक साल में भारत ५४ अरब अमरीकी डालर 

का सोना आयात कर चुका 

था।

(४)बहुचर्चित  संत शोभन सरकार ४० अरब डालर के 

स्वर्ण  भण्डार किले के आसपास दबे बतला रहे 

हैं।



हज़ार टन सोना  एक साल के आयात की भरपाई कर सकेगा। इससे घाटे 

का खाता थोड़ा सा कम 

होगा रूपये 

में डालर के मुकाबले थोड़ी जान आयेगी। 

मनमोहन संत शोभन सरकार के साथ सोना और स्वप्न देखना शुरू करें।

  अर्थ व्यवस्था को पटरी 

पर लाने के और नुस्खे हाथ आयेंगे।  




हज़ार टन सोना  एक साल के आयात की भरपाई कर सकेगा। इससे घाटे 

का खाता थोड़ा सा कम 

होगा रूपये 

में डालर के मुकाबले थोड़ी जान आयेगी। 

मनमोहन संत शोभन सरकार के साथ सोना और स्वप्न देखना शुरू करें। 

 अर्थ व्यवस्था को पटरी 

पर लाने के और नुस्खे हाथ आयेंगे। 

GLEANINGS FROM THE PRESS :


भारतीय समाचार पत्रों से संकलित संपादित रिपोर्ट 

पढ़िए  : 

शोभन सरकार ने देखा सपना उन्नाव के बक्सर स्थित डौंडिया खेड़ा में 

राजा राव रामबख्श सिंह के किले में खजाने की बात संत शोभन सरकार 

ने कही है। बक्सर से एक 

किलोमीटर दूर अपने आश्रम में सरकार ने तीन महीने पहले सपना देखा 

कि 1857 में अग्रेजों से लड़ाई में शहीद हुए राजा के किले के नीचे 

खजाना 

दबा है।

राजा राम बक्‍श सिंह का खजाना उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पूर्ववर्ती 

वैश्य राजपूत शासक राजा राव राम बक्‍श सिंह के किले के खंडहरों में 

180 वर्ष पुराने मंदिर के समीप 

 खजाना दबे होने की बात कही गई है।

राजा का इतिहास :

राव राम बख्श सिंह इलाके के राजा था और उन्हें 1857 के विद्रोह के 

दौरान अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। उनके महल को तबाह कर दिया, 

लेकिन 

डौड़िया 

खेड़ा गांव के समीप किले में दबा उनका खजाना छिपा ही रह गया। 

सातवीं सदी में मशहूर चीनी यात्री हुएन सांग ने हयमुख की यात्रा की थी 

और उन्होंने इस स्थान पर पांच 

बौद्ध मठ होने का उल्लेख किया था। कनिंघम ने कहा था कि डौड़िया 

खेड़ा वैश्य राजपूतों की राजधानी बनी, जिसका 

अधिकारियों के पास जवाब नहीं खुदाई में कितना समय लगेगा? सोना 

जमीन में कहां पर और कितने नीचे दबा है? इस तरह के तमाम सवाल 

लोगों के मन में हैं, जिनका 

जवाब फिलहाल खुद एएसआई के अधिकारियों के पास भी नहीं है। किले 

और आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। पुलिस के साथ पीएसी के 

लगभग 50 जवानों की तैनाती 

की गई है।

कुछ हाथ नहीं लगा पुरातत्व अधिकारियों को :

पहले दिन खुदाई में कुछ हाथ नहीं लगा। पूरे इलाके में सुरक्षा के कड़े 

इंतजाम किए गए हैं। उन्नाव के जिलाधिकारी क़े एस़ 

आनंद ने कहा, "एएसआई और जियोलजिकल सर्वे आफ इंडिया 

(जीएसआई) के अधिकारियों की टीम ने खुदाई शुरू करवा दी है। खुदाई 

में 30 से 40 दिन का समय लग 

सकता है।

भारतीय पुरातत्व विभाग के कयास :




