रविवार, 16 जून 2013

क्या डायबिटिक रेटिनोपैथी का निदान है ?

क्या डायबिटिक रेटिनोपैथी का निदान है ?

डायबिटिक रेटिनोपैथी का रोगनिदान एक अच्छा नेत्र रोगविशेषज्ञ (ओफ्थल्मोलोजिस्ट )आँखों के गहन जांच द्वारा कर सकता है .जांच में दृष्टि तीक्ष्णता का टेस्ट ,आँखों के प्रेशर (ओक्युलर प्रेशर )की मापऔर नेत्र विशेषज्ञ द्वारा रेटिना का गहन निरीक्षण  भी किया जाना शामिल होता  है 

.कई बार नेत्र विशेषज्ञ आपसे एक विशेष प्रकार के जांच के लिए निवेदन कर सकता है ,जिसे फंडस फ्लोरोसिन एञ्जियोग्रेफ़ि (ऍफ़ऍफ़ए )कहते हैं .इसमें विशेष प्रकार की फ्लोरोसेंट डाई रक्त नलिकाओं में इंजेक्ट की जाती है ,जिससे रेटिना को बेहतर ढंग से देखा जा सकता है .डाई रेटिना की रक्त नलिकाओं में जैसे जैसे घूमता है ,इसकी तस्वीर ले ली जाती है .इन तस्वीरों के माध्यम से इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिल जाती है कि कहाँ पर असामान्य नलिकाओं से रक्तस्राव हो रहा है .इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी की अवस्था की  पहचान एवं उसके इलाज़ में मदद मिलती है .

एञ्जियोग्रेफ़ि के अतिरिक्त ,डायबिटिक मेक्युलोपैथी की जांच एवं उसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए ओप्टिकल कोहरेन्स टमोग्रेफ़ी (ओसीटी )की ज़रुरत पड़  सकती है .   

क्या डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच है ?

मधुमेह से पीड़ित मरीज़ के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वह नेत्र विशेषज्ञ के साथ ही स्रावीविज्ञान के माहिर (इंडोक्राइनोलाजिस्ट )के संपर्क में रहे और नियमित जांच कराए .

यदि डायबिटिक रेटिनोपैथी शुरूआती अवस्था में पकड़ में आ जाता है तो इसके दीर्घकालिक फायदे हैं .डायबिटिक रेटिनोपैथी से अधिकाँश मामलों में दृष्टि ह्रास की रोकथाम की जा सकती है बशर्ते इसका इलाज़ जल्द शुरू कर दिया जाए .लेकिन एक बार नुक्सान हो गया तो इसके दुष्प्रभाव को दूर नहीं किया जा सकता .इसलिए बेहद ज़रूरी है कि प्रत्येक मधुमेह रोगी  को नियमित तौर पर आँखों की जांच करानी चाहिए ,ताकि डायबिटिक रेटिनोपैथी की मौजूदगी और फैलाव का समय रहते पता लगाया जा सके .

डायबिटिक रेटिनोपैथी का उपचार क्या है ?

उपचार के तीन प्रचलित तरीके हैं :

लेज़र ट्रीटमेंट :लेज़र उपचार में नेत्र विशेषज्ञ लेज़र का प्रयोग कर रेटिना के क्षेत्र  में विकसित अवांछित रक्त नलिकाओं को नष्ट कर देते हैं जो रेटिना को पोषण और एवं ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा उत्पन्न करती हैं .यह रेटिना क्षेत्र में नै रक्त नलिकाओं की वृद्धि को भी रोकता है .इसका प्रयोग कई सत्रों में किया जाता है .

विट्रेकटमी :यह एक शल्य चिकित्सा विधि है .इस विधि में शल्य क्रिया की मदद से खून एवं क्षतिग्रस्त ऊतकों को आँख के मध्य भाग से हटा दिया जाता है .इस विधि का चुनाव तब किया जाता है जब आँखों में रक्त स्राव का विस्तार अधिक हो .

