सोमवार, 7 जनवरी 2013

दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता


अतिथि कविता 

दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता 

खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

             (1)

पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,

कभी शेर थी अब है बिल्ली 

अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,

अब तो शिशु पालों की  दिल्ली 

काले परदे ,काले शीशे,

 चलती बस में , बड़े सुभीते ,

हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,

पंजों में औरत कब्जानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी 

            (2)

दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,


उसमें बैठे कई सिकन्दर ,

अपने दलबल अपने लशकर ,

हुश हुश करते कई कलंदर 

पैने  नख और दन्त नुकीले ,

खों  खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,

सीमा लांघें  ,लंका काण्ड करें मनमानी 

खरपत  राजा ,चरपत  रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

              (3)

शिव भागे ,भस्मासुर पीछे, 

देवों पर है भारी दिल्ली ,

लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,

राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,

वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,

फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,

यूं तो बुरे  नहीं है  चीनी ,

पर उनकी  सूरत अलगानी .



खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

          (4)

सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,

जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,

दुष्टों ने  पर हवा बनाई ,

टूजी ,कोयला ,खेल  सफाई ,

साख का पारा शून्य से  नीचे ,

अब अपनों ने की रुसवाई ,

खेत अकेला खड़ा  बिजूका ,

सहता सर्दी ,बारिश पानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )

लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली के अब यही ,कहानी .




5 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सामयिक और सुन्दर रचना

नई पोस्ट : अहंकार

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

कितने अफ़सोस की बात है....
~सादर!!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली ..

सोचता हं कभी इतना सटीक, सामयिक लेखन कैसे होता होगा ... बहुत ही लाजवाब लिखा है ...
राम राम जी ..

रविकर ने कहा…

सटीक बात |
बधाई प्रस्तोता और
आदरणीय मेहता जी को-

रविकर ने कहा…

अतिथि कविता :भोर सवेरा कब होगा
अतिथि कविता :भोर सवेरा कब होगा

-कमांडर निशांत शर्मा

शुभकामनाये -
बधाई प्रिय कमांडर कवि को ||
बढ़िया है भतीजे-
लिखते रहो-