पांच मीटर पर धातु होने के संकेत एएसआई अधिकारियों की टीम को 

मौके पर सर्वेक्षण के बाद किले के 20-25 फुट नीचे धातु के दबे होने के 

कुछ संकेत मिले। विचार-

विमर्श 

के बाद एएसआई अधिकारियों ने 18 अक्टूबर से खुदाई किए जाने का 

निर्णय लिया। इतिहासकार दावा कर रहे हैं कि किले की जमीन में इतनी 

मात्रा में सोना मिलना 

मुश्किल है, क्योंकि राजा राव रामबख्श सिंह इतने बड़े और वैभवशाली 

शासक नहीं थे। वहीं स्थानीय लोग शोभन सरकार की बात को सच मान 

रहे हैं।

दावेदार आये समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल और उत्तर 

प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सुनील यादव ने कहा कि खुदाई में जो 

निकलेगा वह उत्तर प्रदेश सरकर की 

सम्पत्ति होगी। इलाके के ग्राम प्रधान अजयपाल सिंह ने कहा, "सोना 

निकलता है तो इससे हमारे क्षेत्र का विकास किया जाए।" वहीं खुद को 

राजा का वंशज बताने वाले 

राजेश 

कुमार सिंह ने कहा कि 'खजाने से सरकार हमें पुर्नस्थापित करने का 

काम करे।'

त्रिशूल में छिपा खजाने का राज किले के गुंबद पर त्रिशूल आज भी 

सुशोभित है। वैसे तो अधिकांश शिव मंदिरों के शिखर पर त्रिशूल होता 

है, 

लेकिन इस मंदिर का त्रिशूल 

इतिहास समेटे है। खजाने का राज भी इससे जुड़ा है। कहते हैं कि सूरज 

की पहली किरण जब त्रिशूल पर पड़ती है तो मंदिर ऊंचा होने के कारण 

त्रिशूल की छाया किले में बने 

कुएं के पास पड़ती है। राजा ने खजाने को सुरक्षित रखने के लिए इसी 

स्थान को चुना, ताकि कभी स्थान को लेकर किसी तरह शक सुबा न रहे .

सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर 

की 

गई है, जिसमें डौंडिया खेड़ा में चल रही खुदाई को कोर्ट द्वारा निर्धारित 

एक टीम की निगरानी में 

किये जाने की मांग की गई है।

शोभन सरकार हुए नाराज एएसआई के खुदाई करने 

के ढंग से:

 उन्‍होंने आश्रम छोड़ दिया है। 

बताया जा रहा है कि शोभन 


सरकार के नाराज होने के बाद वहां मौजूद साधु संतों का भी मन खट्टा 

हो गया है।

(एक्‍सप्‍लोरेशन) डॉक्‍टर सैयद जमाल हसन ने  दावा किया कि राजा राव राम बक्‍श सिंह के किले में 'खजाना' मिलने 

की संभावना नहीं के बराबर है। हसन ने दोटूक कहा कि जितने बड़े पैमाने पर सोना मिलने का दावा किया जा रहा है, 

उतना सोना तो किसी सूरत में नहीं मिल सकता।
आपको बता दें कि शनिवार तक एएसआई और जीएसआई की टीम महज 14 इंच ही खुदाई कर पाई। दूसरी ओर 

खजाने का ख्‍वाब देखने वाले बाबा शोभन सरकार ने आश्रम छोड़ दिया है। खबर है कि बाबा शोभन सरकार एएसआई 

के खुदाई करने के तरीके से नराज होका उन्‍नाव स्थित आश्रम से 100 किलोमीटर दूर कानपुर के एक आश्रम में चले 

गए हैं। दैनिकभास्कर.कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत में शोभन सरकार ने दावा किया कि एएसआई की टीम खजाना 

नहीं खोज पाएगी। वह जिस रफ्तार से काम कर रही है, उस हिसाब से तो महीनों लग जाएंगे। सरकार ने कहा कि यदि 