इंट्राआक्युलर इंजेक्शन :आँखों में लगाए जाने वाले एंटी वीईजीऍफ़ या स्टेराइड जैसे इंजेक्शन डायबिटिक रेटिनोपैथी के कुछ मरीजों पर बेहद कारगर तरीके से काम करते हैं .यह रक्त नलिकाओं की असामान्य वृद्धि (पीडीआर )एवं उनसे होने वाले रक्त स्राव को कम कर देता है .इसका प्रयोग सर्जरी से पहले रक्त स्राव को कम करने के लिए भी कर सकते हैं .

उपचार के तरीकों का चुनाव बीमारी की अवस्था ,मरीज़ की उम्र एवं नेत्र विशेषज्ञ की सलाह पर निर्भर करता है .लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आँखों को नुक्सान पहुंचना शुरू हो इससे पहले इलाज़ शुरू कर दिया जाए .

उपचार से दृष्टि वापस पाई जा सकती है ?

वह मरीज़ जो इस बीमारी के कारण पूर्व में अपनी दृष्टि गँवा चुका है ,सामान्यतय उपचार से उसकी दृष्टि वापस नहीं लाई  जा सकती .यद्यपि आँखों में रक्त स्राव ,रेटिनल डिटेचमेंट या मोतियाबिंद  के कारण गई दृष्टि को वापस लाया जा सकता है .

लेज़र उपचार के बारे में कुछ तथ्य :

(१  )यह केवल एक ओपीडी में भी संभव है ,इसके लिए भर्ती होने की ज़रुरत नहीं पड़ती है .

(२ )इसमें चीरा लगाने की ज़रुरत नहीं पड़ती है .

(३ )यह रक्त स्राव को रोक देता है या रेटिना के अवांछनीय रक्त नलिकाओं को नष्ट कर देता है .

(४ )सामान्यतय यह कष्ट दायक नहीं होता ,हालाकि जब नै रक्त नलिकाओं को हटाते हैं तो थोड़ा असहज महसूस होता है .ज़रुरत के पड़ने पर लेज़र उपचार को दोहराते हैं .

( ५ ) यह दृष्टि ह्रास को रोक सकता है ,लेकिन जा चुकी दृष्टि को वापस नहीं ला सकता .

डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचा जा सकता है ?

इसके प्रमाण हैं कि मधुमेह से पीड़ित लोग  ब्लड शुगर (रक्त शर्करा )पर बेहतर नियंत्रण से डायबिटिक रेटिनोपैथी को टाल सकते हैं और उससे होने वाली समस्याओं को कम कर सकते हैं .

महत्वपूर्ण सुझाव :

मधुमेह हो गया हो तो .साल में एक बार नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास आँखों की जांच के लिए ज़रूर जाएं .

रेटिना विशेषज्ञ की सलाह व बातों को नियमित तौर पर मानें व अनुसरण करें .

ब्लड शुगर स्तर पर नजर बनाए रहें .

रक्त चाप को सामान्य बनाए रहें .

धूम्रपान न करें .

कोलेस्ट्राल स्तर पर नियंत्रण रखें .

नियमित कसरत करें और संतुलित आहार लें .

(समाप्त )

7 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

आँखे खोल दीं आपने भाई जी ,
इस विषय पर बिलकुल जानकारी नहीं थी !!
आपका ब्लॉग रोज पढ़ना चाहिए !
मंगल कामनाएं !

Rajendra kumar ने कहा…

मधुमेह हो जाने पर आँखों में परेशानी तो बढ़ ही जाती है,बहुत ही बेहतरीन तरीके से उपचार और सुझाव की जानकारी दिए हैं मान्यवर,आभार।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उपयोगी निदान, अपने पर्यवेक्षक को बताते हैं।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut jaruri ...avm upyogi jankari .....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी,,,

RECENT POST: जिन्दगी,

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

रेटिना की देखभाल के बहुत ही सुंदर और उपयोगी उपाय बताये आपने, हम इनका नियमित पालन करते हैं, अब और सख्ती से करेंगे, कभी कभी लापरवाही कर जाते थे जो अब आपकी सलाह के बाद नही करेंगे.

रामराम.

राहुल ने कहा…

काफी महत्वपूर्ण व बेहतरीन जानकारी...