खजाना जल्दी प्राप्‍त करना है तो सरकार को सेना लगानी चाहिए। (पहली बार सुनिए 'सोने' साधु शोभन सरकार की 

बताते चलें कि खुदाई का काम शुरू होने से पहले स्‍थानीय डीएम और एएसआई के अफसरों की बैठक हुई। उन्‍नाव के 

डीएम विजय किरण आनंद और एसपी सोनिया सिंह ने खुदाई के लिए पहला फावड़ा चलाया। डीएम ने कहा कि 

खुदाई 

कार्य में करीब एक महीने लग जाएगा। डीएम ने कहा कि खुदाई की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जा रही है। डौंडिया खेड़ा 

गांव में धारा 144 लागू कर दी गई है। खजाने के लिए खुदाई करने से पहले साधु शोभन सरकार ने पूजा-अर्चना की। 

इस घटना पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। खजाने की खोज का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। एक वकील ने 

सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर खजाने की खुदाई सेना की निगरानी में कराने की मांग की है। पीआईएल पर 

सुनवाई सोमवार को होगी।



इस बीच, खजाने की खोज के मसले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। विहिप के अशोक सिंघल ने कहा है कि सिर्फ एक 

साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है। वहीं, यूपी की सत्‍ताधारी पार्टी समाजवादी पार्टी ने कहा है कि 

खजाने से निकली संपत्ति पर राज्‍य सरकार का हक है।



गौरतलब है कि साधु शोभन सरकार ने दावा किया था कि 19वीं सदी के राजा राव रामबख्श सिंह के डौंडिया खेड़ा गांव 

स्थित किले में एक हजार टन सोना दबा है। उनका अब यह भी कहना है कि फतेहपुर के आदमपुर गांव स्थित रीवा 

नरेश के किले में शिव चबूतरे के पास 2500 टन सोना दबा है।


पत्र में साधु ने दावा किया है कि सरकार चाहे तो उनका आश्रम फतेहपुर में खजाने की खोज के लिए 10 लाख रुपए 

देगा। अगर खजाना नहीं मिला तो यह सुरक्षा निधि सरकार ही रख ले। लेकिन अगर खजाना मिला तो सोने के मूल्य 

का 20 फीसदी हिस्सा इलाके विकास पर खर्च हो। 

डौंडियाखेड़ा: अब सेनापति के वारिस ने भी मांगा हिस्सा


डौंडियाखेड़ा।। खजाने की खबर लगते ही राजा के वंशज ही नहीं तमाम लोग ऐसे भी सक्रिय हो गए हैं जो 

156 साल पहले के बड़े जमींदार राजा राव रामबक्श सिंह के दरबारियों के गांवों के रहने वाले हैं। ऐसे ही एक 

रमाकांत मिश्र रायबरेली जिले के सरैनी ब्लॉक के दुंदीखेड़ा गांव से यहां पहुंचे। रमाकांत मिश्र ने कहा, दुंदी 

पांडे यहां के राजा के सेनापति थे। जिनके नाम पर रायबरेली में उनका गांव बसा हुआ है। अगर सेनापति न 

होते तो राजा कैसे अंग्रेजों से लड़ाई करते लिहाजा उनके गांव का भी इस खजाने में हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 

वे शनिवार को दस्तावेज लेकर आएंगे और कलेक्टर से मिलेंगे।

8वीं पीढ़ी के वारिस भी


हरपाल पुर के अभय प्रताप सिंह का दावा है कि वह राजा की 8वीं पीढ़ी के वारिस हैं और एक प्राइवेट कंपनी 

में काम करते हैं। उन्हें खजाने में हिस्सा नहीं चाहिए लेकिन उससे इलाके का विकास होना चाहिए। बोले, एक 

हजार टन मिले या न मिले लेकिन सोना जमीन से निकलेगा जरूर।



खजाने के नाम से ही सही कुछ दिन चूल्हा तो जलेगा

रामू को राजा रावराम बक्श सिंह के खजाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह कहता है कि आज तक इस महल 

के 


नीचे का कोई भी शख्स दबा खजाना नहीं निकाल पाया तो ये लोग क्या निकालेंगे। लेकिन, वह इस बात से 

बहुत खुश है कि खजाने के नाम से ही सही उसके घर में कुछ दिन अब अच्छे से चूल्हा तो सबेरे और शाम 

जलेगा। दरअसल उसने खजाने की खुदाई वाली जगह पर जलेबी और पकौड़ी की दुकान लगाई है, जिससे 

उसकी अच्छी खासी बिक्री हो रही है। रामू जैसे कई लोग हैं जो खजाने के नाम पर अपनी पूरी तरह से ढह 

चुकी आर्थिक स्थिति को दुकानें लगाकर कुछ हद तक सुधारने में लगे हैं।

आमिर खान की पीपली लाइव तो याद ही होगी। कैसे मौत को लाइव करने की जद्दोजहद मची हुई थी। पूरा 

का पूरा मेला लग गया था। ठीक उसी तरह से उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में इस वक्त माहौल बना हुआ है। 

राजा राव रामबक्श सिंह के बनवाए गए शिवाले के चारों ओर गजब की भीड़ और खाने पीने की दुकानें लगी 

हुई हैं। इस 'सर्कस' के चलते आस पास के गांव वालों ने भी काम धंधे की आस में शनिवार से दुकानों को 

लगाने 

की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

डौंडियाखेड़ा के रामू ने बताया कि वह आस पास के गांवों की साप्ताहिक बाजारों में जलेबी और पकौड़ी की 

दुकान लगाकर कुछ पैसा पैदा कर लेते हैं। लेकिन जब से डौंडियाखेड़ा में खजाने को लेकर मजमा लगना शुरू 

हुआ है तब से उन्होंने अपनी दुकान यहीं सजा दी। रामू बताते हैं कि गुरुवार की दोपहर से लेकर शुक्रवार की 

शाम तक इतना कमा चुके हैं जितना वह तीन सप्ताह तक बाजारों में दुकान लगाने के बाद कमा पाते थे। 

डौंडियाखेड़ा से 4 किलोमीटर पहले स्थित   ऊंचगांव के दीपक एक रेस्तरां चलाते हैं। वह कहते हैं कि उनके 

कुछ 

कारीगर भी खजाना मिलने वाली जगह पर खाने पीने की दुकान लगाने चले गए हैं। गांव के प्रधान अजय 

पाल सिंह इसको भी अपने नजरिये से देखते हैं। वह कहते हैं कि उनके शोभन सरकार न सिर्फ सरकार बल्कि 

हर गरीब की भलाई के लिए लगे हैं। अब देखिए इतनी भीड़ में ऐसे बुहत से लोग हैं जो अपनी रोजी रोटी 

दुकाने लगाकर चला रहे हैं।

Indian government digging for gold after swami dreams of buried treasure

Yogi Swami Shobhan Sarkar dreamed that $40 billion in gold was hidden under King Rao Ram Bux Singh’s ruined palace in Daundia Khera, Uttar Pradesh. He informed India’s central bank about his vision and a team of archaeologists rushed to the spot.



Read more: http://www.nydailynews.com/news/world/indian-government-digging-gold-swami-dreams-buried-treasure-article-1.1486796#ixzz2iCdBbjnq


MR & PR

OLEKSIY MARK/GETTY IMAGES/ISTOCKPHOTO

Sarkar dreamed of 1,000 tons of gold buried under the ground in Daundia Khera. “It is a hidden treasure for the country,” the sage said.



Read more: http://www.nydailynews.com/news/world/indian-government-digging-gold-swami-dreams-buried-treasure-article-1.1486796#ixzz2iCcCM4XM










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2 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

अ कम्पलीट गोल्ड पोस्ट पैकेज :-)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अब सरकार इन्ही सपनों के भरोसे रह गई है ... आगे बढ़ने ओर मेहनत करने का सपना तो जिन्दा रहा नहीं ...